स्वामी जी की गुलामी 1

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 18, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //krot-group.ru desi chudai हेलो। ऑल द रीडर्स। मेरा नाम साक्षी है और में एक 39 साल की शादीशुदा औरत
    हूँ। मेरे परिवार में मेरे पति अरुण केशव, शेजल और शीना है। हमारी
    अरेंन्ज मैरिज हुई थी। हमारी शादी को 19 साल हुए है। इसी बीच हमारी 2
    बेटियाँ हुई। बड़ी का नाम हमने बड़े प्यार से शेजल और छोटी का नाम शीना
    रखा। मेरे पति एक मिडिल क्लास आदमी है। वो प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते
    थे मगर कंपनी में छटनी के दौरान उनकी नौकरी जाती रही।
    हम भोपाल शिफ्ट हुए थे काम की तलाश में। मेरे पति को कोई काम नही मिल रहा
    था। वो कई दफ़्तरों में इंटरव्यू देने गये पर फिर भी उन्हे नौकरी नही मिल
    पा रही थी। इसी कारण हमारे घर में आये दिन झगड़े होने शुरू हो गये। अब
    घर तो पैसो से ही चलता है। आम आदमी की ज़रूरत कभी खत्म नही होती। लिमिटेड
    पैसे होने की वजह से हम काफ़ी टाइम टेंशन में ही रहते थे।
    फिर मुझे मार्केट जाते समय एक विज्ञापन दिखा। वो विज्ञापन किसी स्माइल
    बाबा के नाम से था जिसे लोगो ने काफ़ी बड़ा दर्ज़ा दिया हुआ है। कहते थे
    की वो मन की शक्ति प्रदान करते है और समस्याओं का निवारण निकालते है पूजा
    कर के मैने घर जा के अपने पति से यह बात की। मेरे पति इन सब बातो में
    विश्वास नही करते थे। उन्होने मुझसे कहाँ, "तुझे अगर जाना है तो जाओ पर
    मुझको इन सब के लिए फोर्स नही करना।"
    मैने भी सोचा की उन्हे ज़्यादा फोर्स ना करूँ और वैसे भी उन्होने मुझे
    जाने की अनुमति दे ही दी थी। मैने एक दो बार और सोचा क्या करूँ। चूँकि घर
    की हालत बहुत बिगड़ गयी थी मैने मजबूरन स्वामीजी से संपर्क करने की सोच
    लिया था। शायद उनके पास हमारी परेशानी का उपाय हो।
    अगले दिन में नहा के अच्छी सी साड़ी पहन के स्वामी जी के आश्रम में गयी।
    स्वामी जी देखने में 56 से 60 के उम्र के लग रहे थे। उनके आस पास भक्त जन
    बैठे थे। उनके दोनो बाजू में 2 लडकियाँ करीब 30 की उम्र की सफेद साड़ी
    में खड़ी थी। स्वामीजी भगवान और शक्ति की बातें कर रहे थे। सत्संग ख़त्म
    होने के बाद सब लोग एक एक करके स्वामी जी से मिलने जाने लगे।जब मैं उनके
    पास पहुँची तो वो मुस्कुराये और मुझे आशीर्वाद दिया, "पुत्री तुम्हारे
    माथे की लकीर देख के लगता है की तुम घोर कष्ट से गुजर रही हो। बताओ क्या
    कष्ट है। स्वामीजी तेरा कष्ट दूर कर देंगे। कल्याण हो पुत्री तेरा सारा
    कष्ट दूर हो जायेगा।"
    स्वामीजी से मिलने के बाद उन्होने मुझे इंतज़ार करने को कहाँ। में साइड
    में जा के इंतज़ार कर रही थी। सब के जाने के बाद स्वामीजी ने मुझे बुलावा
    भेजा। में उनके पास गयी। स्वामीजी के साथ उनकी 2 सेविका भी थी जिन्होने
    सफ़ेद साड़ी पहन रखी थी। एक शिष्य भी था जिसने धोती पहना था।
    स्वामीजी ने मुझे अपने सामने बैठाया और पूजा करने लगे। वो कुछ मन्त्र का
    जाप कर रहे थे और उनकी सेविका पीछे दीया ले के खड़ी थी। स्वामीजी की आँखे
    बंद थी और वो अपने होंठ हिलाते जा रहे थे जैसे की मन में कोई मन्त्र का
    जाप कर रहे हो। फिर स्वामीजी ने आँखे खोली।
    फिर उन्होने मुझे गंभीरता से देख के कहाँ" जिसका डर था वो ही हुआ पुत्री,
    तुम्हारी जन्म पत्रिका में दोष है। जिसकी वजह से तुम्हारे परिवार के
    विकास में बाधा आ रही है। इसके लिए यज्ञ करवाना होगा। इसका उपचार करना
    पड़ेगा। पूजा करवानी होगी।"
    स्वामीजी की बात सुन के में थोड़ा घबरा गयी थी। मैने स्वामीजी से कहा
    "स्वामीजी इसका कोई उपाय बताइये। में कोई भी पूजा करने के लिए तैयार
    हूँ"।
    फिर स्वामीजी ने कहाँ "कल तुम नहा के नये वस्त्र पहन के बिना सिंदूर लगाऐ
    और बिना मंगलसूत्र पहने आश्रम में आ जाना करीब 12:30 बजे। हम कल से पूजा
    शुरू कर देंगे। ध्यान रहे, किसी को भी इस पूजन के बारे में मत बताना
    वरना विघ्न पड़ जायेगा। "फिर में वहाँ से निकल के अपने घर आ गयी। पूरी
    रात में सो नही पा रही थी, ये सोच के की मेरे कुंडली में दोष है। मेरी
    वजह से घर पर मुसीबत आई हें तो में ही इसे सुधारुगी भी।
    अगली सुबह में अपने पति को नाश्ता करा के अपने बच्चो को स्कूल छोड़ने के
    बाद वापस घर आई। मेरे पति भी नाश्ता कर के दफ़्तर के लिए निकल चुके थे।
    मैने घर का सारा काम ख़त्म किया फिर नहाने चली गयी। में अच्छे से नहा के
    एक पीले रंग की साड़ी में तैयार हुई। में फिर बिना सिंदूर लगाऐ और बिना
    मंगलसूत्र के स्वामीजी के आश्रम चली गयी। आज आश्रम में कोई नही था।
    गुरुजी के शिष्यो ने सबको कॉल करके बता दिया था की आज आश्रम में कोई
    अनोखी पूजा है जिसके कारण वो आज किसी से नही मिलेंगे। में वहा पहुँची तो
    गुरुजी की सेविकाओं ने मुझे अंदर का रास्ता दिखाया। वो मुझे अंदर कमरे
    में ले के गये। वहा अंदर एक बेड था और उस बेड के सामने वाली जगह में
    स्वामीजी ने एक यज्ञ का वेदी खड़ा किया था। मैने सोचा की यही स्वामीजी
    यज्ञ भी करते होंगे और फिर रात में सोते होंगे।
    मेरी सोच को रोकते हुए उनकी एक शिष्या बोली, "तुम बिल्कुल सही जगह आई हो...
    स्वामीजी तुम्हारी हर इच्छा पूरी कर देंगे। उनके पास बहुत बड़ी शक्ति है।
    अभी तुम उनके साथ पूजन में बैठो, हम लोग बाहर जाते है। तुमने किसी को
    बताया तो नही ना की तुम यहाँ आई हो।"
    मैने ना में सर हिलाया। स्वामीजी ने मुझे बैठने के लिए कहाँ। हम सब वही
    फर्श पे बैठ गये। स्वामीजी मन्त्र बोल के अग्नि में घी डाल रहे थे। व
    मंत्रो का उच्चारण करते जा रहे थे। फिर एक सेविका बाहर से दूध का ग्लास
    ले के आई। बाबा ने थोड़ा दूध अग्नि में डाला और फिर दूध को हाथ में पकड़
    के कुछ मन्त्र बोला और फिर वो दूध मुझे पीने को कहाँ।
    बोले, "इसे पी जाओ.... इससे तुम्हारी आत्मा शुद्ध होगी।"मुझे डर लगा मगर
    मैंने डरते डरते दूध का ग्लास हाथ में ले लिया। मैने दुध एक ही बार में
    पूरा पी लिया। दूध पीने के बाद मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा। अचानक ही मुझे
    नशा सा चड़ने लगा। मेरी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा। में बेहोश सी होने
    लगी। में फर्श पे ही गिर पड़ी। मुझे होश तो था की क्या क्या हो रहा है पर
    में उसका विरोध नही कर पा रही थी। मुझे महसूस हुआ की कुछ जने मिलके मुझे
    उठा रहे है और फिर उन्होने मुझे पलंग पे लेटा दिया। मैं आँखें खोल के सब
    देख रही थी मगर कुछ कर नही पा रही थी।
    फिर उस स्वामी ने अपने शिष्यो को बाहर इंतज़ार करने के लिए कहाँ।
    स्वामीजी ने फिर जाके कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और अंदर से कुण्डी लगा
    दी। फिर स्वामीजी मेरे पास आये और उन्होने मेरी साड़ी का पल्लू खींच के
    हटा दिया। वो मेरे सीने पे हाथ फेर रहे थे और कुछ मन्त्र बोलते जा रहे
    थे। फिर उन्होने मेरी साड़ी को मेरे बदन से अलग कर दिया। अब वो मेरे सीने
    और पेट दोनो जगह हाथ फेरते जा रहे थे।
    मुझे उत्तेजना हो रही थी। फिर मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन होने लगी।
    मेरे पेट पे हाथ फेरते-फेरते वो मेरी नाभि में अपनी उंगली बार-बार घुसा
    रहे थे।फिर वो ऊपर आये और एक-एक कर के मेरी ब्लाउज का हुक खोलने लग गये।
    मेरी आँखे अपने आप बंद होने लगी। उसके बाद वो मेरे से लिपट गये और अपना
    हाथ पीछे ले जाके ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया।
    फिर उन्होने मेरी ब्लाउज और मेरी ब्रा को निकाल के मेरे से अलग कर दिया।
    मैं शर्म से मरी जा रही थी मगर बेबस थी उस नशीली ड्रिंक की वजह से। मैं
    कमर से ऊपर बिल्कुल नंगी हो गयी थी। उन्होने हाथ में कोई सुगंधित तेल
    लिया था और वो मेरे सीने पे मलने लगे। मेरी धड़कन तेजी से धड़क रही थी।
    मेरी साँसे ऊपर नीचे हो रही थी। मेरे बदन से सुगंधित तेल की वजह से एक
    खुशबू आने लगी।
    स्वामीजी मेरे पास में बैठ गये और मेरे स्तन को दबाने लग गये और मेरी
    निपल को अपनी उंगलियो से मसलने लगे और पुल करने लग गये। वो मेरी बिगड़ती
    हालत को देख रहे थे और समझ रहे थे। मुझे नशे में उनकी यह हरकत अच्छी लगने
    लगी। मेरे बदन में अजीब सी हलचल होने लगी। वो मेरे स्तन को बार-बार दबा
    रहे थे और मेरी निपल से बारी-बारी खेल रहे थे।
    फिर वो और करीब आये और मेरी चुचि को अपने मुहँ में लेकर चूसने लग गये थे।
    स्वामीजी मेरी चुचि चूसते-चूसते उसे बीच-बीच में काट भी रहे थे। चुचि
    चूसते-चूसते वो मेरी नाभि में भी उंगली घुसाते जा रहे थे। मुझे उनकी सारी
    हरकते अच्छी लग रही थी। लग रहा था मानो मैं बहुत दिन बाद कोई मेरी निपल
    चूस रहा था। अरुण ने कई दिन से मुझे छुआ भी नही था। क्योकि वो अपनी
    परेशानियो से घिरा रहता था। आज पता लग रहा था की मेरे बदन में आज भी
    आकर्षण है। यानी मैं आज भी किसी को पागल बना सकती हूँ।
    स्वामीजी बोलते जा रहे थे, "तुम एकदम शांत हो के इस पूजा का आनंद
    लो....मैं तुम्हारी सब परेशानी दूर कर दूँगा। तुम्हारे बदन को शुद्ध करना
    पड़ेगा...."फिर स्वामीजी ने मेरी गर्दन पे होंठ लगा दिए और चूमने लगे,
    फिर दाया स्तन चूमना शुरू किया और मेरे बाये स्तन दबाते जा रहे थे। वो
    साथ साथ कुछ मन्त्र भी बोलते जा रहे थे। बहुत मादक माहौल था। रूम में एक
    दीया जल रहा था और अग्नि वेदी से निकलने वाली रोशनी से कमरा नहा रहा था।
    पूरा कमरा सुगंधित था। मेरे ऊपर स्वामीजी नंगे बदन झुके हुए थे। मेरा भी
    बदन नंगा था।
    फिर उन्होने मेरे होठों पे अपने होठ रखे और मेरे होठ को चूसना शुरू कर
    दिया। मेरे होठ चूसते चूसते उन्होने अपनी जीभ मेरे मुहँ में घुसा दी।
    उनकी जीभ में एक अजीब सा स्वाद था। वो मेरी जीभ चूसने लगे। मुझे महसूस हो
    रहा था की वो मेरे मुँह के अंदर चाट रहे है। वो उठ के मेरे चेहरे को
    देखने लगे कही मैं परेशान तो नही लग रही। मगर मेरे चेहरे से एक खुशी की
    झलक मिली उन्हे।
    स्वामीजी बोले, "कैसा लग रहा है पुत्री तुम्हारे दिल में जो भी परेशानी
    है दिल से निकाल दो मैं दिल पे मन्त्रो से उपचार कर रहा हूँ।
    फिर ज़ोर ज़ोर से मन्त्र उच्चारण करने लगे। बाहर बैठे उनके शिष्य भी ज़ोर
    ज़ोर से मंत्रोचर करने लगे। मुझे लगा की मैं किसी स्वर्ग में हूँ और मेरा
    रेप होने वाला है। मुझे लगा अब स्वामीजी मुझे चोद के ही छोड़ेंगे। शायद
    उनके शिष्य भी मेरी इस नशे की हालत का फायदा उठाऐगे। मुझसे बहुत बड़ी
    भूल हो गई की मैने किसी को बताया नही यहाँ आने के बारे में अगर मैं विरोध
    करती हूँ तो ये मुझे मार डालेंगे और किसी को कुछ पता भी नही चलेगा। मैं
    वहाँ से भागना चाहती थी मगर नशे की वजह से मैं कुछ कर नही पा रही थी।
    चुपचाप लेट के उनकी क्रिया का आनंद ले रही थी।
    स्वामीजी बोले, "अभी तुम्हारा मुख शुद्ध हो गया अब बाकी शरीर को शुद्ध
    करना है। अब मैं नीचे बडूगा। तुम मेरा साथ देती रहो फिर तुम बिल्कुल उलझन
    मुक्त जीवन जी लोगी।"
    में नशे मे थी। हिल नही पा रही थी। दुबारा तेल लेकर मेरी नाभि में मलने
    लगे। स्वामीजी मेरे पुरे बदन पर हाथ फेर रहे थे और तेल की मालिश भी कर
    रहे थे। वो मेरे होठों को चूमते चूमते नीचे की तरफ आने लग गये और फिर
    मेरे दोनों स्तनो को चुसना और दबाना शुरू किया।फिर वो धीरे-धीरे मेरे
    पेट की तरफ बड़े। अब उन्होने मेरे पेट पे चूमना शुरू किया। पास में पड़ी
    कटोरी से थोड़ा शहद निकाल के मेरी नाभि में डाल दिया। फिर उनका मुहँ मेरी
    नाभि पे आया। फिर वो मेरी नाभि को चूसने लगे। वो मेरी नाभि के अंदर अपना
    लिंग घुसा के अंदर झटके मारने लग गये। इतने में मेरी चूत में भी हलचल
    मचने लग गयी। तेल की सुगंध और दूध में मिला नशा मुझे मस्त कर रहा था। मैं
    खुद चूतवाने को उत्सुक हो रही थी। मेरी आँखे रह-रह के बंद हो जा रही थी।
    स्वामीजी बोले, "शाबाश पुत्री। तुम बहुत अच्छे से पूजन में हिस्सा ले रही
    हो। मैं इसी तरह तुम्हारे बदन को शुद्ध करूँगा। "मेरी नाभि चाटते। वो
    मेरे पेटिकोट का नाडा खोलने लग गये। बंधन खोलने के बाद उन्हे मेरी पिंक
    पेंटी दिखी। फिर उन्होने मेरे पेटीकोट और मेरी पेंटी खींच के ऊतार फेंकी।
    फिर ज़ोर ज़ोर से मंत्रोचर करने लगे। अब मैं बिल्कुल नंगी उनके सामने
    लेटी थी और वो लगातार मेरी साफ चूत को देख रहे थे और मन्त्र बोल रहे थे।
    फिर अपना हाथ मेरी नंगी चूत पे फेरने लगे।
    वो बोले, "अब समय आ गया है की मैं तुम्हारे अंदर की गंदगी को साफ करूँ।
    मैं अंदर इस पवित्र तेल की मालिश करता हूँ। तुम दिल से उपरवाले को याद
    करो। तुम्हे पता है योनि देवी पार्वती का रूप है। अपनी टाँगे खोलो
    पुत्री।"
    उन्होने मेरे पैर पकड़ के फैला दिया और मेरे पैरो के बीच में आ के बैठ
    गये। वो मेरी चूत पे अपना हाथ फेर रहे थे और कुछ बडबडाते जा रहे थे। फिर
    हाथ में तेल लेकर चूत के उपर लगाया और मालिश करने लगे। चूत के होंठ उनके
    छूने से कांप रहे थे। मानो उनमें भी जान आ गई हो। वो उंगली से चूत के
    होंठ पे मालिश किए जा रहे थे।
    फिर मुझे महसूस हुआ की वो मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा रहे थे। और अपनी
    उंगली को मेरी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। फिर वो मेरे चूत
    के दाने को छेड़ने लग गये थे। फिर दुबारा शहद ले कर चूत पे उंड़ेल दिया।
    शहद और तेल मिल के कयामत ढा रहे थे। वो फिर नीचे झुके और अपनी उंगलियो से
    मेरी चूत की पलके फैला दी और छेद पे किस करना शुरू कर दिये। बीच-बीच में
    वो अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर भी डाल रहे थे और फिर वो मेरी चूत के बहुत
    अंदर तक लीक कर रहे थे। अंदर मेरी चूत से गीलापन निकलने लगा। शहद और चूत
    का रस दोनो स्वामीजी मज़े से चाट रहे थे।
    स्वामीजी बोले, "बहुत स्वादिष्ट है पुत्री तुम्हारी योनि का रस जी करता
    है हमेशा पीता रहूँ। मगर पहले तेरी मुश्किल का हल ढूँढना है बच्चा।"
    मुझे ऐसी इच्छा हो रही थी जैसे वो मेरी चूत को चूसते रहे, हटे नही। फिर
    उन्होने अपनी तेल से भीगी उंगली मेरे गांड में घुसेड दी। एक ही झटके में
    उनकी बीच वाली उंगली मेरे गांड में समा गयी। वो मेरी चूत चूस रहे थे और
    साथ-साथ गांड में उंगली भी कर रहे थे। मुझ पर दोहरा वार हो रहा था। काम
    अग्न से मैने आँखे बंद कर रखी थी। अब मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी। मैं
    उन्हे हटाना चाहती थी मगर मुझ में इतनी शक्ति नही थी की में ऐसा कर सकूँ।
    मैं आँखें बंद करके उनके चूत चूसने का मज़ा ले रही थी।
    उन्होने मेरी चूत को काफ़ी देर तक चूसाई की और वो घड़ी आ गई जिसका
    इंतज़ार था। मैंने बहुत ज़ोर से पानी छोडा स्वामीजी के मुँह पे। मुझे
    शर्म भी आने लगी मगर स्वामीजी पुरे मज़े से मेरी चूत का पानी पीने लग
    गये। में उनके मुहँ में ही झड़ गयी। स्वामीजी ने मेरे चूत का पानी को
    पूरा पी लिया फिर वो उठे और मेरे ऊपर लेट गये। उनका होंठ मेरे होंठ पे
    रखा था। मैं खुद उनका होंठ चूसने लगी। उनके मुँह से मुझे अपनी चूत के
    पानी का स्वाद मिलने लगा।
    स्वामीजी फिर बोले, "बहुत स्वादिष्ट था तेरा योनि रस तुम क्या खाती हो की
    तुम्हारा चूत इतना मीठा है। तेरा पति कितना किस्मतवाला होगा जो रोज़ इसका
    रसस्वादन करता होगा।"
    स्वामीजी को क्या मालूम की अरुण कभी मेरी चूत नही चूसता। चूत को बहुत
    गंदा मानता है अरुण और चूसना तो दूर वो कभी चूत पे किस भी नही करता है।
    आज स्वामीजी ने मुझे ज़न्नत दिखा दी। उन्होने अपने हाथ से अपने लंड को
    मेरी चूत पे रखा और फिर ज़ोर से धक्का लगाया। स्वामीजी का मोटा लंड एक ही
    बार में मेरी चूत में पूरा घुस गया। मुझे याद नही की उनके लंड का साइज़
    क्या है में नशे में थी पुरे टाइम।
    स्वामीजी फिर मन्त्र बोलने लगे और चूची चूसने लगे। मैं नीचे से धक्के
    मारने को इशारा करने लगी। फिर स्वामीजी ने मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी।
    वो ज़ोर ज़ोर से अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर धक्के लगा रहे
    थे। स्वामीजी मेरी चूत की चुदाई करते करते मेरे होठों को चूम रहे थे और
    साथ साथ मेरे स्तन दबाते जा रहे थे। और मेरी निपल को अपनी उंगलियो के बीच
    मसलते जा रहे थे। मुझे बहुत दर्द हो रहा था पर में कुछ कर नही पा रही थी।
    वो नशा भी ऐसा था की मेरे पुरे बदन में गर्मी छा गयी थी। मुझे उनका बदन
    भी गीला महसूस होते जा रहा था जैसे की वो पसीने में भीगे हुए है। वो
    मुझे जगह जगह चूमते जा रहे थे और मेरी चूत में ज़ोर से अंदर बाहर करते जा
    रहे थे। उन्होने ऐसा लगभग 15 मिनिट तक किया होगा।फिर मुझे महसूस हुआ की
    मैं दोबारा झड़ने वाली हूँ। मैने आँखे बंद की और ज़ोर से बदन कड़ा किया।
    मैं बोल पड़ी, "ओओओओओओओओऊऊऊऊऊऊऊऊओह्ह्ह्ह्ह।।।।।।आआआआाअगगगगगगगगगगगगघह।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।माआआआआआआअ।।।।।।।।।।।।।मैं
    पानी छोड़ रही हूँ।"
    स्वामीजी ने भी अपना बदन कड़ा किया मैं समझ गयी वो भी झड़ने वाले है। फिर
    अचानक मुझे मेरे पेट के अंदर गरम पानी भरने जैसा महसूस हुआ और में समझ
    गयी की वो मेरे अंदर ही झड़ गये हें। झड़ने के बाद वो मेरे ऊपर ही कुछ
    देर लेटे रहे। फिर वो मेरे उपर से उठे और बाथरूम में चले गये। मुझे अंदर
    से पानी की आवाज़ आ रही थी। थोड़े टाइम बाद स्वामी जी नहा धो के बाथरूम
    से बाहर निकले। मुझे वैसा ही छोड़ के वो खुद कपड़े डाल के बाहर चले गये
    और में वहाँ अंदर नंगी लेटी हुई थी।
    मुझे पता ही नही चला की कब मेरी आँख लग गई। जब मुझे होश आया तभी भी मेरा
    सर घूम रहा था। पर अब में अपने हाथ पैर मूव कर पा रही थी। मेरे दोनों
    पेरो में दर्द हो रहा था। शरीर अकड़ गया था। दिल कर रहा था की कोई मुझे
    मालिश कर देता मगर वहाँ ऐसा कौन मिलता। मैं अपनी हालत पे रो रही थी। मुझे
    ये भी होश नही था की मैं उस वक़्त तक नंगी ही थी। मैने अपनी योनि को
    सहलाया तो दर्द से बहाल हो गयी। योनि के लिप्स फुल गये थे और दर्द भी था,
    योनि के ऊपर स्वामीजी का चिप चिपा सा वीर्य था जो बहुत हद तक सूख गया था।
    स्वामीजी का लंड लगता है बहूत मोटा था जिसने मेरी चूत का भरता बना दिया
    था। मैं अपनी चूत को सहलाने लगी। मुझे कुछ आराम सा मिला।
    मैं और चूत मसलने लगी और एक उंगली को चूत के छेद में घुसेड दिया। अंदर
    स्वामीजी का वीर्य बह रहा था। मेरी उंगली अंदर तक चली गयी। मुझे इतना
    मज़ा आने लगा की मैं उंगली से योनि की चुदाई करने लगी। मेरी आँखों के
    सामने स्वामीजी की चुदाई घूमने लगी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। लेकिन में
    कुछ नहीं कर सकती थी। मै पूरी तरह मग्न हो के योनि में उंगली कर रही थी
    तभी हल्की सी आवाज़ हुई। मैं चौंक सी गयी। तभी मेरा पानी निकलने वाला था।
    मैंने योनि को सहलाना जारी रखा और आँख खोली तो क्या देखती हूँ।...
     
Loading...

Share This Page



भाई को सिड्यूस कर चुदवा लेने की कहानीपॅंटी सेक्स कथाBarir Bou Chotiচাকরের চোদাহাসপাতালে সেক্স চটিরেকসনা ভাবি চোদার গল্পমাং চুদি আপাஜட்டியை கழட்டி விட்டு அவளைവേറെ കാര്യം പഠിപ്പിച്ചു തരാം kambiMadam nka sahita sexদুই বন্ধবিকে একসাথে ধর্ষণ চটিগুদের কুটকুট চিকিৎসাবাংলা চটি বিধবা কাজের বুয়ার গুদ মারাআজানা লোকে জামা কাপড় খুলে জোড় করে চোদার গলপKamamkathiস্কুলে মায়ের চোদন কাহিনীচটিগলপবিবাহিত আপুকে চুদাপুজার চটিMA PEM KOBORகணவரின் பதவி உயர்வுக்கு மனைவி கொடுத்த பரிசு - 1 sex story পিসি আমি মা sex storxamma magan olবেড়াতে গিয়ে দুই বিয়াইনকে চুদার চটিরমনগড়ের ছেলেরা চটিকচি পাছার চটিஓக்காமல் உன் புண்டை এক নজরে চোদাচুদির গল্পবটম চুদাআহহহ chotiভোদার ছন্দোযুবকের চোদা খেলামଦୁଧ ବେଧচটি ট্রেনে চুদাগুদের ভিতর কি রকমকচি ভোদা চুদার গলপ।জোর করে চুদে বেশ্যা বানানোর গল্পஅவங்க வயசு 40মা গালিগালাজ চটিবাংলা চটি গল্প বন্ধু ও বন্ধুর বড় বোন XNXचुत गांडीची कथाdhobighat me aur maa 5"মা বোনকে" আমি চুদি চটিশীত এর সময় লেপ এর নিচে আপুকে চুদার চটিমায়ের পরকীয়া চোদনভিড়ে মধ্যে চুদা চুদি চটিগুদ দিয়ে মনি হওয়াচটি গল্প চোদা বাবা মেয়ে পরকিয়া পর্বচটি গল্প জোর করে জেঠু মাকে চুদলোanni unga kodhi thean venum please ungalai vita enaku yarum anni sex tamil kama kadhaiবাংলা চটি গল্প বাড়ির মালিক বাসা ভাড়ার জন্য চুদলো.comஆண்ட்டியை கரெக்ட் செய்த காமகதைகள்মাং "চাটে" কিভাবেআমি আর দিদি Xxx videogandit shamne sex vhdeoমাং চুদার চটিগ্রামে গিয়ে চুদা খেলামநிருதியும் பக்கத்து வீடும்চাকর সাথে মার চোদা দেখার কাহিনীবাংলা চটি আরো জোরে দাওনাwwwxxx.kambi kathaআপুর দুধ টিপে অনেক মজা গল্পমাসী কে অনুরোধ করে চটিবাংলা চটি বাসর রাতে বর পুটকি চুদলোজালা চুদsuhgerat bape beti cudai khaniMeri choot ka tho kachambar ban gayaSala dulavai apu choti golpoকাজের ছেলে গ্রুপ চোদাচুদি দেখার গল্পxxx kandam eppti podanum story tamilবাড়া চোষার গল্প ভাবি আর সামি ও দুই দেবর চটিமாலதி பெரியம்மா காமக்கதைகள்বউ বোনকে চোদা শশুরAnni amma akka appa inba udal uravu tamilTamil kama kadhigalমাসি ও মাসির বান্ধবী কে একসাথে চোদাAmmavin koothiyil magan sunniচুদা চুদি কাহিনীবাসর রাতে বউয়ের আদর বাংলা চটিপুটকি মারছে বিদেশি লোকটা kalyani சித்தி மேல் படுத்து பால்মাকে ভালোবাসে চুদাचुत पुची Dogవైష్ణవి వేడి తెలుగు సెక్స్ కథలుভাইয়ের বৌউকে চুদার গলপपापा चोद लोগ্রামে চুদাচুদি গল্পVillage.Amma.Mgn.Okkum.Kthikal.Tamil