मैथ्स के प्रोफेसर ने मुझे कॉलेज

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, May 16, 2017.

  1. 007

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    //krot-group.ru हेल्लो दोस्तों, बिन्दु Kamukta दुबे आप सभी का नॉन वेज स्टोरी में स्वागत करती है। 2015 में मेरी एक सहेली ने मुझे नॉन वेज स्टोरी के बारे में बताया था। तब से मैं रोज यहाँ की मस्त मस्aत कहानी रोज पढ़ती हूँ और अपने बॉयफ्रेंड से रोज चुदवाती हूँ। आज मैं आपको अपनी रिअल स्टोरी सुनाने जा रही हूँ। मैं कासगंज[ यू पी] जिले की रहने वाली हूँ और गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में पढ़ती हूँ। ये डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर यूनीवर्सिटी आगरा से सम्बद्ध है। मैंने बी एस सी (मैथ्स) में एडमिशन लिया था और मैं रोज कॉलेज पढने जाती थी।

    दोस्तों, हमारे कासगंज में और कोई डिग्री कॉलेज था ही नही। सिर्फ यही था। इसलिए मुझे इसी में नाम लिखवाना पड़ा। शुरू शुरू में मुझे इसके बारे में कुछ पता नही था। पर धीरे धीरे मुझे इसके सारे राज पता चलने लगे। यहा के प्रोफेसर लड़कियों को छेड़ते थे और नम्बर बढ़ाने के लिए अपने घर पर बुलाते थे और चोद लिया करते थे। इसके बदले वो पूरी अटेंडेंस लगा दिया करते थे और एग्जाम में अच्छे नम्बर दे दिया करते थे। इसलिए जब मैंने बी एस सी फर्स्ट ईअर में पढना शुरू किया तो मैं डरी हुई थी। कुछ दिन बाद हमारे क्लास में दीपक सर पढ़ाने आये। वो इटावा के रहने वाले थे। वो बहुत लम्बे चौड़े कद काठी के थे। वो काफी अच्छा पढ़ाते थे। उसकी आँख के नीचे काले काले गड्ढे थे। वो हम लोगो को अलजेब्रा और ट्रिगनोमेंट्री पढ़ाते थे।

    धीरे धीरे मैंने देखा की दीपक सर मुझे घूर घूर के देखने लगे है और सारा दिन क्लास में मेरे दूध ही ताड़ा करते है। मैं स्कूल की ड्रेस स्लेटी कमीज और सफेद सलवार और दुपट्टा पहन कर जाती थी। मेरे मम्मे 38" के बहुत बड़े बड़े थे इसलिए मैं चाहकर भी दीपक सर से अपने दूध छिपा नही पाती थी। उपर से सारी लडकियों को आगे ही बैठने को कहा गया था। मैं बहुत ही गहरे गले की कमीज पहनती थी, इसलिए दीपक सर मेरे मम्मे साफ़ साफ़ देख सकते थे। मैंने कई बार देखा तो क्लास में ही उनका लंड मुझे देखकर खड़ा हो जाता था और वो मुझे बस चोद लेना चाहते थे। कॉलेज में 75% अटेंडेंस का नियम था, ना आने पर २०० रुपया रोज फाइन लगता था, इसलिए मैं रोज पढने आती थी। कुछ दिनों बाद मेरे पापा को हार्ट अटैक आ गया और हमे उनको लेकर लखनऊ जाना पड़ा। इसी सब में मैं पूरा २ महिना कॉलेज नही जा पायी। जब मैं गयी तो सबने बताया की मेरा नाम काट दिया गया है।

    हमारे क्लास टीचर दीपक सर ही hod [विभाग अध्यक्ष] थे इसलिए मुझे उनसे बात करनी पढ़ी। मैंने उसको सारी बात विस्तार से बताई।

    "सर.प्लीस सर, मुझे कॉलेज से मत निकालिए सर। मैं बहुत गरीब घर से हूँ, दुबारा मैं कैसे बी एस सी में नाम लिखवा पाऊँगी" मैंने कहा

    ".तो ठीक है..६० दिन तुम गायब रही और इसलिए १२००० रुपये दे दो, तुम्हारा नाम फिर से लिख जाएगा" दीपक सर बोले

    "अरे..सर, मेरे पापा आलरेडी हॉस्पिटल में एडमिट है। उनकी बायपास सर्जरी हुई है..सारा पैसा तो हमारा इलाज में लग गया, अब मैं १२००० कहा से लाऊंगी" मैंने कहा

    इसलिए मैंने दीपक सर से बहुत गुजारिश की।

    "बिन्दु...अगर पैसा नही है तो क्या हुआ। और भी बहुत कुछ है तुम्हारे पास। तुम सुंदर हो..जवान हो सेक्सी हो..मुझसे एक रात...बस एक रात चुदवा लो, मैंने तुम्हारी सारी अटेंडेंस लगा दूंगा, कोई पैसे नही लूँगा और तुमको अच्छे मार्क्स दूंगा" दीपक सर बोले

    ये सुनकर मैं बहुत डर गयी थी।

    "सोच लो.सोच लो..आराम से सोच लो बिन्दु..जब दिल करे मेरे पास आ गाना" दीपक सर बोले, उसके बाद मैं घर चली आई। कुछ दिनों बाद मैंने फैसला किया की अपनी पढाई जारी रखने के लिए मैं दीपक सर से कसके चुदवा लूँगी। अगले दिन मैं दीपक सर के कमरे में चली गयी। वो अपनी मेज पर बैठे कुछ काम कर रहे थे। जैसे ही मैं उनके कमरे में घुसी वो मुझे देखकर बहुत खुश हो गये। दीपक सर तुरंत समझ गये की मैं चुदवाने के लिए तैयार हूँ। कई दिन से वो मुझे ताड़ते रहते थे और कई दिन से वो मेरी रसीली चूत मारना चाहते थे। आज उसकी तमन्ना पूरी होने वाली थी।

    "नमस्ते सर, मैं चुदवाने को तैयार हूँ, बस आप मेरी अटेंडेंस पूरी लगा देना और एक्जाम में अच्छे नम्बर दे देना" मैंने कहा

    "आओ बिन्दु, पास बैठो आकर" दीपक सर बोले

    दोस्तों, मुझे ये सब अच्छा नही लग रहा था पर, मुझे ये करना ही था। मेरी मजबूरी थी ये। मैं दीपक सर के पास वाली कुर्सी पर बैठ गयी। कहाँ वो ६ फुट का लम्बा चौड़ा माँ का लौड़ा आदमी , कहाँ मैं ५ फुट लम्बी लड़की। उस दिन कॉलेज में बहुत कम भीड़ थी। बहुत कम लोग की सर से मिलने आ रहे थे। सर ने अपने कमरे में ही अपना हाथ मेरी सलवार पर चूत के उपर रख दिया और चूत सहलाने लगे। जबकि वहां पर सब खुला था। ११ बजे का समय था, दीपक सर के कमरे के बड़ा सा दरवाजा भी खुला था। कोई भी कभी भी अंदर आ सकता था। पर वो हरामी मास्टर ठरकी हो गया था। और शायद मुझे कॉलेज में ही चोदने की प्लानिंग कर रहा था। दीपक सर मेरी चूत में बाए हाथ से ऊँगली कर रहे थे, और दायें हाथ से कोई लिखा पढ़ी वाला काम कर रहे थे। आधे घंटे तक वो मेरी चूत अपने विभाग में बैठकर सहलाते रहे। फिर कुछ स्टूडेंट्स उसने मिलने किसी काम से आ गये। दीपक सर ने तुरंत अपना हाथ मेरी चूत से हटा लिया। जब वो लोग चले गये तो दीपक सर ने अपना हाथ मेरे दुपट्टे के अंदर मेरी कॉलेज ड्रेस वाली कमीज में डाल दिया और मेरे दूध सहलाने लगे। अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह मैंने करने लगी। क्यूंकि मैं बहुत गर्म हो चुकी थी और मेरा भी चुदवाने का दिल अंदर से करने लगा था।

    दीपक सर मुझसे छेड़खानी करते रहे और ४ बज आया। कॉलेज बंद हो गया और सारे बच्चे घर चले गये। अब सारा कॉलेज उसने हाथ में था। उन्होंने चपरासी से कहा की कोई उनके कमरे में ना जाए, तो कॉलेज का कुछ जरुरी काम कर रहे है। फिर उन्होंने अपने विभाग का दरवाजा बंद कर लिया और आकर मुझसे चिपक गए। इतने देर से सर मेरी चूत सहला रहे थे और दूध मींज रहे थे, इसलिए मैं भी गर्म हो गयी थी और चुदवाने के मूड में आ गयी थी।

    "ओ बिन्दु, मेरी जान....तुम्हारे जैसी हसीना मैंने आजतक नही देखी। तुमको चोदने में बहुत मजा आएगा" सर बोले

    उसके बाद उन्होंने मुझे कुर्सी से खड़ा कर लिया और मुझसे चिपक गए। मुझे बाहों में भरके वो मजा मारने लगे। मैं भी थोड़ी थोड़ी चुदासी हो गयी थी इसलिए मैंने भी उनको बाँहों में भर लिया। वो मुझसे पूरा १ फुट लम्बे थे, मैं उसने काफी छोटी थी और उनके कंधे तक भी नही आ पा रही थी। दीपक सर मजे से मेरी खुबसू सूघने लगे। इसी तरह ब्लैकमेल कर करके उन्होंने कई लड़कियाँ चोदी थी, आज चुदने का नम्बर मेरा था। कुछ देर बाद दीपक सर का हाथ मेरे दूध पर चला गया और वो खड़े खड़े ही मेरी मम्मे दबाने लगे। मैं उ उ ऊऊऊ ..ऊँ..ऊँ.ऊँ. करने लगी। सर और जोर जोर से मेरे 38 इंच के दूध दबाने लगे तो मुझे भी पता नही क्यों बहुत अच्छा लगने लगा। कुछ देर बाद सर ने मुझे अपनी लम्बी मेज पर लिटा दिया।

    "बिन्दु, चल जल्दी से नंगी हो जा" सर बोले

    फिर मैंने अपने कपड़े निकालने लगी, और सर अपने। जब मुझे कुछ देर में सर के 8" के लम्बे लौड़े से चुदना ही था तो ब्रा और पेंटी भी मैंने निकाल दी। सर भी पूरी तरह से नंगे हो गये। दीपक सर के इस विभाग में बड़ी बड़ी खिड़कियाँ लगी हुई थी, इसके दरवाजा बंद करने के बाद भी रौशनी की कोई कमी नही थी। वो आराम से मुझे चोद सकते थे। पंखे चल रहे थे और बहुत अच्छी हवा दे रहे थे। मैं उनकी बहुत ही लम्बी मेज पर लेट गयी और सर खड़े रहे। फिर वो मुझे पर झुक गए और मेरे दूध पीने लगे। मेरी 38" की बेहद बड़ी बड़ी चिकनी सफ़ेद छातियों को सर ने मुंह में दबोच लिया और मजे से पीने लगे। उनकी शादी तो हुई नही थी। उनकी उम्र ४० साल की पहले ही हो चुकी थी। इसलिए अब मुझे समझ आ रहा था की दीपक सर इसी तरह लड़कियों को ब्लैकमेल करके चोद लेते होंगे और अपनी चुदाई की प्यास इसी तरह मिटा लेते होंगे।

    इसी तरह वो चुदाई का मजा ले लेते होंगे क्यूंकि कोई बीबी तो उनके पास थी थी। उन्होंने अपना सीधा हाथ मेरे बाए दूध पर रख दिया और मेरा दायाँ मम्मा जीभकर मजे लेकर चूसने लगे। मेरी काली काली निपल्स को वो दांत से चबा रहे थे और ऐसे मेरी चुच्ची पी रहे थे जैसे मैं उनकी माल हूँ और उनकी प्रेमिका हूँ। फिर उन्होंने मेरा बायाँ दूध भी मुंह में भर लिया और मजे मारने लगे। इसी बीच मेरी चूत तो किसी मोम की तरह पिघलने लगी और बहने लगी। मेरी चूत का सफ़ेद माल उससे बाहर बहने लगे। दीपक सर को मेरे माल की खुशबू मिल गयी तो वो मेरे मस्त मस्त रसीले दूध छोड़कर मेरी रसीली चूत पर आ गये और मेरी बुर किसी प्यासे और चुदासे कुत्ते की तरह चाटने लगे। मैं सिसकने लगी। "ओह्ह्ह्हह्ह.अई..अई..अई..अई..मम्मी ..मम्मी.सी सी सी" मैं आवाज निकालने लगी। मेरी कामुक आवाजे सर को दीवाना बना रही थी और वो लगातर अपनी लम्बी जुबान से मेरी बुर चाट रहे थे, पी रहे थे और मजा ले रहे थे। फिर सर ने अपनी लम्बी बिच वाली मोटी ऊँगली मेरे भोसड़े में डाल दी और ऊँगली ने मेरी रसीली बुर चोदने लगे।

    मैं तडप उठी। आज जमाने बाद किसी मर्द ने मेरे भोसड़े में अपनी ऊँगली डाली थी। दोस्तों, एक 6 फुट लम्बे आदमी की ऊँगली सोच लीजिये कितनी लम्बी होनी। उनकी बीच वाली ऊँगली पूरी ६ इंच लम्बी थी। वो धकाधक मेरी रसीली बुर को अपनी मोती ऊँगली से चोद रहे थे और मजा लेकर बुर किनारे जीभ लगाकर चाट रहे थे। मैं बार बार अपनी गांड उठा रही थी। "उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ.चोदिये सर...मेरी रसीली चूत को अपनी मोती ऊँगली से और चोदिये सर!!" मैंने कहा, उसके बाद तो उन्होंने मेरी हल्की हल्की झाटो पर ऊँगली सहला सहला कर हजारों बार मेरी चूत में ऊँगली डाली और जीभ लगाकर चाटी और मेरा बुरपान किया।

    "चोदिये सर, अब मुझसे भी रहा नही जा रहा है.." मैंने कहा

    उसके बाद सर ने अपनी ६" लम्बी ऊँगली मेरी बुर से निकाल ली और सीधा मुंह में डालकर मेरा सफ़ेद माल पीने लगे। उन्होंने मुझे टेबल पर सीधा अपने लंड के सामने मुझे लिटा दिया, अपना खड़े रहे और अपना 7" लम्बा लंड मेरे गुलाबी भोसड़े में डाल दिया और लंड को ठीक से एडजस्ट कर लिया। फिर मुझे दीपक सर मजे से चोदने लगे। वो खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर मेरी रसीली चूत में अपना जूसी लंड डालकर मुझे चोद रहे थे। मैं उनकी टेबल पर ही लेती हुई थी और मजे से चुदवा रही थी। सर का लंड कोई ढाई इंच मोटा तो आराम से होगा, मैं उसका पौरुष उनके गदराये लौड़े को अपनी चूत में साफ़ साफ़ महसूस कर सकती थी। वो मुझे खटा खट चोद रहे थे। मेरी कमर उन्होंने कसके पकड़ रखी थी। चुदते चुदते सर ने तेज १०० की रफ्तार पकड़ ली और बहुत जल्दी जल्दी मेरी चूत में लंड डालने लगे। मेरी मम्मे जोर जोर से हिलने लगे जैसे कोई आंधी या भूचाल आ गया हो। इसी बीच सर ने मेरी चूत के दाने पर हाथ रख दिया और जल्दी जल्दी सहलाने और घिसने लगे।

    "आआआआअह्हह्हह. अई.अई.. .ईईईईईईई.और तेज चोदिये सर..आप मस्त चुदाई कर रहे है!!!" मैंने कह दिया।

    उसके बाद तो दीपक सर पूरी तरह से ठरकी हो गये और मुझे पटक पटक कर चोदने लगे। उसकी नॉन स्टॉप ठुकाई के कारण मैं बार बार अपना पेट और कमर उठा लेती थी और शायद उनके मोटे लौड़े से बचना चाहती थी, पर सर मुझे कमर से उठा कर फिर से टेबल पर पटक देते थे और पटक पटक कर मेरी बुर चोद रहे थे, पर एक भी सेकेंड के लिए वो अपना लौड़ा मेरे भोसड़े से बाहर नही निकालते थे। इसी तरह सर ने मुझे १ घंटा नॉन स्टॉप चोदा और अपना माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया। "आआआआअह्हह्हह.." मैंने चुदने के बाद एक लम्बी साँस छोड़ी।

    "सर आप तो बहुत शानदार ठुकाई करते है!!" मैंने कहा

    "हाँ..पर नौकरी ना होने की वजह से मेरी शादी नही हो रही है, ना ही कोई बीवी मिल पा रही है और ना ही उसकी चूत। इस प्राइवेट डिग्री कॉलेज में मुझे बस ७ हजार ही मिलते है, इसलिए मेरी शादी नही हो पा रही है" दीपक सर बोले

    "कोई बात सर..जब तक आपकी शादी नही हो रही है...आप मुझे चोद लिया करना...वैसे भी मुझे आपसे चुदवाने में बहुत मजा मिला है!!" मैंने कहा

    ये सुनकर सर बहुत खुश हो गये और मेरे उपर लेट गये और मेरे ओंठ पीने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपनी लम्बी टेबल पर ही घोड़ी बना दिया और पीछे से आकर मेरे बड़े बड़े उजले चुतड और पुट्ठे सहलाने लगे और चूमने लगे। मैंने भी किसी तरह का कोई विरोध नही किया और मजे से सर से अपने पुष्ट पुट्ठे चटवाती रही। उसके बाद सर ने मेरी रसीली चूत की घाटी ढूढ़ ली और मेरी चूत की घाटी को अपनी जीभ से चाटने लगे और पीने लगे। मैंने अपनी गांड और पिछवाड़ा उपर उठा दिया था। दीपक सर जमीन पर ही खड़े थे और मजे से मेरी चूत की फांक पी रहे थे। मेरी दोनों चिकनी जांघ बंद होने के बाद मेरी बुर पीछे की तरफ से उभर गयी थी जिससे सर को वो और भी आकर्षक लग रही थी। सर काफी देर तक मेरी बुर पीते रहे, फिर अपना लम्बा और ताकतवर लंड डालकर मुझे पीछे से डॉगी स्टाइल में चोदने लगे। मुझे बहुत मजा आया। उन्होंने मुझे 40 मिनट चोदा और मेरे सफ़ेद चिकने पुट्ठों पर ही माल निकाल दिया। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
     
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