सोती हुई चाची को पेटीकोट उतार के चोद लिया

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jan 30, 2018.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //krot-group.ru सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं की चूत में उंगली करते हुए नमस्कार। नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के माध्यम से आप सभी को अपनी स्टोरी सुना रहा हूँ। मुझे यकीन है की मेरी सेक्सी और कामुक स्टोरी पढकर सभी लड़को के लंड खड़े हो जाएगे और सभी चूतवालियों की गुलाबी चूत अपना रस जरुर छोड़ देगी।

    मेरा नाम महेंद्र है। मैं दरभंगा बिहार का रहने वाला हूँ। मैं अपने चाचा चाची के साथ रहता हूँ। मेरे अम्मा, बाबूजी और छोटे भाई बहन गाँव में रहते है। मेरी चाची बिलकुल देसी माल है जिनको देखकर मैं हर दिन ही मुठ मार देता था। कभी सोचा नही था की उनकी कसी चूत में लंड डालने का मौका मिलेगा। मेरे चाचा सरकारी इंजीनियर है। वो बहुत पैसा कमाते है। घूस भी अच्छी मिल जाती है उनको। मेरी चाची का नाम दिया है। वो बहुत जवान और खूबसूरत माल है। जब भी उनको मैं देख लेता था चोदने पेलने का दिल करने लग जाता था। मैं चाचा चाची के साथ पिछले 4 सालों से रह रहा था। यही दरभंगा से मैंने हाई स्कुल, 12 वीं किया है और अब यही के डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहा हूँ। चाची का रंग करीना कपूर जितना गोरा है।

    और चेहरे मोहरे में कही से 19 नही लगती है। उसका कद 5 फुट 5 इंच है और भरा हुआ हस्ट पुस्ट बदन है। उनका फिगर 36 32 36 का था। दूध तो इतने कमाल के थे की मैं आपको क्या बताऊं। बिलकुल टंच माल है दोस्तों। कोई भी जब दिया चाची को देख लेता है तो उसका लंड खड़ा हो जाता है। सब आँखों ही आँखों में मेरी चाची को चोद लेते है। वो है ही इतनी टॉप क्लास माल। जब भी चाची किसी दूकान पर सामान खरीदने जाती है दुकानदार पैसा कम कर देते है और कम रेट पर सामान दे देते है। सब दिया चाची की जवानी पर फ़िदा है। दोस्तों, मुझे हर दिन दिया चाची की जवानी देखने का मौका मिल जाता था। उनको बाथरूम में दरवाजा बंद करके नहाना पसंद नही था। वो गाँव की लड़की थी। इसलिए रोज जल्दी उठकर आंगन में नल से बाल्टी भरकर नहाती थी।

    मेरा कमरा उधर सामने ही था। मैं अपनी खिड़की के पर्दे जानबुझकर गिरा देता था और लाईट बंद रखता था। दिया चाची समझती की मैं सो रहा हूँ। और वो अपने कपड़े आगन में ही खोलने लग जाती थी। जैसे जैसे साडी खोलती उनका भरा पूरा मदमस्त बदन दिख जाता था। जब ब्लाउस पेटीकोट में आ जाती तो यही दिल करता की नीचे से उसके पेटीकोट में घुस जाऊ और मुंह लगाकर चूत पी डालू। मैं अंदर से पर्दे को हल्का सा खोलकर सब नजारा देखता और अंडरवियर में हाथ डालकर लंड को पकड़ लेता।

    फिर जैसे जैसे दिया चाची अपने ब्लाउस, ब्रा को खोलने लग जाती, मैं लंड पर मुठ देने लगता और खूब मजा लेता। चाची फिर अपने पेटीकोट की डोरी खोलती और नंगी हो जाती। उनकी चूत मुझे साफ़ साफ दिख जाती और मैं जल्दी जल्दी लंड पर मुठ देने लगता था। इस तरह से मैं बहुत मजा लेता था। दिया चाची आधे घंटे तक नंगी होकर पहले टूथब्रश करती। उनकी दोनों चूचियां दाए बाए घंटी की तरह हिलती थी। मुझे बड़ा आनन्द आता था। फिर चाची अपने चेहरे, गले, रबर जैसी फूली चूचियों, पेट, कमर, हाथो, और चूत पर लक्स साबुन मल मलकर नहाती थी। इसी समय मैं जल्दी जल्दी लंड को फेटते हुए मजा लेते हुए मुठ मार देता था।

    इस तरह से मुझे चाचा चाची के घर पर बड़ा मजा आ रहा था। मैंने 4 साल मुठ मारी अपनी जवान चाची को देखकर। फिर एक दिन वो हुआ जो कभी सोचा नही था। चाचा उस रात 2 किलो चिकन लेकर आये थे। साथ में व्हिस्की भी थी। हम सभी को चिकन बहुत पसंद था। इसलिए चाची से चिकन दोप्याजा डिश बनाई थी जो बहुत टेस्टी बनी हुई थी। सबने पेटभर चिकन खाया और व्हिस्की पी। चाची ने भी कुछ पेग लगा लिए।

    फिर चाचा चाची कमरे में चले गये और दोनों चुदाई करने लगे। चाचा ने 2 बार मेरी दिया चाची की चूत में लंड देकर कसके चोदा। फिर एक बार गांड मारी। उसके बाद दोनों घोड़े बेचकर सो गये। सुबह चाचा को ऑफिस से कोई फोन आ गया। वो 7 बजे नहा धोकर चले गये।

    काफी देर हो गयी चाची जागी ही नही। मैंने कुल्ला मंजन भी कर लिया। अब 10 बज गये और मुझे बड़ी जोरो की भूख लगने लगी। अब मुझे उनको जगाना ही था। गर्मी की वजह से मैंने सिर्फ हाफ बनियान और शॉर्ट्स पहना हुआ था। मेरा पूरा बदन दिख रहा था। मैं 24 साल का जवान मर्द था। कमरे में गया तो जो कुछ देखा लंड खड़ा हो गया। दिया चाची बिस्तर पर अस्त व्यस्त हालत में पड़ी थी। उनके ब्लाउस के बटन खुले हुए थे सिर्फ एक बटन बंद था। जिस वजह से आज मुझे बड़ी पास से उनकी कसी कसी चूचियां देखने का मौका मिल गया।

    देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा। खुले ब्लाउस से कसी कसी चूचियां ऐसी कातिलाना दिख रही थी की मैं आपको क्या बताऊं। अंदर दिया चाची ने कोई ब्रा नही पहनी थी। साफ पता चल रहा था की कल रात चाचा ने उनकी पलंगतोड़ चुदाई की है। वो ऐसे टाँगे खोलकर सो रही थी की देखकर मूड बन गया। उसका पेटीकोट की डोरी खुली हुई थी और दोनों जांघ मुझे अच्छे से दिख रही थी। अब तो मेरा भी दिया चाची को चोदने का दिल कहने लगा। मैं उसके समीप गया।

    "चाची जी जग जाओ!! और कितना सोगी। चलो मेरे लिए चाय बनाओ चलकर" मैं उनको उठाते हुए कहा

    पहले तो वो सोती रही। इसलिए मुझे बार बार उसको हिलाना पड़ा। फिर जागने लगी।

    "आओ जी मुझसे प्यार करो!!" दिया चाची उंघते हुए बोली और मुझे पकड़कर अपने सीने से चिपका लिया। तेज नींद में होने के कारण उनकी आँखे बंद ही थी। वो मुझे चाचा समझ रही थी। मैं भी चिपक गया और उनके उपर ही लेट गया।

    "मुझे प्यार करो जी!! और प्यार" वो बोली और मेरे सिर को पकड़कर अपने दूध पर खुले ब्लाउस के ठीक उपर रख दिया। ऐसे में मैं जवान लड़का खुद को न रोक सका और चाची से लिपट गया। फिर मैं भी उनको खूब चुम्मा पर चुम्मा देने लगा। उनके गाल पर खूब पप्पी ली मैंने। फिर उनके गले पर किस करने लगा। फिर दिया चाची नींद में ही मेरे सिर को पकड़कर अपने दूध पर दबाने लगे। उनके मदमस्त सेक्सी बदन की खुसबू मैंने पहली बार सूँघी।

    "मेरे दूध चूसो जी" चाची बोली

    मैं सोचा की लाओ दूध पी ही लूँ। उनके ब्लाउस पर दोनों मम्मो पर हाथ रख दिए और दबाने लगा। बहुत रसीले मम्मे थे दोस्तों। मैं कस कसके दबाने मसलने लगा और उनकी सिसकियाँ निकलवा दी। फिर अपने सिर को चूची पर रखकर दाये बाए हिलाने लगा। बड़ा मजा आ रहा था। ब्लौस की नीचे वाला जो एक ही बटन बंद थी उसे मैंने खुद ही खोल दिया और दिया चाची के कबूतरों को रिहा कर दिया। रोज दूर से उनकी भरी छातियाँ देखने का सुख मिलता था। पर आज तो बिलकुल करीब से देख रहा था। फिर क्या था। मम्मो को हाथ से मसल मसलके दबाने लगा और मुंह में लेकर चुसना शुरू कर कर दिया।

    "शाबाश !! बहुत सुंदर!! चूसिये जी!! और चूसिये!!" चाची बोली

    वो अभी भी नींद में थी और मुझे चाचा ही समझ रही थी। मैं तो अपनी किस्मत पर इतरा रहा था। मुंह में लेकर एक एक कबूतर को पी रहा था। दिया चाची नींद में ही "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा सी सी सी" कर रही थी। उनके दूध रबर जैसे मुलायम और बेहद सेक्सी थे। मैं तो किसी बालक की तरह निपल्स को मुंह में लेकर चूसे जा रहा था। दिया चाची को भी चुसवाने में बड़ा मजा आ रहा था। उनके चूचक बहुत ही डार्क कलर के थे जो बड़े कामुक दिख रहे थे। मैं तो आज मौका पाकर अच्छे से चूस रहा था। दिया चाची मुझे उतना ही जादा प्यार कर रही थी। पूरे समय उन्होंने आँख नही खोली और चुसवाती रही। अब मैं भी पागल हो गया। हाथ से दोनों दूध को बार बार दबाकर मजा ले रहा था।

    "सुनिए जी!! चूत पीजिये ना" वो फिर से बोली

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    "पी रहा हूँ मेरी जान" मैं भी बोला और उनके पूरे बदन से ऐसे खेलने लगा जैसे चाचा रोज खेलते थे। फिर धीरे धीरे करके उनको बाहों में लपेट दिया। फिर उनके पेट को किस करने लगा। दिया चाची का पेट भी कम खूबसूरत नही था। सफ़ेद और बिलकुल गोरा चिट्टा। मैंने हाथ से छू छूकर खूब मजा लिया। फिर मैंने धीरे से पेटीकोट की डोरी खिंची तो खुल गया। उसे भी निकाल दिया तो दिया चाची नंगी हो गयी।

    मुझे उनकी चूत साफ़ साफ़ दिख रही थी। उन्होंने कई दिनों से झांटे नही बनाई थी। इसलिए बहुत बड़ी बड़ी झांटे थी। मैंने पहले तो उनकी कदली जैसी चिकनी जांघो को हाथ से छूकर देखा तो बड़ा आनन्द आने लगा। फिर किस करने लगा। सच में दिया चाची करीना कपूर से कम नही थी। मैं उनकी टांगो से खेल रहा था। छू छूकर प्यार कर रहा था। काफी देर तक तो मैं उनकी भरी खूबसूरत जांघो से खेलता रहा। फिर चूत पर पहुच गया। झांटो की झाडी में ऊँगली घुमाने लगा। दिया चाची "..अई.अई..अई...इसस्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." करने लगी।

    "चाटीये जी!! प्लीस जल्दी चाटिये मेरी फुद्दी को!!" वो कहने लगी

    मैंने भी उनकी झाडी में मुंह रख दिया और जल्दी जल्दी उनकी योनी को जीभ लगाकर चाटने लगा। चाची कसकने लगी। उसकी चूत बड़ी सेक्सी थी दोस्तों। मैं जल्दी जल्दी चाटे जा रहा था। चूत के भंगाकुर को, चूत के बड़े बड़े होठो को जल्दी जल्दी चूस रहा था। दिया चाची आँखे मींजे मींजे ही मजा ले रही थी।

    "और पीजिये जी!! अई...अई..अई. और पीजिये!!" वो कह रही थी।

    उनकी बाते सुनकर मुझको और जोश चढ़ गया और मैंने खूब चूसा उनकी बुर को। फिर उनकी फुद्दी रस छोड़ने लगी। मैंने फुद्दी में अपना 1 इंच मोटा अंगूठा डाल दिया। चाची ...सी सी सी सी..करने लगी। फिर मैं जल्दी जल्दी अंगूठे को अंदर बाहर करने लगा। उनकी बुर की गहराई तक पेल रहा था। अंदर बाहर कर रहा था। अब दिया चाची को बड़ी मौज आने लगी। मैं कस कसके अंगूठे से उनका भोसड़ा चोदने लगा। अब तो दोस्तों दिया चाची को कुछ जादा ही मजा आने लगा। बार बार मेरे अंगूठे में चूत का रस लग जाता था। मैं कामुक अंदाज में मुंह में लेकर चाट लेता था। चाची अब भी सोच रही थी की चाचा ही ये सब कर रहे है। फिर मैंने भी जल्दी से अपने शॉर्ट्स उतार दिए और लंड को चूत में डाल दिया। अपनी प्यारी चाची का अब मैं गेम बजा रहा था। वो आँखे बंद करके ही चुदवाने लगी।

    "फाड़ दो!! सी सी सी सी.आज फाड़ दो मेरी गर्म चूत को. ऊँ.ऊँ.ऊँ.." दिया चाची कहे जा रही थी। मैं भी जल्दी जल्दी ठोकने लगा। इसी बीच उनकी आंखे खुल गयी और उन्होंने मुझे देखा तो भागने की कोशिश करने लगी। दिया चाची कुछ बोल न सकी क्यूंकि उनकी भरी हुई चूत में मेरा 7 इंच का लंड घुसा हुआ था। मैं उन पर लेट गया और उनके दोनों कन्धो पर मैंने हाथ रख दिया और उनको भागने नही दिया।

    "महेंद्र!! ये गलत है!! सही नही है!!" वो कहने लगी

    मैंने तेजी से उनके मुंह पर अपना मुंह रख दिया और उनके मस्त मस्त होठ चूसने लगा। मैंने छोड़ा ही नही और उनकी बुर में लंड से चोदते चोदते उनके सेक्सी रसीले होठ को चूसने लगा। मैंने चाची को इतना चूसा की उनको मानना ही पड़ा। फिर वो पट गयी और खुशी खुशी कमर उठा उठाकर चुदवाने लगी।"..उंह उंह उंह हूँ.. हूँ. हूँ-और तेज तेज धक्के दो महेंद्र ..अई.अई.अई..." चाची कहने लगी, मैंने फिर से उनके लबो पर लब जोड़ दिए और चूसते चूसते उनको ठोंकने लगा।

    "मेरे प्यारे भतीजे!! "i love you!!" वो कहने लगी और मुझे अपना सैयां बनाकर प्यार करने लगी। उसके बाद बड़ी मस्ती की हम दोनों ने। अब चाची की चूत का चबूतरा बन गया था क्यूंकि मैं कस कसके लम्बे धक्के छेद में लगा रहा था। उनकी आहे कितनी तेज हो गयी थी। खूब चोदा मैंने उनको। फिर लंड बाहर निकाल लिया। देखा तो चूत का सुराख काफी मोटा हो गया था। मुझ पर कामवासना पूरी तरह से चढ़ गयी और मैं जल्दी जल्दी चूत को मुंह लगाकर चाटने लगा। दिया चाची मेरा सिर को कसके पकड़कर बड़ी तेज तेज चूत में दबाने लगी।

    ". ऊँ.ऊँ.ऊँ. चाट महेंद्र बेटा!! अच्छे से चाट डाल मेरी फुद्दी को" वो बिस्तर में मचल मचलकर बोले जा रही थी

    मैं उनकी बात मानने लगा और बुर के छेद को बड़ी ईमानदारी से चाट रहा था। मैं शरबत समझ कर पी रहा था। दिया चाची की चूत बड़ी लचीली होकर अपना रस बार बार छोड़ देती थी। मैंने खूब चूसा और भरपूर मजा दिया।

    "ला महेंद्र तेरा लंड चूस दूँ" वो बोली और उठ बैठी। मैं भी बिस्तर पर बैठा हुआ था। वो मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को हाथ से फेटने लगी, फिर मुंह लगाकर चूसने लगी। चाची को भी मजा मिल रहा था। मुझे अब लेटना ही पड़ा क्यूंकि बैठकर लंड चुसाईं ठीक से हो नही पा रही थी। वो मेरी गोलियों को अपने हाथ से दबा रही थी और जीभ लगाकर जल्दी जल्दी चोदू औरत बनकर चाट रही थी। फिर मुंह में लेकर मेरी गोलियां भी चूसने लगी। मैं "..उंह उंह उंह हूँ..हूँ. हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई.अई.अई..." करने लगा।

    "चाची!! you are so great!!" suck me hard सी सी सी. हा हा- मैं करने लगा

    अब तो लग रहा था की दिया चाची पूरी तरह से पागल हो गयी है। फिर से मेरे लंड के सुपारे को मुंह में ले लिया और जड़ तक लेकर लंड चूसने लगी। सीधे हाथ से पकड़कर जल्दी जल्दी लंड चलाकर फेटने लगी। मुझे लगा की झड़ जाऊँगा। फिर ऐसा ही हुआ। दिया चाची के मुंह में झड़ गया। पिचकारी छोड़ दी। वो सारा माल मुंह में लेकर निगल गयी।

    "वाह भतीजे! कितना बड़ा लंड है तेरा!" वो कहने लगी

    "अब तुम मुझे घोड़ी बनाकर पेलो महेंद्र बेटा। मेरी गांड में लंड डाल दो अब तुम" वो खुद ही कहने लगी

    फिर वो खुद ही घोड़ी बन गयी। जब मैंने उनकी गांड और बड़े बड़े 2 चूतड़ देखे तो मुझे अजीब सा चुदाई वाला नशा चढ़ गया। कितने बड़े बड़े चूतड़ थे उनके। मैं आकर्षित हो गया और मुंह लगाकर दोनों चूतड़ पर हाथ लगा लगाकर साईज पता करने लगा। चाची के चूतड़ 36 इंच के खुर्बुजे जैसे बेहद कामुक थे। मैं जीभ लगा लगाकर चाटने लगा और बड़ा आनन्द आने लगा।

    फिर उनकी गांड को जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। खूब चूसा। फिर धीरे धीरे अपना 7 इंची लंड घुसाने लगा। दिया चाची शाबाशी ने घोड़ी बनी हुई। फिर जल्दी जल्दी उनकी गांड लेने लगा। वो "हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ..ऊँ-ऊँ.ऊँ सी सी सी. हा हा.. ओ हो हो.." करती रही। मैंने काफी देर उनकी गांड चोदी। फिर उसी सुराख में दुबारा से झड़ गया। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।

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