चार फौजी और चूत का मैदान - xindianxx(18+)

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jan 20, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //krot-group.ru सर्दियों के दिन थे, मैं अपने मायके गई हुई थी, मेरे भैया भाभी के साथ ससुराल गये थे और घर में मैं, मम्मी और पापा थे। उस दिन ठण्ड बहुत थी, मेरा दिल कर रहा था कि आज कोई मेरी गर्मागर्म चुदाई कर दे। मैं दिल ही दिल में सोच रही थी कि कोई आये और मेरी चुदाई करे.. कि अचानक दरवाजे की घण्टी बजी।
    मैंने दरवाजा खोला तो सामने चार आदमी खड़े थे, एकदम तंदरुस्त और चौड़ी छातियाँ !
    फिर पीछे से पापा की आवाज आई- ओये मेरे जिगरी यारो, आज कैसे रास्ता भूल गये?
    वो भी हंसते हुए अन्दर आ गये और पापा को मिलने लगे.

    पापा ने बताया कि हम सब आर्मी में इकट्ठे ही थे.. एक राठौड़ अंकल, दूसरे शर्मा अंकल, तीसरे सिंह अंकल और चौथे राणा अंकल ! सभी एक्स आर्मी मैन हैं।
    वो सभी मुझे मिले और सभी ने मुझे गले से लगाया.. गले से क्या लगाया, सबने अपनी छाती से मेरे चूचों को दबाया.
    मैं समझ गई कि ये सभी ठरकी हैं, अगर किसी को भी लाइन दूँगी तो झट से मुझे चोद देगा।

    मैं खुश हो गई कि कहाँ एक लौड़ा मांग रही थी और कहाँ चार-चार लौड़े आ गये.
    पापा उनके साथ अन्दर बैठे थे और मैं चाय लेकर गई. जैसे ही मैं चाय रखने के लिए झुकी तो साथ ही बैठे राठौड़ अंकल ने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा- कोमल बेटी.. तुम बताओ क्या करती हो.?

    मैं चाय रख कर राठौड़ अंकल के पास ही सोफे के हत्थे पर बैठ गई और अपने बारे में बताने लगी.
    साथ ही राठौड़ अंकल मेरी पीठ पर हाथ चलाते रहे और फिर बातों बातों में उनका हाथ मेरी कमर से होता हुआ मेरे कूल्हों तक पहुँच गया.
    यह बात बाकी फौजियों ने भी नोट कर ली सिवाए मेरे पापा के.
    फिर मम्मी की आवाज आई तो मैं बाहर चली गई और फिर कुछ खाने के लिए लेकर आ गई.
    फिर रात को जब मैं झुक कर नाश्ता परोस रही थी तो उन चारों का ध्यान मेरे वक्ष की तरफ ही था और मैं भी उनकी पैंट में हलचल होती देख रही थी।

    अब फिर मैं राठौड़ अंकल के पास ही बैठ गई ताकि वो भी मेरे दिल की बात समझ सकें.. मगर वो ही क्या उनके सारे दोस्त मेरे दिल की बात समझ गये.
    वो सारे मेरे गहरे गले में से दिख रहे मेरे कबूतर, मेरी गाण्ड और मेरी मदमस्त जवानी को बेचैन निगाहों से देख रहे थे और राठौड़ अंकल तो मेरी पीठ से हाथ ही नहीं हटा रहे थे।

    फिर उनके लिए खाना बनाने के लिए मैं रसोई में आ गई..
    हमने उनके पीने का इंतजाम ऊपर के कमरे में कर दिया। शराब के एक दौर के बाद सबने खाना खा लिया।

    फिर मैंने और मम्मी ने भी खाना खाया और लेट गई। मम्मी ने तो नींद की गोली खाई और सो गई पर मुझे कहाँ नींद आने वाली थी, घर में चार लौड़े हों और मैं बिना चुदे सो जाऊँ ! ऐसा कैसे हो सकता है..
    मैं ऊपर के कमरे में चली गई, वहाँ पर फ़िर शराब का दौर चल रहा था.

    मुझे देख कर पापा ने तो मुझे नीचे जाने के लिए बोला, मगर सिंह अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ सटा कर बिठा लिया, बोले- अरे यार, बच्ची को हमारे पास बैठने दे, हम इसके अंकल ही तो हैं.
    तो पापा मान गये और सारे अंकल मुझे फ़ौज की बातें सुनाने लगे।

    फिर वो सभी शराब पीते रहे, मगर वो सभी पापा को बड़े बड़े पैग दे रहे थे और खुद छोटे छोटे पैग ले रहे थे।
    मैं समझ गई कि वो चारों पापा को जल्दी लुढ़काने के चक्कर में हैं।

    फिर सिंह अंकल ने भी अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया, वो मेरी पीठ पर बिखरे मेरे बालों में हाथ घुमाने लगे.
    जब मेरी तरफ से कोई विरोध नहीं देखा तो वो मेरी गाण्ड पर भी हाथ घुमाने लगे। पापा का चेहरा हमारी तरफ सीधा नहीं था मगर फिर भी अंकल सावधानी से अपना काम कर रहे थे।

    फिर वो मेरी बगल में से हाथ घुसा कर मेरी चूची को टटोलने लगे मगर अपना हाथ मेरी चूची पर नहीं ला सकते थे क्योंकि पापा देख लेते तो सारा काम बिगड़ सकता था।
    उधर मेरा भी बुरा हाल हो रहा था.. मेरा भी मन कर रहा था कि अंकल मेरे चूचों को कस कर दबा दें।

    फिर मैंने अपनी पीठ पर बिखड़े बाल कंधे के ऊपर से आगे को लटका दिए जिससे मेरा एक उरोज मेरे बालों से ढक गया।
    सिंह अंकल तो मेरे इस कारनामे से खुश हो गये, उन्होंने अपना हाथ मेरी बगल में से आगे निकाला और बालों के नीचे से मेरी चूची को मसल दिया।
    मेरी आह निकल गई. मगर मेरे होंठो में ही दब गई।

    हमारी हरकतें पापा के दूसरे दोस्त भी देख रहे थे मगर उनको पता था कि आज रात उनका नंबर भी आएगा।
    अब मेरा मन दोनों स्तन एक साथ मसलवाने का कर रहा था, मैं बेचैन हो रही थी मगर पापा तो इतनी शराब पी कर भी नहीं लुढ़क रहे थे।

    मैं उठी और बाहर आ गई और साथ ही सिंह अंकल को बाहर आने का इशारा कर दिया. और पापा को बोल दिया- मैं सोने जा रही हूँ।
    मैं बाहर आई और अँधेरे की तरफ खड़ी हो गई। थोड़ी देर में ही सिंह अंकल भी फ़ोन पर बात करने के बहाने बाहर आ गये।
    मैंने उनको धीमी सी आवाज दी, वो मेरी तरफ आ गये और आते ही मुझको अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे होंठ अपने मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगे। फिर मेरे बड़े बड़े चूचे अपने हाथों में लेकर मसल कर रख दिए, मैं भी उनका लौड़ा अपनी चूत से टकराता हुआ महसूस कर रही थी और फिर मैंने भी उनका लौड़ा पैंट के ऊपर से हाथ में पकड़ लिया।

    अभी पांच मिनट ही हुए थे कि पापा बाहर आ गये और सिंह अंकल को आवाज दी- ओये सिंह, यार कहाँ बात कर रहा है इतनी लम्बी.. जल्दी अन्दर आ..
    तो सिंह अंकल जल्दी से पापा की ओर चले गये, अँधेरा होने की वजह से वो मुझे नहीं देख सके।

    मैं वहीं खड़ी रही कि शायद अंकल फिर आयेंगे मगर थोड़ी देर में ही राणा अंकल बाहर आ गये और सीधे अँधेरे की तरफ आ गये जैसे उनको पता हो कि मैं कहाँ खड़ी हूँ। शायद सिंह अंकल ने उनको बता दिया होगा..

    आते ही वो भी मुझ पर टूट पड़े और मेरी गाण्ड, चूचियाँ, जांघों को जोर जोर से मसलने लगे और मेरे होंठों का रसपान करने लगे, वो मेरी कमीज़ को ऊपर उठा कर मेरे दोनों निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगे।
    मैं भी उनके सर के बालों को सहलाने लगी..

    तभी शर्मा अंकल की आवाज आई- अरे राणा तू चल अब अन्दर, मेरी बारी आ गई।
    अचानक आई आवाज से हम लोग डर गये, हमें पता ही नहीं चला था कि कोई आ रहा है।

    फिर राणा अंकल चले गये और शर्मा अंकल मेरे होंठ चूसने लगे.. मेरे स्तन, गाण्ड, चूत और मेरे सारे बदन को मसलते हुए वो भी मुझे पूरा मजा देने लगे।

    शर्मा अंकल ने पजामा पहना था, मैंने पजामे में हाथ डाल कर उनके लण्ड को पकड़ लिया। खूब कड़क और लम्बा लण्ड हाथ में आते ही मैंने उसको बाहर निकाल लिया और नीचे बैठ कर मुँह में ले लिया।

    शर्मा अंकल भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सर अपने लण्ड पर दबाने लगे। मैं उनका लण्ड अपने होंठों और जीभ से खूब चूस रही थी, वो भी मेरे मुँह में अपने लण्ड के धक्के लगा रहे थे। फिर अंकल ने अपना पूरा लावा मेरे मुँह में छोड़ दिया और मेरा सर कस के अपने लण्ड पर दबा दिया।
    मैंने भी उनका सारा माल पी लिया, उनका लण्ड ढीला हो गया तो उन्होंने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया और फिर मेरे होंठों को चूसने लगे और फिर बोले- मैं राठौड़ को भेजता हूँ..
    और अन्दर चले गये.

    फिर राठौड़ अंकल आ गये, वो भी आते ही मुझे बेतहाशा चूमने लगे..
    मगर मैंने कहा- अंकल ऐसा कब तक करोगे?
    वो रुक गये और बोलो- क्या मतलब?

    मैंने कहा- अंकल, मैं सारी रात यहाँ पर खड़ी रहूँगी क्या? इससे अच्छा है कि मैं चूत में ऊँगली डाल कर सो जाती हूँ।
    तो वो बोले- अरे क्या करें, तेरा बाप लुढ़क ही नहीं रहा ! हम तो कब से तेरी चूत में लौड़ा घुसाने के लिए हाथ में पकड़ कर बैठे हैं !
    मैंने कहा- तो कोई बात नहीं मैं जाकर सोती हूँ।
    मैंने आगे बढ़ते हुए कहा।

    अंकल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- बस तू पांच मिनट रुक.. मैं देखता हूँ वो कैसे नहीं लुढ़कता !
    और अन्दर चले गये।
    फिर पांच मिनट में ही राणा और राठौड़ अंकल बाहर आये और बोले- चल छमकछल्लो, तुझे उठा कर अन्दर लेकर जाएँ जा खुद चलेगी?
    मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि पापा इतनी जल्दी लुढ़क गये..

    फिर राणा अंकल ने मुझे गोद में उठा लिया और मुझे अन्दर ले गये।
    पापा सच में कुर्सी पर ही लुढ़के पड़े थे।
    मैंने कहा- पहले पापा को दूसरे कमरे में छोड़ कर आओ।

    तो राणा और राठौड़ अंकल ने पापा को पकड़ा और दूसरे कमरे में ले गये।
    फिर शर्मा और सिंह अंकल ने मुझे आगे पीछे से अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।
    शर्मा अंकल मेरे होंठो को चूसने लगे और सिंह अंकल मेरे ऊपर बैठ गये.

    तभी राणा और राठौड़ अंकल अन्दर आये और बोले- अरे सालो, रुक जाओ, सारी रात पड़ी है। इतने बेसबरे क्यों होते हो, पहले थोड़ा मज़ा तो कर लें।
    वो मेरे ऊपर से उठ गये और मैं भी बिस्तर पर बैठ गई, मैंने कहा- थैंक्स अंकल, आपने मुझे बचा लिया, नहीं तो ये मुझे कोई मजा नहीं लेने देते..
    फिर राणा अंकल ने पांच पैग बनाये और सभ को उठाने के लिए कहा मगर मैंने नहीं उठाया तो अंकल बोले- अरे अब शर्म छोड़ो और पैग उठा लो। चार चार फौजी तुमको चोदेंगे। नहीं तो झेल नहीं पाओगी.

    मुझे भी यह बात अच्छी लगी, मैंने पैग उठा लिया और पूरा पी लिया.
    राणा अंकल ने फिर से मुझे पैग बनाने को कहा तो मैंने सिर्फ चार ही पैग बनाए।
    राणा अंकल बोले- बस एक ही पैग लेना था।

    तो मैंने कहा- नहीं, मुझे तो अभी चार पैग और लेने हैं !
    मैं राणा अंकल के सामने जाकर नीचे बैठ गई, अंकल की पैंट खोल दी और उतार दी..
    वो सभी मेरी ओर देख रहे थे।

    फिर मैंने अंकल का कच्छा नीचे किया और उनका 6-7 इंच का लौड़ा मेरे सामने तन गया।
    फिर मैंने अंकल के हाथ से पैग लिया और उनके लण्ड को पैग में डुबो दिया और फिर लण्ड अपने मुँह में ले लिया.
    मैं बार बार ऐसा कर रही थी।


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