तरक्की का सफ़र-10

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Nov 1, 2016.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

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    राज अग्रवाल : रजनी अपना प्लैन बतानी लगी, "राज! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। राज, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और रीना की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं.. बस एवरेज ही हैं।" Hindi Sex Stories, Indian Sex Stories, Hindi Font Sex Stories, Desi Chudai Kahani, Free Hindi Audio Sex Stories, Hindi Sex Story, Gujarati sex story, chudai, Lesbian stories

    "रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुरबानी देनी होगी... लगता है!" मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

    "रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा", प्रीती हँसते हुए बोली, "रजनी! राज ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना राज?"

    "तुम सही कह रही हो प्रीती! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता", मैंने जवाब दिया, "तुम खुद भी तो ऐसी ही हो.. जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये.. बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये... फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।"

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    "ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है.. उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है.. और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी.. खैर छोड़ो. तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?" प्रीती ने पूछा।

    "अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।"

    "हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना", प्रीती ने हँसते हुए कहा।

    "तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?" रजनी ने पूछा।

    "रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था.. तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।"

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    "मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि राज का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी", प्रीती ने कहा।

    "मुझे विश्वास नहीं होता", रजनी ने चौंकते हुए पूछा, "क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?"

    "हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ", प्रीती ने जवाब दिया।

    "तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो राज अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है", रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।

    "ऑयडिया अच्छा है... लेकिन मुझे शक है कि राज में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं", प्रीती बोली।

    "हाँ! जीभ से और इससे!" रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।

    "ओह! तुम इसे साथ लायी हो", प्रीती नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।

    "रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी", प्रीती ने कहा।

    रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।

    "मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीती के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी.. तुम चिंता मत करना", रजनी ने कहा।

    "प्रीती के साथ सोऊँगी या राज के साथ?" उसकी मम्मी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    "दोनों के साथ!" रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, "आपका क्या विचार है?"

    "कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानी नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।"

    "सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी... कारण, इस समय प्रीती आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है", रजनी ने कहा।

    "कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?" योगिता ने कहा, "लगता है मुझे राजू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा.. तुम मज़े लो", कहकर योगिता ने फोन रख दिया।

    "प्रीती! मैं तैयार हूँ", रजनी ने कहा।

    "रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे", प्रीती ने सलाह दी।

    यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।

    आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।

    प्रीती ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।

    मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीती की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।

    दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीती जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।

    सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।

    दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये... क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।

    उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, "उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।"

    प्रीती अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, "थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने", और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, "उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।"

    "अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है", रजनी ने उठते हुए कहा, "अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?"

    "प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो", मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।

    "राज, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है", प्रीती ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

    "और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है", रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।

    "फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी", मैंने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    "नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं", रजनी ने कहा।

    चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।

    "गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये", मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।

    "गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ", आयेशा ने कहा।

    हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।

    मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। "सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?" मैंने पूछा।

    "राज! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे", एम-डी ने जवाब दिया।

    मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, "सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।"

    उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी. जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। "ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना... उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?"

    "थैंक यू सर", असलम ये कहकर चला गया।


    उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, "सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है... अपने असलम कि बेटी... आयेशा को।"

    "ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था", एम-डी ने खुश होते हुए कहा, "कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना.. साथ में इंटरव्यू लेंगे।"

    दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। "आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो", मैंने कहा।

    "ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?" आयेशा हँसते हुए बोली।

    अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, "सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।"

    "तुम डरो मत... ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो", मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।

    सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।

    "ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है", आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।

    "हाँआँआँआँ जो.उउ.र से.. और जोर से , मज़ा आ रहा है... हाँआँआँ किये जाओ.. मज़ा आ रहा है... मेराआआआ छूट रहा है..." चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

    "ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं", आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, "आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।"

    "वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है", एम-डी ने हँसते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, "सर! क्या सोचा इसके बारे में?"

    "कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?" एम-डी ने कहा।

    "सर.. मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी.. अभी मेरी चूत सुज़ चुकी है", आयेशा बोली।

    "नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा", एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, "क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?"

    "दुनिया में सबसे अच्छी सर!" आयेशा ने हँसते हुए कहा।

    "ठीक है राज! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!" एम-डी ने कहा।

    "ठीक है सर!"

    इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।

    "ये आपकी कॉफी सर!" आयेशा कॉफी लाकर बोली।

    "थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?" मैंने आयेशा से कहा।

    "सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?" आयेशा ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    "नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे", मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, "हाँ! जरा मीना को भेज दो!"

    "मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?" आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।

    मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। "छोड़िये सर! दर्द होता है!" आयेशा दर्द से बोली।

    "दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है.. समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।"

    मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।

    "तुमने अच्छा काम किया है राज! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।" एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।

    "सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?" एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।

    "सर! पिला के देखिये.. सही में काफी मज़ा आयेगा!" मैंने कहा।

    "मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं.. इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें", एम-डी ने कहा।

    "फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा." मैंने सोचते हुए कहा, "सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?"

    "हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?" एम-डी ने पूछा।

    "सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीती भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीती को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी", मैंने कहा।

    "प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन राज तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी", एम-डी ने कहा।

    "सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा", मैंने एम-डी को आशवासन दिया।

    शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीती ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।

    "प्याज के पकोड़े..! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं", इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।

    मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। "सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था", मैंने एम-डी से कहा।

    "हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं", एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।

    जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।

    "क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?" एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।

    "योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है", मिली बोली।

    "जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब राज और प्रीती भी मिले हुए हैं", योगिता बोली।

    "अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है", मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, "योगिता! तुम राजू को लो... मैं देखती हूँ राज क्या कर सकता है।" इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। "इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?" एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।

    "साले हरामी. तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा", मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।

    "आआआहहहहह!!!" मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।

    "हाँआँआआआआआआ राज!!!!!!! और जोर से चोदो", मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।

    "रा..आआआआआआ..ज साले... मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद..., हाँ ऐसे और जोर से.. हाआँआँआँ ये मेरा छूटा...." कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

    थोड़ी देर बाद योगिता भी "ओहहहहहहह आआहहहहहहहहह" करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।

    मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। "योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है", मिली ने पूछा।

    "खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं," योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।


    "सर! कैसा रहा?" मैंने एम-डी से पूछा।

    "बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे", एम-डी ने जवाब दिया।

    जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीती ने पूछा, "कैसा रहा राज?"

    "बहुत अच्छा रहा... तुम बताओ क्या खबर है?" मैंने उससे पूछा।

    "खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी. मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है.।"

    अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, "अब बताओ कल क्या हुआ था?"

    "तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीती ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और रीना के साथ बिताया जाये", रजनी ने बताना शुरू किया, "इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।"

    "ये मम्मी इतना चींख क्यों रही है.. टीना ने पूछा।" हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीती ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है।

    टीना, प्रीती और मैं खड़े हो गये पर रीना हिली नहीं... "क्या तुम्हें नहीं चलना है?" टीना ने पूछा। रीना ने जवाब दिया कि "तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।"

    हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।

    इतने में प्रीती ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। रीना अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीती को वहाँ अकेले छोड़ कर रीना को बुलाने चली गयी, "प्रीती तुम चालू रखो।"

    प्रीती ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं.. "मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।"

    "ओह दीदी... अच्छा लग रहा है", उसकी सिसकरी निकल पड़ी।

    "अच्छा लगता है ना. और करूँ?" मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    "हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है... और करो।" वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।

    "ओह दीदी !!!!!!" वो जोर से चींखी।

    "ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा..." कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।

    "चुदाई अच्छी लग रही है ना?" मैंने पूछा।

    "हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है", उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।

    "चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।

    "हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।" टीना ने शर्माते हुए कहा।

    उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, "दीदी देखो ना राज का लंड कितना मोटा और लंबा है..." उसने कहा।

    "तुम कहो तो तुझे भी राज से चुदवा दूँ.." मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।

    "राज जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेग?" उसने कहा।

    "मैं कहुँगी तो तुम्हें चोदेगा.." मैंने जवाब दिया।

    "तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो..." वो खुश होते हुए बोली।

    "इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?"

    "छोटी कहाँ दीदी!!!!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी.." उसने जवाब दिया।

    "इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो", मैंने उसे समझाया।

    "प्रॉमिस?" उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। "प्रॉमिस! मेरी जान, राज का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे.... ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा..." मैंने उसे चूमते हुए कहा।

    रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही रीना आयी थी, "टीना! चलो रजनी और रीना को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं..." कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।

    "रजनी! अब तुम राज को बताओ क्या हुआ", प्रीती ने कहा।

    रजनी ने कहना शुरू किया, "राज!!! जब मैं रीना के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।"

    "रीना हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?" मैंने उससे कहा।

    "क्या मिस कर दिया?" उसने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

    "यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और राज हमारी मम्मियों को चोद रहे थे..." मैंने हँसते हुए कहा।

    "दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!" उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।

    "चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?" मैंने कहा।

    "मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं", वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ रेप तो नहीं कर दिया।

    "तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?" मैंने पूछा।

    "नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा... मैं अभी तक कुँवारी हूँ!" उसने जवाब दिया।

    "तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?"

    "मेरी इंगलिश टीचर ने!!!" उसने जवाब दिया।

    "तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?" मैंने कहा।

    "उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है... मुझे मालूम है", उसने जवाब दिया।

    "तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?" मैंने पूछा।

    उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, "हाँ ऐसे ही!"

    "क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?" मैंने फिर पूछा।

    "नहीं वो मेरी..." कहते हुए रीना रुक गयी।

    "चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?" मैंने उसे दोबारा पूछा।

    "हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!" रीना थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।

    "क्या ऐसे?" मैंने पूछा।

    "ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!" वो कामुक होकर बोली।

    "वो और क्या करती है?" मैंने फिर पूछा।

    "कभी वो मुझे चूमती है और कभी.." इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।

    "ओहहहह दीदीईईई!!!!" उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीती और टीना रूम में आ गये।

    "क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?" मैंने रजनी से पूछा।

    "आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो रीना की चूचियों को भी चुसती थी और रीना को भी मज़ा आता था और रीना भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। राज!! टीना तो तैयार है पर रीना नहीं मानेगी लगता है।"

    "अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है... तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी", प्रीती ने कहा।

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    समय गुज़रता गया..

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