पहले भतीजे से चुदी फिर बेटे से

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Nov 16, 2017.

  1. 007

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    //krot-group.ru incest sex दोस्तो, आज मैं आपके समक्ष एक ऐसी कहानी लाई हूँ.. जिसे पढ़कर आप लोग अपने हाथों को अपने कंट्रोल में नहीं रख पाएंगे।

    मेरा नाम सोनाली है.. मेरी उम्र 40 साल है। मेरी शादी मेरे घर वालों ने 20 की उम्र में ही करा दी थी। मेरे पति का नाम रवि है, रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए 7-8 दिन घर से बाहर रहते हैं।


    मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का रोहन 18 साल का है और मेरी एक बेटी उससे दो साल छोटी है।

    यह कहानी मेरे,मेरे बेटे और मेरे पति के बड़े भाई के लड़के यानि कि मेरे भतीजे के साथ हुई घटना पर आधारित है। मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही कातिलाना है.. ऐसा मेरा नहीं मेरे पति का मानना है।

    हमारी शादी को 20 साल हो गए.. पर मेरे पति मुझे ऐसे रखते हैं कि जैसे अभी कल ही हमारी शादी हुई हो।
    मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो। मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं.. जो भी उन्हें देखता है.. उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं।

    मेरा भतीजा रहने आया
    बात कुछ ही दिन पहले की है। मेरा भतीजा आलोक.. जिसकी उम्र 20 है.. अपनी कॉलेज की छुट्टियों के चलते हमारे घर कुछ दिन रहने के लिए आया था।
    वो स्वभाव का बहुत ही अच्छा था और उसकी मेरे बेटे के साथ बहुत बनती थी, वो भाई कम दोस्त ज्यादा लगते थे।

    मेरे बेटे और बेटी सुबह 11:30 पर स्कूल के लिए जाते थे और फिर स्कूल छूटते ही कोचिंग के लिए चले जाते थे। उन्हें वहाँ से आने में 7 बज जाते थे।

    आलोक को आए अभी दो ही दिन हुए थे वो दोपहर में अकेला हो जाता था.. तो टाइम पास के लिए मेरे साथ कुछ देर के लिए बैठ जाता था।

    मेरे पति सुबह 9 बजे ऑफिस चले जाते थे और फिर 8 बजे ही आते थे।

    एक दिन खाना बनाने के बाद मैंने अपने बच्चों को स्कूल भेजा और फिर आलोक को खाना खिलाकर घर के काम करने में लग गई। सब काम निपटाने के बाद में थक गई थी.. तो सोचा नहा लेती हूँ.. क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही थी।

    मेरा नंगा बदन
    मै नहाने के लिए तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ चल पड़ी और नहाने लगी। नहाने के बाद मैंने तौलिये से अपने शरीर को पौंछा और फिर उसे अपने मम्मों के ऊपर से बांध लिया.. जिससे मेरा शरीर मम्मों से लेकर जांघों तक पूरा ढक गया।

    जब मैं नहाकर बाथरूम से बाहर निकल रही थी.. तभी अचानक मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर पड़ी। मेरी कमर और पीठ में बहुत चोट लगी थी और दर्द के मारे मैं रोने लगी।

    मेरे गिरने और रोने की आवाज़ सुनकर आलोक भागकर बाथरूम की तरफ आया और मुझे गिरा हुआ देखकर अचानक से डर गया।
    मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी तो वो मुझे सहारा देने लगा.. पर मैं खड़ी होते-होते फिर से गिरने लगी.. तो उसने मुझे पकड़ लिया।

    उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरे रूम की तरफ जाने लगा।

    इसी बीच न जाने कब मेरा तौलिया खुल गया और मेरे आगे का बदन बिल्कुल नंगा हो गया। जैसे ही मुझे इस बात का अनुभव हुआ.. मैंने तुरंत खुद को फिर से ढक लिया।
    फिर आलोक ने ले जाकर मुझे मेरे बिस्तर पर लिटा दिया। जब मैंने उसकी तरफ देखा तो वो आँखे झुकाए खड़ा था.. पर उसका लंड तना हुआ था।

    मैं समझ गई कि इसने मेरे नंगे बदन को देख लिया है और मेरे बदन के स्पर्श से इसका लंड खड़ा हो गया है।
    पर उस वक्त में कुछ कह पाने वाली हालत में नहीं थी और मेरे अन्दर इतनी भी ताकत नहीं थी कि मैं उठकर अपने कपड़े पहन सकूँ।

    तब आलोक ने मुझसे पूछा- चाची आप ठीक तो हैं।
    मैंने आलोक से कहा- आलोक मेरी कमर और पीठ में बहुत दर्द हो रहा है।
    वो बोला- चाची मैं अभी बाजार से आपके लिए दवा लाता हूँ।

    मैंने उससे मना किया- मेडिकल यहाँ से बहुत दूर है और बाइक भी नहीं है।
    पर वो बोला- चाची मैं आपको ऐसी हालत में नहीं देख सकता।

    मेरे नंगे बदन की मालिश
    मैंने उससे बोला- मेरी कमर की मालिश कर दे।
    वो तैयार हो गया।

    मैंने उसे ड्रावर से तेल की बोतल लाने को कहा और फिर वो बोतल लेकर आ गया और फिर मुझसे बोला- चाची मैं बोतल ले आया हूँ।
    मैं- मेरी कमर और पीठ पर मालिश कर दे।
    आलोक- पर चाची आप तो सीधी लेटी हो और तौलिया भी लगा हुआ है।

    फिर मैंने उसे पीछे पलटने को कहा.. तो वो पलट गया और मैंने तौलिया खोलकर उसे अपनी कमर से नीचे बाँध लिया। अब मेरा कमर तक आधा शरीर पूरा नंगा था। फिर मैं बिस्तर पर उलटी लेट गई.. जिससे मेरे मम्मे बिस्तर में छुप गए और मेरी पीठ और कमर बिल्कुल नंगी आलोक से सामने थी।

    मैंने उसे पलटने को कहा तो वो सीधा हो गया और मुझे देखकर मुझे निहारने लगा और फिर मेरी मालिश करने लगा।
    अब मुझे थोड़ा आराम मिलने लगा था।

    वो मेरी कमर पर बहुत ही प्यार से अपने हाथों को फेर रहा था। पीठ पर मालिश करते-करते उसके हाथ मेरे चूचों पर भी टच हो रहे थे.. पर मैंने उसे कुछ नहीं कहा.. क्योंकि मालिश करते टाइम अक्सर यहाँ-वहाँ हाथ लग जाते हैं।

    अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगा, उसने कहा- चाची जी आपके तौलिये के कारण कमर की ठीक से मालिश नहीं हो पा रही है।

    मैं उस वक्त दर्द के कारण कुछ कर भी नहीं पा रही थी, मैंने उससे बोल दिया- तौलिया थोड़ा नीचे सरका दो।

    उसने तौलिया को थोड़ा नीचे खिसका दिया.. जिससे मेरी गाण्ड की दरार उसे साफ नज़र आने लगी और फिर वो मेरी मालिश करने लगा।

    फिर मालिश करते टाइम उसका हाथ कभी-कभी मेरी गाण्ड को भी छू लेता.. तो मैं एकदम से सिहर जाती। अब तो वो मेरी गाण्ड की दरार में भी तेल की मालिश करने लगा.. पर मैं उसे कुछ बोल नहीं सकी।

    करीबन आधे घंटे मालिश करने के बाद मैंने उसको बोला- आलोक अब रहने दो। अब मुझे पहले से ठीक लग रहा है.. बाकी अब कल कर देना।

    वो 'जी चाचीजी' बोलकर वहाँ से दूसरे कमरे में चला गया।
    मैं भी वैसे ही पड़े-पड़े सो गई।

    जब मेरी नींद खुली तो मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उस वक्त पाँच बजने वाले थे।

    मैं उठी और उठकर कपड़े पहनने लगी। मैंने एक टाइट गाउन पहन लिया था और अन्दर केवल पैंटी ही पहनी थी।
    फिर मैंने चाय बनाई और आलोक के पास जाने लगी।
    आलोक मोबाइल में कुछ देख रहा था और जैसे ही मैं कमरे में पहुँची.. उसने मोबाइल रख दिया।

    मुझे देखते ही बोला- अरे चाची अब आपका दर्द कैसा है.. और आपने चाय बनाने की तकलीफ क्यों की.. मुझसे बोल देती.. मैं ही बना देता।
    मैंने बोला- आज तुमने मेरी बहुत मदद की.. अगर तुम ना होते तो आज मैं दर्द से तड़प कर मर जाती।
    आलोक बोला- चाची फालतू बातें मत करो आप।

    मैंने आलोक को मालिश के लिए धन्यवाद बोला और उसे पीने के लिए चाय का कप दिया। चाय पीने के बाद हम वहीं बैठकर बात करने लगे।

    थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने उससे बोला- आलोक जरा मेरे लिए एक गिलास पानी ले आओ..

    वो पानी लेने चला गया।
    मैंने उसका मोबाइल उठाया.. उसमें कोई लॉक नहीं था और जब मैंने देखा तो वो उसमे पोर्न देख रहा था।
    उसके आने की आहट सुनकर मैंने उसका मोबाइल वैसा ही रख दिया।

    पानी पीने के बाद मैंने उसे बोला- आलोक आज तुमने मुझे जिस अवस्था में देखा.. प्लीज उसके बारे में किसी से मत कहना।
    वो बोला- अरे चाची आप पागल हो क्या.. मैं किसी से क्यों बोलूँगा.. आपको मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
    मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. बस मैं तो तुझे बोल रही थी।

    सेक्सी बातों की शुरूआत
    फिर मैंने उससे पूछा- तू मोबाइल में क्या देख रहा था?
    तो वो घबरा गया और बोला- बस ऐसे ही टाइमपास के लिए मूवी देख रहा था।

    मैंने बोला- मुझे भी दिखा कौन सी मूवी देख रहा था।
    वो बोला- अच्छी मूवी नहीं है आपके देखने लायक नहीं है।
    फिर मैंने कहा- ठीक है।

    फिर वो बात को पलटते हुए बोला- चाची जी वैसे आप इस गाउन में बहुत ही सेक्सी दिख रही हो।
    मैंने बोला- तूने तो मुझे बिना गाउन के भी देख लिया है.. तब सेक्सी नहीं दिखी तुझे।

    वो हँसने लगा और मैंने अपने गाउन का ऊपर का बटन खोल दिया.. जिससे मेरे आधे चूचे बाहर निकलने लगे।

    अब मैं भी उसके मजे लेने लगी, मैं बोली- जब तूने मुझे उठाया था.. तब तेरा भी कुछ उठ गया था।
    वो हँसने लगा बोला- चाची आप भी..

    मैंने उससे पूछा- मेरा नंगा बदन देख कर कैसा लगा तुझे?
    वो बोला- चाची आप का फिगर बहुत शानदार है.. अगर आपके जैसी वाइफ मुझे मिल जाए तो उसे रोज प्यार करूँगा।

    मैंने कहा- मुझ जैसी ही क्यों?
    तो बोला- आप जैसा फिगर होना चाहिए बस।
    मैंने चुदास भरे स्वर में कहा- तुझे मेरे फिगर में क्या अच्छा लगा?
    वो कुछ मुस्कुराते हुए बोला- बताऊँ?
    'बता..'

    सेक्स की शुरूआत
    फिर वो उठकर मेरे बगल में आ गया और बोला- चाची आपकी बॉल्स बाहर आ रही हैं।
    मैं- तो तू अन्दर कर दे इन्हें।

    फिर उसने मेरे चूचों को छुआ और उन्हें सहलाने लगा.. मैं भी गर्म हो गई थी। फिर उसने मेरी गाउन का दूसरा बटन भी खोल दिया.. जिससे मेरे दोनों ख़रबूज़ बाहर आ गए और वो उन्हें किस करने लगा।

    मेरे मुँह से 'आहहहहह.. उहहहह..' की सिसकारियाँ निकलने लगीं।

    फिर वो मेरे मम्मों को मसलने लगा और अपने होंठों को मेरे होंठों के ऊपर रख कर उन्हें चूमने लगा, मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी।

    करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ा और मेरे मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया। इस सब में मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं भी खुलकर उसका साथ दे रही थी।
    मेरे मुँह से निकलती सिसकारियाँ उसे बहुत ही उत्तेजित कर रही थीं।
    अब उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैं उसके सामने बस पैंटी में थी। उसने मुझे बिस्तर पर लेटाया और ऊपर से लेकर नीचे तक मेरे पूरे बदन को चाटने लगा।
    मेरे गोरे बदन पर काली पैंटी को देखकर उसकी आँखें कामुकता से भर आई थीं।

    अब वो बेहिचक मेरे पूरे बदन के साथ खेल रहा था। कभी मेरे मम्मों को चूसता.. कभी मेरी नाभि को अपनी जीभ से कुरेदता.. कभी मेरे पेट को अपनी आरी जैसी जीभ से चाटता।

    फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए, अब वो मेरे सामने केवल अपनी फ्रेन्ची में था.. जिसमें से उसका लंड किसी मिसाइल की तरह दिखाई दे रहा था।

    वो मेरे मुँह के पास आकर खड़ा हो गया और बोला- चाची जी, मेरा मुन्ना आपको देखना चाहता है।

    उसके इतना बोलते ही मैंने उसके लण्ड को उसकी चड्डी से बाहर निकाल दिया और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी।

    आलोक- चाची अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा.. आप इसे अब इसकी मंजिल तक पहुँचा दो।

    मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

    थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाला और बोला- चाची ये तो अब बस आपकी चूत में जाना चाहता है।
    मैंने उससे बोला- अभी नहीं, अभी बच्चों के आने का टाइम हो गया है और फिर तेरे चाचा भी आने वाले हैं।
    आलोक- तो ठीक है.. अभी तो इसे शांत कर दो।

    वो नीचे आया और मेरी पैंटी उतार दी। उत्तेजना के कारण मेरी चूत से पानी आने लगा था और पैंटी पूरी गीली हो गई थी।
    हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, वो मेरे नीचे था और मैं उसके ऊपर थी।

    अब वो मेरी चूत चाट रहा था और अपनी जीभ से उसे कुरेद रहा था। मैं किसी आइसक्रीम की तरह उसके लंड को चूस रही थी।
    थोड़ी देर बाद जैसे ही उसे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ.. तो वो और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा और तुरंत मैं झड़ गई।

    इतनी उत्तेजना मैंने जिंदगी में पहली बार महसूस की थी।
    आलोक मेरे पानी को चाटने लगा और पी गया।

    अब आलोक खड़ा हुआ और मुझे घुटनों के बल बिठा दिया। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मेरे बालों को पकड़कर मेरे सर को आगे-पीछे करने लगा।

    कुछ ही देर बाद वीर्य की तेज धार उसके लण्ड से निकलने लगी और वो पूरा पानी मेरे मुँह में भर गया और मैं उसे निगल गई।
    उसके वीर्य का बहुत ही मस्त स्वाद था, काश ऐसा पानी रोज मेरी प्यास बुझाता।

    फिर हम दोनों उठे और एक-दूसरे को फिर से एक प्यार भरी चुम्मी दी। फिर हमने अपने कपड़े पहने और खुद को साफ किया।
    इसके बाद आलोक पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लंड मेरी गाण्ड में सटा दिया.. जिसका साफ अनुभव में कर सकती थी।

    फिर वो मुझसे बोला- चाची आप बहुत क़यामत हो.. मेरा लंड आपकी मोटी गाण्ड में घुसने के लिए बेक़रार हो रहा है।
    मैंने बोला- सब्र कर.. तू भी यहीं है.. और मैं भी।

    उसके बाद उसने मेरी गाण्ड पर एक चपत मारी तो मेरे मुँह से 'उई माँ..' निकल गया और फिर वो मेरे होंठों पर किस करने लगा।

    इतने में ही डोरबेल बजी और हम अलग हो गए।

    मैंने कहा- बच्चे आ गए हैं।
    मैंने बाहर जाकर गेट खोला तो बच्चे अन्दर आए।
    रोहन मुझसे बोला- माँ आज आप बहुत खुश लग रही हो और सुन्दर भी।

    मैंने अपने बेटे को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर हम लोग अन्दर आ गए। थोड़ी देर बाद मेरे पति रवि भी आ गए.. फिर हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और फिर सब सोने चले गए।

    पति से चुदाई
    रात को मैं और मेरे पति बेडरूम में थे तब रवि बोला- आज तुम इस गाउन में बहुत सेक्सी लग रही हो।

    वो मुझे किस करने लगे और फिर उन्होंने मुझे नंगी कर दिया और मुझे चोदने लगे.. कुछ देर बाद मैं झड़ गई और फिर वो भी झड़ गए और हम दोनों वैसे ही एक-दूसरे के ऊपर सो गए।

    मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स करते वक्त खिड़की से हमें कोई देख रहा था। अँधेरा होने के कारण मुझे दिख नहीं रहा था. पर मुझे पता था कि आलोक ही होगा.. तो मैंने कुछ नहीं किया।
    मुझे खिड़की से किसी के झांकने का एहसास हो रहा था।

    दूसरे दिन सुबह मैं उठी और रोज की तरह रवि को ऑफिस के लिए तैयार होना था। मैंने उनके लिए लंच पैक किया और फिर वो ऑफिस चले गए। साढ़े नौ बजे तक मैंने अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर उन्हें स्कूल भेज दिया।

    आलोक अभी तक सो कर नहीं उठा था.. तो मैंने उसके और अपने लिए चाय बनाई और चाय लेकर उसके कमरे में गई।

    भतीजे की चुदास
    मैं उसके पास जाकर बैठ गई। मैंने धीरे से आवाज देकर उसे उठाया। वो उठ गया और उठकर सबसे पहले उसने मुझे मेरे होंठों पर एक प्यारा सा चुम्बन किया।

    मैंने उससे कहा- पहले चाय पीले और फिर ब्रश वगैरह कर ले.. फिर मैं तेरे लिए नाश्ता बना दूँगी।

    हम लोग चाय पीने लगे।
    चाय पीते वक़्त मैंने उससे पूछा- कल रात को तू मुझे खिड़की से क्यूँ देख रहा था?
    तो उसने साफ-साफ मना कर दिया और बोला- अब मुझे आपको देखने के लिए खिड़की से झांकने की क्या जरूरत है?
    पर मैंने उसकी बातों पर कोई गौर नहीं किया।

    वो बोला- चाची आज तो अपने पास बहुत टाइम है.. आज तो जी भरके आपकी चुदाई करूँगा।
    मैंने हँसते हुए उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मी दी। फिर मैंने उससे बोला- तू अभी तैयार हो जा.. तब तक मैं घर के काम निपटाती हूँ।
    वो फ्रेश होने गया और मैं घर के काम निपटाने में लग गई।

    करीब साढ़े दस बजे वो मेरे पास मेरे कमरे में आया उस वक्त मैं अलमारी में कपड़ों को ठीक कर रही थी, वो मुझसे आकर चिपक गया, मैं वहीं अलमारी से चिपककर खड़ी हुई थी।

    उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया, कमर पकड़ते ही उसने मुझे चूमना चालू कर दिया और अब वो एक हाथ से मेरे मम्मों को दबा रहा था।
    फिर उसने मेरे गाउन का बटन खोल दिया और मेरे चूचों को नंगा करके उन्हें चूसने लगा।

    मैं भी जोश में आ गई थी.. मैं उसके बालों को पकड़ कर उसे अपने सीने में दबा रही थी।
    मुझे उसका खड़ा हुआ लंड अपनी चूत पर साफ-साफ महसूस हो रहा था।

    फिर उसने एक ही झटके में मेरे गाउन को मेरे शरीर से अलग कर दिया। मैंने अन्दर केवल पैंटी ही पहनी हुई थी।
    उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया, उसका लम्बा तना हुआ लण्ड किसी बेलन से कम नहीं लग रहा था।

    वो मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटने लगा। उसने धीरे से मेरी पैंटी को मेरी टांगों के बीच से निकाल दिया।

    अब मैं पूरी तरह से नंगी थी और अलमारी से सटकर खड़ी हुई थी, खड़े हुए मेरा नंगा बदन.. किसी गोरी अप्सरा की मूर्ती सा चमक रहा था।

    मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे.. जो मेरी फूली हुई गुलाबी चूत पर चार चाँद लगा रहे थे।
    आलोक अब मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी चूत को चाटने और चूसने लगा.. फिर उसने ज्यादा देर न करते हुए अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं।
    उसकी तरफ से हुए इस अनजान हमले से मैं एकदम सिहर गई और जमीन से अपने पैरों के अंगूठों के बल खड़ी हो गई।

    आलोक जल्दी-जल्दी अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था। उसकी इस हरकत से मुझे इतनी मस्ती चढ़ रही थी कि मैं उछल-उछल कर उसको और उकसा रही थी।
    मेरे मुँह से जोर-जोर से 'आआहहहह.. ऊऊहहह..' की आवाजें निकल रही थीं। मेरी सिसकारियों से पूरा रूम गूँज रहा था।

    तभी आलोक ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से और तेजी से चोदना शुरू कर दिया।
    अब मैं आनन्द के चरम पर थी और जोर-जोर से सीत्कार रही थी, एकदम से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं बहुत तेजी से चिल्लाते हुए झड़ने लगी।

    आलोक ने तेजी से अपनी उंगलियों को बाहर निकाला और अपने मुँह को तेजी से मेरी चूत पर लगा दिया और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा।
    मेरी चूत से निकले हुए सारे रस को आलोक ने किसी क्रीम की तरह चाट लिया।

    अब आलोक खड़ा हुआ, मेरा रस अभी भी उसके मुँह के चारों तरफ लगा हुआ था और उसने उसी तरह से मेरे होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया। उसके होंठों पर लगे हुए मेरे रस को मैंने अपनी जीभ पर महसूस किया, उसका स्वाद मुझे बहुत ही नमकीन लग रहा था।

    आलोक ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं पूरे मजे के साथ उसकी जीभ को चूस रही थी।
    आलोक ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और मुझसे बोला- चाची अब मेरा भी लण्ड गीला कर दो।

    मैं बिना कुछ बोले अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लण्ड को चूसने लगी।
    आलोक बहुत ही उत्तेजित था, वो मेरे मुँह को तेजी से चोद रहा था।

    मेरी चूत चुदाई
    मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और मैं अब चुदने के लिए बेक़रार हुए जा रही थी।
    मुझे लगा कि आलोक जल्दी झड़ जाएगा.. तो मैंने उसके लण्ड को बाहर निकाला और उससे बोला- मुँह में ही निकालने का इरादा है या कुछ आगे भी करना है?

    मेरा इतना बोलते ही आलोक ने मुझे उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और बोला- चाची आप किसी रांड से कम नहीं लग रही हो। आज तो आपको रंडी की तरह ही चोदूँगा।
    मैं भी मजे में बोली- बोलेगा या कुछ करके भी दिखाएगा।

    उसने बिना देर किए मेरी चूत के छेद पर अपना लण्ड रखा और धक्के मारने लगा।
    दो-तीन जोरदार धक्कों में उसने अपना लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
    मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी.. तो मुझे उसका लण्ड लेने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ।

    अब हम दोनों मस्ती में एक-दूसरे को चोद रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे को चूम चाट रहे थे।

    चुदाई करते हुए आलोक मेरी चूचियों को भी दबा देता था और मेरे निप्पल को हल्के से काट भी लेता था.. जिससे हमारी मस्ती और बढ़ जाती थी।

    मेरे मुँह से जोरों से 'आआहहह.. आआऊऊहहह.. ओह आलोक.. और जोर से चोदो मुझे.. फ़क मी हार्डर..' की आवाजें निकल रही थीं.. जिससे आलोक अपनी चोदने की रफ़्तार और बढ़ा देता था।

    करीब दस मिनट बाद मेरा बदन फिर से अकड़ने लगा और मैं कमर उठा-उठा कर झड़ने लगी।
    मेरे बदन को अकड़ता देख आलोक और तेजी से मुझे चोदने लगा।

    मैं बहुत जोर से झड़ गई थी.. तो अब आलोक के झटके मुझे दर्द देने लगे थे। कुछ ही पलों के बाद आलोक भी झड़ने वाला था।
    उसने बोला- चाची मैं झड़ने वाला हूँ.. अन्दर ही झड़ जाऊँ क्या?
    मैंने उसे मना किया और उससे मुँह में झड़ने के लिए बोला.. पर वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, जैसे ही उसने लण्ड को चूत से बाहर निकाला.. उसके लण्ड से एक जोरदार वीर्य की धार निकली.. जो मेरी चूत पर किसी बारिश की तरह बरसने लगी।
    फिर वो लगातार मेरी चूत और पेट पर झड़ गया।

    आलोक वहीं मेरे बगल में लेट गया।
    मैंने वहीं बिस्तर के नीचे पड़ी हुई पैंटी से अपनी चूत और पेट पर गिरे वीर्य को साफ किया और फिर उस पैंटी को मैंने बिस्तर और बिस्तर के बगल में लगे हुए ड्रावर के बीच में डाल दिया.. जो सिर्फ बिस्तर पर बैठने वाले को ही दिख सकती थी.. वो भी तब जब कोई बहुत ही गहराई से कमरे को चेक करे।

    अब मैं नंगी ही अपने बिस्तर से उठी और अलमारी से तौलिया निकाल कर नहाने के लिए बाथरूम जाने लगी।
    आलोक भी मेरे साथ उठा और बोला- चाची क्या आपके साथ मैं भी चलूँ नहाने?

    ऐसा कहते ही वो मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया।
    मैं बहुत थक गई थी.. तो मुझे आलोक की बांहों में बहुत अच्छा लग रहा था।

    आलोक ने लाकर मुझे बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर वो मेरे मम्मों से खेलने लगा।

    इतने में ही बाहर से डोरबेल की आवाज़ आई और हम दोनों डरकर एक-दूसरे से अलग हो गए।

    मैंने आलोक को कमरे में जाने के लिए बोला और फिर मैं भी बाथरूम से बाहर आकर अपने कमरे में आ गई। वहाँ मैंने घड़ी की तरफ देखा.. तो एक बज रहा था।
    'इस वक्त कौन हो सकता है..' यही सोचते हुए मैं वहाँ से गाउन पहनकर गेट खोलने के लिए जाने लगी।

    मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन था और उसका चेहरा उतरा हुआ लग रहा था।

    दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे आकर लिपट गया। मैंने भी उसके बालों में हाथ फेरा और उससे पूछा- क्या हुआ?
    तो वो बोला- आज मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था.. तो मैं स्कूल से वापस आ गया।

    मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया और उसे अपने कमरे में लेकर आ गई।
    मैंने उसके माथे पर बाम लगाया और उसे वहीं लेटा दिया।

    तक तक आलोक अपने रूम से नहाकर बाहर आ गया और रोहन को देखते ही बोला- तुझे क्या हो गया?
    मैंने उसे सब बता दिया।

    मैंने रोहन से बोला- तू अब आराम कर थोड़ी देर..
    और फिर मैं नहाने चली गई, आलोक भी अपने कमरे में चला गया।

    थोड़ी देर बाद मैं जब नहा कर बैडरूम में आई.. तब तक रोहन सो चुका था।
    मैं केवल तौलिया लपेटकर कमरे में आई थी.. तो मैंने बिना किसी डर के अपना तौलिया निकाल दिया और फिर ब्रा और पैंटी पहन कर उसके बाद सूट पहन लिया।

    वो सूट मेरे जिस्म पर एकदम फिट था उसमें से मेरा एक-एक उभार और अंग साफ समझ आता था।

    अब मैं किचन में गई और वहाँ से खाना लेकर आलोक के कमरे में आ गई।
    मैंने रोहन को भी खाना खाने के लिए उठा दिया, हम सबने खाना खाया और फिर आलोक सो गया।

    मैं और रोहन टीवी देखने लगे। थकान के कारण थोड़ी देर बाद मैं भी सो गई।

    शाम को जब मैं उठी.. तो चार बज रहे थे, मैंने देखा कि रोहन आलोक के साथ सोया हुआ था।
    थोड़ी देर बाद मेरी बेटी अन्नू भी स्कूल से आ गई, मैंने सबके लिए चाय बनाई और हम सबने चाय पी।
    अन्नू उठकर अपने रूम में चली गई।

    मुझे ऐसा लग रहा था कि आज इस सूट के कारण आलोक के साथ रोहन भी मुझे ताड़ रहा था.. पर ये मेरा वहम भी हो सकता था।

    थोड़ी देर बाद रवि भी ऑफिस से वापस आ गए.. रात को हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और सब सोने चले गए।

    फिर मैं भी बैडरूम में आई.. वहाँ रवि लैपटॉप पर कुछ कर रहे थे।
    मैं अपने कपड़े उन्हीं के सामने बदलने लगी, मैंने ब्रा उतार दी और गाउन पहन लिया, फिर मैं जाकर बिस्तर पर लेट गई और रवि ने भी लैपटॉप रखा और आकर मुझसे लिपट गए।

    रवि ने मुझसे बोला- कल मैं 3-4 दिन के लिए ऑफिस के काम से होमटाउन जा रहा हूँ।

    मैं उनसे नाराज़ हो गई और फिर वो मुझे मनाने के लिए मुझे किस करने लगे और फिर हम सो गए।

    सुबह जब मैं उठी तो मुझे कल वाली पैंटी के बारे में याद आया.. जिससे मैंने अपनी चूत को साफ किया था।
    मैंने उठकर देखा तो वो पैंटी वहाँ नहीं थी। मैं उसे इधर-उधर ढूंढने लगी.. पर वो नहीं मिली।
    पूरा बेडरूम तलाशने के बाद भी मैं उसे नहीं ढूंढ पाई।

    थोड़ी देर बाद रवि उठ गए.. आज उन्हें बाहर जाना था। थोड़ी देर बाद बच्चे भी उठ गए। जैसे ही अन्नू को पता लगा कि उसके पापा उसकी नानी के शहर में जा रहे हैं.. तो वो भी उनके साथ जाने की जिद पर अड़ गई।

    मैंने भी उसकी बात को मान लिया और थोड़ी देर बाद वो दोनों चले गए।
    आलोक और रोहन दोनों उन्हें बस स्टैंड तक छोड़ने गए थे।

    मेरी गुम हुई पैन्टी
    उनके जाते ही मैं फिर से अपनी पैंटी को ढूंढने लगी। मैंने सोचा शायद आलोक ने मेरी पैंटी ली हो। मैंने आपको शायद पहले ही बता दिया था कि आलोक रोहन के रूम में ही रहता था.. तो मैं उसके कमरे में जाकर वहाँ अपनी पैंटी देखने लगी।

    आश्चर्य कि मुझे अपनी पैंटी वही बिस्तर के नीचे पड़ी मिली। मैंने उसे उठा लिया.. देखा तो उस पर पहले से कुछ ज्यादा ही दाग़ लगे हुए थे और वो अभी तक गीली लग रही थी।

    तभी डोरबेल बजी और मैं उस पैंटी को वहीं डालकर दरवाज़े की तरफ जाने लगी।

    आलोक और रोहन बस स्टैंड से वापस आ गए थे, मैंने दरवाज़ा खोलकर उन्हें अन्दर बुला लिया।

    रोहन के स्कूल का वक्त हो रहा था.. मैंने रोहन का लंच पैक किया और फिर वो स्कूल चला गया।

    उसके जाते ही मैंने आलोक से पूछा- तुमने मेरी पैंटी कमरे से क्यों उठाई?
    वो किसी अंजान की तरह बोला- चाची आप ये क्या बोल रही हो.. भला मैं आपकी पैंटी क्यों उठाने लगा?

    मेरा दिमाग खराब होने लगा आखिर ये चल क्या रहा था.. पहले मुझे खिड़की से किसी के झांकने का एहसास और फिर एकदम से पैंटी का गायब हो जाना.. अगर ये सब आलोक नहीं कर रहा था तो कौन कर रहा था। इन्हीं सबको याद करते हुए मैंने सोचा कि कल आलोक के बाद मेरे कमरे में सिर्फ रोहन ही आया था तो क्या रोहन ने ही..!?

    भतीजे की वापिसी
    मैं यह सब सोच ही रही थी कि तब तक आलोक मुझसे बोला- चाची जी, अभी पापा का कॉल आया था.. मुझसे आने के लिए बोल रहे थे.. तो मैंने कल आने का बोल दिया है।

    मैं उसके मुँह से यह सुनते ही उदास हो गई।
    वो मेरे पास आया और मेरे चेहरे को अपने हाथ में लेते हुए मेरी आँखों पर किस करने लगा, मुझसे बोला- मेरी प्यारी चाची तो उदास हो गईं.. आज का दिन मैं अपनी चाची के लिए यादगार बना दूँगा।

    मेरी चुदाई
    फिर उसने वहीं खड़े-खड़े गाउन के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलना शुरू कर दिया।
    मैं भी उत्तेजना में आकर उसके होंठों को चूमने लगी। आज मैं बहुत ही जोर से उसके होंठों को चूम रही थी। एक पल के लिए तो वो भी सिहर गया।
    हम दोनों एक-दूसरे की जीभों को भी चूम रहे थे।
    अगले ही पल उसने अपने हाथों को मेरी चूत से हटाकर मेरी गाण्ड पर रख दिए और मेरे गोल मोटे चूतड़ों को जोर-जोर से दबाने लगा। मुझे अब और भी मस्ती चढ़ने लगी थी।

    फिर उसने बिना मेरी गाण्ड से हाथ उठाए मेरे गाउन को मेरे चूतड़ों के ऊपर कर दिया और फिर उसने मेरी काली पैंटी को मेरी जांघों तक उतार दी।

    मैं कपड़े पहने हुए भी नंगी हो चुकी थी। मेरी कमर के नीचे का पूरा हिस्सा अब नंगा था। अब आलोक मेरी नंगी गाण्ड को जोर-जोर से मसल रहा था.. जिससे मुझे मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था।

    फिर वो मुझे उठाकर मेरे बेडरूम में ले आया और बेड पर मुझे उल्टा लेटा दिया। मैं समझ गई थी कि ये आज मेरी गाण्ड मारने के मूड में है.. पर मैं इतनी उत्तेजित थी कि उससे कुछ बोल नहीं पा रही थी।

    मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

    अब आलोक उठा.. उसने मुझे सीधा किया और मेरा गाउन उतार कर साइड में रख दिया।
    मैंने आलोक से बोला- आलोक प्लीज अब ज्यादा देर मत करो।

    वो उठा और उसने अपनी पैंट की जेब से एक कन्डोम का पैकेट निकाला और मुझे देते हुए बोला- चाची पहले मुझे ये तो पहना दो।
    मैंने आलोक से कहा- आज तो पूरी तैयारी से आए हो।
    तो वो हँस दिया.. फिर वो मेरे पास आकर लेट गया।

    मैंने उसका तना हुआ लण्ड अपने हाथों में लिया और उस पर एक जोरदार चुम्मी दी। फिर मैंने एक हाथ से उसके लण्ड को पकड़ा और दूसरे हाथ से उस पर कंडोम लगाने लगी।

    वो उठा और उसने मुझे सीधा लेटाकर मेरी टांगों के बीच आ गया.. उसने मेरी दाईं टांग को उठाया और अपने कंधे पर रख लिया।

    मैंने मस्ती में उससे बोला- आज कल पोर्न देखकर बहुत नए-नए पोज़ सीख गए हो।
    तो वो हँसकर बोला- आपको भी देखना है क्या?

    मैंने हँसकर उसकी बात को टाल दिया। फिर उसने मेरी चूत पर अपने लण्ड को लगाया और बिलकुल धीरे-धीरे उसे मेरी चूत के अन्दर धकेलने लगा जिससे मुझे हल्का-हल्का दर्द होने लगा.. पर वो दर्द मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

    वो लगातार मेरी चूत में धीरे-धीरे अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करता जा रहा था और मेरे मम्मों को दबाए जा रहा था, मुझसे बोला- चाची, आपके मम्मे अभी तक इतने टाइट हैं कि इन्हें मसलने में अलग ही मजा है।
    इतना बोलते ही वह मेरे मम्मों को चाटने लगा। मेरे मम्मे उसके मसले के कारण एकदम लाल पड़ गए थे।

    अब वो उठा और अपनी स्पीड तेज कर दी। मैं भी अपनी कमर उचका उचका कर उसका साथ दे रही थी, उसके हर एक दमदार झटके से मेरी पतली कमर में एक लहर सी दौड़ने लगती थी।

    उसने अब मुझे घोड़ी बन जाने को कहा.. मैं बिना देरी के बिस्तर पर अपने घुटनों और हाथों के बल खड़े होकर घोड़ी बन गई।

    आलोक मेरे पीछे से आया और एक ही झटके में उसने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत की दरार में उतार दिया। मैं दर्द से सिहर उठी.. पर वो लगातार मेरी चूत पर धक्के मारे जा रहा था।

    अब मैं पूरी मस्ती के साथ गाण्ड उठा कर उसके हर धक्कों का जबाव दे रही थी।
    थोड़ी ही देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं 'ओईई..ई.. माआआ.. मर गगई..' करते हुए झड़ने लगी।
    झड़ते वक्त आलोक ने अपने लण्ड को मेरी चूत में रोककर रखा था.. जिससे मेरी चूत का पानी मेरी चूत में ही बना रहा और आलोक के लण्ड को कन्डोम के अन्दर तक भिगो दिया।

    मेरी कुंवारी गांड की पहली चुदाई
    आलोक ने एकदम से अपने लण्ड को मेरी चूत से निकाला और मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर जोरदार धक्का मारा.. जिससे उसका दो इंच लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया।

    मैं दर्द के मारे उछल पड़ी, मेरी आँखों के आगे एकदम से अँधेरा छा गया।
    मैं जोरों से रोने लगी.. तो आलोक रुक गया.. पर उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में ही रहने दिया और वेसे ही अपने पेट के बल मेरी कमर से लिपट गया।

    मैंने अपने सीने को बिस्तर पर टिका दिया.. पर मैं अभी भी अपने घुटनों पर खड़ी हुई थी और आलोक मुझसे किसी सांप की तरह लिपटा हुआ था।

    मैंने रोते हुए आलोक से बोला- तूने तो मुझे मार ही डाला।
    पर मेरे इतना बोलते ही उसने एक बहुत जोरदार धक्के के साथ अपने पूरे लण्ड को मेरी गाण्ड में उतार दिया। मैं उससे भागने के लिए इधर-उधर हाथ-पैर मारने लगी.. पर उसकी मजबूत पकड़ के कारण मैं कुछ नहीं कर पाई।

    मैं रोते हुए उससे बोली- आलोक तूने तो आज मार ही दिया मुझे।
    मुझे इतना असहनीय दर्द हो रहा था कि मेरे आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। आज मेरी गाण्ड की सील भी टूट चुकी थी.. जिसे मैंने आज तक रवि को भी नहीं छूने दिया था।

    थोड़ी देर बाद मैं नार्मल हुई तो आलोक ने अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। अब वो लगातार अपने धक्कों से मेरी गाण्ड को चोद रहा था.. पर मैं अभी भी अपनी कसी हुई गाण्ड की सील टूटने का शोक मना रही थी।

    आलोक ने अब धक्के मारते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया जिससे मुझे भी अब मस्ती आने लगी थी। फिर उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में डालकर मेरी चूत को भी चोदना शुरू कर दिया।

    उसने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी, वो बहुत ही तेजी से मेरी गाण्ड में धक्के दे रहा था।
    मैं भी अब अपनी कमर उठा उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी।

    मेरी चूत दोबारा अपना पानी छोड़ने लगी.. जो कि मेरे झुके होने की वजह से मेरी चूत से होते हुए मेरे पेट और फिर मेरे मम्मों पर आने लगा।

    मेरी चूत से निकली हुई धार का कुछ पानी सीधा बिस्तर पर जाकर गिरने लगा। फिर रवि भी जोरदार धक्कों के साथ मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।

    एक के बाद एक उसके गर्म वीर्य की धार मेरी गाण्ड को भिगोने लगी। मैं उसके लण्ड से निकला हुआ गर्म वीर्य मेरी गाण्ड के अन्दर साफ-साफ महसूस कर पा रही थी।

    मैंने आलोक से पूछा- तूने कन्डोम निकाल दिया था क्या?
    उसने बोला- नहीं तो।

    फिर जब उसने अपने लण्ड को मेरी गाण्ड से बाहर निकाला.. तो मैंने देखा कि कॉन्डोम का आगे का हिस्सा पूरा फट चुका था.. जिसमें से उसका लण्ड बाहर निकला हुआ था।

    शायद जब वो अपना लण्ड मेरी कसी हुई गाण्ड में डाल रहा था.. तभी कन्डोम का ये हाल हो गया था।

    आलोक उठकर वहीं मेरे पास लेट गया। उसने अपना कन्डोम उतारकर वहीं बिस्तर के नीचे डाल दिया।
    अब मैं भी उठकर बैठ गई.. उठते ही मैंने अपने हाथ को अपनी गाण्ड के छेद पर लगाया। मेरी गाण्ड का छेद सूज गया था और उसमें से आलोक का सफ़ेद पानी निकल रहा था।

    मैंने आलोक को बोला- ये तूने क्या कर दिया.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
    तो वो मुझे 'सॉरी' बोलने लगा।

    मैं उठकर बाथरूम जाने लगी.. पर ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं लड़खड़ाती हुई बाथरूम तक पहुँची.. मैंने वहाँ खुद को अच्छे से साफ किया। अपनी चूत और गाण्ड को भी साबुन से अच्छे से साफ किया। फिर मैं वहाँ से नहाकर बाहर आई।

    मैं वहाँ से नंगी ही बाहर आई और अपने कमरे में पहुँची, आलोक वहीं बिस्तर पर ही सो गया था।

    मैंने अलमारी खोली और उसमें से तौलिया निकालकर अपने नंगे गीले बदन को पोंछा और फिर ब्रा और पैंटी पहनने लगी। पैंटी पहनते टाइम मुझे खोई हुई पैंटी का ख्याल आया जो कि मुझे रोहन के कमरे में उसके बिस्तर के नीचे मिली थी।

    अब मेरा पूरा ध्यान उस पैंटी पर गया.. तो मैंने सोचा कि अगर ये सब रोहन कर रहा है.. तो कल आलोक के जाने के बाद से मुझे उस पर नज़र रखनी होगी।

    फिर मैंने आलोक को उठाया और उससे नहा कर आने का बोला।
    वो उठकर अपने कमरे में चला गया।

    मेरी दूसरी पैंटी
    मेरी नज़र बिस्तर पर पड़ी.. जिसकी चादर मेरी चूत के पानी से गीली पड़ी हुई थी और उस पर धब्बे भी पड़ गए थे।

    मैंने जल्दी से उस चादर को बदल दिया और उस चादर को उठाकर बाथरूम में धोने के लिए डाल दिया। मैंने उस कन्डोम को भी उठाकर डस्टबिन में डाल दिया.. पर मैंने अपनी पैंटी वही पड़ी रहने दी.. जो कि आलोक ने मुझे चोदते समय उतारकर वहीं डाल दी थी। वो वही अलमारी के पास पड़ी हुई थी।

    अब एक बजने वाका था.. मैं खाना बनाने के लिए रसोई में गई.. मैंने खाना बनाया।

    आज रोहन भी स्कूल से जल्दी आने का बोल कर गया था तो थोड़ी देर बाद रोहन भी स्कूल से आ गया।

    जब मैं दरवाज़ा खोलने गई तो रोज की तरह वो आते ही मेरे सीने से लग गया। मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया.. जिससे उसका सिर मेरे मम्मों में दबने लगा.. पर इस बात का मुझे कोई एहसास नहीं था।

    फिर वो मुझसे अलग हुआ और हम दोनों अन्दर आने लगे। उसने मेरी लड़खड़ाती चाल देखकर पूछा- माँ आप ऐसे क्यों चल रही हो?
    तो मैंने बोला- अभी नहाते समय बाथरूम में फिसल गई थी।

    फिर हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया।
    उसके बाद आलोक और रोहन वहीं सो गए और मैं अपने कमरे में आ गई।

    कुछ देर बाद मुझे मेरे कमरे में किसी की आहट हुई.. तो मैंने वैसे ही लेटे हुए अपनी आँखों को हल्का सा खोलकर इधर-उधर देखा.. तो मुझे अलमारी के पास रोहन खड़ा हुआ दिखा।
    शायद वो मुझे सोता हुआ समझ कर कमरे के अन्दर आ गया था।

    मैंने देखा कि मेरी पैंटी रोहन के हाथ में थी और वो बार-बार उसे अपने मुँह की तरफ ले जाकर उसे सूंघ और चाट रहा था।

    मेरी पैन्टी में बेटे ने मुठ मारी
    रोहन की इस हरकत से मैं सकते में आ गई। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि अब मैं क्या करूँ। मेरा बेटा मेरी ही आँखों के सामने मेरी पैंटी को लेकर उसे सूंघ रहा था.. शायद उसे उसमें से मेरी चूत से निकले हुए पानी की खुशबू आ रही थी.. जो कि थोड़ी ही देर पहले आलोक के द्वारा मेरी चुदाई के दौरान गीली हो गई थी।

    फिर उसने अपनी पैंट खोली और वो उसमें से अपना लण्ड निकाल कर मेरी पैंटी पर रगड़ने लगा।

    उसकी इस हरकत से मैं तिलमिला उठी और बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई। मैं उठकर उसके पास गई पर वो अपनी आँखें बंद किए हुए पूरी मस्ती में अपने लण्ड को मेरी पैंटी से रगड़ रहा था, उसे मेरे आने का जरा भी आभास नहीं था।

    मैं उस पर चिल्ला भी नहीं सकती थी.. क्योंकि आलोक भी घर पर था। अगर आलोक को यह बात पता चल जाती.. तो वो ना जाने मेरे और रोहन के बारे में क्या सोचने लगता।

    तभी मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथों से अपनी पैंटी खींच ली और उसके गाल पर एक तमाचा कस दिया.. जिससे उसकी आँखें खुलीं और सामने मुझे खड़ा देखकर डर गया।

    पैंटी खींचते ही उसका लण्ड साफ दिखने लगा.. जो कि बहुत मोटा और लम्बा था शायद आलोक के लण्ड से भी बड़ा।
    खुद को इस तरह पकड़े जाने से वो काँपने लगा और रोने लगा।

    मैं गुस्से में थी- यह क्या कर रहा था तू.. मैं तुझे यही सब सीखने के लिए स्कूल में पढ़ा रही हूँ?
    रोहन- सॉरी मम्मी.. गलती हो गई मुझसे.. प्लीज माफ़ कर दो मुझे.. सॉरी.. अब आगे से ऐसा कभी नहीं करूँगा।

    उसका लण्ड अभी तक खड़ा था और अभी तक पैंट से बाहर निकला हुआ था, मैंने उससे उसके कपड़ों को ठीक करने का बोला।

    एकाएक उसकी नज़र उसके लण्ड पर गई.. जो बाहर निकला हुआ था। वो अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश करने लगा और उसे अपनी पैंट में वापस डालने लगा.. पर लण्ड खड़ा होने के कारण वो अन्दर नहीं जा पा रहा था।

    तभी उसके लण्ड से वीर्य की धार निकलने लगी.. जो कि सीधे मेरी कमर और साड़ी के नीचे के हिस्से को भिगाने लगी। यह तो अब हद ही हो चुकी थी.. मेरा पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया और मैं उसमें एक और तमाचा देने को हुई.. पर तभी वो बोला- ये मैंने जानबूझ कर नहीं किया मम्मी..
    और वो फिर से रोने लगा।

    मुझे उसे रोता देखकर तरस आने लगा।
    आखिर था तो वो मेरा बेटा ही.. जिसे मैं बहुत प्यार करती थी और वो भी मुझे बहुत प्यार करता था.. पर शायद गलत संगतों में पड़कर उसने यह कदम उठाया था।

    उसे रोता देखकर मेरा दिल पिंघल गया और मुझे भी रोना आने लगा, मैंने उसे वहाँ से जाने के लिए बोला.. तो वो चला गया।
    मैं भी वहाँ से सीधे बाथरूम में गई और अपनी कमर और साड़ी को साफ करने लगी जो कि रोहन के वीर्य से गन्दे हो गए थे।

    मैं वहाँ से बेडरूम में आई और इस पूरे किस्से के बारे में सोचने लगी।
    अब सब साफ हो चुका था. मतलब मेरी पैंटी और उस रात मुझे रवि से चुदते हुए देखने वाला कोई और नहीं.. रोहन ही था।

    मुझे अब क्या करना था कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगर यह बात मैंने रवि को बता दी.. तो वो तो रोहन की ऐसी हरकतों को देखकर उसे मार ही डालेंगे।
    तो मैंने फैसला किया कि यह बात मैं रवि को नहीं बताऊँगी, अब जो भी करना था.. मुझे ही करना था।

    बेटे के लंड के टोपे पर खाल
    जब मैंने रोहन का लण्ड देखा था.. तो मैंने गौर किया कि खड़े होने के बाद भी उसके लण्ड की खाल उसके टोपे पर चढ़ी हुई थी।
    अगर मेरा सोचना सही था तो ये उसके लिए बहुत बड़ी समस्या थी और मुझे ही अब उसके लिए कुछ करना पड़ेगा।

    ऐसे ही शाम बीत गई.. पर रोहन मेरी आँखों के सामने नहीं आया। रात को खाना बनाने के बाद मैंने सबको खाने के लिए बुलाया.. तो भी रोहन नहीं आया।
    मैंने भी नाराज़गी दिखाते हुए उससे कुछ नहीं बोला।

    भतीजा चला गया
    सुबह आलोक घर जाने के लिए तैयार हो चुका था, वो मुझसे मिलने बेडरूम में आया था।
    मेरी आँखों में आंसू आने लगे.. तो आलोक बोला- चाची आप रोएँगी.. तो मैं अगली बार से यहाँ रहने नहीं आऊँगा।
    और ऐसा बोलते ही उसने मेरे होंठों पर एक चुम्मी दे दी।

    आलोक बोला- चाचीजी एक बार अपने मम्मों के दर्शन तो करवा दीजिए.. अब जाने कब इन्हें देखने और दबाने का मौका मिले।
    तो वो मेरे गाउन में से ही मेरे मम्मों को बाहर निकाल कर उन्हें चूसने और मसलने लगा।

    थोड़ी देर बाद वो उठा और मुझे एक चुम्मी देकर जाने लगा। मैंने अपने मम्मों को वापस गाउन में डाला और उसे दरवाजे तक छोड़ने गई और फिर वो चला गया।

    थोड़ी देर बाद रोहन भी स्कूल जाने लगा तो मैंने उसे लंच बॉक्स लाकर दिया.. जिसे वो नहीं ले गया और स्कूल चला गया।

    फिर मैंने घर के कामों को निपटाया।
    शाम के चार बज चले थे रोहन की कोचिंग भी ख़त्म हो गई थी.. तो वो अब जल्दी ही घर वापस आ जाता था।

    कुछ देर बाद रोहन वापस आ गया और आते ही अपने कमरे में चला गया.. उसने मुझसे नज़र तक नहीं मिलाई।

    रोहन ने कल रात से खाना नहीं खाया था.. तो मैं खाना लगाकर उसके कमरे में गई।
    मैंने प्लेट वहीं टेबल पर रख दी, वो बिस्तर पर लेटा हुआ था, मैंने उसे उठाकर खाना खाने के लिए बोला.. पर उसने खाने से मना कर दिया।

    वो कल रात से भूखा था और उसे ऐसा देखकर मैं वहीं खड़े हुए रोने लगी।
    मुझे रोता देखकर वो मुझे चुप कराने लगा.. उसने मुझे लाकर बिस्तर पर बिठा दिया और फिर खाना खाने लगा।

    खाना खाकर वो मेरे पास आकर बैठ गया और कल की बात के लिए मुझे फिर से 'सॉरी' बोला। वो जानता था कि यह बात मैं उसके पापा को नहीं बताऊँगी.. क्योंकि रवि बहुत ही गुस्सैल थे और वो फिर रोहन के साथ क्या करते. पर वो ये भी जानता था कि मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ।

    बेटे का इलाज़
    मैंने उससे बोला- मैं तुझे तब ही माफ़ करूँगी.. जब तू मेरी बातों का सही जवाब देगा?
    रोहन- हाँ पूछिए मम्मी?
    मैं- क्या परसों तूने मेरे रूम में से मेरी पैंटी उठाई थी?

    तो इस बात पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, मैंने दोबारा उससे पूछा तो उसने 'हाँ' बोला।
    फिर मैंने उससे एक रात पहले वाली घटना का जिक्र किया.. तो वो बोला- मम्मी मैं बाथरूम जा रहा था तो आपके कमरे में से आपकी आवाजें आ रही थीं.. और आपके कमरे की खिड़की भी आधी खुली हुई थी.. तो मैंने बस ऐसे ही जानने के लिए अन्दर देखा था।
    मैंने पूछा- क्या देखा था तूने?

    तो वो कुछ नहीं बोला।
    मैंने थोड़ा जोर देकर पूछा तो वो बोला।

    रोहन- मम्मी मैंने देखा की आप और पापा दोनों नंगे एक-दूसरे के बदन से चिपके हुए थे और आपके कराहने की आवाज़ भी आ रही थी।

    मैं ये सब सुनकर दंग रह गई और उससे इस बात को भूल जाने के लिए बोला। आखिर गलती भी तो मेरी ही थी कि मैंने खिड़की खुली छोड़ दी थी और अब रोहन भी बड़ा हो चुका है।

    मैंने उससे पूछा- तू मेरी पैंटी में मुठ क्यों मार रहा था?
    तो वो बोला- मम्मी मुझे आपकी पैंटी से आती हुईं खुशबू बहुत अच्छी लगती है.. तो मैं खुद को काबू में नहीं रख पाया।

    अब मेरे मन में भी रोहन के प्रति वासना के भाव आने लगे और उसे भी मेरे प्रति। आखिर हो भी क्यों ना.. वो भी जवानी की दहलीज पर आ चुका था।

    वो मेरी हर बात का जवाब अब खुल कर दे रहा था।
    फिर मैंने उससे पूछा- कल मैंने तेरा लण्ड देखा था। उस पर अभी भी तेरी खाल चढ़ी हुई है.. तुझे दर्द नहीं होता क्या?
    वो बोला- हाँ मम्मी.. बहुत जोर का दर्द होता है.. कभी-कभी तो इतना दर्द होता है कि मैं रोने लगता हूँ।

    मैंने उससे बोला- क्या तू मुझे अपना लण्ड दिखाएगा.. शायद मैं तेरी कुछ मदद कर सकूँ।
    वो बोला- मम्मी मुझे शर्म आ रही है।
    मैंने बोला- इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है.. मैंने तुझे बचपन से ही नंगा देखा है और अब आगे से ऐसी कोई हरकत मत करना। अगर कुछ हो तो मुझे बोल देना.. मैं तेरी मदद कर दूंगी।

    मेरी बातें सुनकर उसकी शर्म थोड़ी कम हुई। अब हम दोनों एक-दूसरे से बहुत खुल चुके थे और फिर उसने अपनी पैंट खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल दिया।

    मैंने देखा कि उसका लण्ड अभी आधा खड़ा हुआ था। फिर मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में लिया और उसके लण्ड की खाल को ऊपर-नीचे करने लगी और उसका लण्ड धीरे-धीरे फूलने और लम्बा होने लगा.. जिससे उसे दर्द होने लगा।
    अब मैं उसके खड़े लण्ड की खाल को ऊपर से पकड़कर खींच रही थी.. जिससे उसका सुपाड़ा खाल से बाहर आ जाए.. पर खाल बहुत ही टाइट हो चुकी थी और रोहन दर्द के मारे कराह रहा था।

    मैं रोहन की तरफ झुकी हुई थी.. जिससे मेरा चेहरा रोहन के लण्ड के ऊपर था। मेरे गाउन का ऊपर का बटन खुला हुआ था.. जिसमें से मेरे कसे हुए आज़ाद मम्मे लटक रहे थे.. और बाहर आने के लिये फड़फड़ा रहे थे।

    मैंने देखा कि रोहन की नज़र मेरे मम्मों पर ही थी। मम्मों के साथ-साथ उसे मेरे गुलाबी निप्पल्स भी दिख रहे थे जो कि एकदम तने हुए थे.. पर मैं भी उसके मजे लेना चाहती थी।

    थोड़ी देर ऐसा करते रहने से उसके लण्ड से वीर्य की धार निकलने लगी.. जो कि सीधे मेरे चेहरे पर गिरने लगी और मेरा चेहरा गीला हो गया। मैंने उसके लण्ड को छोड़ दिया।

    मैंने बोला- ये क्या किया तूने.. मैं तेरी मदद कर रही हूँ और तू मजे ले रहा है।
    रोहन बोला- सॉरी मॉम.. पता नहीं एकदम से क्या हो गया था मुझे।

    मैं वहाँ से उठकर बाथरूम में गई और अपना चेहरा साफ किया। चेहरा साफ करते वक्त रोहन का कुछ वीर्य मेरे मुँह में चला गया। उसका स्वाद बहुत ही अच्छा था।
    चेहरा धोकर मैं वापस अपने कमरे में आई।

    पांच बज चुके थे.. रोहन की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी, मैंने रोहन को आवाज़ लगाई.. वो कमरे में आया। मैंने उससे बोला- हम लोग अभी ही डॉक्टर के पास चल रहे हैं.. तू तैयार हो जा।

    हम दोनों तैयार होकर जाने लगे, रोहन ने बाइक बाहर निकाली और हम दोनों क्लीनिक पहुँच गए।
    डॉक्टर ने रोहन को अन्दर बुलाया। जब रोहन बाहर आया तो उसने मुझसे बोला- डॉक्टर ने ऑपरेशन का बोला है।
    'ओह्ह..'
    फिर वो मुझसे बोला- मम्मी मुझे नहीं कराना कोई ऑपरेशन।

    मैंने उसे वहीं बैठने के लिए बोला और मैं उठकर डॉक्टर के पास गई। वहाँ मैंने डॉक्टर से इस बारे में बात की.. उसने मुझे एक ट्यूब दिया.. जिसे रोहन को रात को सोने से पहले अपने लण्ड पर लगाना था।

    फिर मैं बाहर आई और हम दोनों घर पहुँच गए।

    रोहन ने मुझसे पूछा- क्या बोला डॉक्टर ने आपसे।
    मैंने उससे बोला- उसने या तो आपरेशन का बोला है या फिर..
    रोहन- या फिर क्या.. मम्मी।
    मैं- अगर तुझे आपरेशन नहीं कराना तो तुझे किसी के साथ सेक्स करना पड़ेगा। जिससे तेरी खाल छिल जाएगी और तेरे लण्ड का सुपाड़ा बाहर आ जाएगा। पर इस सबमें तुझे पहली बार बहुत दर्द होगा।
    रोहन- पर मम्मी मैं ऑपरेशन नहीं कराऊँगा।

    बेटे से चूत चुदाई
    इतना बोलते ही वो मेरी तरफ देखने लगा.. मैं भी उसे ही देख रही थी। तभी वो मुझसे बोला- पर मम्मी मेरे साथ सेक्स करेगा कौन?
    और इतना कहकर वो मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगा।

    मैंने उससे बोला- लगता है मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तेरा..
    अब उसे देखकर मैं भी मुस्कुराने लगी।
    वो समझ गया कि मैं उससे चुदवाने के लिए तैयार हूँ।

    फिर हम लोगों ने खाना खाया और फिर मैंने उससे बोला- आज रात मेरे ही साथ सो जाना.. और वो ट्यूब भी लेकर आना.. मैं उसे तेरे लण्ड पर लगा दूंगी।

    मैंने अपना गाउन उतार दिया फिर अलमारी से दूसरा गाउन निकाल कर उसे पहनने लगी। वो एक जालीदार काला गाउन था बहुत पतला.. जिसमें से मेरा पूरा बदन दिख रहा था। मेरे मम्मों का उभार.. उन पर लगे हुए मेरे गुलाबी निप्पल्स.. मेरी पतली चिकनी कमर.. मेरी नंगी टांगें और उन टांगों के बीच मेरी ब्राउन पैंटी साफ चमक रही थी।

    मैंने पीछे मुड़कर देखा तो रोहन वहीं खड़ा हुआ था, वो केवल अपना बॉक्सर पहने हुए था।
    रोहन ने पीछे से खड़े हुए मेरा पीछे का पूरा नंगा बदन देख लिया था.. उसे देखकर मैं मुस्कुराने लगी।

    मेरा नंगा बदन गाउन में से साफ चमक रहा था.. जिसे अब रोहन बिना नज़र हटाए निहार रहा था। वो आकर मेरे सीने से लग गया और मेरे स्तनों में अपने मुँह को घुसा लिया।
    उसकी तेज गर्म सांसों को मैं अपने मम्मों पर महसूस कर रही थी।

    वो मुझसे बोला- मम्मी थैंक्स. आप मेरे लिए ये सब कर रही हो।
    मैंने उससे बोला- मैं तेरे लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.. तुझसे इतना प्यार जो करती हूँ।

    मैं अपने बेटे से चुदने को तैयार थी
    मेरा नंगा शरीर गाउन में से स्पष्ट दिख रहा था.. जिसे अब रोहन बिना नज़र हटाए निहार रहा था।
    वो आकर मेरे वक्ष से लग गया और मेरे उरोजों में अपने चेहरे को घुसा लिया। उसकी तेज गर्म सांसों को मैं अपने वक्ष उभारों पर महसूस कर रही थी।

    वो मुझसे बोला- थैंक यू मम्मा. आप मेरे लिए यह सब कर रही हो।
    मैंने उसे कहा- मैं अपने बेटे के लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.. तुमसे इतना प्यार जो करती हूँ।

    फिर मैंने उससे बोला- चल अब लेट जा.. मैं तेरे लण्ड पर दवाई लगा देती हूँ।
    वो उठकर बिस्तर पर लेट गया, मैंने उससे उसका बॉक्सर उतारने के लिए बोला.. तो वो बोला- मम्मी आप ही उतार दो ना प्लीज।

    मैं उठकर उसके पास गई और फिर उसके बॉक्सर को उतारने लगी। उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी। फिर मैंने उसका बॉक्सर उतार दिया।
    अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगा था.. जैसा कि बचपन में मेरे सामने नंगा रहता था।

    उसका लण्ड अभी पूरी तरह से खड़ा नहीं था.. पर गाउन के अन्दर से मेरा नंगा बदन देखकर वो खड़ा होने लगा और मैं उसे देखकर मुस्कुराने लगी।

    बेटे की नजर मेरे बदन पर थी
    पर उसकी नज़र तो मेरे नंगे बदन पर थी.. मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
    तो वो बोला- मम्मी आपने अन्दर ब्रा क्यों नहीं पहनी?
    मैंने हँसते हुए बोला- मुझे ब्रा पहनना पसंद नहीं है।

    फिर वो बोला- मम्मी आपके गाउन में से आपके पूरे 'वो' दिख रहे हैं।
    मैंने पूछा- क्या पूरा दिख रहा है?

    तो वो भी हँसने लगा और बोला- आपके बूब्स दिख रहे हैं।
    मैंने बोला- अब गाउन ही ऐसा है तो मैं क्या कर सकती हूँ।
    रोहन बोला- उससे अच्छा तो आप इसे उतार ही दो।
    और फिर हँसने लगा।

    फिर मैं घुटनों के बल बैठ गई और रोहन ने बिस्तर के एक साइड से टिक कर अपनी टाँगें फैला दीं।

    अब मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में ले लिया और फिर ट्यूब उठाकर उसके लण्ड के ऊपर लगाया और फिर उसकी मालिश करने लगी। मेरे हाथों का स्पर्श पाकर उसका लण्ड और मोटा हो गया।

    अब मैं उसके लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करने लगी। रोहन के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

    तभी वो बोला- मम्मी आप प्लीज अपना गाउन उतार दो।
    मैंने उससे पूछा- क्यूं.. क्या हुआ?
    वो बोला- अभी तो आप बोल रही थीं कि मेरे लिए कुछ भी कर सकती हो और अब इतना भी नहीं कर पा रही हो।

    तो मैंने उसके लण्ड को छोड़ा और खड़ी हो गई। बिना कुछ बोले मैंने अपना गाउन उतार दिया. अब मैं उसके सामने केवल पैंटी में ही खड़ी थी।

    वो मेरे नंगे कसे हुए मम्मों को घूरने लगा.. जिस पर मेरे तने हुए गुलाबी निप्पल्स चमक रहे थे।
    फिर मैं उससे बोली- अब ठीक है..

    और फिर जाकर उसके पास बैठ गई.. पर उसकी नज़र तो बस मेरे मम्मों पर ही थीं।

    मैं उसकी आँखों में मेरे प्रति उसकी हवस को साफ देख सकती थी। मैंने उससे बोला- क्या घूर रहा है मेरे मम्मों को?
    वो एकदम से होश में आया और बोला- कुछ नहीं।

    बेटे का लंड चूसा
    मैंने फिर से उसके लण्ड को पकड़ा और उसकी मालिश करने लगी। मेरे नंगे मम्मों को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी और फिर तुरंत ही वो बोला- मम्मी मेरा निकलने वाला है।

    मुझे पता नहीं एकदम क्या हुआ.. मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और फिर तुरंत ही वो झटकों के साथ मेरे मुँह में झड़ने लगा। मैंने उसका सारा पानी पी लिया।

    मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से निकाल दिया। मैंने रोहन को देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।

    मैं उसे देखकर बोली- क्या हुआ.. ऐसे क्यों देख रहा है?
    वो बोला- मम्मी, आप मेरा सारा पानी पी गईं।

    तो मैं उसे देखकर मुस्कुरा दी, मेरी चूत भी अब गीली हो गई थी और मुझे भी अब चुदाई का मन हो रहा था.. पर मैं रोहन से तो ये बात नहीं बोल सकती थी।

    रोहन अब झड़ चुका था और वो नंगा ही बिस्तर पर लेटा था। मैं भी उसके बगल से लेट गई। अब रोहन मुझसे आकर लिपट गया और मेरे स्तनों को अपनी छाती से दबा रहा था।
    मैं भी रोहन से लिपटी हुई थी।

    फिर वो बोला- मम्मी क्या मैं आपके बूब्स छू सकता हूँ?
    तो मैंने उसे 'हाँ' बोल दिया।

    अब वो उठा और मेरे मम्मों पर हाथ फेरने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मुझे भी उसकी ये हरकतें पसंद आने लगीं।

    मैंने उसे बोला- अब बस भी कर.. क्या अब इन्हें निचोड़ ही डालेगा?

    मेरी चूचियाँ चूसी मेरे बेटे ने
    पर वो नहीं रुका और फिर वो मेरी चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगा और उन पर काटने लगा.. जिससे मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

    मैं भी चुदास के कारण गर्म थी.. तो खुलकर रोहन साथ दे रही थी।
    मैंने देखा कि उसका लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था।

    अब रोहन ने मेरे मम्मों को चूसना बंद किया और मुझसे बोला- मम्मी आपके बूब्स तो बहुत टाइट और मीठे हैं।
    इतना बोल कर वो फिर से मेरे मुँह के पास अपना मुँह लेकर आने लगा.. और देर न करते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर चूमने के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ा और मुझसे बोला।

    रोहन- मम्मी आप बहुत सुंदर हो.. आई लव यू।
    मैंने भी रोहन के होंठों पर किस किया और 'आई लव यू टू' बोला।

    फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी मुझे आपके साथ सेक्स करना है।
    मैंने उसको चिढ़ाने के लिए बोला- पागल हो गया है क्या.. अपनी मम्मी के साथ ऐसा करेगा?

    मेरा यह जवाब सुनकर वो रोने लगा और बोला- मम्मी मुझे ऑपरेशन नहीं कराना.. इसीलिए मैं आपसे बोल रहा हूँ और फिर डॉक्टर ने भी तो बोला है।

    मैंने उसे चुप कराया और उसे अपने नंगे सीने से लगा लिया और उससे बोली- अरे..रे.. मैं तो मजाक कर रही थी।
    फिर जाकर वो चुप हुआ।

    उसने फिर से मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

    बेटे के सामने पूरी नंगी हो गई
    अब वो उठा और मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी पैंटी को उतारने लगा.. जो कि बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उसने मेरी पैंटी को मेरी टांग उठाकर बाहर निकाल दिया।

    अब मैं भी उसके सामने बिल्कुल नंगी थी।
    वो मेरी फूली हुई लाल चूत को सूंघने लगा और बोला- मम्मी मुझे आपकी चूत के पानी की खुश्बू बहुत अच्छी लगती है.. मैं आपकी पैंटी को अक्सर इसी वजह से चाटा करता हूँ।

    मैंने उसे छेड़ते हुए बोला- पैंटी को चाट-चाट कर ही मन भर गया तेरा.. आज तो खुद झरना ही तेरे पास है.. जितना पानी पीना हो पी ले।
    मेरी बात सुनकर रोहन बोला- मम्मी आज मैं आपके इस मीठे पानी के झरने को खाली कर दूँगा।

    फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा।
    क्यूंकि मैं बहुत देर से उत्तेजित थी.. तो मेरी चूत ने जल्दी पानी छोड़ दिया।

    मैं बहुत जोरों से झड़ने लगी.. झड़ते वक्त मैंने रोहन के सिर को अपनी टाँगों के बीच फंसा लिया.. जिससे उसका मुँह मेरे रस से भर गया और मेरा पानी उसके मुँह के चारों तरफ लग गया।

    वो वैसे ही उठा और मेरी पतली चिकनी कमर और पेट को चूमने और चाटने लगा.. जिससे उसके मुँह पर लगा हुआ पानी मेरे पेट पर लग गया। उसने मेरी नाभि में थूक दिया और फिर उसे अपनी जीभ से चाटने लगा।

    मेरी कमर और पेट को चूमते वक्त मेरा बदन बुरी तरह से काँपने लगा था।

    मेरी चूत की चुदाई
    अब उसने मेरी टाँगों को फैलाया और अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर लगाया और अन्दर डालने लगा।

    मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी, उसका लण्ड थोड़ा जाते ही उसे दर्द होने लगा और अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
    वो मुझसे बोला- मम्मी अब मैं क्या करूँ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा है।

    तो मैं उठी और उससे क्रीम की लाने का बोला.. वो क्रीम ले आया।

    मैंने उसे लेट जाने के लिए कहा और फिर उसके लण्ड को पकड़कर अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगी.. जिससे वो ठीक से गीला हो जाए।

    थोडी देर बाद मैंने उसके लण्ड को मुँह से निकाला और उसके ऊपरी भाग पर ढेर सारी क्रीम लगा दी।

    मैं उससे बोली- तुझे थोड़ा दर्द होगा।
    वो बोला- कोई बात नहीं मम्मी.. इतना तो मैं सह ही सकता हूँ।

    फिर मैंने उसे नीचे ही लेटे रहने दिया और मैं उसके ऊपर आ गई। मैंने उसके लण्ड को पकड़ा और उसे अपनी चूत पर लगाया और ऊपर का थोड़ा हिस्सा अन्दर जाने के बाद मैंने उसके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया।

    बेटे के लण्ड की सील टूटी
    मुझे पता था कि रोहन के लण्ड की सील टूटने वाली है.. तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और उन्हें चूमने लगी.. जिससे अगर वो चिल्लाए तो उसकी आवाज़ वहीं दब जाए।

    मेरे स्तन उसकी छाती को छू रहे थे और मैं उसके होंठों को लगातार चूमे जा रही थी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके लण्ड पर दबाब बनाने लगी और उस पर बैठने लगी।
    धीरे-धीरे उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में उतरने लगा।

    उसे कितना दर्द हो रहा था.. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसने अपने हाथों में जकड़े हुए मेरे हाथों को जोरों से दबा दिया और मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया।

    थोड़ी देर तक मैंने उसके लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और फिर मैंने अपने होंठों को चूमना छोड़ दिया। वो दर्द से कराह रहा था.. क्योंकि शायद उसके लण्ड की सील मेरी चूत के अन्दर ही टूट चुकी थी।

    फिर मैंने अपनी चूत से रोहन के लण्ड को चोदना शुरू कर दिया। रोहन भी अब अपना दर्द भूलकर मुझे चोदने लगा, उसके मुँह से 'आहह.. उहहह..' की आवाजें आ रही थीं.. जो मुझे और भी मदहोश कर रही थीं।

    मैंने अपने बालों को अपने गले के दायीं तरफ कर लिया और मैं उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होते हुए उसके सीने को चूमने लगी।

    रोहन ने भी अब नीचे से तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए.. मैं भी कमर उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी। तेजी से चोदने के कारण मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

    मैं चिल्ला-चिल्ला कर रोहन को बोल रही थी- ओओहह.. रओहहहनन.. और चोदो मुझे.. आऊऊऊहह.. उउफ्फ. चोददद डाल्लो मुझे.. फक्क मीईईई रोअअह्हनन.. फक्क.. योर मॉमम्म्म..

    मेरी सिसकारियाँ रोहन को बहुत उत्तेजित कर रही थीं और वो मुझे और तेजी के साथ चोदने लगा.. जिससे उसके लण्ड में और तेजी से दर्द होने लगा और वो जोरों से कराहने लगा.. पर उसने मुझे चोदना जारी रखा।

    मेरा शरीर अकड़ने लगा और फिर मेरी चूत से मेरे पानी का फव्वारा बहने लगा.. जिससे रोहन का लण्ड और गीला हो गया।

    अब उसका लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।

    उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर वो झटकों के साथ मेरी चूत में ही झड़ने लगा। उसके लण्ड से निकला गर्म वीर्य मेरी चूत के कोने-कोने को भिगा रहा था.. जिससे मेरे शरीर में एक अलग सी सुरसुरी होने लगी थी।

    फिर मैं रोहन के ऊपर वैसे ही लेट गई। उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था। झड़ जाने के बाद उसे दर्द का एहसास होने लगा।
    रोहन मुझसे बोला- मम्मी मेरे लण्ड में बहुत दर्द हो रहा है।

    फिर मैं उठी और अपनी चूत से लण्ड को बाहर निकाला।
    रोहन का लण्ड मेरे और उसके दोनों के पानी से सना हुआ था। मेरी चूत में से भी अब रोहन का वीर्य बाहर आकर बहने लगा।

    फिर मैंने रोहन का लण्ड देखा तो वो सूज चुका था और उसके लण्ड का सुपाड़ा खाल को खींचता हुआ बाहर आ गया था.. जिस वजह से उसकी खाल पर खिंचाव आ गया था और उसका लण्ड दर्द कर रहा था।

    मैंने रोहन को बोला- अब तेरा लण्ड खुल चुका है और दो-तीन दिन में ये बिल्कुल ठीक हो जाएगा।

    तो वो खुश हो गया और बोला- मम्मी थैंक यू.. आपकी वजह से ही मैं ठीक हो पाया हूँ। अगर आप ये सब ना करतीं तो मैं कभी ठीक नहीं हो पाता।

    और ऐसा बोलकर वो मेरे मम्मों को दबाने लगा।

    मैं हँसकर बोली- क्यों नहीं करती ये सब तेरे लिए.. मैं तेरा ध्यान नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा और आगे भी तेरे लिए ये सब करती रहूँगी।

    फिर उसने मुझे लेटाया और फिर से मेरी चूत चाटने लगा.. मेरी चूत से निकलता हुआ उसका और मेरा वीर्य मेरी चूत से होते हुए मेरी गाण्ड की दरार में जाने लगा।

    अब रोहन ने मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला.. तो मैं घुटनों के बल लेट गई और अब रोहन मेरी 36 साइज की चौड़ी और गोल गाण्ड को अपने हाथों से मसलने लगा। फिर वो अपनी जीभ से मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा.. जो कि चूत से निकले हुए पानी की वजह से गीली हो गई थी।

    रोहन का लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था.. पर मैंने उससे बोला- अभी दो-तीन दिन तक कुछ मत करना.. वरना फिर और दर्द होगा।
    वो बोला- तब तक मैं क्या करूँगा?

    तो मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में लिया और फिर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लण्ड को बाहर खींच लिया और फिर उसे मेरे मम्मों के बीच डालकर मेरे मम्मों से अपने लण्ड को रगड़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ने लगा। उसने अपना सारा वीर्य मेरे मम्मों पर ही गिरा दिया।
    उसके बाद मैं नंगी ही उठकर बाथरूम गई और खुद को साफ करके वापस रूम में आ गई।
    रोहन भी वहीं पर लेटा हुआ था.. वो भी बिल्कुल नंगा।

    मैंने घड़ी में टाइम देखा तो रात के ढाई बजे रहे थे। फिर मैं और रोहन आपस में चिपक कर सो गए।

    जब तक मेरे पति और बेटी नहीं आ गए.. तब तक हम रोज एक-दूसरे को खूब चोदते और घर मैं नंगे ही घूमते थे। जब भी मन होता रोहन मुझे चोद देता था।

    रवि के आ जाने के बाद भी मैं रोज मौका देखकर उससे चुदवा लेती थी। जब रवि सो जाते थे.. तो मैं रोहन के रूम में जाकर उसके साथ चुदाई करती थी और ये सिलसिला अभी तक जारी है।

    मेरे बेटे ने पूरी चुदाई छिप कर देखी

    अभी रोहन और अन्नू दोनों के एग्जाम ख़त्म हो चुके थे और अन्नू अपनी छुट्टियों को काटने के लिए अपनी नानी के पास यानि मेरे मायके चली गई थी।
    रोहन ने बारहवीं पास कर लिया था और अब वो दिन भर घर पर ही रहता था।
    मेरे पति रवि रोज की तरह सुबह ऑफिस चले जाते थे और फिर रात को ही वापस आते थे।

    रवि के जाते ही मैं रोहन के पास उसे जगाने के लिए जाती थी और फिर हम दोनों एक-दूसरे के साथ जी भर के चुदाई किया करते थे और फिर पूरा दिन हम दोनों नंगे ही घर के काम किया करते थे।

    जब भी रोहन मुझे नंगा देख लेता था तो आकर मेरे जिस्म से खेलने लगता था और मन होते ही हम दोनों फिर से शुरू हो जाते थे।

    एक दिन ऐसे ही रवि के जाने के बाद में घर के कामों में लग गई और रसोई की सफाई कर रही थी। तभी रोहन पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में रगड़ने लगा और मेरे मम्मों को जोरों से मसलने लगा।
    मेरे मुख से सीत्कार निकलने लगी।
    खड़े-खड़े ही रोहन ने अपने एक हाथ को मेरे मम्मों पर ही रहने दिया और दूसरे हाथ से मेरे गाउन को उतार दिया। मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था तो मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई।

    बेटे ने मेरी चूत चाटी
    फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी और दिन में तो आप पैंटी भी पहने रहती थी.. पर आज आपने अन्दर कुछ नहीं पहना.. क्यूँ?
    मैं मुस्कुरा कर बोली- तेरे पापा ने कल रात को मुझे पैंटी पहनने का मौका नहीं दिया।

    रोहन बोला- मम्मी क्या पापा अभी तक आपको चोदते हैं?
    तो मैंने बोला- क्यों नहीं चोदेंगे.. आखिर पत्नी हूँ मैं उनकी. उनका तो चोदने का मुझ पर सबसे पहला हक़ बनता है।

    फिर रोहन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरे हाथों में पकड़ा दिया और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा। मैं अपने हाथों से उसके लण्ड को सहलाने लगी.. जो कि पूरी तरह से खड़ा था।

    अब उसके लण्ड की खाल एकदम ठीक हो चुकी थी और उसके लण्ड का सुपाड़ा पूरी तरह बाहर भी आ चुका था।

    रोहन नीचे बैठ गया और फिर मेरी चूत पर मुँह लगा कर उसे जोरों से चाटने और चूसने लगा। रोहन की नुकीली जीभ को मेरी चूत के अन्दर जाते ही मैं सिहर उठी और मैं वहीं खड़ी हो कर जोरों से कांप रही थी।

    रोहन उठा और उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर लगाया और एक ही झटके के साथ उसने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। मैं वहीं खड़ी हुई और थोड़ा ऊपर को उछल गई.. पर रोहन ने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था।

    उसके करारे धक्के मेरी चूत को तेजी से चोदे जा रहे थे। मैं भी उसके हर धक्कों का जवाब अपनी सीत्कारों के साथ दे रही थी.. जो कि रोहन का जोश बढ़ा रही थीं।
    थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगी और 'आहहह.. रोहहहन.. मैं गईई ऊऊहह..' चिल्लाते हुए झड़ने लगी पर रोहन अभी तक मैदान में था।
    मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लण्ड गीला हो चुका था और अब रसोई में 'फच फच' की आवाज़ गूँज रही थी।

    रोहन ने अब अपने धक्कों को बढ़ा दिया और तेजी के साथ अपने लण्ड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर धकेल रहा था।
    थोड़ी देर बाद वो मुझसे बोला- मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ.. अपना वीर्य कहाँ निकालूँ।
    तो मैंने उससे बोला- अन्दर मत झड़ना बस।

    फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझसे जमीन पर बैठने के लिए बोला और फिर अपने लण्ड को मेरे मुँह की तरफ लाकर अपने हाथों से हिलाने लगा तो मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और फिर वो झड़ने लगा।
    लगातार चार या पांच पिचकारियों में वो मेरे मुँह में ही स्खलित हो गया और मैं उसके गाढ़े और मीठे वीर्य को अन्दर तक निगल गई।

    इतनी देर चुदाई के बाद हम दोनों थक चुके थे, मैं और रोहन दोनों उठे और हम दोनों बेडरूम में आकर नँगे ही लेट गए।
    वो अभी भी मेरे मम्मों से खेल रहा था.. कभी उन पर चुम्मी देता.. कभी मेरे निप्पल्स दबा देता.. तो कभी उन्हें मसलने लगता।

    पति से चुदाई बेटे ने देखी
    फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी एक बात पूछूँ?
    मैंने बोला- हाँ पूछो।
    तो रोहन बोला- मुझे आपकी और पापा की चुदाई देखनी है।
    मैंने उससे बोला- पागल हो गया है क्या तू.. अगर तेरे पापा ने तुझे देख लिया तो फिर तू ही समझ लेना कि तेरा क्या होगा!

    मेरी इस बात पर रोहन बोला- वो सब मैं देख लूँगा.. बस आप मुझे किसी भी तरह रात को कमरे के अन्दर घुसा लेना।
    मैंने उसे साफ मना कर दिया कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी.. पर रोहन जिद पर अड़ गया और फिर मैंने उसे 'हाँ' बोल दिया।

    उसके बाद हम दोनों उठे और अपने काम करने में लग गए। थोड़ी देर बाद नहा-धो कर हम लोगों ने खाना खाया और फिर हम दोनों ने एक बार और चुदाई की और फिर वैसे ही सो गए।

    रात को रवि घर आए तो हम सबने मिलकर खाना खाया और फिर रवि और रोहन दोनों टीवी देखने लगे।
    साढ़े दस बज चुके थे तो मैं हॉल में गई और सभी को सोने के लिए बोला।

    रोहन उठकर अपने कमरे में जाने लगा तो मैंने उसे चुपके से अपने बेडरूम में बुला लिया और फिर उसे वहीं अलमारी.. जो दीवार में ही बनी हुई थी और छत से लगी हुई थी.. उस पर बिठा दिया।

    वो अलमारी एक बड़े परदे से ढकी हुई थी। जिससे रोहन उसके साइड से बड़ी ही आसानी से पूरे कमरे के अन्दर का माहौल देख सकता था।
    मैंने उसे बोला- जब तक मैं इशारा न कर दूँ.. तब तक वहीं रहना।

    थोड़ी देर बाद रवि कमरे में आए, उन्होंने आते ही गेट बंद कर दिए और बिस्तर पर जाकर लेट गए।
    मैं भी उठकर उनके बगल में लेट गई। मैंने तिरछी नज़रों से ऊपर अलमारी की तरफ देखा.. तो रोहन वहीं बैठा हुआ था, उस पर किसी की नज़र नहीं जा सकती थी।

    फिर मैं रवि के साथ उनसे लिपटकर बातें करने लगी और उनके गालों पर किस करने लगी।
    वो भी मुझे अपनी बाहों में लिए हुए मुझे चूम रहे थे।
    अब रवि उठे और उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। सबसे पहले उन्होंने मेरा गाउन उतार दिया और फिर मेरी पैंटी भी उतार दी। मैं अब बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी।

    रवि भी सिर्फ अपनी चड्डी में थे और उनका लण्ड खड़ा हुआ था।
    रवि उठकर मेरे पास आए और मुझसे बोले- कन्डोम लगाऊँ या फिर ऐसे ही करूँ।
    मैंने उनसे कन्डोम लगाने का बोल दिया।

    मैं नंगी ही बिस्तर से उठी और अलमारी की तरफ जाने लगी, मेरी गदराई हुई गोल गाण्ड मेरे हर कदम पर ऊपर-नीचे हो रही थी.. जो रवि और शायद रोहन दोनों को ही काफी उत्तेजित कर रही थी।

    मैंने अलमारी से कन्डोम निकाला और वापस बिस्तर पर आ गई। फिर मैंने रवि के लण्ड को पकड़ा और कन्डोम को उनके लण्ड पर चढ़ा दिया।

    अब रवि उठे और उन्होंने मुझे अपने नीचे लेटा लिया।

    उन्होंने मेरी दोनों टाँगों को अपने कंधे पर रख लिया और फिर अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर लगाकर उसमें अपने लण्ड को डालना शुरू कर दिया।

    तीन-चार धक्कों में रवि का पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर जा चुका था। रवि का लण्ड भी बहुत मोटा और लम्बा था.. पर उनकी एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती थी कि उनकी चोदने की शक्ति बहुत प्रबल थी।

    उन्हें चूत चाटना बिल्कुल भी पसंद नहीं था और वो अपना लण्ड भी बहुत ही कम बार मुझसे चुसवाते थे।

    रवि का पूरा लण्ड अब मेरी चूत के अन्दर था और अब वो लगातार झटकों से मेरी चूत चोद रहे थे।
    उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया।

    मेरे कसे हुए मम्मों की बनावट ऐसी है कि उन्हें देखकर कोई भी उन्हें दबाने के लिए तैयार हो जाए। शायद यही वजह है कि चुदाई के वक्त उन पर कुछ ज्यादा ही जुल्म होता था और शायद इसी वजह से वो ज्यादा आकर्षित दिखने लगे थे।

    रवि लगातार मेरे मम्मों को दबा रहे थे और अपने धक्कों से मेरी चूत को बेहाल कर रहे थे।

    मेरे मुँह से सीत्कारों का तो जैसे पिटारा ही खुल गया था, मेरी सिसकारियाँ उनको बहुत ही उत्तेजित कर रही थीं- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. रवि ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदददो फक्ककक मीईई रवि..

    मेरी इस तरह की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं।

    मैं अपनी चुदाई में इतनी मशगूल थी कि मुझे रोहन के होने का आभास तक नहीं था।

    रवि के तेज धक्कों की वजह से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं ना चाहते हुए भी झड़ने लगी। झड़ते समय मेरे दोनों हाथ रवि के हाथों को जकड़े हुए थे.. जिससे रवि मेरे मम्मों को दबा रहे थे और मैं चिल्लाते हुए झड़ने लगी।

    मेरे झड़ने के बाद रवि ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझे घोड़ी बनने का बोला।
    मैं घुटनों के बल बैठकर घोड़ी बन गई, मेरी गाण्ड रवि की तरफ थी।

    रवि ने पहले तो मेरी गदराई गाण्ड को अपने हाथों से सहलाया और फिर अपने लण्ड को मेरी चूत पर रखकर धक्के देना शुरू कर दिए।

    रवि के धक्के लगातार बढ़ते ही जा रहे थे और वो और तेजी से मुझे चोद रहे थे। मैं भी अब उनके हर धक्कों पर अपनी गाण्ड को पीछे कर रही थी.. जिससे उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में उतर जाता था।

    थोड़ी देर इसी तरह चोदने से उनका भी स्खलन होने लगा और वो झड़ने लगे। झड़ते समय उन्होंने अपने झटकों की गति को और तेज कर दिया और फिर मैं भी उनके साथ साथ झड़ने लगी।
    झड़ने के बाद रवि वैसे ही मेरे ऊपर लेट गए और मुझसे बोले- सोना.. हमारी शादी को इतने साल हो गए.. पर तुम आज भी पहले से ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी हो।

    उनकी इस बात पर हम दोनों खूब हँसे और फिर वो मेरे मम्मों को छेड़ने लगे।
    कुछ पलों के बाद रवि उठकर बाथरूम जाने लगे।

    उनके जाते ही मैं नंगी ही बिस्तर से उठी और मैंने रोहन को बाहर आने का बोला।
    रोहन के बाहर आते ही मैंने उसे उसके रूम में जाने को कहा।

    चार-पांच मिनट बाद रवि कमरे में आए और हम लोग वैसे ही सो गए।

    सुबह रोज की तरह मैं उठी.. उठते ही मैंने अपना गाउन पहना और फिर रवि का लंच तैयार करके उन्हें ऑफिस भेजा।
    उसके बाद मैं रोहन के कमरे में गई और उसे जगाया।

    उसके बगल में मेरी काली पैंटी पड़ी हुई थी। मैंने उसे उठाकर देखा तो वो बिल्कुल गीली थी और उसमें से वीर्य की खुश्बू आ रही थी।

    मैंने रोहन को उठाकर पूछा- तूने इसमें कितनी बार मुठ मारी.. जो ये अभी तक गीली है?
    रोहन बोला- मम्मी कल रात से मैं आपको याद कर करके चार बार मुठ मार चुका हूँ। जब पापा आपको चोद रहे थे उसी टाइम मैंने दो बार आपकी पैंटी में मुठ मारी और फिर कमरे में आकर भी लौड़ा हिलाया। मेरा बहुत मन कर रहा था आपको चोदने का.. इसलिए फिर से मुझे मुठ मारकर ही काम चलाना पड़ा।
    मैं हँस दी।

    फिर रोहन बोला- थैंक्स मम्मा.. आप मेरी हर बात मानती हो.. कल आप ही की वजह से मैं ऐसा नज़ारा देख पाया हूँ। मम्मा.. जब पापा आपको चोद रहे थे.. उस समय आप गजब की सेक्सी लग रही थी और आपकी सिसकारियाँ मुझे भी आपको चोदने के लिए मजबूर कर रही थीं.. पर मैं आपको नहीं चोद पाया।

    तो मैं हँसते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरे राजा बेटा.. आज तू और मैं मिलकर कल रात की सारी कसर को पूरा कर लेंगे।

    मेरे इतना बोलते ही उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और फिर हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए और फिर रोहन ने उस दिन लगातार तीन बार मुझे चोदा।
     
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