प्रियंका ने जो चाहा वो पाया-1

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 1, 2017.

  1. 007

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    मेरा भी शुरू से यह मानना है कि सेक्स, उत्तेजना और कामुकता का भाव आना और उस दौरान की जाने वाली सभी गतिविधियाँ जैसे लड़को-लड़कियों द्वारा किया जाने वाला हस्त-मैथुन एक सामान्य प्रक्रिया है। सेक्स का यह अहसास स्त्री-पुरुष के रूप में ही परिभाषित है, वहाँ न कोई मालिक-नौकर का भेद है, ना अमीर-गरीब का और तो और ना ही यह रिश्ते देखता है, बस हो जाता है।

    ऐसा ही एक वाकया मुझे मेरी एक पाठिका ने बताया जिसका नाम प्रियंका है। उसका सरनेम और शहर में यहाँ नहीं लिखूँगा।

    उसने जो लिखा यह भी एक अजीबोगरीब फेंटेसी, कल्पना का ही हिस्सा है, जो सुनने में अजीब लगती है पर यह सदियों से चली आ रही है और प्रियंका इन दिनों लगातार मेरे संपर्क में है, उसके कहने से ही मैं उसके साथ घटे इस वाकये को यहाँ एक कहानी के रूप में लिख रहा हूँ। इसके लिए उसने मुझे अपने कुछ फोटोग्राफ भी मेल किये थे जिनसे मुझे उसके रंग-रूप, अंग-प्रत्यंग और शारीरिक बनावट के बारे में अनुमान लगा, जो इस तरह की उत्तेजक कहानियों का जरूरी हिस्सा भी होता है।

    तो यहाँ सबसे पहले मैं आपको प्रियंका के बारे या कहें कि उसके रंग-रूप के बारे में उसके शारीरिक गठन के बारे में विस्तार से बता देता हूँ। मैंने उसके विभिन्न तरह के चित्र देख कर अनुमान लगाया कि वह एक बहुत ही ज्यादा गोरी, गदराये हुए बदन वाली थोड़ी तंदुरुस्त लड़की है, जिसके बाल काले घने, नैन-नक्श तीखे तो नहीं पर आकर्षक हैं, वो मेकअप करने की बहुत शौकीन है क्योंकि उसकी स्टाइलिश आई-ब्रो, आई लाइनर और लिपस्टिक सब कुछ लाजवाब दिख रहे थे, जैसे कोई मॉडल हो। उसके सभी चित्र हॉट निक्कर, केप्री और डोरियों वाले विदाउट स्लीव्स टॉप में ही थे, उसका शारीरिक नाप-तोल गजब हैं, वक्ष उसकी उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही विकसित प्रतीत हो रहे थे, नेकर और केप्री जिस हिसाब से उसके कूल्हों में फंसे हुए थे, उससे यह भी पक्का था कि उसके चूतड़ या कूल्हे भी कयामत ही होंगे।

    मैं अपने पाठकों को उसका सही अनुमान लगाने के लिए एक इशारा देता हूँ, जिससे इस रोमांचक किस्से को पढ़ते समय वे प्रियंका की एक छवि अपने दिमाग में बसा सकते हैं, वो काफी कुछ फिल्मों में नई आई हुई एक बहुत खूबसूरत अभिनेत्री 'हुमा कुरैशी' से मिलती जुलती सी है। यह तो बात हुई प्रियंका की, अब मैं उसकी फेंटेसी की बात करता हूँ जो उसने मुझे सुनाई।

    वो एक करोड़पति परिवार से ताल्लुक रखती है, एक आलिशान महलनुमा घर में रहने वाली, पूरे घर में सभी कामों के लिए खूब नौकर चाकर, ड्राइवर और माली रखे हुए थे।

    वो हमेशा शाही शान और शौकत से रहने वाली, बड़ी बड़ी पार्टियों, रिसोर्ट और क्लब में शिरकत करने वाली, हमेशा रईस और दिखावे वाले लोगों से घिरी रहती थी। पर उसे इन सब से बहुत चिढ़ होती थी, उसकी 'यौन तृष्णा' यानि सेक्सुअल फेंटेसी उन लोगों से बिल्कुल ही उलट, गरीब, साधरण शक्ल-सूरत वाले, काले-कलूटे, पसीने से भीगे बदन वाले मजदूर या नौकर को देख कर हुआ करती थी, यहाँ तक कि उसने बताया कि इंटरनेट पर भी वो हमेशा अफ्रीकन पुरुषों के नंगे बदन वाले फोटो को बैठ कर घंटों निहारती रहती थी और अभी हाल में ही संपन्न हुए इलाहबाद कुम्भ में नंगे जटाधारी साधुओं को देखने में भी कामुक उत्तेजना महसूस करती थी।

    तो चलिए अब हम उसके किस्से की तरफ आते हैं जो उसने मुझे सुनाया और अब मैं उसे यहाँ एक कहानी के रूप में आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।

    उसके साथ यह घटना देहरादून में घटी, जहाँ उनका एक आलिशान बंगला है, उसके पापा वहाँ अपने काम के सिलसिले में जा रहे थे तो वो भी उनके साथ जिद करके वहाँ स्टडी करने के लिए चली गई। प्रियंका के पापा काम के सिलसिले में बहुत व्यस्त रहा करते थे और वो अकेली बंगले में रह सकती थी क्योंकि वहाँ नौकर-चाकर, चौकीदार वगैरा सब रहते हैं।

    उसका कमरा सबसे ऊपर था और उसके पीछे की तरफ एक बड़ी सी बालकनी थी जहाँ से दूर दूर तक उनके बंगले का घना और पेड़ों से घिरा हुआ बगीचा दिखाई देता था।

    उस दिन सुबह दस बजे के करीब वो अपने सारे कपड़े उतार पूरी नंगी होकर नहाने के लिए बाथ रूम में घुसी, वहाँ लगे बड़े से शीशे में अपने निर्वस्त्र नग्न बदन को निहारा और फिर शावर चला कर उसके नीचे खड़ी हो गई। उसने अपने बालों में महंगा शैम्पू लगा कर खूब झाग बनाए, पूरे बदन पर खूब सारा बॉडी शैम्पू मल कर वो ऊपर से नीचे तक झाग ही झाग से सराबोर हो गई।

    तभी उसे बाहर से जोर जोर से ठक-ठक, ठक-ठक की आवाजें लगातार आने लगी।

    उसे समझ नहीं आया कि पीछे बगीचे में कौन है और ये ठक-ठक की आवाजें किस वजह से आ रही हैं, उसने बाथरूम की खिड़की से देखने का प्रयास किया तो वहाँ उसे कोई आदमी दिखाई दिया। वहाँ एक काला कलूटा सा आदमी या कहें कि लड़का था जो उघड़े बदन था। उसने नीचे की तरफ सिर्फ एक धोती लपेट रखी थी और वो पसीने से तरबतर था।

    वो कुल्हाड़ी लेकर पीछे के बेतरतीब बढ़ चुके पेड़ों की शाखाओं को काट रहा था।

    उसका बदन बहुत ही कसरती था, छाती पर बाल थे और जब वो पूरी तरह से कुल्हाड़ी ऊपर उठा कर पेड़ की डाल पर मार रहा था तो देखा कि उसके बाहों के नीचे बगलों में भी घने बालों का गुच्छा था।

    और यही सब बातें प्रियंका को बहुत ज्यादा उत्तेजित भी करती थी और वो इस समय बिल्कुल निर्वस्त्र और भीगी हुई खड़ी थी वो एक टक उसे निहारने लगी और उसके हाथ बरबस अपने वक्ष पर कसने लगे, उसे बहुत अच्छा लग रहा था, ऐसे ही रफ टफ, खुरदुरे और मजदूर जैसे लोग उसे ना जाने क्यों बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करते थे, वो अपना नहाना भूल गई और एक टक उसे देखे जा रही थी और अब उसने बाथरूम की खिड़की बहुत अच्छे से खोल ली, अब वो उसे ज्यादा अच्छे से देख पा रही थी और वो इस बात से बिल्कुल निश्चिन्त थी कि वो मजदूर युवक उसे नहीं देख पा रहा था।

    और तब उसने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत की तरफ सरकाना शुरू किया, पूरा बदन वैसे ही साबुन की वजह से चिकना हो रहा था,

    और अब तो चूत के अंदर तक भी उसे कुछ चिकना सा द्रव निकलता सा प्रतीत हुआ।

    हम सब जानते हैं कि चूत के इस तरह से गीला होने का क्या मतलब होता है, उसका गीला बदन भी अब वासना की आग में जलने लगा था, अब वो और जोर जोर से और दबा कर अपनी चूत को सहलाने और मसलने लगी।

    तभी उस मजदूर ने अपनी कुल्हाड़ी एक तरफ रखी और पास ही पड़े एक टूटे से जग को उठा कर पानी पिया। टूटे होने की वजह से जग का कुछ पानी उसके मुँह, गर्दन, छाती और पेट से होकर बहता हुआ नीचे आ रहा था, जो उसे और भी ज्यादा उत्तेजक बना रहा था।

    पानी पीने के बाद उसने अपनी धोती खोलने का उपक्रम किया और बालकनी के नीचे वाले कोने की तरफ बढ़ने लगा।

    प्रियंका फट से समझ गई कि वह उस जगह पेशाब करने जा रहा है। और वो कोना उसे अपने बाथरूम से दिखाई नहीं देता था। प्रियंका वासना की आग में बुरी तरह से तप चुकी थी और उसके लंड को देखने का मौका गंवाना नहीं चाहती थी, इसलिए बिना सोचे समझे, सारी लाज-शर्म भूल कर वैसे ही नग्नावस्था में बाथरूम से बाहर निकल कर बालकनी की ओर भागी। पूरे बदन पर, बालों पए साबुन के झाग थे, पर वो बेपरवाह भाग कर बालकनी में जा पहुँची उसकी उत्तेजना और उत्सुकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके पूरी तरह से धोती खोल कर चड्डी उतारने से पहले ही वो वहाँ पहुँच चुकी थी उसके लंड के दीदार करने के लिए ! बालकनी तक भी खूब घने घने पेड़ और शाखाएँ थी वो उनकी आड़ में जा छुपी और अब अपने एक पैर को फैला के अपनी एक उंगली को चूत के अन्दर तक घुसा कर उसके चड्डी से बहर आते हुए लंड को देखने लगी।

    और जब लंड बाहर आया तो.

    उसकी तो जैसे साँसें ही तूफ़ान बन गई, दिल जोर जोर से धड़कने लगा, वो खुद जितना काला था उससे भी कहीं ज्यादा काला उसका लंड था जो सामान्य सुप्त अवस्था में ही काफी बड़ा दिख रहा था, ना जाने उसने कब से अपना पेशाब रोका हुआ था, क्योंकि एकदम से तेज़ धार छूटी और उसने चैन की सांस ली। पेशाब करने के दौरान वो अपनी घनी, गंदी और उलझी झांटों के बाल नौचता रहा और टूटे हुए जो बाल उसके हाथ में आये, उन्हें फूंक मार के हवा में उड़ाता रहा।

    और उधर ऊपर नंगी पुंगी खड़ी प्रियंका उस गंदे इंसान के लंड को देख कर पगला ही गई और जब तक उसने मूतने के बाद लंड को वापिस कच्छे के अंदर नहीं घुसा लिया, वो देखती रही।

    अब वो हस्तमैथुन करने लगी थी, वो वहीं बालकनी में फ़र्श पर पसर गई अपने पैरों को चौड़ा करके !

    तभी तेज़ बादल गरजे, देहरादून में उन दिनों बारिश का मौसम था, और पानी की बौछारें उसके नंगे बदन पर गिरने लगी और उसके जिस्म से साबुन और झाग बह बह के जाने लगे और उसका दूधिया नंगा बदन खिलने लगा। उसके हाथ अब तेज़ी से उसकी योनि पर चल रहे थे और दिमाग यह सोच रहा था कि अब इस काले मजदूर को कैसे अपना गुलाम बनाया जाए, उससे अपना बदन मसलवाया जाए !

    और फिर धीरे धीरे उसके दिमाग में एक योजना बनने लगी, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई, और फिर उसने बालकनी के उस खुरदुरे फर्श पर अपने मांसल कूल्हे उछाल उछाल कर और एक पेड़ की शाखा को अपनी चूत से रगड़ रगड़ कर हस्तमैथुन संपन्न किया और देर तक यूहीं बालकनी में नंग धडंग पड़ी रही, भीगती रही।
    नहाते समय उसने जो कुछ देखा, महसूस किया और उसके बाद खुले आसमान के नीचे गंदी सी पड़ी बालकनी के खुरदरे फर्श पर किये हस्त-मैथुन ने उसे असीम आनन्द प्रदान किया था।

    दोपहर के खाने के समय भी वो यही सब सोचती रही, फिर दिन में जब वो सोने गई, तो फिर उसे वही काला, मजदूर और उससे भी ज्यादा काला उसका लंड उसके मन मस्तिष्क पर छा गए और उसे सोने नहीं दिया, एक बार फिर से उसका हाथ सरकते हुए अपनी चूत पर चला गया, लेकिन उस बेफकूफ को पता नहीं था कि नारी शरीर में योनि वो स्थान है जिसे छूने से वासना की आग कम नहीं होती बल्कि और ज्यादा भड़कती है।

    और वही उसके साथ भी हुआ, एक एक करके फिर सारे कपड़े उतरते गए उतरते गए और वो एक बार फिर से पूर्ण नग्न हो गई और अपने आप को खुद की चूत सहलाने से रोक नहीं पाई, पलंग पर उलट-पलट होने लगी, बुरी तरह से वासना की आग में तड़पने लगी और एक बार फिर हस्त-मैथुन करते हुए, मन ही मन कुछ निश्चय किया।

    उसने दोपहर के चाय के समय अपने रसोइये को बुलाया और फरमान किया- बंगले में इन दिनों जितने भी नौकर काम कर रहे हैं, सभी को मेरे सामने हाज़िर करो तुरंत !

    रसोइया घबरा गया- क्या बात है मेम साब, सब ठीक तो है, किसी से कोई गुस्ताखी तो नहीं हुई न?

    प्रियंका बोली- जो कहा है, वो करो ! मुझे भी तो मालूम होना चाहिए कि घर में कौन कौन है और कैसे कैसे है।

    "जी मेम साब !" बोल कर रसोइया चला गया और थोड़ी देर में ही घर के तीन नौकर वहाँ हाज़िर थे, पर उनमें वो उत्तेजक काला पुरुष नहीं था।

    वो बोली- कौन नहीं आया?

    रसोइया बोला- मेम साब सब आ गये हैं, यह दीनू है घर के अंदर की साफ़ सफाई करता है, यह रामू है माली का काम देखता है और ड्राईवर शंकर है जिसे आप जानती हैं, वो बड़े साब को लेकर बाहर गया है।

    उसने कहा- तो कल पीछे के पेड़ और डालियाँ कौन काट रहा था, वो कहाँ गया, वो कौन है?

    माली बोला- मैडम जी वो राजेश है, मेरा भांजा है, कुछ दिनों के लिए यहाँ आया है, दिन भर कमरे में फालतू बैठा रहता था, इसलिए उसे काम पर लगा दिया, वैसे भी उसे कसरत करने का शौक है, मैडम जी उसने कोई गुस्ताखी तो नहीं की ना आपके साथ? उसे ड्राइविंग बहुत अच्छी आती है, आप लोग आ रहे थे तो इसे काम में सहायता के लिए बुला लिया और साब की मेहरबानी होगी तो इसे कोई काम दिलाने को उनसे बोलूँगा।

    प्रियंका बोली- उसे बुलाओ !

    "जो हुकुम मैडम जी !" कहते हुए माली गया और कुछ ही देर में वो काला शख्स जिसने उसके होश उड़ा दिए थे वो हाज़िर था, वो कसरती बदन वाला बन्दा इस समय सकपकाया सा आकर उसके सामने खड़ा हो गया।

    उसने उसे ऊपर से नीचे तक तेज़ और तीखी नजर से बहुत गौर से देखा, और फिर उसकी धड़कने तेज़ हो गई, लेकिन अपने आप पर काबू पाते हुए उसने कहा- ओके ! जब तक मैं यहाँ हूँ, यह मेरे काम करेगा, वैसे भी पापा का ड्राईवर उनके साथ ही बिजी रहता है। अब तुम लोग जाओ, मैं इससे कुछ बात करती हूँ।

    माली अपने भांजे को समझाते हुए बोला- देख राजू, जो जो मैडम जी कहें, वो सब बात अच्छे से सुनना और और इनका हुकुम बजाना ! समझा, कोई शिकायत का मौका मत देना !

    प्रियंका यह सब सुन कर मन ही मन मुस्कुराने लगी।

    फिर वो सब लोग चले गए, और वो अकेला ही वहाँ रह गया।

    सबके जाने के बाद प्रियंका अपने बदन से लापरवाह होकर पास ही पड़े सोफे पर पसर कर बैठ गई। उसने इस समय छोटी और कसी केपरी पहन रखी थी और एक बिना बाहों वाला टॉप पहन रखा था, बाल खुले हुए थे, कपड़ों से बाहर निकलती उसकी गोरी गोरी बाहें और पिंडलियाँ बहुत सेक्सी लग रही थी और ऊपर से उसके बैठने का सेक्सी अंदाज़ अब उस काले नौकर राजेश को भी बेचैन करने लगा था।

    यह बात प्रियंका ने भी भांप ली थी, उसे और उकसाते हुए उसने अपने पैरों को एक दूसरे से रगड़ते हुए कहा- कल तुम पीछे क्या खट-खट कर रहे थे?

    वो घबराते हुए बोला- मैडम जी, उधर बहुत पेड़ बढ़ गए थे और फ़ैल रहे थे इसलिए उनकी छंटाई कर रहा था।

    प्रियंका बोली- तो पूरी तरह से क्यों नहीं किये? वहाँ तो अभी भी काफी डालियाँ बेतरतीब बढ़ रही हैं?

    वो तुरंत बोला- आप बताइये मैडम, कल सुबह वो भी कर दूँगा।

    वो बोली- ओके, आओ मेरे साथ !

    और अपनी लो वेस्ट केपरी को सोफे पर तेज़ दबाते हुए जानबूझ कर इस तरह से उठी कि वो उसकी कमर से काफी नीचे तक खिसक गई और उसके कूल्हों की गोलाइयाँ और उनकी गहरी विभाजन रेखा थोड़ी बहुत दिखाई देने लगी और वो उसके आगे कूल्हे मटकाते हुए चलने लगी, अब वो और ज्यादा उत्तेजक दिख रही थी।

    अब प्रियंका का चेहरा तो आगे था, राजेश की निगाहें उसके चूतड़ों पर ज़म कर रह गई और यही वो चाहती भी थी।

    बंगले के पिछवाड़े पहुँच कर उसे अपने बाथरूम की खिड़की के बाहर का हिस्सा दिखाया, जहा शाखाओं और पत्तों का बहुत झुरमुट हो रहा था।

    उसने कहा- मेडम मुझे इसके लिए वहाँ चढ़ कर ही काटना पडेगा, कल कर दूँगा।

    इसके बाद वो चला गया और प्रियंका अगली सुबह की योजना बनाने लगी।
    वो एक बहुत ऊँचे रसूख वाली और रईस लड़की थी, उस नौकर के साथ में वो खुद पहल करना नहीं चाहती थी, इसलिए उसने यह खेल रचा था।

    अगले दिन वो बाथरूम में गई और उस जगह को खाली किया जहाँ से उस खिड़की से साफ़ दिखाई देता था, क्योंकि आज वो उसी जगह पर नहाने वाली थी, और साइड की खाली जगह पर अपने मेकअप किट से एक छोटा सा शीशा ऐसे कोण से रखा कि वो खुद खिड़की का नज़ारा देख सकती थी और बाथरूम की सभी तेज़ लाइट्स उसने ऑन कर दी।

    देहरादून में उस समय बारिश का मौसम था घने काले बादल की वजह से दिन में भी काफी अन्धेरा हो जाता था, ऊपर से शाखाओं और पत्तों का झुरमुट की वजह से वो नौकर वहाँ आसानी से उसे छिप कर पूरे इत्मिनान से देख सकता था।

    अब वो अपने नहाने की पूरी तैयारी करके पूरी बत्तियाँ बन्द करके बैठ गई, बाथरूम में अँधेरा होते ही उसे खिड़की के बाहर दिखाई देने लगा था, उसकी धड़कने तेज़ हो रही थी, एक बार को तो उसे लगा कि क्या वो सही कर रही है? उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी, पर दोस्तो, इतिहास गवाह के दो विपरीत चीज़ों में जबरदस्त आकर्षण होता है। पाठको, आपने एक बहुत ही प्रसिद्ध और अपने ज़माने की निहायत ही खूबसूरत और जांबाज़ मुस्लिम शासिका 'रज़िया सुलतान' का नाम जरूर सुना होगा जिसे अपने अस्तबल में काम करने वाले काले हब्शी गुलाम से प्यार हो गया था, और जिसे पाने के लिए उसने अपनी हैसियत और सल्तनत की भी परवाह नहीं की, इस पर एक बेहतरीन फिल्म भी बन चुकी है जिसमें ये किरदार क्रमश: हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र ने निभाये थे।

    चलिए हम तो अभी प्रियंका की ही बात करें, वो मन पक्का करके बाथरूम से बाहर निकलने ही वाली थी कि उसे उस खिड़की में कोई आहट सुनाई दी और उसके कदम वहीं रुक गये।

    उस पर एक बार फिर से कामवासना का नशा चढ़ने लगा, सारी शराफत, डर और शर्म ना जाने कहाँ चले गए, उसने उस शीशे से उस की स्थिति का जायजा लिया, वो सिर्फ एक बनियान और धोती में बिलकुल बाथरूम की खिड़की के सामने ही था, यानि अब वो जैसे ही बाथरूम की रोशनी चालू करती, उस नौकर को बाथरूम का पूरा नज़ारा साफ़ साफ़ नजर आने वाला था और साथ में ही वो खुद भी !

    फिर उसने हिम्मत करके सभी बतीयाँ जला दी, और एकदम बेफिकरी के साथ अपना तौलिया खूँटी पर टांग दिया। उसने इस समय एक नाइटी पहन रखी थी। उसने गीज़र चलू किया और कोई गाना गुनगुनाने लगी। फिर उसने एक सरसरी सी निगाह उस शीशे पर डाली कि लाईट ओन होते ही वो कहीं डर के मारे भाग तो नहीं गया।

    पर वो राजेश वहीं मौजूद था, हालांकि बाथरूम की तेज़ लाईट की वजह से अब सिर्फ उसकी एक झलक ही दिखाई दे रही थी, पर पता चल रहा था कि वो अब पत्तों की ओट से उसे ही देख रहा था।

    प्रियंका एकाएक ही बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी, उसने अपनी नाइटी उतार कर एक तरफ रख दिया, अब वो मात्र पेंटी और ब्रा में ही थी। फिर उसने अपने बालों को लपेट कर सिर पर जूड़े की तरह बांध लिया और शावर कैप पहन ली फिर अपनी ब्रा का हुक खोलते हुए उसे अलग किया, वो किसी के देखे जाते हुए अपने आपको निर्वस्त्र करने के अहसास मात्र से बहुत रोमांचित हो रही थी, उसने इसके तुरंत बाद ही अपनी पेंटी भी उतार डाली और अपने आप को पूरी नंगी कर लिया।

    फिर उसने एक मादक सी अंगड़ाई ली, उसे खिड़की में कुछ हलचल सी महसूस हुई, वो समझ गई कि उसकी हालत खराब हो चुकी होगी

    उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, उसे और ज्यादा तरसाने के लिए उसने अपने नंगे जिस्म पर एक लोशन लगाना शुरू किया। अभी तक उसकी पीठ खिड़की की तरफ थी, वो उसके भारी नितम्ब देख चुका था, अब वो अचानक घूम गई अब उसके उन्नत वक्ष और योनि उसके सामने थी।

    उसे फिर एक सिसकारी की सी आवाज उस तरफ से आई पर वो उसे नज़रंदाज़ करती हुए, अपने उरोजों, बगल, और पेट पर लोशन मलती जा रही थी, अब उसकी शर्म झिझक सब जा चुकी थी और उसे बहुत मज़ा आ रहा था, अब वो अपनी नाभि के आसपास और जांघों को मसलती हुई पूरी टाँगों पर लोशन लगा रही थी।

    फिर उसने अपनी चूत को अच्छे से मसला, और पूरे बदन पर लोशन लगने के बाद उसका समूचा नंगा बदन तेज़ रौशनी में बहुत ही चमक रहा था और वो एक नग्न अप्सरा लग रही थी।

    फिर उसने शावर का गर्म पानी चेक किया और शावर चला कर अब वो बहुत ही उत्तेजक अदाएँ बना बना कर नहाने लगी, अपने स्तन, कूल्हे और चूत सब रगड़ते हुए !

    उधर खिड़की पर उस नौकर का शायद बंटाधार हो गया था क्योंकि वहाँ से डाल टूटने की और पत्तों की तेज़ आवाज आई।

    प्रियंका ने एकदम से चिल्ला कर पूछा- कौन है?

    "कौन है वहाँ?"

    और लपक के अपनी नाइटी उठा कर अपना नंगा बदन छिपाने का नाटक किया और बाथरूम से बाहर भागी। उसके जबरदस्त सेक्सी कारनामे का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका था।
    प्रियंका के अभी तक के दोनों सेक्स अनुभव बाथरूम में ही हुए थे और वो भी अकेले ही हुए थे, और बहुत ही अच्छे हुए थे और उसने बहुत एन्जॉय भी किया था।

    अब वो इसे बेडरूम तक लाना चाहती थी, और वो भी अकेले नहीं उस काले नौकर के साथ जिसने उसकी नींद उड़ा रखी थी।

    आगे की पूरी योजना उसके दिमाग में तैयार थी और प्रियंका की नग्न देह के दर्शन करने के बाद वो नौकर भी अब उसके काबू में था।

    और मौका भी अगले ही दिन मिल गया।

    प्रियंका के डैडी के एक दोस्त कर्नल साब का बंगला थोड़ी ही दूर पर था और वहाँ एक शराब-कवाब की पार्टी थी, वहाँ यह सिस्टम था कि जब भी किसी के यहाँ कोई पार्टी होती थी, आस पास के बंगले के नौकर वहाँ काम करने जाते थे, उनके यहाँ से भी नौकर जाने थे, लेकिन प्रियंका के घर पर रहने की वजह से उसके डैडी ने एक नौकर को उसकी हिफाज़त और चाकरी के लिए वहाँ छोड़ने का निर्णय किया, और सब नौकरों में राजेश ही जवान और हट्टा कट्टा था तो प्रियंका ने उसका ही नाम सुझाया।

    वो उस दिन की घटना के बाद सकपकाया हुआ था, उसे शक था कि प्रियंका को सब पता चल गया है इस लिए वो डर भी रहा था।

    लेकिन प्रियंका के डैडी ने उसे उस दौरान घर में प्रवेश की इजाज़त नहीं दी, उसे बाहर रह कर ही देखभाल करनी थी और पूरी रात सोना भी नहीं था।

    प्रियंका को कहा गया कि वो घर के अंदर ही रहेगी और अंदर से पूरी तरह से लॉक करके रखेगी। प्रियंका ने मुस्कुरा कर सहमति में सर हिला दिया और शाम होते होते उसके अलावा सब नौकर चले गये और रात आठ बजे प्रियंका के डैडी भी चले गए।

    अब पूरे बंगले में सिर्फ वो दो ही बचे थे, राजू जैसे ही बंगले का बड़ा फाटक बंद करके अंदर आया, वहाँ प्रियंका खड़ी थी, वो एकदम से सकपका गया और हकलाते हुए बोला- मैडम जी, आपको घर के अंदर रहना चाहिए !

    वो तेज़ आवाज में बोली- यह बात तू मुझे बताएगा कि मैं कहाँ रहूँ? तू नौकर है नौकर की औकात में रह ! समझा?

    वो फिर हकलाते हुए बोला- मैडम, मालिक साब बोल के गये हैं।

    वो फिर तेज़ आवाज में बोली- अभी मैं हूँ तेरी मालकिन ! चुपचाप अंदर चल, तेरे से कुछ हिसाब करना है !

    वो डरते डरते उसके पीछे अंदर आ गया और चुपचाप एक कोने में खड़ा हो गया।

    वो शान से एक सोफे पर बैठ गई और बोली- हाँ, अब बोल ! उस दिन बाथरूम की खिड़की से मुझे देखने की हिम्मत कैसे हुई तेरी?

    "वो.. मैं. मैं.. वो..!"
     
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