ममता की घमासान चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 1, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

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    यह मेरी पहली कहानी है, अगर कहानी में कोई त्रुटि हो तो मुझे माफ कर देना।
    सर्वप्रथम मैं आपको अपना परिचय दे दूँ। मैं सामान्य परिवार का एक लड़का हूँ मेरा नाम अमित है। मैं 25 साल का हूँ और मैं एक शासकीय सेवा में हूँ।
    मैं दिखने में गोरा हूँ और आकर्षक हूँ, कई लड़कियाँ तो मुझ से बस ट्रेन में ही पट जाती हैं। मेरा कद 5'6″ है और मेरे लन्ड का नाप 7 इन्च है।
    मैं बहुत ही कामुक मिजाज का हूँ और पल में किसी से भी दोस्ती करने का कौशल रखता हूँ।

    तो बात है इसी सर्दी के मौसम की.. जब में छुट्टियों में अपने घर गया तो मैंने देखा कि मेरे घर पर एक लड़की बैठी थी, जो करीब 22 या 23 वर्ष की रही होगी।

    मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया। वह बहुत ही मस्त थी और उसके उरोज निम्बू के आकार के छोटे-छोटे, पर बहुत ही मस्त थे।
    वो दुबली-पतली थी, मगर मस्त माल थी और कुछ तो मुझे इसलिए भी मस्त लग रही थी क्योंकि काफी दिन से कोई लड़की हाथ नहीं लगी थी।

    वो भी मुझे देखते ही मुस्कुरा दी थी क्योंकि उसके सामने मेरे घर पर मेरी मम्मी और भाभी शायद मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ कर चुके थे।
    मेरे घर वाले वैसे भी मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ करते हैं तो उसके मन में भी मुझसे मिलने की उत्सुकता बढ़ गई होगी।

    उसने साड़ी पहन रखी थी, थोड़ी देर बाद मुझे पता चला वो हमारे दूर के रिश्तेदार की लड़की ममता है, वो शादीशुदा है और हमारे शहर में किसी कार्यक्रम में आई है।

    थोड़ी औपचारिक बातों के बाद सब सामान्य हो गया।

    हमारे यहाँ कमरे में एक दीवान लगा है, जिस पर मम्मी, मैं और ममता बैठे थे। उस दीवान के सामने ही टीवी रखी है। उस समय भाभी रसोई में काम कर रही थीं।

    शाम के 7 बजे थे, सर्दी कड़ाके की थी।

    हम सब रजाई में घुस कर बैठे थे। मेरा शैतानी दिमाग यही सोच रहा था कि कुछ किया जाए, पर कैसे? मम्मी के होने की वजह से मैं कुछ कर भी नहीं सकता था।

    इतने में कामदेवता ने मेरी सुनी और भाभी ने मम्मी को सब्जी बनाने को बुला लिया।

    मैंने राहत की सांस ली और रजाई के अन्दर अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़ने की कोशिश करने लगा।
    मेरा दिल जोर से धड़क रहा था और डर भी लग रहा था, पर आदत से मजबूर था।

    मेरा हाथ एक बार उसके हाथ पर टकराया भी, उस समय मेरी और उसकी नजरें टीवी पर ही थीं।
    आज टीवी मेरा बहुत साथ दे रही थी मेरा ध्यान तो बस इसमें था कि कैसे भी मैं उसके हाथ को पकडूँ।

    मैं कई कहानियों में पढ़ चुका हूँ कि सीधे बात चुदाई पर पहुँच जाती है, पर मेरे हिसाब से ऐसा नहीं होता।

    मैंने बहुत हौले-हौले से उसके हाथ पर अपनी एक ऊंगली स्पर्श करते हुए रखी थी। वो भी हाथ नहीं हटा रही थी, तो मुझे लगा कि उसकाभी मन है।

    अब आगे कैसे बढ़ता.. कहीं वो भड़क ना जाए..? यह सोच कर मन मारकर एक ही उंगली के स्पर्श का मजा ले रहा था।
    फिर मैंने अपना पैर भी उसके पैर पर स्पर्श कर दिया।

    अब मुझे दोहरा मजा आ रहा था और वो भी कुछ नहीं कह रही थी। अब मैंने उसकी उंगली पकड़ कर दबा दी।

    मैं बहुत डर गया जब वो हल्का सा दूर को सरक गई।

    मैंने डर कर उंगली छोड़ दी पर मैंने महसूस किया कि उसने हाथ नहीं हटाया था।

    मुझे बहुत खुशी हुई.. मैं कई लड़कियों को चोद चुका हूँ, पर वो ऊंगली पकड़ने का मजा ही कुछ अलग था। बोलते हैं ना.. मुफ्त में मिली मलाई कौन छोड़ता है।

    मेरा पैर अब भी उसके पैर पर लग रहा था।

    मैं इतना भी चूतिया नहीं था कि उसके हाथ नहीं हटाने का मतलब नहीं समझता। मैंने उसका पूरा हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगा।
    हम दोनों की नजरें अब भी टीवी पर टिकी थीं।

    मेरी हिम्मत अब बढ़ गई और मैंने पैर को उसके पैरों पर फेरा और हाथ से उसके हाथ और उंगलियों को सहलाता रहा।

    मैंने अचानक उसका हाथ छोड़ा और उस हाथ से उसका एक उरोज मसल दिया, वो तड़प उठी 'उई.'

    वो चिल्लाते-चिल्लाते रूकी.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, पर अब मैं कहाँ मानने वाला था, फिर भी मेरे ऊंगलियाँ उसके उरोजों को सहलाती रहीं।

    अब मैंने दूसरे हाथ से उसके उस हाथ को पकड़ कर अलग किया और एक हाथ से उसका दूध जोर से मसल दिया, वो हल्का सा 'सी.. सी' करने लगी।

    मेरी यही आदत है एक बार लड़की पटने के बाद छोड़ता नहीं हूँ। अब उसकी नजर टीवी पर और मेरी नजर रसोई की ओर थी।

    मेरे एक हाथ में उसका हाथ और दूसरे हाथ में उसके मस्त चीकू थे, उसके बोबे छोटे थे पर मस्त थे।

    मैं अब अपनी औकात पर आ गया था। मैंने उसके चूचियों को खींचते हुऐ उसे अपने पास को किया और उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा।
    मेरा ध्यान लगातार रसोई की तरफ था और मैं उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचुकों को खींच रहा था।

    मुझे उसके चिल्लाने और सिसकारियों की भी परवाह नहीं थी क्योंकि हमारा रसोई पीछे थोड़ा दूर को था और मेरी नजर भी उसी तरफ थी।

    मैंने अच्छे से उसके होंठों को चूसा, एक-दो बार काटा भी और जो हाथ मैंने उसका पकड़ रखा था, उसे भी मैंने जोर से दबा रखा था।

    वो भी मजे ले रही थी, पर इतने में मम्मी आ गईं और मुझे उसे ना चाहते हुऐ भी छोड़ना पड़ा।

    मैंने सोचा अब क्या करूँ? मैं उठ कर गुसलखाने में गया और वहाँ थोड़ी देर अपना लण्ड हिलाया, पांच मिनट हुऐ होंगे और मुझे किसी के आने की आहट हुई।

    मैंने अपना पजामा ठीक किया और बाहर देखा तो वही थी। मैंने उसे लपक कर पकड़ लिया और चूमने लगा।

    उसके उरोजों को कसके मसला, वो 'उई मा. मर गई' बोल पड़ी।

    उसने बोला- छोड़ दो.. कोई मेरी आवाज सुन लेगा.. मैं शादीशुदा हूँ।

    मैंने कहा- मैं कहाँ तुझसे शादी करना चाहता हूँ, पर अब तू मेरे शहर में मेरे घर आई है, तो तुझे बिना चोदे नहीं जाने दूँगा।

    बोली- कुछ भी नहीं करने दूँगी.. बाहर जाने दो.. किसी को शक हो जाएगा।

    मैंने कहा- मैं जब तक इशारा ना करूँ रात को दीवान से उतरना मत.. नहीं तो तू तो गई.. समझी..!

    उसने मुस्कुरा कर 'हाँ' की और वो बाथरूम में दरवाजा बन्द करके मूतने लगी, पर उसके मूतने की सीटी की आवाज मुझे आई, फिर मैं उसके निकलने से पहले बाहर आकर दीवान पर बैठ गया।
    फिर हम सबने खाना खाया, पापा भी आ चुके थे.. खाने के बाद दीवान के नीचे बिस्तर लग गया था।

    पापा नीचे बिस्तर पर बैठ कर टीवी देख रहे थे। मम्मी, में और वो, वहीं दीवान पर रजाई में बैठे थे। वह बीच में बैठी थी और उसका हाथ मेरे हाथ में था।

    मम्मी को सोना था तो मम्मी बोलीं- ममता, तू भाभी के कमरे में जाकर सो जाना, जब तक टीवी देखनी है देख।

    मम्मी नीचे लगे बिस्तर पर लेट गईं पापा भी थके होने के कारण सो गए।

    मैं मम्मी की नजर बचा कर रजाई के अन्दर उसके उरोज मसलने लगा।

    मैं बेखौफ उसकी चूचियों को मसल रहा था, उसने जब दो-तीन बार मुझे रोकने की कोशिश की पर मैं नहीं माना तो वो लेट गई और मम्मी की तरफ मुँह करके मम्मी से बात करने लगी।

    मैं उसके पैरों की तरफ बैठा था और वो पैर सिकोड़ कर मम्मी की तरफ मुँह करके लेटी थी। अब तक मैं बहुत गर्म हो गया था तो मैंने उसकी साड़ी में हाथ घुसेड़ दिया और उसके घाघरे के अन्दर उसकी जांघ सहलाने लगा।

    उसने मेरा हाथ रोकने के लिए पकड़ लिया। मैं थोड़ी देर रूक गया।

    फिर मम्मी ने उससे कु़छ पूछा और वो जवाब देने के चक्कर में उसने मेरा हाथ छोड़ दिया।

    मैंने बिना देर किए हाथ आगे बढ़ा दिया।
    उसने अन्दर चड्डी नहीं पहन रखी है और मेरा हाथ उसकी चूत पर पहुँच गया।

    उसकी चूत पर हल्के-हल्के से बाल थे। अब वो मेरा हाथ हटा भी नहीं सकती थी वरना मम्मी को शक हो जाता इसलिये वो मुँह टीवी की तरफ करके टीवी देखने लगी।

    मैं चूत पर हाथ लगा कर मौके का इन्तजार करता रहा। फिर मम्मी ने उससे कुछ पूछा और जैसे ही उसने जवाब देने के लिये मुँह उधर किया मैंने एक उंगली पूरी अन्दर पेल दी, पर वो कुछ नहीं कर सकती थी।।

    मम्मी को जवाब देकर वो फिर टीवी देखने लगी। मैं उंगली को अन्दर चलाने लगा और उसके चेहरे पर मस्ती और दर्द के भाव दिखने लगे।
    मैंने जोर-जोर से उंगली अन्दर-बाहर की, वो भी मस्ती लेती रही।

    हमारी नजरें टीवी पर टिकी थीं।

    अब तक मम्मी-पापा दोनों सो चुके थे, फिर मैंने दो उंगली उसकी चूत में मिला कर घुसेड़ दीं, दर्द के मारे उसने बिस्तर को कस कर पकड़ लिया।
    अगर कोई कुंवारी लड़की होती तो चिल्ला देती, पर वो सह गई।

    मैं उंगली अन्दर-बाहर करता रहा और उसका पानी जब तक नहीं निकला, मैंने उसे छोड़ा नहीं।

    मैंने फिर उसका रस मैंने उसी की साड़ी से साफ किया और उससे कहा- अभी बाथरूम में आ जा. और नहीं आई तो वापस आ कर तेरी फाड़ दूँगा।
    मैं बाथरूम में चला गया।

    मुझे नहीं पता या तो वो डर कर या उत्तेजना के कारण बाथरूम की तरफ आ गई। सर्दी के कारण सब सो चुके थे, हमारा बाथरूम अच्छा बड़ा है, तो मैंने उसे हाथ पकड़ कर अन्दर ले लिया।

    वो बोली- मुझे छोड़ दो.. कोई आ जाएगा।

    मैंने कहा- तेरा पानी तो मैंने निकाल दिया. मेरा कौन निकालेगा.. कोई नहीं आएगा.. मम्मी-पापा सोचेगें कि तू भाभी के कमरे में है और भाभी सोचेगी तू टीवी देख रही है और अब ज्यादा नखरे मत कर वरना यहीं चोदूँगा तुझे फिर कोई आए या न आए मुझे परवाह नहीं है।

    ऐसा बोल कर मैं उसके होंठ चूसने लगा और उरोज दबाने लगा।
    थोड़ी देर बाद मैंने अपना पजामा और चड्डी नीचे करके उससे कहा- ले मेरा लण्ड चूस।

    वो मना करने लगी, तो मैंने कहा- चुपचाप चूस ले.. वरना यहीं बाथरूम में ही बहुत चोदूँगा रात भर नहीं छोडूँगा तुझे..

    वो डरी सहमी सी मेरा लण्ड चूसने लगी, मैं उसके मुँह को ही चूत समझ कर चोदने लगा।

    फिर पांच-दस मिनट में मेरा पानी निकल गया और मैंने सारा पानी उसे पिला दिया, बचा-खुचा उसके मुँह पर चुपड़ दिया।

    वो बोली- अब तो छोड़ दो.. मैंने आज तक अपने पति का भी नहीं चूसा.. आपका चूस लिया, अब मुझे जाने दो।

    मैंने कहा- एहसान किया क्या?

    फिर मैंने उससे कहा- कल मैं तुझे चोदूँगा और हो सकेगा तो गांड भी मारूँगा.. चुपचाप चुदवा और मरवा लेना.. वरना तू तो गई।

    उसने इतरा कर मना किया- मैं कुछ नहीं करवाऊँगी।

    मैंने कहा- कैसे नहीं करवाएगी.. अभी तो जा के सो जा.. पर कल तैयार रहना वरना तू तो गई समझ.. इतना करवाने के बाद नखरे मत कर.. नहीं तो अभी ही निपटा दूँगा।

    फिर वो मुस्कुराते हुए चुपचाप जा कर सो गई और मैं दूसरे दिन की योजना बनाने लगा।
    रात में ममता की चूत में उंगली करने के बाद उसे बाथरूम में अपने लण्ड का रस पिलाया और बोला- कल चुदने के लिए तैयार रहना.
    उसने बोला- काम कर अपना. जो हो गया काफी है, मुझे नहीं चुदना!

    उसके बाद वो भाभी जी के पास जाकर सो गई और मैं टीवी वाले कमरे में सो गया।

    सुबह उठ कर मैं अपनी आदत अनुसार छत पर टहलने चला गया।
    हमारी छत बहुत बड़ी है।

    अब मैं घूमते घूमते योजना बना रहा था कि इस ममता को कैसे निपटाऊँ क्योंकि वो शादीशुदा है तो उसे तो रोज लण्ड मिलता होगा तो ऐसा ना हो वो कोई गड़बड़ कर दे क्योंकि मामला रिश्तेदारी का है।

    पर बोलते हैं ना कि 'डर के आगे जीत है.'
    मुझे पूरा विश्वास था कि वो थोड़ी देर में बेचैन होकर छत पर जरूर आएगी क्योंकि कहीं ना कहीं वो भी लण्ड लेना चाहती होगी्।
    सुबह करीब 9 बजे वो स्नान करके कपड़े सुखाने के लिए छत पर आ।
    उसके बाल खुले थे।
    वो कपड़े फ़ैलाने लगी और मैं उसकी चूत फाड़ने का प्लान बनाने लगा।

    सीढ़ियों के ठीक बाद एक छोटा सा कमरे टाईप का केबिन बना है, वहाँ मैंने उसे पकड लिया।

    उसने सलवार-सूट पहन रखा था और सीढ़ियों का दरवाजा अटका हुआ था तो कोई डर भी नहीं था।

    मौका अच्छा देख कर उसकी चूचियाँ जो चीकू के आकार के थे, उन्हें मसल दिया।

    उसकी 'आह ऊह.' सब निकलने लगी।

    मैंने उसे कहा- मुझे चुम्मा दे.

    और अपने लिप उसकी ओर किये।

    उसने मना किया- नहीं दूंगी, मुझे छोड़ दे!

    पर मैंने उसकी एक ना सुनी और उसके बूब्स मसलता रहा।

    उससे कंट्रोल नहीं हुआ और वो मेरे लबों को चूमने लगी।

    करीब दस मिनट में मैंने उसकी कुर्ती के और ब्रा के अंदर हाथ डाल के उसके बूब्स मसल मसल कर लाल कर दिये।

    वो बोली- अब नीचे जाने दे, कोई आ जायेगा।

    मैंने बोला- एक शर्त पर. शाम को मम्मी भाभी सब्जी लेने हाट में जाएँगे तो तू घर पर ही रुकना और अपनी चड्डी और ब्रा कपड़ों के अंदर से निकाल कर रखना।

    उसने बोला- हाँ मेरे बाप. नेहा ने जैसा बताया था तुम वैसे ही हो। एक बार मैं तुम्हारे चक्कर में आ गई तो अब तो मुझे चुदना ही होगा।

    अब आप सोच रहे होंगे कि यह नेहा कौन है?
    दोस्तो, यह वही लड़की है जिसकी वजह से मैं इतना बड़ा चोदू बना.
    नेहा से दोस्ती और उसके ठुकराने के बाद चोदू बनने और नेहा को निपटाने की स्टोरी भी आपको जरूर बताऊँगा लेकिन फिर कभी!

    मम्मी, भाभी करीब 4 बजे सब्जी लेने हाट में जाने वाले थे, मैं 3 बजे ही घर से बाहर अपने दोस्त के यहाँ चला गया।

    करीब 4.15 पर मैं घर पहुँचा, मुझे पता था कि मेरे पास सिर्फ एक घंटा है इसकी चूत ठोकने के लिए क्योंकि मम्मी भाभी 5.30 तक वापस आ सकते हैं।
    अन्दर जाते ही मेन-डोर बंद किया तो वो बोली- यह क्या कर रहा है?

    मैंने उसकी एक ना सुनी और उसे पकड़ के आनन फानन में उसका ब्लाउज उतार दिया और आजाद कबूतरों को जम के मसला तो पता चला कि उसने सही में अंदर ब्रा नहीं पहनी है।
    वो चिल्लाई- उई माँ. मार डाला! धीरे धीरे मसल हरामजादे. फ्री का माल हूँ तो क्या जान लेगा?

    मैं उसे पकड़ कर भाभी वाले रूम में ले गया।

    'हरामजादे' सुन कर मुझे जोश आ गया और मैं बोला- मादरचोद चुप हो जा, भोसड़ा फाड़ दूँगा तेरा !

    और उसके होंठ छूसते हुए उसे पलंग पर लेटा लिया, उसकी साड़ी खोल दी खींच खींच कर, फिर उसके लब, गर्दन, कान के पास और बूब्स को चूसा और काटा।

    एक बार तो उसके बूब्स इतनी जोर से चूसे कि वो बोली- ओ माँ माम्म. म्म्म्मम्मा. उईईई. ईईईई. मर जाऊँगी रे.

    फिर मैंने उसका घाघरा ऊपर किया उसकी चूत भी नंगी और साफ़ बाल रहित थी।

    मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए, बस चड्डी पहने रहा।

    वो बोली- प्लीज़ अमित, जल्दी से चोद दे. कोई आ ना जाए!

    मैंने एक कपड़े से उसकी गीली चूत साफ़ की और उसकी चूत को चूसने लगा।

    वो मस्त होकर हाथ पैर पटकने लगी, बोली- मेरे पति ने भी आज तक मेरी फ़ुद्दी नहीं चाटी.

    'सूपड़ सूपड़' कर उसकी चूत चाटता रहा मैं और उसके दाने को अपनी जुबान से छेड़ता रहा।

    वो बोली- अब नहीं रहा जाता. प्लीज़ अन्दर घुसा कर चोद दे.

    मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाली और अंदर-बाहर की और जो रस उंगली पे लगा, वो उसे चटवाया।
    दो तीन बार ऐसे ही किया, फिर उसको बोला- चल टांगें चौड़ी कर के लेट जा.

    अपनी चड्डी उतार कर अपना सात इंच का औजार उसकी चूत पर लगाया और उसके निप्पल चूसने लगा।

    वो खुद चूतड़ उठा कर लण्ड अंदर लेने की नाकाम कोशिश करने लगी।

    जब वो पूरी तरह से बेचैन हो गई तो एक ही झटके में मैंने अपना पूरा लण्ड अंदर कर दिया।

    वो जोर से चिल्लाई- ऊऊऊ.ऊह. ऊई. उम्म. म्म्म धीरे जालिम.

    मैंने बिना रुके धड़ाधड़ लण्ड अंदर-बाहर किया, बोला- हरामजादी शादीशुदा है तू तो, तुझे तो आदत होगी लण्ड एकदम अंदर लेने की, चुप हो जा साली कुतिया चुदाई के मजे ले, ले लण्ड भोसड़ी की, ले तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल देता हूँ।
    वो भी मस्त होकर गांड उठा उठा कर ठुकवाने लगी।

    मैंने बोला- मेरी जान, लण्ड का रस तेरी चूत में डालूँ या तेरे मुँह में?

    वो बोली- मेरी चूत में ही भर दे हरामी.

    15-20 जोरदार झटके देने के बाद उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गाड़ दिए और अपना लावा छोड़ा उसकी गर्मी और चूत के संकुचन के कारण मेरा भी सारा माल उसकी चूत में चला गया।

    फिर जो तूफान आया था, वो शांत हो गया।

    दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे।
    मैंने टाइम देखा तो 5.15 हो गए थे, मैंने उसे बोला- अपनी साड़ी पहन ले, मम्मी भाभी आने में ही होंगे।

    मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए और पैंट के अन्दर से सुस्त लण्ड बाहर निकाला और बोला- चूस इसे.

    वो बोली- बाद में चूस दूँगी, वो आ जाएँगे.

    मैंने बोला- नहीं, अभी चूस.

    और वो सुपुड़ सुपुड़ करके चूसने लगी।

    वो लण्ड का सुपारा मस्त होकर चाट और चूस रही थी, बहुत मजा आ रहा था।

    अभी दस मिनट हुए होंगे, इतने में दरवाजे की घण्टी की आवाज आई और मेरी गांड फटी कि अब क्या होगा, घर का दरवाजा बंद और हम दोनों अंदर और गेट पर पता नहीं कौन है?
    घण्टी की आवाज सुन कर मेरी गांड फ़टी और मैंने उसे बोला- जा दरवाजा खोल ! और मेरे लिये पूछे तो बोलना मैं छत पर हूँ।

    उसने जाकर दरवाजा खोला, मम्मी भाभी आ गए थे, उन्होंने उससे पूछा- तू सो गई थी क्या?

    क्योंकि उसकी हालत देख कर ऐसा ही लग रहा था।

    उसने बोला- हाँ !

    मम्मी ने पूछा- अमित आ गया क्या?

    तो वो बोली- हाँ आ गए, अमित भैया छत पर हैं।

    मैं उनकी सब बातें सुन रहा था जाली में खड़ा खड़ा.

    अब जाकर मुझे चैन मिला।

    मम्मी सब्जी काटने लगी और भाभी और ममता अंदर के कमरे में चले गए।

    भाभी 5 मिनट बाद ममता से बोली- अमित ने तुझे चोद दिया क्या?

    तो वो घबरा गई- नहीं तो, आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं?

    तो भाभी बोली- तेरा और उसका माल पलंग पर दिख रहा है और रूम भी पूरा महक रहा है।

    वो रोने लगी और भाभी के हाथ पैर पकड़ने लगी- मुझे माफ़ कर दो, अब ऐसी गलती नहीं करुँगी और कल अपने घर चली जाउंगी।

    मैं भी ऊपर से सब सुन रहा था, मेरी तो फट रही थी कि अब क्या होगा।

    भाभी बोली- यह अच्छी बात नहीं है, आगे तुम्हारी मर्जी. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, जो तेरा मन करे, वो कर !

    उसने भाभी से माफ़ी मांगी और बोली- अब कुछ नहीं करूँगी।

    अब मैं भी नीचे आ गया पर भाभी से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी, चुपचाप रहा, सब सामान्य चलता रहा।

    ममता भी मुझ से दूर दूर और उखड़ी उखड़ी रही।

    रात के करीब दस बजे मैं दीवान पर बैठ कर टीवी देख रहा था, मम्मी पापा और ममता नीचे बिस्तर डाल कर टीवी देख रहे थे।
    थोड़ी देर में ममता उठ कर बाथरूम के लिए गई।

    मैंने देखा कि मम्मी पापा सो गए हैं तो मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया और जैसे ही वो मूत के बाहर आई, मैंने उसे पकड़ के बाथरूम के अंदर किया और उसके उरोज़ दबाने लगा।

    वो बोली- प्लीज़ छोड़ दे, भाभी को सब पता चल गया है, अब मैं और कोई लफड़ा नहीं चाहती हूँ।

    मैंने बोला- पता चल गया तो कोई बात नहीं, अभी मेरा लण्ड चूस के मेरा माल पी जा, उसके बाद चली जा.

    उसने बोला- नहीं!

    तो मैंने बोला- ठीक है, यहीं चोदूँगा तुझे !

    और उसे मसलने लगा।

    वो हल्का हल्का विरोध करने लगी।

    जब वो मस्ती में आ गई तो मैंने उसे बोला- मेरा लण्ड चूस.

    तो वो भी चूसने लगी, मैं लण्ड को उसके मुख में अंदर बाहर करने लगा और अपना माल उसके मुख में छोड़ दिया।

    मैंने उसे बोला- कल मैं तुझे घर के बाहर ले जाउंगा और तेरी गाण्ड खोलूँगा।

    वो बोली- मुझे नहीं खुलवानी!

    मैं बोला- अपनी गांड में तेल लगा कर तैयार रहना चलने को!

    ऐसा बोल कर मैं सोने चला गया।

    दूसरे दिन मैंने दिन में मम्मी से बोला- मैं फिल्म देखने जा रहा हूँ, आपको एतराज ना हो तो ममता को अपने साथ ले जाऊँ?

    मम्मी बोली- ले जा, अगर वो जाना चाहती हो तो !

    मैंने ममता को बोला- चल तैयार हो जा, फिल्म देखने चलना है।

    वो तैयार होकर साथ चल दी।

    मैं उसे लेकर अपने एक दोस्त के रूम पर चला गया, रूम पर कोई नहीं था, मैंने रूम का लॉक खोला और हम अंदर चले गए।
    ममता बोली- यहाँ कहाँ ले आए?

    मैं बोला- जानेमन तेरी गाण्ड मारने लाया हूँ।

    वो बोली- तुम्हें डर नहीं लगता? भाभी को पता चल गया, फिर भी तुम अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे।

    मैंने बोला- इतने मस्त माल को ऐसे कैसे छोड़ दूँ?

    और मैंने उसकी ओर अपने होंठ बढ़ाए और बोला- ले मेरे होंठ चूस !

    वो भी मस्त होकर होंठ चूसने लगी।

    होंठों का रसपान करते हुए ही मैंने उसके कपड़े खोलने शुरु कर दिए।

    थोड़ी देर में वो सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी।

    उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसके कबूतर आजाद कर दिए और उनको जम कर मसला, मुख में लेकर चूसे भी.

    फिर उसकी चड्डी जैसे ही नीचे करके उसकी गांड पर हाथ लगाया तो उसकी गाण्ड में अंदर तक तेल ल
     
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