सगी भांजी ने मेरे लंड से कई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jul 28, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //krot-group.ru हेल्लो दोस्तों, Kamukta मैं आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मेरा नाम सागर भदौरिया है। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी का नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई वाली मदमस्त कहानियाँ नही पढ़ता हूँ और मजे मारता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
    मेरी छोटी बहन सुलेखा मेरे घर आई हुई थी। उसकी लड़की पुष्पा अब जवान और खूबसूरत माल बन चुकी थी। अब पुष्पा कोई छोटी बच्ची नही रह गयी थी। वो बेहद जवान और खूबसूरत माल बन गयी थी। मेरा पुष्पा को चोदने का बहुत मन कर रहा था। शाम को मैं मंदिर जा रहा था तो मेरी भांजी पुष्पा भी जिद करने लगी की मंदिर जाएगी। जब वो मेरी बाइक पर बैठी तो बार बार उसके 38" के शानदार दूध मेरी पीठ में टकरा रहे थे। मैं मोटर साइकिल चला रहा था। जैसी ही मैं ब्रेक लगाता था फिर पुष्पा के मम्मे मेरी पीठ से टकरा जाते थे। इस तरह से मैंने उस दिन खूब मजा लिया। रास्ता काफी खराब थी। मुझे बार बार ब्रेक लगानी पड़ती थी। फिर मेरी भांजी पुष्पा ने मुझे दोनों हाथो से पकड़ लिया। अपने दोनों पैर को वो दो तरफ करके बैठ गयी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। धीरे धीरे मैं पुष्पा से छेड़खानी करने लगा।
    एक दिन मेरे घर में सब लोग बाहर गये थे। मैं बाथरूम गया था। मेरे फोन में कई आडियो सेक्स स्टोरी थी। पुष्पा ने मेरा फोन उठा लिया और आडियो सेक्स स्टोरी सुनने लगी। धीरे धीरे उसे बहुत अच्छी लगने लगी थी। पुष्पा धीरे धीरे चुदासी हो गयी और उसने अपनी सलवार खोल दी। अपनी चूत में वो जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगी। मैं बाथरूम में नहा रहा था। तभी मैं इकदम से बाथरूम से निकल आया। मेरी भांजी अपनी आँखें बंद करके आडियो सेक्स स्टोरी सुन रही थी। अपनी चूत में वो ऊँगली कर रही थी। दोस्तों मैंने कोई आवाज नही की। उसके सामने मैं 15 मिनट तक खड़ा रहा और भांजी पुष्पा को देखता रहा। फिर अचानक उसकी आँख खुल गयी। वो घबरा गयी। मैं उसके पास चला गया। मैंने अपनी तौलिया फेक दी। अभी अभी मैं लाइफबॉय साबुन से नहाकर बाथरूम से निकला था। मेरे बदन से अच्छी खुशबू आ रही थी। मेरा बदन खुश्बू से महक रहा था। इससे पहले कि पुष्पा भाग पाती मैंने उसे पकड़ लिया और लंड उसके हाथ में दे दिया।
    "मामा ..वो वो वो????" पुष्पा डर कर बोलने लगी थी।
    "भाजी कोई बात नही। दुनिया में हजारो लड़कियाँ आडियो सेक्स स्टोरी सुनती है। इसमें कोई बुराई नही है" मैंने कहा। फिर मेरी भांजी पुष्पा नार्मल हो गयी और मेरे लौड़े से खेलने लगी। वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर देख रही थी।
    "मामा! जब तुम छोटे थे तब भी क्या ये लौड़ा इतना बड़ा था???" भोली भाली पुष्पा ने बड़ी प्यार से पूछा
    "नही पगली! ये लौड़ा तो अभी जल्दी ही बड़ा हुआ है। आज मैं तुम्हारी चूत इसी लौड़े से फाड़ दूंगा!!" मैंने मुस्कुराकर कहा तो भांजी डर गयी। "ना बाबा ना, मुझे अपनी चूत नही चुदानी है" वो बोली। "डरो नही पगली। धीरे धीरे तुमको चुदवाने में भरपूर मजा मिलने लग जाएगा" मैंने कहा। उसके बाद पुष्पा मेरे लंड से खेलने लगी। दोस्तों मेरा लंड सच में बहुत ही शानदार था। किसी अफ्रीकन लौड़े की तरह दिखता था। इस लौड़े से मैंने 8 लड़कियाँ चोदी थी। पुष्पा मेरे लौड़े को हाथ में लेकर घुमाने लगी। उसे मजा आ रहा था। उसके लिए ये बिलकुल नई चीज थी। फिर वो और तेज तेज मेरे लंड को फेटने लगी। फिर मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं लॉबी में खड़ा था। पुष्पा जमीन पर बैठकर मेरे लंड को चूस रही थी। धीरे धीरे मेरा उसे चोदने का मन कर रहा था। कुछ देर बाद मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपनी भांजी पुष्पा का हाथ पकड़ लिया और खड़ा हो गया। हम दोनों आज सेक्स करना चाहते थे। हम दोनों आज चुदाई का भरपूर मजा लेना चाहते थे।
    मैंने पुष्पा को अपनी बाँहों में भर लिया। हम किसी बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह मजे करने लगे। हम किस कर रहे थे। मैं तो पूरी तरह से नंगा था पर पुष्पा से सलवार कमीज पहन रखा था। हम दोनों किस कर रहे थे। मेरी भांजी काफी हॉट और सेक्सी माल थी। मेरी नजर बार बार उसके मम्मो पर दौड़ जाती थी। उफ्फ्फफ्फ्फ़..कितने भरे भरे गोल मम्मे थे उसके। पर अभी तो मैं सिर्फ उसके रसीले होठ चूसना चाहता था। मैंने पुष्पा के होठो पर अपनी ऊँगली रख दी और सहलाने लगा। उफ्फ्फ कितने सजीले, गठे और गुलाबी होठ थे उसके। मैं खुद को रोक ना सका। आखिर मैंने अपने होठ भांजी पुष्पा के होठ पर रख दिए और चूसने लगा। दोस्तों धीरे धीरे उसे भी अच्छा लगने लगा। वो भी मुझे जोश से किस करने लगी। उसके बाद तो हम दोनों की शर्म खत्म हो गयी थी। मैंने अपना सीधा हाथ पुष्पा की पीठ में डाल दिया और उसे हल्का सा पीछे को झुका दिया।
    फिर मैं भी उसके उपर झुक गया था और उसके होठ चूसने लगा था। धीरे धीरे हम मजे लेने लगे थे। मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था। पुष्पा सिर्फ मेरी आँख में देख रही थी। साफ़ था की वो भी चुदना चाहती थी। मैंने कई बार उसकी आँख पर किस कर लिया। फिर मैंने उसे गले लगा लिया। हम दोनों आज कसके चुद्दी चुद्दम का खेल खेलना चाहते थे। पुष्पा मेरे गाल, होठो, गले, सीने को किस कर रही थी। मैं भी ऐसा ही कर रहा था।
    "भांजी!! चूत दोगी???" मैंने प्यार से पूछा
    "हाँ मामा, आज मैं तुमको अपनी गुलाबी चूत चोदने को दूंगी!" पुष्पा बोली
    उसके बाद उसने अपना सलवार सूट निकाल दिया। फिर ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। ओह्ह्ह गॉड!! वो कितनी मस्त माल लग रही थी। मैं तो उसे देखता ही रह गया था। हम दोनों चुदाई के खेल में इतने पागल हो गये थे की क्या बताएं। मैंने फर्श पर उसे लिटा दिया और किस करने लगा। फर्श साफ था इसलिए मुझे कोई दिक्कत नही हुई। मैंने अपनी भांजी को बाहों में भर लिया और होठ पर किस करने लगा। वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी। आज मैं अपनी बहन की लड़की को चोदने जा रहा था। मैं उसके जिस्म को सहला रहा था। पुष्पा की नंगी पीठ, कमर, पेट, कुल्हे, और जांघ को मैं बार बार सहला रहा था। फिर मैं उसके दूध दबाने लगा। ओह्ह्ह गॉड!! चूचियों का साइज 38" का था। कितनी खूबसूरत चूचियां थी वो। कितनी बड़ी बड़ी और गोल गोल। चूचियों के चारो तरह गोल गोल काले घेरे तो मेरी जान ही निकाल रहे थे। लग रहा था की उपर वाले ने मेरी भांजी को बड़ी फुर्सत में बनाया था। मैं तो उसकी जवानी देखकर पागल हो रहा था।
    मैंने जैसी ही पुष्पा की मस्त रसीली चूचियों पर हाथ रखा वो "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा" की आवाज निकालने लगी। उसे कुछ हो गया था। आखिर वो महान पल आ गया था जब मैं अपनी भांजी की रसीली चूचियों को सहलाने लगा था। सच में ये पल मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल था। मैं कभी सोचा नही था की कभी पुष्पा की चूत मारूंगा। पर आज मेरा सपना साकार होने वाला था। मैं धीरे धीरे उसकी चूचियां सहलाने लगा। पुष्पा मना नही कर रही थी। वो राजी थी और आज चुदना चाहती थी। धीरे धीरे मेरे हाथ पुष्प की रसेदार चूचियों पर इधर उधर जाने लगे। मुझे अजीब सा नशा हो गया था। हम दोनों मामा भांजी आज जमीन पर ही चुदाई का मजा लेने वाले थे। कितना मदहोश कर देने वाला पल था वो। पुष्पा की मुसम्मियों को मैंने हल्का हल्का दबाना शुरू कर दिया था। वो मचल रही थी। उसने आंख बंद कर ली थी। फिर मैं और तेज तेज पुष्पा की मुसम्मी को दबाने लगा। वो "..अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." बोलकर सिस्कारियां लेने लगी। इतनी बड़ी चूचियों को हाथ में लेकर आज मैं खुद को किस्मतवाला समझ रहा था। दुनिया में कम लड़को को इतनी बड़ी बड़ी चूचियां दबाने का आनंद मिलता है। मैं उन लड़कों की लिस्ट में था। फिर मैंने जोर से पुष्पा की दाई चूची को हाथ में पकड़कर किसी बस के हॉर्न की तरह दाब दिया। पुष्पा की माँ चुद गयी। "अईईईई!!" वो चीख पड़ी। फिर मैंने इसी तरह उसकी बायीं चूची को दबा दिया। दोस्तों इस तरह हम मामा भांजी खेलने लगे। मैं पुष्पा पर लेट गया और उसकी हरी भरी चूचियां पीने लगा। लगा की आज मेरी जिन्दगी सफल हो गयी थी। पुष्पा की चुचियों के काले काले घेरे बेहद सुंदर थे। मैंने तो उसे ख़ास तौर से चूस रहा था। मेरे हाथ उसके आमो को दबा रहे थे। मैंने आधे घंटे तक अपनी भांजी के दोनों मम्मे अच्छे से चूस लिए।

    पुष्पा का पतला सेक्सी पेट मेरे सामने था। उसकी एक एक गोरी पसली चमक रही थी। बीच में जहाँ पर पेट और नाभि होती है वहां काफी गहराई थी। मेरी भांजी चोदने और बजाने के लिए एक परफेक्ट आइटम थी। मैं उपर से उसके पेट को बीचो बीच किस करने लगा और नीचे की तरह बढ़ने लगा। उफ्फ्फ्फ़...क्या मस्त माल थी वो। मैं दांत से उसके पेट की खाल को काटकर खीच लेता था। कितनी मुलायम त्वचा थी उसकी। मेरे दांत से काटने पर वो कराहने लग जाती थी। "आई...आई... अहह्ह्ह्हह...सी सी सी सी..हा हा हा." इस तरह की आवाजे वो निकालने लग जाती थी। मैं हाथ से पुष्पा की जांघे सहला रहा था। धीरे धीरे उसके पेट को चूमते हुए मैं उसकी बड़ी ही गहरी नाभि तक आ गया। पुष्पा की सेक्सी नाभि देखकर मेरा तो होश खराब हो रहा था। फिर मै उसकी नाभि को अपनी जीभ से छेड़ने लगा और पीने लगा। वो मचलने लगी।
    "मामा ...आराम से" वो बोली
    मैं तेज तेज किसी कुत्ते की तरह उसकी नाभि चाटने और पीने लगे। मैंने पुष्पा के दोनों पैर खोल दिए। उफफ्फ्फ्फ़..गोरी सफ़ेद टाँगे थी की ..कयामत थी। जांघे तो इतनी भरी हुई और सफ़ेद चिकनी थी की दिल कर रहा था की चिकन की तरह पका कर खा जाऊं। हल्की हल्की झांटों से भरी गहरी भूरी मलाईदार बुर के दर्शन हो गये। मैं बिना १ सेकंड की देरी किये नीचे झुक गया और उसका बड़ा सा भोसडा पीने लगा। पुष्पा मचल गयी। वो कामवासना के वशीभूत हो गयी और अपने पके पके पपीते(मम्मो) को खुद की अपनी जीभ में लगाने लगी और किसी प्यासी चुदासी कुतिया की तरह चाटके लगी।
    ".हमममम अहह्ह्ह्हह. अई.अई..अई." पुष्पा आहे भरने लगी। मैं इधर नीचे उनका मस्त मस्त मलाईदार भोसडा पी रहा था। मैं अपनी जीभ पुष्पा की बुर के छेद में डालने लगा तो वो मचलने लगी। "..सी सी सी सी. हा हा हा..ओ हो हो..मामा जी आराम से!!" पुष्पा आहें लेने लगी और मेरा सिर अपनी चूत पर से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी। पर मैं भी असली चोदू आदमी था। पुष्पा बार बार अपनों दोनों जांघें सिकोड़ने और बंद करने लगी। 'हट मादरचोद!! अपना भोसड़ा पीने दे। हट हरामजादी !! अपनी चूत पिला मुझे" मैंने उसे डांट दिया। उसने अपनी दोनों गोरी जांघें फिर से खोल दी। स्वर्ग जाने का दरवज्जा ठीक मेरे सामने था। आज मैं स्वर्ग जाना चाहता था। मैं फिर से उसकी बुर पीने लगा। दोस्तों मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
    मैं उसकी चूत में लंड डाल दिया और चोदने लगा। मेरी नजरों में पुष्पा ने अपनी नजरें डाल दी। छिनाल को मैं घूरते घूरते ताड़ते ताड़ते पेलने लगा। मैं जोर जोर से अपनी कमर चला चलाकर उसे चोद रहा था। पुष्पा को इस तरह आँखों में आँखें डालकर खाने में विशेष मजा और सुख मिल रहा था। मेरा लौड़ा किसी ट्रेन की तरह उसकी चूत की दरार में फिसल रहा था। बहुत अच्छे से चूत मार रहा था। फिर मुझे बड़ी जोर की चुदास चढ़ी। बिजली की तरह मैं पुष्पा को खाने लगा। इतनी जोर जोर से उसे चोदने लगा की एक समय लगा की कहीं उसकी बुर ही ना फट जाए। मेरे खटर खटर के धक्कों से मेरी भांजी का पूरा जिस्म काँप गया। उसके चूचे हिलकर थरथराने लगे। मैं बिजली की तरह पुष्पा को पेलने लगा। मुझे लगा रहा था की झड़ने वाला हूँ। पर ऐसा नही हुआ। मेरा मोटा सा लौड़ा मेरी उसके भोसडे में झड़ने का नाम नही ले रहा था।
    मैं बहुत देर तक पुष्पा को चोदता रहा पर फिर भी नहीं झडा। मैंने लौड़ा झटके से निकाल लिया और उसकी गर्म गर्म जलती चूत को पीने लगा। वाकई ये एक शानदार अनुभव था। कुछ देर बाद पुष्पा की चूत ठंडी पड़ गयी थी। मेरे लौड़े की खाल पीछे को सरक आई थी। गोल गोल मुड़कर मेरे लौड़े की खाल पीछे आ गयी। मेरा सुपाडा अब गहरे गुलाबी रंग का हो गया था। मेरे लौड़े का रूप ही बदल गया था पुष्पा की बुर चोदकर। अब मेरा लौड़ा किसी बड़े उम्र के आदमी वाला लौड़ा दिख रहा था। मैं कुछ देर तक अपना लौड़ा देखता रहा फिर मैंने पुष्पा की छोटी सी चूत में डाल दिया। फिर से मैं उसे चोदने लगा। इस बार मैंने बिना रुके उसे कई मिनट तक चोदा क्यूंकि एक बार भी मैं रुकता या आराम करता तो माल उसके भोसड़े में नही गिरता। अनेक अनगिनत धक्को के बीच चट चट की मीठी आवाज के साथ मैं अपनी भांजी की चूत में शहीद हो गयी। उसके बाद हम दोनों लेटकर किस करने लगे और प्यार करने लगे। दोस्तों आज तो हम दोनों का सपना पूरा हो गया था। मैंने अपनी भांजी को कसके चोद लिया था। उधर उसने भी आज अपने मामा का लंड खा लिया था। फिर हम दोनों ने साथ में नहाया। रात में घर के सब लोग आ गये थे। जैसे ही 4 दिन बीते मेरी भांजी पुष्पा का फिर से मुझसे चुदाने का मन करने लगा। एक रात वो मेरे कमरे में घुस आई।
    "मामा प्लीस उठो!! मुझे कसके चोदो..प्लीस मामा!! मुझे बहुत जोर की चुदास लगी है" पुष्पा बोली
    फिर मैंने उसे अपने साथ बिस्तर में ही लिटा लिया और कमरे की बत्ती बंद कर दी। वरना हम लोगो को कोई देख सकता था। अँधेरे में हम दोनों किस करने लगे। धीरे धीरे पुष्पा ने खुद ही अपना सलवार कमीज उतार दिया। मैं भी नंगा हो गया। उसके बाद मेरी भांजी पुष्पा बड़ी देर तक मेरा लौड़ा चूसती रही। फिर उसको मैंने अपनी कमर पर बिठा लिया। उसकी चूत में मैंने लंड डाल दिया और चोदने लगा। दोस्तों कुछ देर बाद पुष्पा मेरे लंड की सवारी करना सीख गयी थी। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।
     
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