गन्ने के खेत में साली को दोनों टांग उठाकर चोदा

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 1, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

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    हाय फ्रेंड्स, आप लोगो का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत है। मैं रोज ही इसकी सेक्सी स्टोरीज पढ़ता हूँ और आनन्द लेता हूँ। आप लोगो को भी यहाँ की सेक्सी और रसीली स्टोरीज पढने को बोलूंगा। आज फर्स्ट टाइम आप लोगो को अपनी कामुक स्टोरी सुना रहा हूँ। कई दिन से मैं लिखने की सोच रहा था।अगर मेरे से कोई गलती हो तो माफ़ कर देना।

    मेरा नाम राम कुमार यादव है। मैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहता हूँ। मेरी शादी हो चुकी है। मैं एक किसान हूँ। अभी मेरी उम्र 30 की है। मैं आपकी बीबी को रोज रात में नंगा करके चोदता हूँ। पर दोस्तों आज आपको अपनी साली की दास्तान सुना रहा हूँ। पिछले महीने की बात है मेरे खेतों में गन्ने की फसल कटनी थी। अब फसल पूरी तरह से पक गयी थी और एक एक गन्ना 6 6 फुट से लम्बा हो गया था। अब फसल को काटना था। इसलिए मेरी बीबी ने अपने भाई सुरेश और बहन ज्योति को मेरे घर पर बुला लिया।

    सुबह होते की मेरा पूरा परिवार खेतो में आ जाता और गन्ना काटने का काम शुरू कर देता। मेरी बीबी, बाप, मेरी अम्मा, मेरे दो भाई गुड्डू और बिट्टू, मेरी साली ज्योति, साला सुरेश और मैं अब सुबह सुबह ही खेत आ जाते और गन्ना काटने का काम शुरू कर देते। दोस्तों मेरी साली ज्योति बहुत कड़क माल है। वो इकदम फाडू सामान है और ऐसी खूबसूरती उसे खुदा ने दी है की किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे। मैं पनी साली को पिछले साल चोद चूका हूँ। बड़ी चालाक मछली थी। किसी तरह से मुझसे पटने को राजी नही थी। पर दोस्तों मैं भी किसी हीरो से कम नही हूँ। बड़ा बड़ा जुगाड़ करके मैंने अपनी साली ज्योति को पटा लिया और आखिर में उसके घर पर ही उसे चोद लिया। अब वो कोई नखड़ा नही मारती है। और आराम से चुदवा लेती थी। अब जब ज्योति मेरे सामने खेत में गन्ने को हसिया से काट रही थी तो मेरा ध्यान बार बार उसकी तरफ जा रहा था। अब सर्दियों में ज्योति पहले से मोटी ताज़ी सामान लग रही थी। मेरा फिर से उसे चोदने का दिल था पर अभी तो कोई चांस नही था क्यूंकि मेरा पूरा परिवार यही खेत में था।

    दोस्तों मेरे पास 50 बीघा खेत है जिसमे गन्ने काटने में महिना भर तो आराम से लग जाता है। और बाहरी मजदूरों की मदद भी लेनी पडती है। दोपहर में मेरी बीबी खाना टुकनी में लेकर खेत पर आ जाती और सब लोग साथ में खाते थे। खेतों में कुछ खटीयाँ मैं लेकर आ गया था। दोपहर में कुछ देर सो भी लेता था। पिछले 10 दिन सब लोगो ने रोज काम किया और 15 बीघा गन्ना काट दिया और उसका बोझा बाँध दिया। फिर अचानक से मौसम जादा ठंडा हो गया। मेरे साले को कुछ जरुरी काम पड़ गया और वो अपने घर चला गया। 4 दिन बाद खेत में सिर्फ मैं, मेरी साली और और मेरे दो भाई गुड्डू और बिट्टू ही खेत पर आये थे। खटिया और बिस्तरा पड़ा हुआ था और आज साली को कसके चोदा जा सकता है।

    उस दिन का काम शुरू हो गया और हम चारो लोग गन्ना हंसिया से काटने लगे। दोपहर 2 बजे तक सब लोग काफी थक गये। मैंने देखा की गुड्डू और बिट्टू का अब काम करने का मन नही था।

    "क्या तुम लोग सुस्ताना चाहते हो???" मैंने पूछा

    दोंनो कुछ नही बोले। मेरा बड़ा लिहाज करते थे।

    "जाओ !! तुम लोग घर जाकर खाना खा लो। चलो जाओ!! थोडा आराम भी कर लेना और ये तो पैसे आलू टिकिया भी खा लेना। और जब लौटना तो मेरा और ज्योति का खाना ले आना। अपनी चाची (मेरी बीबी) को मत भेजना। खुद ही खाना लेकर आना" मैंने जोर देकर कहा और 20 का नोट निकालकर अपने भाइयो को दे दिया। उन दोनों को आलू की चाट खाना बड़ा पसंद था। वो हँसते हुए चले गये। अब खेत में सिर्फ मैं और ज्योति ही रह गये। मेरी बीबी की तबियत कुछ दिन से सही नही थी। इसलिए वो अब खेत में नही आ रही थी। मेरे बाप को भी जादा ठंड होने की वजह से बुखार चढ़ गया था। अम्मा भी कुछ ठीक नही थी। चारो तरह ऊँचे ऊँचे गन्ने के खेत में हम जीजा साली अकेले रह गये। मैंने ज्योति को पकड़ लिया।

    "क्या कर रहे है जीजा जी???" वो बोली

    "तुझे नही पता क्या। आज तेरी चूत लूँगा। इतनी दिन हो गये तुजे मेरे घर आये पर तूने ये नही सोचा की मुझे एक चुम्मा दे दो" मैंने शिकायत करके कहा

    ज्योति को पीछे से कमर से पकड़ लिया और गालो पर चुम्मा देने लगा। आज तो उसे किसी तरह से चोदना ही था। वो भी मान गयी और बिना किसी नखड़े के किस करवाने लगी। खड़े खड़े मैंने उसी अपनी ओर घुमाया और सीने से जकड़ लिया। दोस्तों ज्योति की कद काठी काफी मजबुत है और देखने में बिलकुल पंजाबन कुड़ी लगती है। चेहरा हल्का सा लम्बा है पर भरा हुआ है। ज्योति के दूध 34" के है और 34 28 32 का फिगर है उसका। ज्योति बिलकुल देसी लड़की है और उसे चोदने को कोई भी लड़का फौरन ही तैयार हो जाएगा। रंग खूब गोरा है दोस्तों। पूरी तरह से चोदने लायक सामान है मेरी साली।

    मैंने खड़े खड़े ही 15 मिनट तक उसे सीने से चिपकाए रखा और खूब गालो पर किस किया। फिर ज्योति के गुलाबी होंठो को चुसना शुरू कर दिया। आज वो नीले सलवार सूट पर थी। उसके दुप्पटे को मैंने हटा दिया और खटिया पर फेंक किया। बिना दुप्पटे में ज्योति की जवानी देखते ही बन रही थी। 34" की कड़ी कड़ी और सुडौल छातियाँ मैंने हाथ से दाबना शुरू कर दिया। ज्योति "ओह्ह माँ..ओह्ह माँ.उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ.." करने लगी। मैं दिमाग घूम गया और इंजन गर्म हो गया। मैंने ज्योति को सिर को दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके मुंह को अपने मुंह की तरह दबाने लगा। उसके बाद तो वो भी खुलकर मेरे लब चूसने लगी और हम दोनों मियाँ बीबी की तरह गरमा गर्म चुम्बन करने लगे। काफी देर तक रोमांस होता रहा। अब मैं जल्दी से एक हाथ नीचे ले गया और ज्योति की सलवार का नारा ढूढने लगा। फिर मुझे नारे की डोर मिल गयी और मैंने जल्दी से उसे खींच दिया। सलवार उतर गयी और नीचे सरक गयी। मैंने तुरंत अपनी साली की चूत के उपर चड्डी पर हाथ रख दिया तो मुझे गर्म गर्म लगने लगा।

    "आह ज्योति!! तेरी चूत कितनी गर्म है रे!! अगर अंडा भी तेरी चूत पर रख दूँ तो वो भी कुछ देर में उबल जाए" मैंने बोला

    फिर चूत को घिसने लगा। ज्योति "ओहह्ह्ह.ओह्ह्ह्ह.अह्हह्हह.अई..अई. .अई. उ उ उ उ उ.आह जीजा जी आह आह" करने लगी। मैं रुका नही और चूत को घिसता ही रहा। वैसे भी आज का दिन काफी ठंडा था इसलिए ज्योति की गर्म चूत मुझे सुकून दे रही थी। मैंने चड्डी के उपर से खूब देर तक उसकी चूत को रगड़ा। ज्योति की माँ चुद गयी। "जीजा जी !!! आराम से करो" वो बोली। अब मेरा टेमपेरेचर भी हॉट हो गया। मैंने अब ज्योति को लेकर पास पड़ी खटिया पर ले गया और लिटा दिया। मैंने ही उसकी सलवार उतारी। फिर सफ़ेद चड्डी उतार दी।

    "ज्योति पैर खोलो!!" मैंने बोला

    उसने अपने सफ़ेद सेक्सी और चिकने पैर खोल दिए। देखा तो उसकी चूत रसीली हो गयी थी। मुझे उसका रस देखकर चैन मिला क्यूंकि ये रस बता देता है की लड़की को भी उतना आनन्द आ रहा है जितना की लड़के को। मैं बिना विलम्ब किये अपना मुंह ज्योति के भोसड़े पर लगा दिया और चाटने लगा। वो अब"आआआअह्हह्हह...ईईईईईईई..ओह्ह्ह्..अई. .अई..अई...अई..मम्मी.." करने लगी। मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत की कली कली चाटने लगा। लाल लाल चूत के होठ बड़ा जोश जगा रहे थे। आज पुरे एक साल बाद ज्योति को पेलने का मौका मिल रहा था क्यूंकि उसके पापा यानी ससुर उसे सिर्फ गन्ना कटवाने के लिए मेरे घर भेजते थे। मेरे उपर शक करते थे की कही मैं अकेले में ज्योति को चोद न डालूं। मैं भी कितने दिन से नई बुर का इन्तजार कर रहा था। मेरी बीबी अब पेट से हो गयी थी इसलिए अब चूत मारना बंद कर दिया था। कितने दिन ने मेरे 10" के लौड़े को चूत का छेद नसीब नही हुआ था।

    मैं भी किसी चोदू आदमी की तरह उसकी चूत पी रहा था। चूत के दाने को दांत से पकड़कर अपनी ओर खिंच रहा था। "जीजा जी!! आराम से मेरी चूत चटिये!! दर्द होता है!!" साली बार बार कह रही थी। मैं अपनी धुन में मग्न था और चूत को उंगलियों से खोल खोलकर चाट रहा था। फिर जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगा। ज्योति "..अम्मा..अम्मा...सी सी सी सी.. हा हा हा ...ऊऊऊ ..ऊँ. .ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ.." करने लगी। मैं भी किसी हरामी मर्द की तरह उसकी चूत में ऊँगली घुसाकर गोल गोल हिला दिया। ज्योति किसी सूखे पत्ते की तरह कापने लगी और हिसने लगी। वो थरथरा रही थी। मैं बहुत कमीनापन देने लगा और ऊँगली जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा। बड़ा आनन्द दिया अपनी साली को। उसकी सिसकियाँ मुझे और जादा जोश दिला रही थी। कुछ देर बाद 2 ऊँगली, फिर 3 ऊँगली और फिर पूरी मुट्ठी उसके भोसड़े में दे दी।

    दोस्तों जब किसी औरत का बच्चा होता है तो उसका भोसड़ा फ़ैल जाता है। उसी तरह से आज करिश्मा हो गया था। जब मैंने मुट्ठी अंदर भोसड़े में दे दी तो ज्योति की चूत बहुत फ़ैल गयी। मैंने भी खूब मजा लिया। बार बार मुट्ठी डालता और निकाल लेता। डालता और निकाल लेता। फिर ऊँगली करता। इसी खेल को बार बार करने से ज्योति झड़ गयी और अपना पानी छोड़ दी।

    "चलो कपड़े उतार दो ज्योति!!" मैं बोला

    वो अब बैठ गयी और अपनी कमीज को उतार दी। अब ब्रा भी खोल दी। पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। दोस्तों चारो तरह गन्ने के बड़े बड़े खेत थे इसलिए कोई रिस्क नही था। कोई हम दोनों को नही देख सकता था। मैंने अपना शर्ट पेंट उतार दिया। खटिया पर अपनी नंगी साली पर लेट गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। कुछ देर फिर से होठ चूसने लगा। आज पुरे 1 साल बाद ज्योति से प्यार कर रहा था इसलिए कुछ जादा ही सेक्सी मुझे लग रही थी। मैंने उसे खूब किस किया और खूब चुम्मा लिया। कुछ देर होठो पर किस किया। और अब दूध चूसने लगा। ज्योति अपनी नाक से तेज तेज गर्म गर्म सांसे मेरे चेहरे पर छोड़ने लगी। उसके दूध 34" के थे और बड़ी शान से किसी नारियल की तरह तने हुए थे।

    मैंने दोनों हाथो से दोनों दूध को मसलने लगा तो ज्योति "...उई. .उई..उई...माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह."की सिस्कारियां लेने लगी। मैं दांत से उसकी निपल्स को चबा चबाकर जब अपनी तरफ खींचता तो उसे लगती थी। "अईई !!.जीजा !! दर्द होता है। धीरे धीरे चूसो" वो कहती थी। पर मैं कहाँ सुनने वाला था। मैं 20 मिनट तक उसके दोनों बूब्स को हाथ से दबा दबाकर और बड़ा कर दिया और मुंह में लेकर सब रस चूस गया। अब मैं आकर उसके पेट चूमने लगा। कुछ देर बाद मैंने मेन काम शुरू कर दिया और उसकी चूत में अपना 10" लंड डालने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद लंड अंदर घुस गया और मैंने चुदाई शुरू कर दी। ज्योति सु सु करने लगी। मैं काम लगाना शुरू कर दिया और पट पट करके चोदने लगा। ज्योति चुदने लगी और दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़कर अपनी चूत में दबाने लगी। "" हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ..ऊँ-ऊँ.ऊँ फाड़ो जीजा!! आज तुम फाड़ दो मेरी चुद्दी को. सी सी सी सी. हा हा हा.. ओ हो हो.." मेरी साली ज्योति कहने लगी। मैंने भी अच्छे गहरे और लम्बे धक्के देने शुरू कर दिए। ज्योति की चूत से चट चट की आवाजे आने लगी। मुझे उसकी आवाजे बड़ी मीठी लग रही थी। मैं और तेज तेज हौकना शुरू कर दिया।

    ज्योति ने अपनी दोनों टाँगे मेरे मुंह पर रख दी। मैंने उसके पैरो को किस करके उसे पकर पकर पेलने लगा। वो "जीजा!! जीजा!! अई .अई. करने लगी। मैं बिना रुके अपने गन्ने के खेत में ही साली की विधिवत ठुकाई करता रहा। फिर भी मैंने नही झड़ा। मैंने अपने 10" लंड को बाहर निकाला तो मेरा सुपारा लाल लाल दिन की रौशनी में चमक रहा था।

    "चल रंडी!! चूस इसे!!" मैंने कहा और खटिया पर पसर गया और लेट गया। "जीजा नही !! लंड मत चुस्वाओ प्लीस!!" ज्योति कहने लगी

    "रंडी!! तुझे भी लंड चुसाऊंगा और तेरी माँ के मुंह में भी डाल दूंगा। अब नाटक मत कर और इसे चूसकर मुझे मजा दे" मैंने रॉब जमाते हुए कह और जबरन ज्योति का गला पकड़कर उसे अपने लंड के पास झुका दिया और उसके मुंह में लंड घुसा दिया। मजबूरन उसे मुंह खोलकर लंड अंदर लेना पड गया। आखिर वो खुल गयी और बैठकर लंड फेटने लगी और झुककर चूसने लगी।

    "बेटा!! और जल्दी जल्दी मेरा लौड़ा फेट!! धीरे में मजा नही आता है!!" मैं बोला

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    अब मेरी साली ज्योति जल्दी जल्दी मेरा 10" पहलवान वाला लौड़ा फेटने लगी और मुंह में लेकर जल्दी जल्दी सिर उपर नीचे करके हिला हिलाकर चूसने लगी। उसे भी अच्छा लगने लगा। मैं आराम से खटिया में लेता ऐश कर रहा था। ठंड के मौसम में धुप में लेटकर अपनी साली से लंड चुसाई करवा रहा था। काफी देर तक मजा वो देती रही।

    "ज्योति!! आज मेरे लंड की सवारी कर ले" मैंने कहा

    ज्योति मेरी कमर पर लंड को चूत में घुसाकर बैठ गई। मैंने उसके दूध को मसलना फिर से शुरू कर दिया।

    "चलो ज्योति चुदाई शुरू करो मेरी जान!!" मैं बोला

    ज्योति मेरे लंड की सवारी करने लगी। किसी घोड़े की सवारी जैसे लोग करते है वैसे करने लगी। ज्योति को नशा चढ़ गया और जम्प मार मारकर चुदवाने लगी। "उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी... ऊँ-ऊँ.ऊँ.."कर रही थी। 10 मिनट तक ज्योति से धक्के दिए। अब वो थक गयी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और नीचे से उपर को चूत में धक्के मारने लगा। खूब पेला ज्योति को जिससे वो वासन के नशे में आ गयी और उसकी आँखे लाल लाल हो गयी। मेरे कंधे पकड़कर वो आगे की झुक गयी। दोस्तों उसकी दुधियाँ चूचियां की निपल्स काली काली थी और बड़े बड़े काले गोले दूध पर कितने हसीन लग रहे थे।

    मैं ऊँगली से उसके अंगूर यानी की निपल्स पकड़ लिए और गोल गोल मरोड़ने लगा। ज्योति "..उंह उंह उंह हूँ.. हूँ. हूँ..हममममअहह्ह्ह्हह..अई.अई.अई..." करने लगी। फिर मुझपर ही लेट गयी। मैंने उसके मस्त मस्त चूतड़ पकड़ लिए और और कसके दबा दबाकर नीचे से उसे चोदने लगा। दोस्तों जिन्दगी का असली मजा तो साली को चोदने में आता है। मैं भी असली मर्द की तरह उसे बड़ी देर तक चोदा और फिर चूत में ही झड़ गया। पसीना छूट गया हम दोनों के। सर्दी के मौसम में ज्योति का गर्म गर्म जिस्म बड़ा सुकून दे रहा था। झड़ने के बाद भी मैंने अपना लंड उसकी भोसड़ी में घुसाए रखा और अपने सीने पर लिटाये रखा। कुछ देर बाद मैंने उसकी गांड चोदी। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।

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