नयना और दीप्ति संग चुदाई का खेल-1

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 2, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //krot-group.ru kamuk ladki

    मैं अपनी बाल्कनी में जाकर बार-बार चैक कर रहा था कि कोई मैसेज देने के लिए नयना अगर आए तो जानकारी मिल जाए।

    फिर शुक्रवार शाम को ऑफिस से आने के बाद मुझे उसकी बाल्कनी में कुछ हलचल नज़र आई.. मैं अपनी बाल्कनी का दरवाजा खोल कर बाहर गया तो देखा कि नयना वहाँ खड़ी थी और शायद मेरा ही इंतजार कर रही थी।

    हम लोगों ने अब तक मोबाइल नंबर्स एक्सचेंज नहीं किए थे इसलिए वो वहाँ आकर मेरा इन्तजार कर रही थी। उसने आज स्लीवलैस टॉप पहन रखा था और उसका गला थोड़ा ज्यादा ही गहरा खुला हुआ था इसलिए मैं उसका क्लीवेज थोड़ा अधिक ढंग से देख पा रहा था। उसने शायद ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. क्योंकि मुझे उसके टॉप के ऊपर निप्पलों के उभार दिख रहे थे.. नीचे एकदम स्किन टाइट जीन्स.. जिससे उसके गोलाकार चूतड़ एकदम उठे हुए नज़र आ रहे थे।

    जैसे ही मैं बाल्कनी में गया.. वो मुझसे मुखातिब हुई- अरे क्या बात है आशीष.. आज तुम पूरे कपड़ों में?
    मैं- अभी-अभी ऑफिस से आया हूँ नयना जी.. इसलिए!
    नयना- अच्छा.. तो क्या आज कुछ दिखाने का मन नहीं है?
    यह उसने मुझे उकसाने के लिए कहा था।

    मैं- जी मन तो उस दिन के बाद रोज़ हो रहा है.. पर क्या करूँ.. जब मैं घर पर होता था.. उस वक्त आप कभी बाल्कनी में आई ही नहीं..
    नयना- हाँ.. मैंने तुमसे कहा तो था कि अब सब्र करो थोड़े दिन के लिए.. अच्छा सुनो मेरे 'वो' आज उनके दोस्त के साथ थोड़ी देर बाद टूर पर निकल जाएँगे.. अभी वो उनके दोस्त और मेरी सहेली को लाने गए हैं.. जैसे ही वे दोनों निकल जाएँगे.. मैं तुम्हें बाल्कनी में आकर बता दूँगी, फिर तुम आ जाना.. और हाँ.. वादे के मुताबिक तुम मेरे घर में आने के बाद बाहर जाने तक कुछ भी नहीं पहनोगे।

    मैं- ओह्ह.वॉऊ.. मैं तो इसी दिन का इंतजार कर रहा था.. नयना जी थैंक यू वेरी मच..
    नयना- उसमें थैंक्स की क्या बात है.. हमें भी कुछ एग्ज़ाइटिंग लगा था.. इसलिए तुम्हें बुला रहे हैं.. तुम्हें वो सब कुछ करना पड़ेगा जो जो हम कहेंगे.. याद है न?
    मैं- जी बिल्कुल.. मैं आप दोनों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ूँगा..

    नयना- हम्म..वाहह.. आज तो तुमने इतनी देर मुझसे पूरे कपड़ों में बात की है.. हा हा हा..
    मैं- कपड़े निकालना तो मैं भी चाहता हूँ.. अगर आपको बुरा ना लगे.. तो मैं अभी सब कपड़े उतार दूँ..?
    नयना- ओह्ह.. तुम भी ना. तुम्हारी मर्ज़ी.. अभी तुम मेरे घर आए कहाँ हो कि मैं तुम्हें कुछ करने के लिए कहूँ.. अभी तो तुम अपने घर में हो.. जो चाहे वो कर सकते हो।

    इतना सुनते ही मैं जैसे बेकाबू हो गया और अगले एक मिनट में मैंने सारे कपड़े उतार कर बाल्कनी से रूम में फेंक दिए.. यह देखकर नयना हँसने लगी।

    नयना- अब जाकर असली आशीष खड़ा हुआ है मेरे सामने.. यह नंगापन ही तुम्हारा सच है.. और हाँ.. आने से पहले एक बार नीचे का मैदान अच्छे से शेव कर लो..
    मैं- जी बिल्कुल नयना जी..
    मैं उसकी तरफ देखकर हिलाने लगा.. तो वो बोली।
    नयना- देखो अभी माल गिरा दोगे.. तो वीर्य कम हो जाएगा..
    मैं- फिकर ना कीजिए नयना जी.. अभी गिराऊँगा नहीं.. अभी सिर्फ़ हिला रहा हूँ.. वैसे आज आपने अन्दर शायद ब्रा नहीं पहनी है न..
    नयना- बाप रे.. तुम्हारी नज़रें बहुत घूमती हैं.. क्या कोई भी औरत सामने आने के बाद सबसे पहले तुम मम्मों को ही निहारते हो क्या? तुम सच समझ गए हो.. मैंने आज ब्रा नहीं पहनी है.. मेरा टॉप ही इतना टाइट था कि ब्रा की जरूरत ही नहीं पड़ी..
    मैं- जी मैं भी साइन्स पढ़ा हूँ और मेरी इस नज़र की वजह से मुझे प्रैक्टिकल में पूरे के पूरे मार्क्स मिलते थे.. हा हा हा!

    मेरी बात सुनकर नयना मुस्कुराई.. और इतने में उसका मोबाइल बजा और शायद उसके पति ने कहा कि वो लोग 5 मिनट में पहुँच रहे हैं।
    नयना- चलो आशीष टाइमअप फॉर दि करेंट शो.. सी यू लेटर.. वो लोग आ गए हैं.. मुझे जाना होगा..
    इतना कहकर नयना फट से चली गई और उसने दरवाज़ा बंद कर लिया।

    मैं थोड़ी देर वहीं पर ठंडी हवा में हिलाता रहा और फिर अन्दर आकर नहाने चला गया।
    नहाते हुए मैंने अच्छे से क्रीम लगाकर झांटों को साफ़ कर लिया और फ्रेश होकर नूडल्स बना कर खा लिए।
    मैं इस सब में ज़्यादा टाइम खराब नहीं करना चाहता था।
    अब मैं पूरी तरह से रेडी था.. मैं अब उसके बुलावे के इन्तजार में टाइम पास कर रहा था।

    तकरीबन रात के 10 बजे मैंने नयना की बाल्कनी से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी.. उत्तेजना में मेरा लौड़ा पूरा तना चुका था.. मैंने भी अपनी बाल्कनी का दरवाज़ा खोला और सामने चला गया।

    जैसे ही मैं सामने को गया.. मैं हक्का-बक्का रह गया.. मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं और मैं एकदम से सुन्न हो गया.. नयना के साथ उसकी दोस्त भी बाल्कनी में आ चुकी थी और वो दोस्त दूसरी तीसरी कोई नहीं.. मेरी ही कंपनी में एचआर डिपार्टमेंट में काम करने वाली एचआर टीम लीडर दीप्ति थी।

    एक ही कंपनी में होने के कारण और एचआर टीम से अक्सर जुड़े होने के कारण मुझे दीप्ति का डॉमिनेंट नेचर पता था।
    जितना मैं शॉक्ड था.. उतनी ही वो भी शॉक्ड थी..।मुझे इस हालत में देखकर वो भी दंग रह गई थी।

    मैं खुद को ढकने के लिए कुछ देख रहा था.. पर बाल्कनी में कुछ नहीं था.. तो मैंने मेरे हाथ का इस्तेमाल किया।
    इतने में नयना ने चुप्पी तोड़ी और मुझे कहा- आशीष अब तुम आ जाओ..
    इतने में दीप्ति बोली- आशीष तुम?? और यहाँ ऐसी हालत में??

    नयना- क्या तुम एक-दूसरे को जानते हो?
    दीप्ति- अरे हम दोनों एक ही कंपनी में काम करते हैं.. जहाँ मैं एचआर लीडर हूँ वहीं पर यह कन्सल्टेंट टीम में काम करता है।

    नयना- बाप रे.. यह तो बहुत बड़ा इत्तेफाक है.. उस दिन दोपहर में जब तू मुझे पूछ रही थी कि क्यों हँस रही है.. तब मैं इसे ही देखकर हँस रही थी.. चलो अच्छा हुआ.. अब ज़्यादा जान-पहचान बनाने की ज़रूरत नहीं है.. आशीष तुम आ जाओ.. प्लान तो वैसे भी बना ही था.. यहाँ आओ.. फिर बाकी की बातें करते हैं।
    मैं- ठीक है..

    वो दोनों अन्दर चली गईं.. और मैं भी मेरे रूम में आ गया.. मैं मन ही मन सोच रहा था कि यह क्या हो गया. मेरी ऑफिस की लड़की के सामने ही अब मैं नंगा हो गया.. अब जाना तो पड़ेगा ही.. इसलिए मैं सिर्फ़ एक 'थ्री-फोर्थ लोवर' और टी-शर्ट पहन कर नयना के घर जाने के लिए निकला।
    अब मैं आप सभी को दीप्ति के बारे में ज़रा बताता हूँ।
    दीप्ति एक अतिमहत्वाकांक्षी लड़की है और उसके बात करने के तरीके से समझ में आता है कि वो कितनी डॉमिनेंट नेचर की है.. उसने बॉडी भी वैसी ही पाई है.. जैसी एक महत्वाकांक्षी लड़की की होनी चाहिए।
    जिस्म में जिधर उभार और कटाव होने चाहिए ठीक उसी जगह पर उसके कटाव और उठाव थे.. एकदम ठोस मम्मे.. पतली कमर और एकदम गोल और उठे हुए चूतड़.. थोड़ी ऊँचाई अधिक होने के कारण लंबी और कसी हुई टाँगें थीं।
    जब वो टाइट स्कर्ट्स पहन कर ऑफिस में आती है.. तो शायद ही कोई मर्द उसे दोबारा मुड़कर ना देखता हो.. कई बार उसने मुझे उसे घूरते हुए नोटिस किया था और नज़र में ही दम भर दिया था कि ऐसा ऑफिस में नहीं करना चाहिए।

    अगर आज उसने उन सब बातों का बदला लेने का सोचा.. तो मेरी क्या हालत होगी.. और मैं तो खुद को बिल्कुल बिना कपड़ों के उन दोनों के हवाले करने वाला हूँ। यह सब सोचते हुए मैं अपने अपार्टमेंट से उतर कर नयना के अपार्टमेंट में जा चुका था।

    पड़ोस वाली बिल्डिंग में ही रहता था इसलिए वॉचमैन ने भी ज़्यादा कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं समझी।
    मैं लिफ्ट में चढ़ गया.. अब ना जाने क्यों.. मेरी धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं।

    नयना का फ्लोर आते ही मैं लिफ्ट से बाहर आया। उस फ्लोर पर 4 ही फ्लैट्स थे और उनमें से तीन में ताला लगा हुआ था.. शायद वीकेंड होने के कारण सब बाहर गए हुए थे।

    मैंने डोर बेल बजाई और नयना ने दरवाज़ा खोला.. मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं।
    नयना- वेलकम आशीष.. यहीं पर तुम अपने कपड़े उतार कर मेरे पास दे दो.. अब ये तुम्हें रविवार की रात में जब यहाँ से जाओगे.. तब इसी जगह मिलेंगे..

    मैं- नयना जी.. यहाँ पर कैसे.. अन्दर तो आने दीजिए..

    नयना- क्यों क्या हुआ.. कोई तो है नहीं यहाँ.. और वैसे भी मेरी और तुम्हारी मुलाकात तुम्हारे नंगेपन से हुई है.. तो मेरे घर तुम कपड़े पहन कर कैसे आ सकते हो? तुम्हें तुम्हारी असली पहचान में ही अन्दर आना होगा.. और हाँ ना करने का तो तुम शायद ही सोचोगे.. क्योंकि तुम्हारी एचआर सब कुछ जान चुकी है।

    नयना ने बिल्कुल निशाने पर तीर मारा था.. अगर अब मैं वहाँ से चला जाता तो पता नहीं दीप्ति क्या कर लेती.. और वैसे भी हमारे देश मे एक महिला कुछ भी शिकायत करे तो दोषी तो मर्द को ही पाया जाता है।

    मैंने इधर-उधर देखा.. सन्नाटा छाया हुआ था.. इसलिए टी-शर्ट और लोवर उतार कर नयना के हाथ में दे दिए। डर की वजह से मेरा लौड़ा पूरी तरह से सिकुड़ गया था.. और उसे इतना छोटा देखकर वो मुस्कुराई और मुझे अन्दर बुला लिया।

    मैं अन्दर आया तो दीप्ति सामने सोफे पर बैठी हुई थी। स्किन कलर की एकदम चुस्त लेग्गी और स्लीवलैस टॉप उसने पहना हुआ था। दोनों ही एकदम कातिल लग रही थीं। नयना मेरे कपड़े रखने अन्दर चली गई.. जाते हुए उसने कहा।

    नयना- दीप्ति.. ये तेरे एंप्लाई की असली पहचान है.. हा हा हा हा..

    दीप्ति- हाँ सच कहा तुमने.. आज इसका एक और इंटरव्यू होगा.. देखते हैं ये पास होता है या फेल.. हा हा हा हा.. आशीष यहाँ आओ और मेरे सामने खड़े हो जाओ..

    मैं ठीक दीप्ति के सामने जाकर खड़ा हो गया। वो मुझे नीचे से लेकर ऊपर तक देखने लगी.. तभी नयना अन्दर से बाहर आकर दीप्ति के बाजू में बैठ गई।

    दीप्ति- देखो नयना.. मेरी तरफ ऑफिस में घूर-घूर कर देखने वाले को आज भगवान ने मेरे ही सामने बिना कपड़ों का खड़ा कर दिया.
    नयना- हा हा हा हा.. जैसी करनी वैसी भरनी..

    शायद मेरे साथ अगले 2 दिन होने वाले अत्याचार की यह शुरूआत थी।
    दीप्ति ने मुझे मुड़ने के लिए कहा.. वो मुझे पीछे से देखना चाहती थी, मेरे मुड़ते ही मेरी गाण्ड देखकर वो बोली।

    दीप्ति- नयना.. हा हा हा हा.. इसकी गाण्ड इतनी मुलायम और शेप में है.. बिल्कुल नहीं लगता कोई मेल के चूतड़ हैं ये.. हा हा हा हा हा..
    दोनों हँस पड़ीं.. पहली बार मुझे बहुत शर्म आ रही थी। मुझसे बड़ी दो औरतों के सामने.. मैं बेशरम जैसा नंगा खड़ा था।

    दीप्ति ने मुझे झुकाकर पैर फैलाने के लिए कहा।
    दीप्ति- वॉऊ.. कितना मस्त गाण्ड का छेद है इसका.. और ये देखो इसकी छोटी-छोटी सी गोटियाँ कितनी क्यूट लग रही हैं..
    नयना- हा हा हा हा.. हाँ ना.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कोई छोटा बच्चा सामने नंगा खड़ा हुआ है..
    वो दोनों शायद जानबूझ कर मुझे अपनी बातों से सताए जा रही थीं। ना चाहते हुए भी मैं वो सब सहन कर रहा था क्योंकि मेरी ही इच्छा से ही मैंने अपने आपको उन दोनों के हाथ सौंप दिया था।

    दीप्ति- अब ठीक से खड़े हो जाओ और सामने वाला तिपाई लाकर उस पर खड़े हो कर 20 उठक-बैठक करो.. मुझे गंदी नज़र से ऑफिस मे देखने के लिए.. यह तुम्हारी सज़ा है।

    मैं चुपचाप तिपाई पर खड़ा रह कर उठक-बैठक करने लगा.. मेरा छोटा सा लौड़ा उठते-बैठते जिस तरह हिल रहा था.. वो देखकर वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।
    करीब 20 उठक-बैठक होने के बाद नयना ने कहा।

    नयना- अब मैं कॉफी बनाने जा रही हूँ.. तब तक तुम मुर्गा बनकर रहोगे इस तिपाई पर.. ये मेरे सामने अचानक से नंगा होने के सज़ा है।

    मैं चुपचाप मुर्गा होकर बैठ गया और वे दोनों फिर हँसने लगी। लगभग 10 मिनट में 3 कप लेकर नयना आई और मुझे उठने के लिए कहा। मुझे एक कप देकर उन दोनों ने एक-एक कप उठा लिया और मुझे वहीं तिपाई पर बैठ कर पीने को कहा।

    कुछ ही देर में हमने कॉफी ख़त्म कर दी तो दीप्ति ने कहा- चल अब इससे ज़रा फ़ुट-मसाज लेते हैं.. पैर अच्छी तरह से धोकर आएँगे।
    वो दोनों बाथरूम में जाकर अच्छे से पैर धोकर आईं।

    नयना- आ जाओ.. हमारे गुलाम.. हम दोनों के पैरों को मसाज दो..
    मैं- जी ठीक है.
    दीप्ति- तुझे मसाज अपने मुँह से देनी है..

    मैं यह सुन कर सनाका खा कर रह गया लेकिन मेरे पास उनके आदेश को मानने के अलावा और कोई रास्ता ही था।

    नयना- वाउ.. ये तो ज़्यादा एग्ज़ाइटिंग है.. मैंने इस सब के बारे में कुछ कहानियों में भी पढ़ा है।
    दीप्ति- फिर आज अनुभव भी कर ले.. आशीष तू इन्तजार किस बात का कर रहा है.. चल शुरू हो जा..
     
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