पारिवारिक दोस्त का उपहार

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Feb 26, 2017.

  1. 007

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    //krot-group.ru प्रेषक : राज .

    हैल्लो दोस्तों, में आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ। दोस्तों मेरी दीदी की एक बहुत अच्छी सहेली है, जिन्हें में भी हमेशा दीदी ही बोलता हूँ और वो हमारे पूरे परिवार से बहुत अच्छी तरह से परिचित भी है और वो बहुत मोटी है। दोस्तों मैंने कभी भी उन्हें अपनी ग़लत नज़र से नहीं देखा, लेकिन उनकी भी एक दीदी है, जिनका नाम गुड़िया है, जिनकी शादी हो चुकी है और वो बहुत सुंदर और आकर्षक है और उनके फिगर का सही आकार 35-30-34 है और में उन्हें उनकी शादी के पहले से ही मन ही मन में पसंद करता था, क्योंकि वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी। उनका रंग गोरा बाहर की तरफ निकलते झूलते हुए बूब्स नशीली आखें अपनी तरफ आकर्षित करने वाला वो कामुक बदन जिसका में पूरी तरह से दीवाना बन गया था।

    दोस्तों यह बात अगस्त 2012 की है, तब मुझे पता चला कि उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी नहीं चल रही थी, क्योंकि उनके पति उन पर हमेशा किसी भी बात को लेकर शक किया करते थे और वो हमेशा उनसे लड़ते थे और वो बहुत परेशान भी चल रही थी और वो रक्षा-बंधन पर अपने घर आने वाली थी और यह सभी बातें मुझे उनके घर से पता चल गयी। अब मैंने मन ही मन में यह सोच लिया था कि इस बार उन्हें अपनी तरफ से समझाकर उनको दिलासा देकर में उनको अपने ज्यादा पास ला सकता हूँ, हमारे बीच की दूरियां खत्म होते ही उस वजह से मेरा काम बन सकता है और मुझे आगे बढ़ने का मौका मिल जाएगा और यह बात सोचकर में अब उनका अपने घर पर आ जाने का इंतज़ार करने लगा।

    फिर दो दिन बाद उनके आ जाने के बाद में रोज़ उनके घर चला जाता था, उनकी अपने घर पर भी अपनी बहन और भाभी से भी ज्यादा नहीं बनती थी, इसलिए वो मुझसे ही अपने मन की सारी बातें किया करती थी और इसलिए वो मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त भी बन गयी थी, हम लोग हमेशा उनके घर की छत पर ही बैठकर बातें किया करते थे और हम दोनों एक दूसरे के साथ अपना बहुत समय बिताने लगे थे। दोस्तों यह सितंबर की बात है और एक बार छत पर टहलते समय मैंने उनसे पूछा क्या में आपका हाथ पकड़ लूँ? तो उन्होंने कहा कि हाँ ठीक है और उसके बाद हम लोग एक दूसरे का हाथ पकड़कर टहलने लगे और बातें करने लगे। तब मैंने महसूस किया कि उसके हाथ बहुत मुलायम थे और वो मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बहुत अच्छा महसूस कर रही थी और फिर रात को 9 बजे में अपने घर पर आ गया, लेकिन में अब तुरंत समझ गया था कि अब लोहा गरम हो चुका है। फिर अगले दिन मैंने उसके लिए एक छोटा सा उपहार खरीदा और मैंने उसके घर जाकर उससे कहा कि में तुम्हारे साथ घूमने जाना चाहता हूँ। अब वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर तुरंत तैयार हो गयी और अपने घर पर चेकअप के लिए जाने का बहाना करके वो मेरे साथ आ गयी और मेरी गाड़ी पर भी वो मुझसे बहुत चिपककर बैठी हुई थी। फिर में जानबूझ कर अपनी गाड़ी को ज़ोर से ब्रेक लगा देता, जिसकी वजह से उसके बूब्स मेरी कमर से दब जाते और में मन ही मन बहुत खुश हो जाता, जो मुझे बहुत अच्छा अहसास दे रहे थे और मेरी उस हरकत का मतलब वो भी ठीक तरह से समझ चुकी थी, इसलिए उसने मुझसे कुछ भी नहीं कहा और फिर कुछ देर चलने के बाद में उसको एक कॅबिन वाले रेस्टोरेंट में ले गया और वहीं पर मैंने उससे अपने मन की वो सच्ची बात कही, जिसको में बहुत दिनों से कहने का मौका देख रहा था और मैंने उससे अपने सच्चे प्यार के बारे में कह दिया और फिर उसी समय उसको वो उपहार भी दे दिया।

    अब उसने भी मेरा वो प्यार कबूल कर लिया था, जिसकी वजह से में मन ही मन बहुत खुश था। में बिल्कुल पागल हो चुका था, लेकिन जब में उसको किस करने के लिए आगे बढ़ने लगा, तब वो मुझे रोकने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि यह सब बहुत गलत है, वो ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि उसको मन ही मन ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे वो मेरे साथ यह सब करके अपने पति को धोखा दे रही है। फिर उस वक़्त मैंने उसको अपनी तरफ से बहुत बार समझाया, लेकिन वो फिर भी नहीं मानी और मैंने अपनी तरफ से हर एक कोशिश करके देख लिया, तब भी वो नहीं मानी और फिर हम दोनों उस रेस्टोरेंट से वापस अपने घर पर आ गये। फिर में बहुत उदास हो गया और घर पर आने के बाद में उसी के बारे में सोचता रहा और उसको अपनी बातों में फंसाने के बारे में नये विचार बनाने लगा। फिर रात को ना जाने कब मुझे नींद आ गई। दोस्तों उसके अगले दिन मेरे घर पर कोई भी नहीं था तो मैंने उसको मेरे घर पर बुला लिया और वो भी टेलर के पास अपना सूट डालने जाने का बहाना करके मेरे घर पर चली आई। तब मैंने उसको दोबारा से किस किया, लेकिन अब वो फिर से मुझे मना करने लगी। फिर मैंने जबरदस्ती उसको पकड़कर में उसकी सलवार के ऊपर से ही पहले कुछ देर तक उसकी चूत को अपने एक हाथ से सहलाने लगा और जब उसने मेरा विरोध करना कम कर दिया, तब में उसकी चूत को कपड़ो के ऊपर से ही चाटने लगा और फिर मैंने महसूस किया कि अब उसका विरोध बिल्कुल कम हो गया और उसी समय में अपने एक हाथ को उसके बूब्स तक ले जाकर बूब्स को भी धीरे धीरे सहलाने लगा, जिसकी वजह से वो अब अपनी हल्की आवाज के साथ मोन करने लगी, लेकिन उसी समय दरवाजे पर लगी घंटी बज गई। अब में उसको वैसे ही छोड़कर दरवाजा खोलने चला गया, तब मैंने देखा कि अब मेरी मम्मी वापस आ गयी थी और वो कुछ देर तक मेरी मम्मी से बात करने के बाद वापस अपने घर चली गयी, लेकिन वो मुझे उसके चेहरे से बहुत खुश नजर आ रही थी, में उसकी ख़ुशी का मतलब साफ साफ समझ चुका था। फिर जब में शाम को उसके घर गया तो मैंने देखा कि वो अपने कमरे में बैठी हुई टी.वी. देख रही थी और उसने उस समय मेक्सी पहनी हुई थी। अब उसने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि आज जब तुम मेरी चूत को चाट रहे थे, तब मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। उसके मुहं से यह बात सुनते ही मैंने उसका इशारा समझकर तुरंत अपना एक हाथ उसकी मेक्सी के अंदर डाल दिया और मैंने उसकी चूत में अपनी दो उँगलियों को डाल दिया और तब मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत गरम, रसभरी थी और उस पर झांटे भी थी, लेकिन उसके पहले एक बच्चा हो जाने की वजह से उसकी चूत बहुत ढीली भी हो चुकी थी, लेकिन थी बड़ी मजेदार जोश से भरी हुई, में कुछ देर तक उसको अपने हाथ से सहलाते अपनी उँगलियों को चूत में डालकर मज़े लेता रहा। फिर उसने मुझसे कहा कि अभी नहीं इस समय सभी लोग घर पर है, जब कोई भी नहीं होगा तब करना, में तुम्हें सही मौका देखकर तुम्हें बता दूंगी। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है, लेकिन तुम सबसे पहले अपनी झांटे जरुर काट लेना, क्योंकि मुझे चूत पर झाटे बिल्कुल पसंद नहीं है। फिर उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि में तो हेयर रिमूवर काम में लेती हूँ, लेकिन वो अभी खत्म हो गया है, इसलिए अब तुम ही मुझे वो बाजार से लाकर दे देना। फिर मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है मेरी रानी में लाकर तुम्हें अभी दे देता हूँ और उसके कुछ देर बाद मैंने उसको एनफ्रेंच हेयर रिमूवर लाकर दे दिया। अब शाम को मैंने उसको मिलकर उसकी चूत को देखा जिसको उसने अपनी चूत पर लगाकर अपनी चूत को एकदम चमकाकर चिकना कर दिया। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

    फिर उसके बाद जब हम दोनों दोबारा छत पर गये। तब शाम के आठ बज चुके थे और इसलिए ऊपर बहुत अंधेरा भी था। फिर मैंने उसकी सलवार में अपने एक हाथ को डालकर उसकी चूत में अपनी उंगली को भी मैंने डाल दिया और में चूत को सहलाने लगा। अब उसने मुझसे कहा कि प्लीज़ तुम अपनी उंगली को मेरी चूत के अंदर, बाहर करो, में बहुत तड़प रही हूँ और वो मुझसे इतना कहकर अपना हाथ मेरी पेंट में डालकर मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लगी, जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड तनकर खड़ा भी हो गया था और कुछ ही देर में वो भी अब पूरी तरह से जोश में आ गयी थी और वो ना जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थी और वो मुझसे कहने लगी, आईईईईई उफ्फ्फफ् हाँ और तेज़ स्सीईईईई डाल दो पूरा अंदर तक हाँ आज तुम बुझा दो मेरी इस चूत की प्यास को आह्ह्हह्ह्ह्ह तुम आज मेरे जिस्म की आग को ठंडा कर दो। फिर मैंने उससे पूछा कि तुम्हें क्या हुआ है? तब उसने मुझसे कहा कि मेरा तो आज ऐसा मन कर रहा है कि में तुम्हें अभी नीचे पटक दूँ और तुम्हारे साथ में पूरी रात बहुत जमकर सेक्स के मज़े लूँ और अपनी पूरी प्यास को आज तुमसे बुझा लूँ, लेकिन में उसी समय अचानक से रुक गया। फिर उसने मुझसे कहा कि प्लीज राज तुम ऐसे मत रूको प्लीज करते रहो लगातार और अब मैंने उससे कहा कि पहले तुम मुझे बताओ कि सेक्स क्या होता है? तो वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि तुम अब ज्यादा अंजान मत बनो क्या तुम्हें इसका मतलब पता नहीं है? तब मैंने उससे कहा कि हाँ मुझे सब कुछ पता है, लेकिन तुम मुझे अपने शब्दों में पूरी तरह से खुलकर बताओ और फिर वो मुझसे कहने लगी कि जब भी तुम चूत में लंड डालकर उसको अंदर बाहर करते हो तो वो सेक्स होता है और अब प्लीज़ तुम मेरी चूत में अपनी ऊँगली को दोबारा अंदर बाहर करो ना। फिर में उससे बोला कि में तुम्हें आज एक रंडी की तरह जमकर चोदना चाहता हूँ, जिसको तुम पूरी जिंदगी याद रखोगी। फिर वो मुझसे पूछने लगी कि रंडी को कैसे चोदते है? तो मैंने उसी समय अपना पूरा हाथ उसकी चूत में जबरदस्ती घुसेड़ दिया और उससे कहा कि ऐसे, तो वो दर्द की वजह से बहुत ज़ोर से चिल्लाई, आईईईईइ माँ में मर गई राज प्लीज तुम यह क्या कर रहे हो ऊईईईईईइ प्लीज तुम अपना हाथ बाहर निकालो नहीं तो में मर जाउंगी, यह तुम क्या कर रहे हो रहने दो मुझे नहीं करना तुम्हारे साथ ऐसा मज़ा तुम यह चुदाई अभी इसी समय बंद करो, तुम सिर्फ़ अपनी दो उंगली मेरी चूत में डालो। फिर में उससे बोला कि पहले तू मुझे बता कि तू मेरी रंडी कब बनेगी? तब वो कहने लगी कि जब भी हमें अगला अच्छा मौका मिलेगा, तब में तुम्हारी रंडी भी बन जाउंगी और उसके बाद में उसके दर्द चीखने चिल्लाने और उसकी उस बात को सुनकर में वापस उसकी चूत में अपनी दो उँगलियों को डालकर उसकी चुदाई करने लगा था और उसके कुछ देर बाद वो झड़ भी चुकी थी और उसके बाद में अब हर रोज़ रात को छत पर उसकी चूत में अपनी उँगलियों को डालकर उसकी चुदाई करके उसकी चूत को शांत करता था, लेकिन हम दोनों को चुदाई का कोई भी अच्छा मौका नहीं मिल रहा था और उसके ससुराल वालों से बातचीत रजामंदी होने के बाद वो वापस अपने ससुराल भोपाल चली गयी और में उसकी चुदाई बारे में बस सोचता ही रह गया, मुझे उसकी बहुत याद आती थी। मैंने उसको बहुत बार फोन करके भी अपने लंड को हिलाकर शांत किया और उसने अपनी चूत में ऊँगली डालकर मज़े लिए। में उसके दोबारा आने का इंतजार करता रहा।

    फिर हमारी अच्छी किस्मत से उसके जाने के एक महीने के बाद ही मेरा भी एक बहुत बड़ी कंपनी में एक इंटरव्यू था और उसके लिए मुझे भोपाल जाना पड़ा और मैंने उसको इस बात के बारे में पहले से ही फोन करके बता दिया था। फिर जब में उसके घर पर पहुंचा तब मेरी किस्मत ने भी मेरा पूरा पूरा साथ दिया, क्योंकि मुझे पता चला कि उसका पति उसकी कंपनी के काम से जबलपुर गया हुआ था, इसलिए वो घर पर बिल्कुल अकेली थी और उसके सास-ससुर भी किसी शादी में किसी दूसरे शहर गये हुए थे। फिर में वो सभी बातें सुनकर बहुत खुश हुआ और में उसके बेडरूम में उसके साथ सोने चला गया, वहां पर में उसको किस करने लगा। फिर वो मुझसे कहने लगी कि सिर्फ़ किस करना, क्योंकि इस समय मेरे पीरियड चल रहे है, तब मैंने उससे कहा कि में तो फंस गया, क्योंकि में तो कल सुबह ही वापस चला जाऊंगा और उससे यह बात बोलकर मैंने बिना देर किए उसका सूट और ब्रा को भी उतार दिया और में उसके बूब्स को चूसने लगा और उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाकर उनका रस निचोड़ने लगा और कुछ देर बाद जब में उसकी सलवार का नाड़ा खोलकर उसको उतारने लगा। तब मेरा हाथ पकड़कर मुझसे बोली कि नहीं रहने दो मैंने पेड पहना हुए है और वो मुझसे मना करने लगी और अब में कपड़ो के ऊपर से ही उसकी चूत को छूकर महसूस करने लगा। तब मैंने महसूस किया कि उसने उस समय सच में पेड पहना हुआ था, लेकिन मैंने जल्दी से अपने लंड पर कंडोम पहन लिया और मैंने उसके बूब्स को चूसते चूसते ही सही मौका देखकर उसकी सलवार को भी उतार दिया, वो मुझसे बार बार मना करती रही और फिर मैंने उसकी पेंटी को भी हटाकर उसकी चूत में अपने लंड को भी एक जोरदार झटके से डाल दिया, जिसकी वजह से वो ज़ोर से चिल्लाई आह्ह्ह्हहहह ऊउईईईईइ उफ्फ्फ्फ़ प्लीज राज ऐसा तुम मेरे साथ मत करो, मुझे बहुत जलन हो रही है और दर्द भी हो रहा है, लेकिन में अब कहाँ उसकी कोई भी बात मानने वाला था। फिर में तो बिना एक भी पल गँवाए उसको अपनी तरफ से लगातार झटके देकर चोदता ही रहा, क्योंकि उसने मुझे बहुत तड़पया था, इसलिए में आज उससे बदला लेने के लिए उसके ऊपर लेटकर अपना पूरा लंड उसकी चूत से बाहर निकालता और फिर अपने एक जोरदार धक्के के साथ में अपने लंड को उसकी चूत में पूरा अंदर तक घुसा देता, जिसकी वजह से वो हर झटके पर ज़ोर से चिल्ला रही थी, आह्ह्ह्हहहह राज प्लीज अब बस भी करो आऐईईईईई मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज धीरे करो ना में मर जाउंगी, लेकिन मैंने उसकी एक भी बात नहीं सुनी और में करीब 20-25 मिनट तक उसको ऐसे ही लगातार धक्के देकर चोदने के बाद में झड़ गया।

    फिर मैंने उससे पूछा क्यों तुम्हें कितना मज़ा आया? तब वो कहने लगी कि "पीरियड में भी कभी किसी लड़की को मज़ा आता है क्या? तो मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है, लेकिन तुम्हें मुझ पर मेरी चुदाई पर विश्वास ना हो तो तुम एक बार मेरा लंड अपने मुहं में लेकर इसको चूसकर दोबारा खड़ा कर दो। उसके बाद में तुम्हें चुदाई का दोबारा असली मज़ा दूंगा, लेकिन उसने मुझसे ऐसा करने के लिए साफ मना कर दिया और में उसके बूब्स को सक करने लगा और उसके निप्पल को चूसने और बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा था, जिसकी वजह से करीब दस मिनट में ही मेरा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो गया। तब मैंने उसको खींचकर अपने ऊपर ले लिया और फिर मैंने महसूस किया कि अब उसको भी मेरे साथ बड़ा मज़ा आने लगा था और वो मुझसे बोले जा रही थी आअहह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ हाँ आज पहली बार मुझे पीरियड में ऐसी चुदाई के मज़े मिले है, जिनको में किसी भी शब्दों में तुम्हें नहीं बता सकती, वाह मज़ा आ गया, तुम बहुत अच्छे हो और इस काम में तुम बहुत अनुभवी भी हो, तुमने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया है, तुम्हें इस काम में बहुत कुछ आता है, जिस किसी भी लड़की से तुम्हारी शादी होगी, उसकी किस्मत खुल जाएगी और वो तो तुम्हारे साथ हर रात को बहुत मज़े मस्ती करेगी, क्योंकि तुम उसकी चुदाई करके उसको हमेशा खुश रखोगे, क्योंकि तुम्हारे लंड के साथ साथ तुम्हारा पूरा बदन बहुत बलशाली दमदार है मज़ा आ गया। फिर मैंने कहा कि तुम भी कोई कम नहीं हो, तुम्हारी इस कामुक चूत को देखकर में बिल्कुल पागल हो गया था और मैंने पीरियड में भी तुम्हें चोदने का वो काम कर दिया, जिसको कोई भी नहीं करता और यह तुम्हारे गोरे गदराए सेक्सी बदन का ही परिणाम है। फिर करीब दस मिनट के बाद वो झड़ गयी और उसकी चूत से वीर्य बहकर बाहर आने लगा, जिसके साथ साथ अब उसका जोश भी ठंडा होता चला गया। अब में उसके ऊपर आ गया और में भी करीब दस मिनट में ही झड़ गया और तब तक 3:30 बज चुके थे और एक घंटा सोकर थोड़ा सा आराम करने के बाद में उठकर स्टेशन अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए निकल गया, जाने से पहले मैंने उसको एक बार लिप किस किया, जिसमें उसने मेरा पूरा साथ दिया और में उसको अपनी तरफ से पूरी तरह से संतुष्ट करके वहां से चला आया और में भी बहुत खुश था। दोस्तों उसके कुछ दिनों बाद ही मुझे पता चला कि उन लोगों का अब भोपाल से भी तबादला हो चुका है और तब से लेकर आज तक मेरा गुड़िया से कोई भी सम्बंध नहीं है, हमारे बीच फोन पर भी बातें अब खत्म हो गई है ।।

    धन्यवाद .


     
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