लंड की भूखी लडकियों की ट्रेन में चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Feb 16, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    Joined:
    Aug 28, 2013
    Messages:
    134,296
    Likes Received:
    2,131
    //krot-group.ru लंड की भूखी लडकियों की ट्रेन में चुदाई

    दोस्तों वैसे तो मेरी इस घटना को काफी दिन हो गये है बड़े दिनों से सोच रहा था की आज लिखुगा कल लिखुगा पर अब तक मस्ताराम की ढेर सारी कहानियां पढ़ चूका हूँ अब पढ़ पढ़ के दुसरे लोगो को कहानिया उब गया हु आऊ आज से अपनी कहानियां लिख रहा आशा करता हु सभी कहानियो की तरह मेरी कहानी को भी आप लोग प्यार देगे बहुत दिन हुए मैं एक ट्रेन से वापिस घर आ रहा था. रात भर और पूरे दिन चल कर ट्रेन दिल्ली पहुँचती कोई २० घंटे में और आगे होती हुई जम्मू तक जाती. मुझे उतरना था दिल्ली, और मेरी स्लीपर टिएर में बुकिंग हुई हुई थी. हमेशा मेरी नज़र आस पास के माल पे रहती थी और कोई माल नज़र नहीं आती तो मैं पूरे टाइम सोता रहता था. कई बार पास बैठे लडकी के मम्मे छूने को और कभी कभी मसलने को मिल जाते थे. ट्रेन में चढ़ के बड़ी निराशा हुई क्यूंकि कोई भी महिला ४० से नीचे नहीं और ४० के ऊपर भी एक भी ठीक आकृति की नहीं. ऊपर से सारी सीटें भर चुकी थी और लोग कम से कम दिल्ली तक जा रहे थे तो किसी लडकी के बीच में आने की भी कोई उम्मीद नहीं. मैं कई बार जब किसी लडकी के ऊपर वाली सीट मिलती थी तो वो ऊपर मुंह करके सो रही होती थी और मैं नीचे मुंह करके रात में नीचे ज़रा झाँक झाँक के अपनी सीट पे घिस्से लगाता रहता. मेरी उम्र भी कोई १९-२० साल की ही थी तो मैं उतना परिपक्व नहीं हुआ था, कम से कम दिमागी तौर पे. चुदाई का भी कोई बहुत ज्यादा अनुभव नहीं था, लेकिन उदघाटन हो चुका था और कुछ एक बार चुदाई भी कर ही चुका था. मैं जानता हूँ के आजकल के ज़माने में लोग बहुत जल्दी ये काम कर लेते हैं, लेकिन हमारे ज़माने में ऐसा नहीं था. तो कोई माल वाल न देख के हमने सोचा के इस बार आँखें या हाथ गर्म करने को न मिलेंगे. इस बार मेरी सीट थी किनारे पे, नीचे वाली. श्याम का वक़्त था तो मैं पसर के सो गया. रात में लोग आते जाते रहे मैंने आँखें न खोली के कहीं कोई रोजाना सफ़र करने वाला मुसाफिर जगह न मांग ले. फिर कुछ लडकीयों के हंसी मजाक करने की आवाज़ आयी तो मैंने आँखें खोली. मेरे डिब्बे में कई लडकियां, सब की सब स्पोर्ट्स-सूट में, और साड़ी १६ से १८ साल की उम्र में, एकदम तरोताजा, मांसल और भरी भरी, खादी बतिया रही थी. मैंने अपनी चद्दर ऊपर से हटाई और बाथरूम जाने के बहाने से सबसे सुन्दर लडकी, जो रास्ते में खड़ी थी, उसकी गांड पे हल्का सा लंड रगड़ते हुए निकल गया. वापिस आके देखा तो लडकियां पूरे डब्बे में फैल गयी थी और दौ लडकियाँ मेरे सीट पे बैठी थी, जिनमे से एक वही सुन्दर लडकी जिसे मैं घिस्सा लगा कर गया था. मेरे वापिस आने पे वो दोनों खड़ी हो गयी तो मैंने बोला के कोई बात नहीं, बैठ जाओ, मैं अभी सोने वाला नहीं. सो, मैं एक कोने में, सुन्दर लडकी मेरे साथ और दूसरी लडकी, जो खुद भी बड़ी हसीन थी, उसके बाजू में. मैंने सोचा ऐश हो गयी, थोड़ी थोड़ी रगडा रगडी होगी. मैं क्या जानता था के मेरी किस्मत खुलने वाली है. आप यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
    थोड़ी देर में मैं उन लड़कियों से घुल मिल सा गया. बताया के मैं एक अभियान्त्रक हूँ, और अपने कॉलेज से वापिस घर जा रहा हूँ छुट्टियों के लिए. लड़कियों ने बताया के वो अपने स्कूल की वोल्ली बाल टीम में हैं और किसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही हैं. किसी वजह से उन की सीट बुक नहीं हो पायी तो पूरी टीम ऐसे ही डब्बे में चढ़ गयी. उनके कोच महोदय भी ट्रेन में ही थे. युवा हृष्ट पुष्ट कन्याएं थी, हंसी मजाक में दिल्ली पहुँच जायेंगी, सो मामूली बात थी. मैंने सोचा रस्ते में जबरदस्ती किसी ठुल्ले से या रोज़-मर्रा वाले यात्रियों से तो इन कन्याओं के साथ वक़्त बिताना ज्यादा मजेदार है. मै अपनी ओढी हुई चद्दर ले के एक कोने में बैठा हुआ था. लड़कियों का नाम था किरन (माल वाली) और चंदा, जो थोड़े गाँव वाली टाइप थी. किरन थी नागपुर से और बहुत बातूनी. थोड़ी देर में कोच महोदय आये और बोले के एक और लडकी के बैठने की जगह है साथ वाले खाने में, तो चंदा भी चली गयी. लेकिन ज्यादा दूर नहीं, जहां हम बैठे थे, अगले ही खाने में वो और कोच हमारे सामने ही बैठे हुए थे. मैंने कहा - चलो अब खुल के बैठ सकते हैं. कहके मैंने चौकड़ी ऐसे लगा रखी थी के पहले हलके हलके मेरे पाँव साइड से उसके कूल्हों पर लगने लगे. एकदम भरे भरे गदराये चूतड थे उसके. मेरा सोच सोच के ही लंड खडा हो गया. किरन वहीं बैठी रही और टस से मस ना हुई. हम लोग वैसे ही बातों में मस्त रहे. वो पूछने लगी शौक वगैरा, वही लड़कियों वाले सवाल. मैंने कहा- मूवी, क्रिकेट, नोवेल पढना, वगैरा. वो बोली- और दोस्त बनाना, है ना? मैंने कहा- हाँ, वो भी. वो बोली- गुड, मेरी भी यही होब्बी है. मैंने दोस्ती का तो क्या अचार डालना था, और यकीन मानो दोस्तों, सुन्दर लड़कियों से दोस्ती से थोड़ा परहेज़ ही रखना चाहिए क्यूंकि दिन रात ललचाते रहते हो और हाथ में कुछ आता नहीं. चोदो और सरको, यही मन्त्र अपनाओ. खैर, मैं बातें भी करता और थोडा सा अपने पाँव उसके पीछे सरका देता.

    उसे बिलकुल ऐतराज़ न हुआ, और मैं पीछे से अपने पाँव से उसके कूल्हों को छू रहा था तो सामने बैठी चंदा और कोच को दिखाई नहीं देता. थोड़ी देर में मेरी किताब देख के वो बोली- अरे, तुम भी ये सन-साइन वाली किताब पढ़ते हो. मैं थोडा झेंप गया. फिर उसने पूछा के वो मेरी किताब पढ़ सकती है क्या, मैंने अपनी किताब उसको पकड़ा दी. मेरे पास दूसरी किताब थी, जो मैंने निकाल ली. वो बोली- खुल के बैठ सकते हो, पैर फैला के, तो वो एक सिरे पे अपनी कमर लगा के बैठ गयी और मैं दूसरे सिरे पे. मैंने पीछे से अपनी टांगें पूरी लम्बी करके पूरी सीट पे लिटा ली और उसने सामने से. मैंने अपनी टांगों के ऊपर चद्दर डाल ली और अपने पावों से उसके नर्म नर्म कूल्हों को छूने लगा. यहाँ मैं एक बात साफ़ कर दूं के महिलाओं के लिए मेरे दिल में बहुत इज्ज़त है और पाँव से छू के मैं किसी तरह से महिला जात को बे-इज्ज़त नहीं करना चाहता. यह मेरे लिए सिर्फ वासना पूरी करने का जरिया है, और कुछ नहीं.
    थोड़ी देर ऐसे ही माहौल बनता रहा. डब्बे में ज्यादातर लोग जगे हुए थे, लेकिन शोर भी काफी था. सो, हम लोग आराम से खुल के बात भी कर सकते थे लेकिन मैं और कुछ छुई-मुई नहीं कर सकता था. नौ-साढ़े नौ के करीब लोग लुढ़कने लगे. ऊपर बैठे महोदयों ने बत्ती भी बंद कर दी. आप यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | लेकिन लौड़े की उछान से मुझे कहाँ नींद आनी थी. थोड़ी देर में चंदा भी आ गयी, बोली के उधर लोग सो रहे हैं, लेकिन हमे बात करते देख के उसने सोचा वो भी आ के गप्प शप्प लगाए. मैं सोचने लगा - ये कबाब में हड्डी कहाँ से आ गयी. लेकिन उसके आने से एक काम तो हुआ के हम लोगों को थोड़ा टाईट हो के बैठना पड़ा. अब किरन बीच में आ गयी और चंदा दूसरे कोने पे. मैं वैसे ही पीछे टाँगे बिछाए बैठा रहा, तो समझिये के किरन अब लगभग मेरे घुटने से थोड़ी ऊपर, लेकिन जाँघों से थोड़ी नीचे एकदम लग कर बैठी थी. उसके नाजुक नाजुक गोल-गोल चूतड ट्रेन के इधर उधर होने से रह रह के मेरी टांगों से टकरा जाते और लंड में सनसनी मचा जाते.
    अब अँधेरे में मैंने थोड़ी हिम्मत बधाई और अपना बायाँ हाथ बढ़ा के हौले हौले किरन की कमर छूना शुरू कर दिया. किरन ने कोई आपत्ती नहीं की तो मैंने हाथ सरका के अपनी टांगों पे रख लिया, ताकि अब मेरा हाथ मेरी टांगों और उसके कूल्हों के बीच में आये. फिर मैंने हाथ घुमा के उसके चूतड को अपने हाथों में भर लिया. अब भी दोनों लडकिया इधर उधर की बातें कर रही थी. उनकी बातों से लगा के चंदा किरन को अपनी बड़ी बहन की तरह मानती थी और हमेशा उससे चिपकी रहती थी. थोड़ी देर उसको देख के और उसके परिपक्व मम्मों को देख के लगा के उसकी दबाने में भी मजा आ जाए. लेकिन अभी मैंने किरन की गांड पे हाथ रखा हुआ था. फिर मैंने किरन की गांड को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. अब किरन थोडा घूम के बैठ गयी और मैंने तुरंत हाथ हटा लिया. मैंने सोचा के बस थोड़ी देर में थप्पड़ पड़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैं थोड़ी देर शांत बैठा रहा, वार्तालाप चलता रहा और किरन फिर मेरी और आके सट के बैठ गयी. मैंने अपना हाथ फिर उसके कूल्हों पे रख दिया और हलके हलके सहलाने लगा.

    कोई प्रतिक्रिया न होने पे मैंने अपना हाथ पीछे से उसके ट्रैक सूट के टॉप में सरका दिया और उसकी मांसल कमर सहलाने लगा. यकीन नहीं आ रहा था के इतनी माल बंदी मेरे साथ बैठ के मजे दे रही है. अक्सर थोड़े थोड़े स्पर्श के बाद लडकियां या तो परे हट के बैठ जाती हैं या किसी तरह से जता देती हैं के मैं गलत हरकत कर रहा हूँ. किरन ने ऐसा कुछ नहीं किया इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ती चली गयी. मैंने अपना हाथ पीछे से उसके ट्रैक पेंट में डालने की कोशिश की लेकिन बहुत टाईट था और मैं बहुत कोशिश के बाद भी हाथ न घुसा पाया. अब किरन हंस दी. चंदा ने पूछा क्या हुआ, किरन बोली-कुछ नहीं, और बातचीत में लगी रही. मैं अब धीरे धीरे अपना हाथ उसके बगलों में ले जाके नर्म नर्म शेव की हुई काखें सहलाने लगा. दूसरी ओर से उसका चूच हलके हलके मेरे हाथ से टकरा रहा था. गाडी के हलके हलके धक्कों से हिल हिल के लंड भी खड़ा हुआ जा रहा था. थोड़ी और देर ऐसे ही चलता रहा. लगभग सब लोग सो चुके थे. मैंने मौका देख के कहा के मैं दरवाजे की तरफ जाके थोड़ी हवा खाने जा रहा हूँ. सोचा वो भी चलेगी तो मैं अगला दांव खेलूंगा. किरन भी तैयार हो गयी मेरे साथ चलने में, बहाना ये बनाया के यहाँ जोर से बात नहीं कर सकते क्यूंकि लोग सो रहे हैं. मैंने सोचा के बन गयी बात, तो दोनों एक एक करके डब्बे के सिरे पे बाथरूम के पास दरवाजे के पास जाके खड़े हो गए. दरवाजा खुला था तो ज़ोरों से हवा आ रही थी. किरन खड़े खड़े हलके हलके मुस्कराते हुए देखने लगी. मैंने देखा के आस पास कोई नहीं है तो बोलने की कोशिश की, लेकिन कुछ बोल न पाया. बस आगे बढ़ के एकदम साथ जाके खड़ा हो गया. मेरा लंड उसके पेट से छू रहा था. उसका चेहरा मेरी और थोडा झुका और आँखें हलके से बंद हुई तो मैंने झुक के उसके होठों को चूम लिया. थोड़ी देर मैं उसके होठों पर हलके हलके चुम्बन जड़ता रहा फिर उसने हलके से होंठ खोले तो मैंने भी अपने होठ खोल के उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया. फिर मैंने जीभ से उसके कोमल होंठो के बीच में जगह बनायी और जीभ अन्दर दाल के उसकी जीभ से मिला दी. उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहयोग देना शुरू किया. थोड़ी देर हम ऐसे ही जीभें लड़ाते रहे और मेरा हाथ उसकी कमर के गिर्द घिर गया. मैंने अपना बाजू उसकी

    कमर के गिर्द लपेट के अपने आगोश में कस लिया.

    उसके ठोस मम्मे मेरी छाती से लगे लगे जब दब रहे थे तो नीचे लौदा दहाड़ें मारने लगा और किरन के पेट में चुभने लगा. मैंने अपने लंड को और थोडा जोर से उसके पेट से सटाया. गाडी चली जा रही थी और हमारे बदन गाडी के झटकों के साथ डोले जा रहे थे. मेरा हाथ अब नीचे जाके उसकी गांड दबा रहा था. मैंने दूसरा हाथ भी पीछे डाल के उसके दोनों कूल्हों को जोर से भींच दिया. फिर मैंने उसकी ठुड्डी चूसनी शुरू कर दी, और बीच बीच में गालों पे पप्पियाँ लेने और चूमने चाटने लगा. मैं इतनी खुली हुई लडकी से कभी नहीं मिला था, तो हैरान भी था और उत्तेजित भी. मैंने उसकी गांड भींचते भींचते उसके गले पे हलके से होठों से काटा फिर झुक के उसकी तनी हुई चूचियों को ट्रैक सूट के ऊपर ऊपर से चूसने का प्रयत्न किया. उसके कूल्हे एकदम भरे भरे और गदराये हुए थे मेरे उसकी गांड पे हाथ रखते ही उसके मांसल कूल्हे मेरे हाथों में समा जाएँ, ऐसे भरे भरे. मैंने अपना हाथ उसके कूल्हों के नीचे सरकाया और कूल्हों के एकदम बीच में ले आया. फिर मैंने दोनों तरफ से गांड को जोर से दबाया. इस दौरान मैं बदहवास सा चुम्मा चाटी में लगा था. अचानक लगा के कोई साथ में है घूम के देखा तो चंदा खडी थी. किरन बोली- चिंता न करो, ये देखती रहेगी के कोई आ न जाए. मैंने चंदा को आँख मारी, उसने भी जवाब में आँख मारी और मैं किरन के शरीर से खेलने में लग गया. अब मैंने अपने हाथ से ऊपर ऊपर से किरन की चूची थाम ली और पूरी ताक़त लगा के दबा दी. वो कराह सी उठी. ऐसे २-४ मिनट चला होगा के किरन बोली - यही सब करते रहोगे के और आगे भी कुछ इरादा है. मैं समझा नहीं तो बोली- आगे भी कुछ करना है तो बाथरूम में चलते हैं. अब जाके मेरे दिमाग में चमक आयी के ये लडकी मेरे से भी चालू है और इसे ट्रेन में चुदवाने का अनुभव है. मैंने उसे साथ में लिए लिए बाथरूम का दरवाजा खोला और दोनों अन्दर चले गए. मैं दरवाजा बंद करता के चंदा बोली, मैं भी आ जाऊं- सिर्फ देखने के लिए. मैं थोडा झिझका हुआ था, लेकिन न हाँ कर पाया और न ना.

    नतीजा ये के चंदा भी बाथरूम में मेरे साथ. बाथरूम कोई गन्दा तो नहीं था, लेकिन जंग की बू हमेशा रहती है. बीच में खंडास और दोनों तरफ हत्थे थे. हम तीनों बड़े टाईट फिट आ रहे थे. मैंने किरन की टॉप ऊपर सरका दी और उसकी ब्रा भी बिना खोले ऊपर सरका दी. बाथरूम की रोशनी में उसके दोनों मम्मे चाँद की तरह चमक रहे थे और उसके भूरे भूरे निप्पल लाल अंगूर की भांति जैसे चूचों पे चिपके हों. मैंने अपने ओंठ उसके निप्पल पे चिपका दिए और उसका यौवन रस गट गट पीने लगा. पहले प्यार से फिर जोर जोर से. वो सिसकारी लेते हुए बोलने लगी- हाँ हाँ, और जोर से. इस बीच मैंने उसका ट्रैक पेंट भी नीचे सरका दिया और उसकी चड्ढी भी. उसने मेरा लंड दबोचा और मेरी जींस खोल के बाहर निकाल लिया. मैंने अपने हाथ से उसकी चूत में उंगली दे दी. उसकी चूत एकदम गीली थी पिछले एक घंटे की छेड़ छाड़ के कारण.

    मैं थोड़ी देर उंगली करता रहा और उसके मम्मे चूसता रहा और वो मेरे लंड को हाथ में थामे सहलाती रही. फिर चंदा का हाथ भी मेरे लंड पे आ टिका. मैंने भी उसकी चूची दबा दी. थोड़ी देर में उसकी कमीज और ब्रा भी उसके चूचों से ऊपर और उसकी पेंट और पेंटी उसकी टांगों से नीचे. मैंने दोनों की चूत में उंगली डाल दी. दोनों का शरीर एकदम कसा हुआ और गांड एकदम भरी हुई थी. अब किरन घूम के मेरे और चंदा के बीच में यूँ आ गयी के उसकी गांड मेरी तरफ और मुंह चंदा की तरफ. फिर वो थोड़ी झुक गयी. दोनों लड़कियों के मम्मे ट्रेन की छुक छुक के साथ आपस में टकरा रहे थे. मैंने थोडा नीचे झुक के अपने लंड को उसकी चूत में देने की कोशिश की तो हर तरफ नर्म नर्म मांस के लंड टकराता रहा लेकिन रास्ता कहीं न मिला. किरन ने नीचे हाथ डाल के मेरे लंड को रास्ता दिखाया और सेकंडों में मेरा लंड चूत में आधा घुसा हुआ था. आप यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | शुरू में थोडा घर्षण हुआ लेकिन मैंने जोर से धक्का दिया और पूरा अन्दर. मैं थोड़ी देर अपनी जांघें उसकी गांड से लगाए खडा रहा, बिना धक्के दिए. ट्रेन के चलते चलते अपने आप ही हौले हौले धक्के लग रहे थे. मैं किसी जल्दी में न था और इस घटना के पूरे आनंद लेना चाहता था. मैंने चंदा के चेहरे को अपनी और खींच के उसके ओठों को चूमा. फिर अपने अंगूठों और अँगुलियों से उसके निप्पलों को यूँ पकड़ा के घोड़े की लगाम पकड़ रखी हो. चंदा ने उफ़ तक न की. फिर मैंने ट्रेन के धक्कों से मिलते धक्के लगाने शुरू कर दिए. पहले धीरे धीरे, फिर तेज़ तेज़. लौड़ा किरन की टाईट चूत में मस्त हुआ जा रहा था. मैंने चंदा के निप्पल पकडे पकडे किरन के चूच्चे अपने हाथों के कप में पकड़ लिए और अपनी हथेली से उनपे भी च्यूंटी काटने लगा. मेरी जांघ पे किरन के कूल्हे जो उछल उछल के लग रहे थे तो लौड़े में और सनसनी सी दौड़ उठती थी.

    मैंने झुक के चंदा के ओठों को चूसना शुरू कर दिया. किरन ने घूम के मेरे ओठों से अपने ओंठ लगाने की कोशिश की तो तीनों के ओंठ आपस में टकराए. तीनों के ओंठ खुले खुले थे और तीनों ओंठ एक दुसरे पे कस गए और कसते चले गए जैसे जैसे मेरे धक्के तेज होते गए. जैसे जैसे मेरा लौड़ा फटने के मुकाम पे आने लगा, मेरे हाथ और जोर से लड़कियों के मम्मों पे कसने लगे. मेरे लौड़े से ज़ोरों से गरम गरम माल की बौछार किरन की चूत में होने लगी. मैंने धक्का मरना बंद कर दिया और अपनी जंग को एकदम ज़ोरों से किरन की गांड से सटा के लंड जितना अन्दर घुस सकता था, घुसा के खड़ा रहा. इतनी जोर से च्यूंटी मारी लड़कियों के मम्मों पे के दोनों के मुंह से सिस्कारियां निकल आया. मेरा लंड थोड़ी देर वीर्य विसर्जन करता रहा और धीरे धीरे सिकुड़ता रहा. किरन ने अपनी गांड दायें-बाएं यूँ हिलाई मानो मेरे लंड से बचा खुचा माल निकाल रही हो. मेरे मुह से आह निकल उठी. अब मेरा लंड एकदम सिकुड़ चूका था, बस सुपदा उसकी ज़ोरों से कसी चूत के मुंह पे फंसा था. मैंने निप्पल दबाने ज़ारी रखे और उसी मुद्रा में मुंह आसमान की और करके खडा रहा. ख़ुशी भी थी के इतनी माल दार लडकी का चोदन कर पाया और अफ़सोस रहा के ज्यादा लम्बा न चल पाया और चंदा की न ले पाया.
    इस अफ़सोस के साथ की सिर्फ एक लडकी की चुदाई कर पाया. सो, चोदन के बाद हम लोगों ने सोचा के थोडा थोडा करके दरवाजा खोलें और अगर बाहर कोई न हो तो एक एक करके बाहर निकल लें. आगे थी चंदा, उसने दरवाजा हलके से खोला तो दरवाजा जोर से पूरा खुल गया. सामने कोच को देख के हम तीनों चौंक गए. कोच ने मुझे एक झापड़ लगाया और थोड़ी ऊँची आवाज में बात करने लगा. मैं घबरा गया के लोग इकठ्ठे हो जायेंगे और जम के पिटाई होगी. लेकिन कोच ने अपना ध्यान किरन पर केन्द्रित कर लिया. बोले- "तुम उम्र में सबसे बड़ी और टीम की सबसे पुरानी खिलाडी हो, तुम भी ऐसा करोगी. साथ में नयी लडकी को भी खराब कर रही हो. मैं तुम्हे टीम से भी निकालूँगा और स्कूल से भी." किरन गिडगिडाने लगी. बोली- "सर, गलती हो गयी, बोलिए क्या करू?" कोच बोला- "गलती की सजा तो मिलेगी, यहीं ख़त्म कर सकते हैं नहीं तो बाद में." मैं समझा नहीं लेकिन किरन समझ गयी, बोली- "जैसे आप करें, सर." कोच बोला- "ठीक है, तो फिर वापिस अन्दर चलो." किरन वापिस बाथरूम में, कोच के साथ और मैं और चंदा बाहर रह गए. हमें समझ में नहीं आया के क्या करें. यकीन करो दोस्तों, अब का समय होता तो मैं शोर मचा के लोगों को इकठ्ठा करके कोच की करतूत खोल देता, लेकिन उस समय मैं खुद ही डरा हुआ था और जैसे भी हो,

    मुसीबत से पिंड छुटाना चाहता था.

    आगे की कहानी खुद किरन के मुंह से सुनी हुई कहानी है:
    अन्दर पहुँच के कोच ने अपने हाथ में किरन का मुंह ऐसे पकड़ा के अंगूठा एक गाल को दबोच रहा था तो अंगुलियाँ दुसरे गाल को. बीच में उसके गोल गोल ओंठ मानो चुम्बन के लिए बाहर निकले हों. कोच ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. फिर उसने किरन की चूची पे ज़ोरदार च्यूंटी मारी. किरन कराह उठी. कोच बोला -"क्यूँ, अजनबियों से चुदने में दर्द नहीं होता, हमी से दर्द होता है?" फिर कोच बोला- "लंड चूसेगी मेरा?" किरन बोली- "नहीं सर, जो करना है कर लीजिये" तो बोला- "लंड तो चूसना पड़ेगा, लंड चूसे बिना तो बात नहीं बनेगी. कितने दिनों से तेरे रसीले होठों पे लंड रगड़ने का ख्वाब लिए मुठ मार रहा हूँ मैं, आज तो मुंह में ले ही ले." बोल के कोच ने अपना ढीला लंड अपनी पेंट से बाहर निकाला. किरन को थोड़ी हंसी आ गयी, तो कोच बोला, "चूस तो बिटिया रानी, फिर देख कितना बड़ा होता है. गांड फट जायेगी तेरी मेरा खडा लंड देख के." किरन को उसके अश्लील शब्द इस्तेमाल करने पे गुस्सा तो आया, लेकिन बेचारी मजबूर थी. उसे घिन भी आ रही थी कोच के लौड़े से टपकती लार से, जिसने उसके गालों को गन्दा कर दिया था. अभी भी कोच का लंड एकदम ढीला था, लेकिन लम्बाई और गोलाई में थोडा बढ़ गया था. फिर उसने अपना लंड ले जाके किरन के होठों पे रगड़ना शुरू कर दिया. अपनी गंदी नज़रों से शाल के चेहरे पे लगातार नज़र रखे वो अपना लंड किरन के सख्त और बंद होठों से रगड़ता रहा. फिर बोला - "होंठ खोल भी जालिम, मुंह में ले ले". किरन ने मुंह ज़रा सा खोला और उसके नाजुक नाजुक नर्म नर्म भरे भरे होठों पे कोच ने अपने लंड की उपरी त्वचा हटा के सुपाडा उसके मुंह में हल्का सा दे दिया. किरन को उसके लंड से बदबू सी आयी और ऊपर से लौड़े की लार का खट्टा खट्टा नमकीन सा स्वाद. उसके मुंह से उल्टी सी निकली, लेकिन उसका मुंह जरा और खुलते ही कोच ने उसके मुंह में अपना नर्म लौड़ा घुसेड़ने की कोशिश की. नाकाम होने पे कोच ने अपना हाथ किरन की ठोडी के नीचे रखा और दुसरे हाथ से उसका माथा थोडा पीछे धकेला. किरन का मुंह और खुला, कोई और चारा न देख के किरन ने पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगी. आप यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | कोच ने अपनी आँखें यूँ बंद कर ली के अभी माल निकाल देगा, लेकिन वीर्य स्खलन के बजाय उसका लंड बड़ा और खड़ा होने लगा. अब लंड कोई ७-८ इंच लम्बा हो गया था और सिर्फ सामने के २ इंच किरन के मुंह में आ पा रहे थे. किरन ने अपने एक कोमल हाथ से कोच का लंड थामा और अपने मुंह को आगे पीछे कर के पंड चूसने लगी. लौड़ा और सख्त होता गया. कोच ने गंदी बातें जारी रखी - "बहन की लौड़ी, कहाँ थी इतने दिनों से, इतना मस्त तो रंडियां भी नहीं चूसती. चूस, और स्वाद ले ले के चूस." गुस्से और शर्म से किरन का मुंह एकदम लाल हो रहा था, जिससे कोच को शायद और उत्तेजना मिल रही थी. झुक के कोच ने किरन का एक मम्मा पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा. किरन के निप्पल एकदम सख्त हो गए तो कोच ने कपड़ों के ऊपर से ही भांप के जोर से च्यूंटी भर दी. किरन ने हल्का सा कोच के लंड पे दांतों पे काट दिया लेकिन कोच को दर्द के बजाय उल्टा मजा आया, बोला- "हाँ, काट मेरे लौड़े पे कुतिया की तरह. उफ़,

    तेरे जैसी लौंडिया को तो मैं हर छेद में दिन रात चोदूं."

    किरन ने और हलके हलके कोच के लंड पे दाँतों से २-३ बार काटा, इस उम्मीद से के कोच का वीर्य स्खलन होगा और उसे ज्यादा झेलना नहीं पड़ेगा. कोच एक्टिंग तो ऐसे कर रहा था के अब निकला अब निकला, लेकिन उसका लंड उलटे और तना जा रहा था. फिर उसने किरन के मुंह से लंड बाहर निकला. किरन खड़ी होने लगी तो वो बोला- "नहीं, वैसे ही बैठी रह, सज़ा का वक़्त आ गया है." बोल के उसने अपने लंड से किरन के गालों पे हल्की हल्की चपत सी लगानी शुरू कर दी. फिर किरन से कहा जीभ बाहर निकाल. किरन ने जीभ बाहर निकाली तो अपना लंड उसकी जीभ पे रख के ऊपर उठाया और फिर धडाक से वापिस जीभ पे थप्पड़ सा लगाया, जैसे से लंड झाड रहा हो लेकिन ये सिर्फ आगे की तैय्यारी थी.

    अब कोच ने किरन को खड़ा किया और उसकी पेंट और पेंटी नीचे सरका दी, ब्रा और टॉप ऊपर सरका दी और दूसरी और घुमा दिया. पीछे से वो किरन के कान और कंधे पे दांत गडाने लगा और अपने हाथों से किरन के मम्मों पे चिकोटियां काटने लगा. किरन बोली- "सर. धीरे धीरे, पलीज, दर्द हो रहा है." तो कोच बोला- "क्यूँ, मैंने कहा था, के चुदवाती फिर. अब अंजाम भुगत" कह के और जोर से किरन की चूचियां मसल डाली. फिर दूसरा हाथ सरका के किरन के नाजुक नाजुक पेट पे चूंटी काटने लगा. किरन का बुरा हाल था. कोच में पीछे से अपना लंड किरन की गद्देदार गंद के एकदम बीच में लगा रखा था. फिर वो बीच की लकीर पे लंड लिटाये लिटाये धक्के से मारने लगा. फिर उसने किरन के मुंह में अपनी अंगुलियाँ दे के कहा- गीला कर, जानेमन. किरन ने उसकी अँगुलियों को थोडा चूसा और फिर गीला सा कर दिया. कोच ने गीली अँगुलियों से अपने लंड पे रगड़ के लौड़े को थोडा गीला किया, फिर अंगुलियाँ वापिस किरन के मुंह में डाल के फिर गीला करवाई और फिर लंड पे लगाई. फिर कोच ने पूछा- "चुदवाई थी उससे?" किरन की ख़ामोशी में हाँ का जवाब था. फिर वो बोला, कोई बात नहीं. और अपनी उँगलियाँ फिर किरन के मुंह में डाल के गीली की और किरन की गांड पे रगड़ने लगा. जैसे ही किरन को अंदेशा हुआ कोच के इरादों का वो एकदम परे हटने लगी, बोली- नहीं, नहीं, पीछे से नहीं. कोच बोला - "तो तेरी पहले ही चुदी हुई चूत में फिर डालूँ? क्या समझ रखा है मुझे?" कह के कोच ने किरन को मजबूर सा कर दिया. बोला के आराम आराम से करेगा. फिर कोच ने अपनी गंदी उँगलियों को किरन के मुंह में गीली करके किरन की गांड में पहले एक उंगली डाली, फिर दोनों. फिर उंगलियाँ बाहर निकाल के उसने अपना सख्त लौड़ा किरन की गांड से लगाया और अपने हाथों से पकड़ के थोडा थोडा घुसाने लगा. किरन कराहने लगी, बोली- सर, दर्द हो रहा है, पलीज, मत करो. लेकिन उस वहशी का और लंड खडा होने लगा किरन की हायकार सुन कर. उसने अपने हाथ से किरन का एक कूल्हा एक तरफ को दबाया और दुसरे हाथ से लंड को पकड़ के और थोडा अन्दर घुसाने की कोशिश की, लेकिन मुश्किल से आधा सुपाड़ा ही अन्दर जा पाया. फिर कोच ने लंड निकला और झुक के किरन की गांड पे थूका. फिर लंड को इस थूक में गीला करके फिर से किरन की गांड में घुसाने का प्रयतन किया. इस बार सुपदा पूरा अन्दर घुस गया और गांड के पहले द्वार में प्रवेश कर गया. किरन दर्द के चलते अचानक से फुदक उठी, लेकिन कोच ने उसके उछलने से मिलता हुआ जोरदार झटका ऐसा दिया के लंड पूरा अन्दर घुस गया. दर्द के मारे किरन की आँखों से आंसूं निकल आये. कोच ने वहशी दरिंदों की तरह किरन के कूल्हे और मम्मे नोचने शुरू कर दिए और जोर जोर से गांड में धक्के लगाने शुरू कर दिए.

    उसके बुजुर्ग और खुरदरे बाल जब किरन के कूल्हों से टकराते तो किरन को खराश सी मच जाती. बाहर हम खड़े खड़े इंतज़ार कर रहे थे लेकिन थोड़ी देर में दरवाजे पे धक्कों की आवाज सुन के समझ में आ गया के

    अन्दर चुदाई चल रही है.

    कोच का लम्बा और मोटा लंड किरन की गांड की तहस नहस करने में लगा था और उसके हाथ कभी किरन की गांड पे जोर से चपत लगाते, कभी भींच देते. किरन बोली- "सर, हुआ क्या, कसम से दर्द हो रहा है" तो कोच बोला- "बोल, मैं रंडी हूँ, मेरी गांड मारो." थोडा जोर देने के बाद किरन को जब कोई चारा नज़र न आया तो उसने भी साथ देने का फैसला कर लिया, बोली- "मैं रंडी हूँ, मेरी गांड मारिये, सर, और ज़ोरों से." कोच को और चढ़ गयी और उसने किरन को और नीचे झुका के और जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए. बोला - "गंदी बातें करती रह बहन की लौड़ी नहीं तो पूरी रात ऐसे ही गांड चौद्ता रहूँगा और माल नहीं निकलेगा." किरन घबरा गयी और हाँफते हाँफते बोलने लगी- "हाँ, हाँ, सर, और जोर से धक्का लगाइए, मेरे चूचे दबाइए, उफ़, कितना मजा आ रहा है, है रोज़ सुबह आपका खड़ा लंड चूसूं. मेरी गांड, चूत और मुंह, सबमें डालिए. लंड मेरे चूचों से रगड़िये चाहे गांड से." कोच हैरान हो गया के ऐसी ऐसी बातें ये कहाँ से सीखी लेकिन गांड मारता रहा. फिर उसने किरन के बाल पकड़ के सर पीछे खींचा और उसके होठों को चूसने लगा. आप यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | किरन को गांड में दर्द के साथ साथ गर्माइश महसूस हुई. कोच का काम तमाम हो चूका था. कोच फिर भी हलके हलके धक्के लगता रहा और एक हाथ से बाल खींच के दुसरे हाथ से किरन की चूची दबा रहा था. फिर उसने लंड बाहर निकाला और किरन की गांड पे झाड़ा, फिर बोला- चूस. किरन बोली- "लेकिन सर, गन्दा हो गया है, मेरे पीछे से निकला है" कोच बोला- "हाँ, तूने गन्दा किया है, तू ही साफ़ कर." कहके कोच ने किरन को मजबूर किया लंड चूसने पे, बोला- हलके हलके चूस, चुदाई के बाद बहुत संवेदनशील हो जाता है. कह के वो किरन को थोड़ी देर लंड चूसाता रहा. फिर बोला - "अब मेरी मुट्ठ मार." किरन ने अपने हाथों से कोच के बैठे लंड पे मुट्ठ लगानी शुरू कर दी. थोड़ी देर में लंड अध्-खड़ा हो गया लेकिन पहले की तरह विराट नहीं. कोच आँखें बंद करके किरन से चुम्बन में लगा रहा और हाथों से किरन की गांड और मम्मों से खिलवाड़ करता रहा. किरन इंतज़ार करती रही कोच के लंड का खड़ा होने का, ये सोच के के फिर से चुदेगी. लेकिन वो उस समय बहुत खुश हुई जब कोच के लंड ने हौले हौले थोडा सा माल किरन के हाथ पे उगल दिया. उसकी गांड भी चिप-चिप कर रही थी, और अब हाथ भी. कोच बोला- "अब बचा खुचा भी चूस, लेकिन एकदम आहिस्ता आहिस्ता." आखिर यातना का अंत देख के किरन फटाफट तैयार हो गयी और कोच का लंड ऐसे चूसा के कोच खुशी और आनंद से झूम उठा. सब ख़त्म होने के बाद बोला- "शाबाश, तुम वाकई मेरी टीम की कैप्टेन बनाने लायक हो. तुमने काफी इनाम के लायक काम किया है." फिर किरन पानी से अपनी गांड साफ़ करने लगी तो कोच अपनी वैवाहिक जीवन के दुखड़े रोने लगा. अब किरन को उस पे तरस सा आने लगा, लेकिन उस ने फिर भी बदला लेने का मन बना रखा था. बदले में कुछ एक साल लग गए लेकिन उसने बदला लिया ज़रूर. उसकी कहानी भी आपको सुनाऊंगा, लेकिन फिर कभी.






     
Loading...

Share This Page



ফাকা ফেলে চোদার চটিডিবসি মাকে চুূাখানকি আন্টি চটিমাকে চুদে খুড়া করা চটিமாமீ தூமை துணி காம கதைआई बाहेर झवलीচুদবে চটিদাদু ও মা চটিwww.বাংলা নিউ হট গ্রুপ সেক্স গল্প.comভাবির ব্রা খুলে দেবরஓப்பதை ஒளிந்து பார்க்கும் காம கதைகள்শালি দুলাভাইয়ের চোদাচোদি গল্পMamiyar marumagan kamakathaikalகாமகதைx kahani deshi shcul tichar studnt camshinপ্রমোশন জন্য তিন বিদেশ চুদাচুদী খাওয়াBANGLA CHOTI GOLPO BORO BON O MA KE CHUDAనువ్వే దెంగుతున్నావ్"মেয়ের ভোদা চুষতে কেমন লাগে Xxxছাত্রি।টিচার।চোদাচুদীর।কাহিনিঅচেনা অতিথির সাথে সেক্স తెలుగు కామిక్స్ యవ్వన భంగం ఎపిసోడ్ 2 চটি চারটে চারটে বাড়া আমার মোখে পোদে ও গুদে বরে ঠাপানো শুরুকাকির ভোদার রসছোট গুদে বড় ধোন ডুকানোর গল্পটাকা.দিয়ে.ছোদা.গলপবাতরুম চটিகணவண் மனைவி காம கதை ചെറിയ പൂറിൽநண்பனின் தங்கையுடன் காமகதைகள்গাড়িতে কোলে বসিয়ে চুদার ছটি গল্পটাইট ছামা চোদা চটিহাগু করার সময় পাছা চুদার গল্পமாமானர்.சுண்ணி.என்.புண்டைக்குள்...sex.makliy.xxxগ্রামের মেয়ে চুদার কাহিনিমেয়েকে বউ বানিয়ে চোদাশিক্ষিকার ব্রা চটিইনস্টেন করার টিপসবাংলা আধুনিক হট পাছ চোদা চটিআমি তোমাকে চুদিবGalti se chod diya Sasur ne kahaniদাদি নাতি চোদাচুদির গল্পমায়ের জামা ছিড়ে চুদমাসি পাকা ভোদাMalayalam kambikathakal mashUm teacherumপাশের বাড়ির মেয়েকে "ফাদে" ফেলে চোদা চটিsex queensindhuகுளிப்பாட்டிய ஆண்டிபுண்டையின் உள் உதடுகளைப் আপু নিজে আমার ধোন তার ভোদায় জোর করে ডুকালেন চটি গল্পगाड पुचिবৌয়ের সাথে গ্রুপ চোদা চুদির গলপआशा कि चुदाई बबलु सेపారిజాతం పూకుবিবাহিত আপু চোদার গল্পবাথরুমে বোনের সাথে বাংলা চটিআমি তোমার সাওয়াতে xxx করব ভিডিওपिता बेटी गैंगबैंग सेक्स कहानियांব্রা খুলে চুদাআপুর ননদের সাথে চুদাচুদীநண்பனின் காதலி என்னுடன்পরিবার পরো কিয়া চোদা চটি গল্পপ্রেমের ফাদে ফেলে জোর করে পোদ চোদাপাতানো চাচিকে চোদার চটিচটি পোদ মারা ছেলেদেরबेटा ने बिधबा माँ से चूत चुदाई का सोदा कियाমামীর ব্রাtamil nadekai sexstoreyಕನ್ನಡ ಹಾಲು ಕುಡಿಸಿದ ಅಮ್ಮನ ಕಾಮTELUGU XOSSIP NANNAমোটা ধনের চুদা খাওয়ার চটিবৌকে চুদলো বন্ধু বৌ ওমার পুটকি চুদার গলপবৌ হলো ক্লাবের মক্ষীরানীবৌমাকে ও নাতনিকে একসাথে চুদলামঅসমীয়া ছোৱালীৰ কণি নোনঐ মোক চুদা দেjijaji mast chodte hai sex story