सगाई के बाद सामूहिक चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Aug 23, 2017.

  1. 007

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    प्रेषक : गुमनाम .

    हैल्लो दोस्तों, में बहुत सेक्सी लड़की हूँ और मेरे कॉलेज में काफ़ी चाहने वाले थे, लेकिन मैंने सिर्फ़ दो लड़को को ही लिफ्ट दी थी, लेकिन मैंने किसी को अपना बदन छूने नहीं दिया था। में चाहती थी कि सुहागरात को ही में अपना बदन अपने पति के हवाले करूँ, मगर मुझे क्या पता था कि में शादी से पहले ही सामूहिक संभोग का शिकार हो जाऊंगी? और वो भी ऐसे आदमी से जो मुझे सारी जिंदगी चोदता रहेगा। अब शादी की सारी तैयारी रेशमा दीदी ही कर रही थी इसलिए मेरा अक्सर उनके घर आना जाना लगा रहता था, कभी कभी में सारे दिन वहीं रुक जाती थी। फिर एक बार तो रात में भी मुझे वहीं रुकना पड़ा था। मेरे घरवालों के लिए भी यह नॉर्मल बात हो गयी थी, वो मुझे वहाँ जाने से नहीं रोकते थे।

    अब शादी को सिर्फ़ 20 दिन बाकी थे, तो मुझे अक्सर रेखा दीदी के घर आना जाना पड़ता था। फिर इस बार भी उन्होंने फोन करके कहा कि बन्नो कल शाम को घर आजा, हम दोनों जेवरात का ऑर्डर देने चेलेंगे और शाम को कहीं खाना खाकर देर रात तक घर लौटेंगे, अपनी मम्मी को बता देना कि कल तू हमारे यही रात को रुकेगी और सुबह नहा धोकर ही वापस आएगी। फिर मैंने कहा कि जी आप ही मम्मी को बता दो ना और फिर मैंने फोन मम्मी को पकड़ा दिया, तो उन्होंने मम्मी को राजी कर लिया। फिर अगले दिन शाम को 6 बजे तैयार होकर में अपनी होने वाली ननद के घर को निकली, मैंने खूब गहरा मेकअप कर रखा था। जब सर्दियों के दिन थे इसलिए अंधेरा छाने लगा था। फिर में सीधी उनके घर पर पहुँची तो उनका दरवाजा बंद था तो मैंने बेल बजाई तो काफ़ी देर के बाद जीजा जी ने दरवाजा खोला। तो तभी मैंने पूछा कि दीदी है? तो वो कुछ देर तक तो मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते रहे और कुछ नहीं बोले। तो मैंने कहा कि हटिए, ऐसे क्या देखते रहते है मुझे? बताऊँ दीदी को, मैंने उनसे मज़ाक किया, कहाँ है दीदी? तो उन्होंने बेडरूम की तरफ इशारा किया और दरवाजे को बंद कर दिया। तो तब तक भी मुझे कोई अस्वाभाविक कुछ नहीं लगा, मगर बेडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही मुझे चक्कर आ गया। अब अंदर दो आदमी बेड पर बैठे हुए थे, उनके बदन पर सिर्फ़ शॉर्ट्स था, वो ऊपर से पूरे निर्वस्त्र थे, उनके हाथों में शराब के गिलास थे और सामने ट्रे में कुछ स्नेक्स और एक आधी बोतल रखी हुई थी।

    फिर अचानक से पास में मेरी नजर गयी तो पास में टी.वी पर कोई ब्लू फिल्म चल रही थी। तो तभी मेरा दिमाग ठनका तो मैंने वहाँ से भाग जाने में ही अपनी भलाई समझी। फिर वापस जाने के लिए जैसे ही में मूडी, तो में राज (जीजाजी) की छाती से टकरा गयी। फिर तभी राज बोला कि जानू इतनी जल्दी भी क्या है? कुछ देर हमारी महफ़िल में भी तो बैठो, दीदी तो कुछ देर के बाद आ ही जाएगी और यह कहकर उसने मुझे ज़ोर से धक्का दिया, तो में उन लोगों के बीच में जा गिरी। फिर उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। फिर मैंने उनके सामने हाथ जोड़कर बहुत मिन्नतें की मुझे छोड़ दो, मेरी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली है, जीजाजी आप तो मुझे बचा लो, में आपके साले की होने वाली बीवी हूँ। फिर तभी राज बोला कि भाई में भी तो देखूं तू मेरे साले को संतुष्ट कर पाएगी या नहीं? अब में दरवाजे को ठोकने लगी थी और दीदी-दीदी मुझे बचाओ की आवाज लगाने लगी थी। फिर तभी राज बोला कि तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके चली गयी है, तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गयी थी और यह कहकर राज मुझे दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गया और बोला कि तेरी दीदी मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गयी थी इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे और यह कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोचकर फेंक दी।

    फिर वो तीनों मुझे घसीटते हुए बेड पर लेकर आए और कुछ ही देर में मेरे बदन से सलवार और कुर्ता अलग कर दिए गये। अब में अपने दोनों हाथों से अपनी जवानी को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी। अब तीन जोड़ी हाथ मेरी चूचीयों को बुरी तरह से मसल रहे थे और में वहाँ से निकलने के लिए अपने हाथ पैर चला रही थी और बार-बार उनसे रहम की भीख मांग रही थी। फिर मेरी चूचीयों पर से ब्रा नोचकर अलग कर दी गयी। अब उन तीनों ने मेरी चूचीयों को मसल-मसलकर लाल कर दिया था। फिर थोड़ी देर के बाद निपल्स चूसने और काटने का दौर चला। अब में दर्द से चीखी जा रही थी, मगर मेरी सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था। फिर एक ने मेरे मुँह में कपड़ा ठूंसकर उसे मेरी चुन्नी से बाँध दिया, ताकि मेरे मुँह से आवाज़ ना निकले और फिर अचानक से अपनी दो उंगलियाँ मेरी टाँगों के जोड़ पर पहुँचाकर मेरी पेंटी को एक तरफ सरका दिया और फिर उसकी दोनों उंगलियाँ बड़ी बेदर्दी से मेरी चूत में प्रवेश कर गयी। मेरी कुँवारी चूत पर यह पहला हमला था इसलिए में दर्द से चीख उठी थी।

    फिर तभी उनमें से एक बोला कि अरे यार ये तो पूरा सॉलिड माल है, बिल्कुल कच्चा। अब उन लोगों की आँखों में भूख कुछ और बढ़ गयी थी। अब मेरी पैंटी को चार हाथों ने फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया था। अब में बिल्कुल निर्वस्त्र उनके बीच में लेटी हुई थी। अब मैंने भी अपने हथियार डाल दिए थे। तो यह देखकर एक बोला कि हम तो तुझे जरुर चोदेंगे, अगर तू भी हमारी मदद करती है तो यह घटना जिंदगीभर याद रहेगी और अगर तू हाथ पैर मारती है, तो हम तेरे साथ बुरी तरह से बलात्कार करेंगे जिसे तू सारी उम्र नहीं भूलेगी, अब बोल तू हमारे खेल में शामिल होगी या नहीं। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

    फिर मैंने मुँह से कुछ कहा नहीं, मगर अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। तो इससे उनको पता लग गया कि अब में उनका विरोध नहीं करूँगी। तो तब मैंने एक आखरी कोशिश की और उनसे बोली कि प्लीज भैया में कुँवारी हूँ। तो उनमें से एक बोला कि हर लड़की कुछ दिन तक कुँवारी रहती है, अब चल उठ। तो तब राज ने कहा कि अगर तू राज़ी खुशी करवा लेती है तो दर्द कम होगा और अगर हमें ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़ी तो नुकसान तेरा ही होगा। फिर में रोते हुए उठकर खड़ी हो गयी। फिर राज ने कहा कि अपने हाथों को अपने सिर पर रखो। तो मैंने वैसा ही किया, अपनी दोनों टांगो को चौड़ी करो, अब पीछे घूमो, अब उन्होंने मेरे नग्न शरीर को हर तरफ से देखा था। फिर वो तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गये और मेरे अंगो को तरह-तरह से मसलने लगे और फिर मुझे खींचकर बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी दोनों टाँगों को चौड़ा करके एक ने तो मेरी चूत से अपने होंठ चिपका दिए और दूसरा मेरे स्तनों को बुरी तरह से चूस रहा था, मसल रहा था।

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    अब मेरे कुंवारे बदन में आनंद पूर्ण सिहरन दौड़ने लगी थी। अब मेरा विरोध पूरी तरह से समाप्त हो चुका था। अब में आह, ऊवू की सिसकारियाँ भरने लगी थी। अब मेरी कमर अपने आप उसकी जीभ को अधिक से अधिक अंदर लेने के लिए ऊपर उठने लगी थी। अब में अपने हाथों से दूसरे का मुँह अपने स्तनों पर दबाने लगी थी। फिर अचानक से मेरे बदन में एक अजीब सी थरथराहट हुई और मैंने मेरी चूत में कुछ बहता हुआ महसूस किया, यह था मेरा पहला वीर्यपात जो किसी के लंड के अंदर गये बिना ही हो गया था। अब में निढाल हो गयी थी, मगर कुछ ही देर में वापस गर्म होने लगी थी। अब तब तक राज अपने कपड़े खोलकर पूरी तरह से नग्न हो गया था। अब में एकटक उसके तनतनाए हुए लंड को देख रही थी। फिर राज ने मेरे सिर को अपने हाथों से थामा और अपना लंड मेरे होंठो से सटा दिया और कहा कि अपना मुँह खोल। तो में नहीं बोली और अपने मुँह को ज़ोर से बंद किए हुए मैंने इनकार में अपना सिर हिलाया। तो तभी राज ने मेरी चूत से सटे हुए आदमी से कहा अभी यह साली मुँह नहीं खोल रही है इसका इलाज कर। फिर उसने मेरी चूत के दाने को अपने दाँतों के बीच में दबाकर काट दिया तो में आआआआ करके चीख उठी और उसका मोटा तगड़ा लंड मेरे मुँह में झट से चला गया।

    अब मेरे मुँह से गू-गू जैसी आवाजें निकल रही थी। उसके लंड से अलग तरह की स्मेल आ रही थी। तो तभी मुझे उबकाई जैसी आई और अब में उसके लंड को अपने मुँह से निकाल देना चाहती थी, मगर राज मेरे सिर को सख्ती से अपने लंड पर दबाए हुए था। फिर जब में थोड़ी शांत हुई तो उसका लंड मेरे मुँह के अंदर बाहर होने लगा। अब वो अपना आधा लंड बाहर निकालकर फिर से तेज़ी से अंदर कर देता था तो उसका लंड मेरे गले तक पहुँच जाता था। फिर इसी तरह से कुछ देर तक वो मेरे मुँह को चोदता रहा। अब तब तक बाकी वो दोनों भी नग्न हो चुके थे। फिर राज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया, तो तभी उसकी जगह दूसरे ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।

    फिर राज मेरी टाँगों की तरफ चला गया। अब उसने मेरी दोनों टांगो को पूरा फैला दिया था और अपना लंड मेरी चूत से टच किया। अब में उसके लंड के प्रवेश का इंतज़ार करने लगी थी। फिर उसने अपनी दो उंगलियों से मेरी चूत की फांकों को एक दूसरे से अलग किया और उन दोनों के बीच में अपने लंड को रखा और फिर एक ज़ोर के झटके के साथ उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ कुछ अंदर चला गया। अब सामने प्रवेश द्वार बंद था। अब अगले झटके के साथ उसने उस द्वार को पार कर लिया था। तो तेज दर्द के कारण मेरी आँखें छलक आई थी, मुझे ऐसा लगा मानो कोई लोहे का सरिया मेरे आर पार कर दिया हो। अब मेरी टाँगें दर्द से झटपटाने लगी थी, मगर में चीख नहीं पा रही थी, क्योंकि एक मोटे लंड ने मेरे गले को पूरी तरह से बाँध रखा था।

    फिर राज अपने लंड को पूरा अंदर डालकर कुछ देर तक रुका। तो तब मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा। तो तब उसने भी अपने लंड को हरकत दे दी। अब वो तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा था। अब मेरी चूत से रिस-रिसकर खून की बूँदें चादर पर गिरने लगी थी। अब तीसरा मेरे स्तनों को मसल रहा था। अब मेरे बदन में दर्द की जगह मज़े ने ले ली थी। अब राज मुझे ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहा था, उसका लंड काफ़ी अंदर तक मुझे चोट मार रहा था। फिर जो मुझे मुख मैथुन कर रहा था, वो ज़्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह में अपने लंड को पूरा अंदर कर अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। यह पहली बार था जब मैंने किसी का वीर्य चखा था, मुझे उतना बुरा नहीं लगा था। फिर उसने अपने टपकते हुए लंड को बाहर निकाला, तो उसके वीर्य की कुछ बूँदें मेरे गालों और होंठो पर जा गिरी। अब मेरे होंठो से उसके लंड तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था। फिर तभी राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा।

    अब हर धक्के के साथ-साथ मेरी हुंग-हुंग की आवाज निकल रही थी और मेरे शरीर में वापस से सिहरन होने लगी थी और मेरी चूत से पानी निकल गया था, लेकिन वो तब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था। फिर कोई आधे घंटे तक लगातार धक्के मारने के बाद वो धीमा हुआ, अब उसका लंड झटके लेने लगा था। तो में समझ गयी कि अब उसका वीर्यपात होने वाला है। तो तभी मैंने गिड़गिडाते हुए कहा कि प्लीज अंदर मत डालो, में प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती हूँ, मगर मेरी सुनने वाला वहाँ कौन था? फिर उसने अपना ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में डाल ही दिया। अब उसके लंड के बाहर निकलते ही जिस आदमी ने मेरे स्तनों को लाल कर दिया था, वो कूदकर मेरी जांघों के बीच में पहुँचा और एक ही झटके में अपना लंड अंदर कर दिया। उसका उतावलापन देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो बहुत दिनों से भूखा हो। फिर कुछ देर तक ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने के बाद वो भी मेरे ऊपर ढेर हो गया। फिर कुछ देर सुस्ता लेने के कारण जिस आदमी ने मेरे साथ मुख मैथुन किया था, उसका लंड वापस खड़ा होने लगा था, तो उसने मुझे घोड़ी बनाकर मेरे पीछे से मेरी चूत में अपना लंड प्रवेश करा दिया।

    अब वो पीछे से धक्के मार रहा था, जिसके कारण मेरे बड़े-बड़े स्तन किसी पेड़ के फलों की तरह हिल रहे थे। तभी राज बोला कि ले इसे चूसकर खड़ा कर और यह कहकर अपने ढीले पड़े लंड को मेरे मुँह में डाल दिया। अब उसमें से हम दोनों के वीर्य के अलावा मेरे खून का भी टेस्ट आ रहा था। अब में उसे चूसने लगी थी। अब धीरे-धीरे उसका लंड वापस से तन गया था और अब वो तेज-तेज मेरा मुख मैथुन करने लगा था। अब एक बार झड़े होने के कारण इस बार वो दोनों मुझे आगे पीछे से घंटे भर तक ठोकते रहे। फिर मेरे ऊपर नीचे के छेदों को वीर्य से भरने के बाद वो दोनों बिस्तर पर लुढ़क गये। अब में बुरी तरह से थक चुकी थी। फिर में धीरे-धीरे उनका सहारा लेकर उठी और बाथरूम में जाकर अपनी चूत को साफ किया। फिर मैंने वापस आकर देखा तो चादर पर ढेर सारा खून लगा हुआ था और फिर में वापस से बिस्तर पर ढेर हो गयी। फिर खाने पीने का दौर ख़त्म होने के बाद हम वापस से बेडरूम में आ गये।

    फिर उनमें से एक आदमी ने मुझे वापस से कुछ देर तक रगड़ा और फिर हम सब नग्न एक दूसरे से लिपटकर सो गये। फिर सुबह एक दौर और चला। फिर में अपने कपड़े पहनकर घर चली आई। अब कपड़ो को पहनने में ही मेरी जान निकल गयी थी, मेरे स्तनों पर काले नीले जख्म हो रखे थे, कई जगह दाँतों से चमड़ी कट गयी थी, मुझे ब्रा पहनते हुए काफ़ी दर्द हुआ था, मेरी जांघों के बीच में भी सूजन आ गयी थी। अब राज ने यह बात किसी को भी नहीं कहने का आश्वासन दिया था, क्योंकि पता चलने पर मेरी शादी टूटने के चान्स थे इसलिए मैंने भी अपनी ज़ुबान बंद रखी। फिर सुहागरात को में मेरे पति देव से यह राज छुपाने में कामयाब रही। फिर शादी के बाद राज दिल्ली वापस चला गया। आज भी जब मेरी ननद अपने मायके आती है, तो राज मुझे कई बार जरूर चोदता है और मेरे खूब मजे लेता है ।।

    धन्यवाद .


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