ससुर जी ने बहु की गांड फाड़ी

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jul 3, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //krot-group.ru प्रेषक : आशिका .

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आशिका पटेल है और गुजरात की रहने वाली हूँ। में एक शादीशुदा औरत हूँ और में कामुकता डॉट कॉम की बहुत बड़ी दीवानी हूँ। अभी करीब दो महीने पहले ही किसी के कहने पर मैंने कहानी को खोलकर पढ़ना शुरू किया और वो सभी कहानियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी। मुझे उनको पढ़कर बड़ा मज़ा आया और फिर मुझे मन ही मन में एक विचार आया और मैंने सोचा कि क्यों ना में भी अपनी उस घटना के बारे में कुछ लिखकर आप सभी तक पहुंचा दूँ। मेरी यह पहली कहानी है और मुझे लगता है कि आप सभी को शायद यह जरुर पंसद आयेगी

    दोस्तों में आशिका एक शादीशुदा औरत हूँ और मेरी उम्र 37 साल है और में मेरे पति के साथ सूरत में रहती हूँ। हमारे परिवार में मेरा एक चार साल का बच्चा है और मेरे ससुरजी और हम दोनों है। आज से करीब दस साल पहले में शादी करके मेरे पति के घर आई तो में बहुत खुश थी और मेरे पति भी मुझे हमेशा बहुत खुश रखते थे और मेरे सास, ससुर भी मेरा बहुत ध्यान रखते थे, वो मुझे हमेशा अपनी बेटी की तरह रखते थे, लेकिन यह बात तब बिगड़ी जब मेरी सास का देहांत हो गया और दो साल पहले से मेरे ससुरजी की नज़र मुझ पर बिगड़ी। वो अपनी नौकरी के बाद की जिंदगी जी रहे थे, इसलिए वो पूरा दिन घर पर ही रहते थे और अब वो बार बार मुझे अपनी वासना की नज़र से देखते रहते है। कई बार छत पर सुखाने रखे कपड़ो में से वो मेरी ब्रा और पेंटी से खेलते है और वो मुझे चोरी छिपे देखते है। मैंने कई बार सोचा कि अपने पति को वो सभी बातें बता दूँ कि मेरे ससुर क्या कर रहे है? लेकिन ऐसा करने से मेरा मन नहीं माना, क्योंकि इससे बाप बेटे में झगड़ा हो जाता इसलिए में चुप ही रही।

    फिर कुछ दिन वैसे ही निकल गये और दिन समय निकालने के साथ साथ मेरे ससुर की हिम्मत भी अब पहले से ज्यादा बढ़ने लगी थी। अब वो मुझे चाय बनाने के लिए कहते और जब में रसोई में चाय बना रही होती तब वो मेरी मदद करने के बहाने से आ जाते और वो मुझे कोई ना कोई बहाना बनाकर छूने लगते। दोस्तों मुझे उनकी इन हरकतों पर बड़ा गुस्सा आता था, लेकिन उन्होंने तो एक बार बिल्कुल ही हद कर दी और मेरे साथ वो सब किया जिसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। एक दिन की बात है मेरे पति सुबह अपनी नौकरी पर चले गये और वो मेरे लड़के को भी अपने साथ उसके स्कूल छोड़ने के लिए लेकर चले गये। सुबह के सात बजे थे और में नहाने के लिए बाथरूम में जा ही रही थी। मैंने मेरी ब्रा, पेंटी और टावल को बाथरूम में खूंटी पर लगा दिए थे। अब में अंदर जाकर अपने एक एक करके कपड़ो को उतारने लगी और में पूरी नंगी होकर बस नीचे बैठने ही वाली थी कि तब मेरे ससुर ने मुझे एक ज़ोर से आवाज़ लगाई आशी, क्योंकि घर में मुझे प्यार से सब लोग आशिका की जगह आशी कहते है, आशी जल्दी आओ उनकी ज़ोर की आवाज़ से में डर गयी और डर के मारे हड़बड़ाती हुई सोचने लगी कि कुछ अशुभ ना हुआ हो तो अच्छा है। फिर मैंने फटाफट अंदर रखी हुई मेरी मेक्सी पहनी और बाहर आई। मैंने उस समय सिर्फ़ मेक्सी पहनी हुई थी और मैंने अंदर ब्रा या पेंटी नहीं पहनी थी। मेरे पूरे बदन पर सिर्फ़ एक मेक्सी थी और वो भी बहुत पतली थी कि उसके आरपार बड़ी आसानी से देख जाए। अब मैंने बाथरूम से बाहर निकलकर देखा तो वो मुझे कहीं नजर नहीं आए। फिर मैंने बाहर जाकर देखा कि वो गार्डन में गिरे पड़े थे। में उनके पास दौड़ती चली गयी और अब में उनको उठाने की कोशिश करने लगी थी कि तभी मैंने महसूस किया कि वो मेरी मेक्सी से दिखाई देने वाले मेरे बूब्स और निप्पल को देख रहे थे और में उस वजह से बहुत शरमा गयी। फिर जैसे तैसे मैंने उनको जल्दी से उठाया और उठते समय उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड पर रख दिया और तब उनको छूकर महसूस हो गया था कि मैंने अंदर पेंटी भी नहीं पहनी है। अब मैंने उनसे पूछा कि बाबूजी क्या हुआ, आप कैसे नीचे गिर गये? तब वो बोले कि बहू मेरा अचानक से पैर फिसल गया और में नीचे गिर गया, माफ़ करना बहू मुझे तुम्हे इस हालत में यहाँ नहीं बुलाना चाहिए था। फिर मैंने उनसे कहा कि पिताजी कोई बात नहीं है, अब आप आराम कीजिए में अभी नहाकर आती हूँ, वो मुझसे कहने लगे कि बहू में पूरा कीचड़ में हो गया हूँ इसलिए तुम बाद में नहा लेना पहले तुम मुझे स्नान कर लेने दो। दोस्तों उनकी वो बात सुनकर में पहले तो बड़ी सोच में पड़ गयी, लेकिन फिर मुझे लगा कि वो मेरे पिताजी जैसे ही है इसलिए मैंने उनसे कहा कि हाँ ठीक है पिताजी आप पहले जाकर स्नान कर लो और उनके बाथरूम में घुसने के बाद थोड़ी ही देर में वो बाहर निकल गये।

    अब उनके बाहर निकलने के बाद में मेक्सी में अपने गुप्तांग जो छुप नहीं रहे थे, में उनको छुपाने की कोशिश करते हुए नहाने के लिए अंदर चली गयी और फिर में अपनी धुन में और सोच में ही नहाने में लगी और जब नहाने के बाद मैंने टावल को लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो मुझे ज़ोर का झटका लगा, क्योंकि वहां पर रखा हुआ टावल नहीं था। तभी मेरे मन में शक हुआ कि यह जरुर मेरे ससुरजी की कोई नयी चाल है। फिर मैंने सोचा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि वो तो जल्दी में नहाने आए थे तो हो सकता है कि ग़लती से वो मेरा टावल अपने साथ ले गए होंगे। फिर मैंने जैसे तैसे करके अपने बदन को साफ किया और फिर में अपनी पेंटी को हाथ में लेकर पहनने ही जा रही थी कि मुझे कुछ गीला सा लगा। मैंने वापस पेंटी को उतारकर देखा तो अंदर पेंटी के भाग पर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था। में तुरंत समझ गयी कि मेरे ससुरजी ने मेरी पेंटी पर मुठ मारकर अपना वीर्य निकाल दिया है और वो मेरी चूत पर भी थोड़ा थोड़ा सा लग गया था। अब मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उस पेंटी को उतारकर कचरे के डब्बे में फेंक दिया और अब मैंने अपनी ब्रा को देखा तो उन्होंने उसमे भी अपने वीर्य का पानी छोड़ हुआ था और अब मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि मेरा मन कर रहा था कि में उनका खून कर डालूं इसलिए मैंने गुस्से में आकर अपनी ब्रा को भी कचरे के डब्बे में फेंक दिया था और अब मैंने वापस उनके वीर्य वाली मेरी चूत को साफ किया और मैंने दूसरी बार नहाना शुरू किया। उसके बाद अब में सोच रही थी कि में बाहर जाऊँ तो कैसे? क्योंकि ना तो अब मेरे पास टावल था और ना ही ब्रा, पेंटी मुझे इस बात पर बड़ा गुस्सा आ रहा था और अब थोड़ा सा पछतावा भी हो रहा था कि मैंने क्यों जल्दबाज़ी में अपनी ब्रा और पेंटी को उतारकर कचरे में फेंक दिया? तभी मुझे ना चाहते हुए भी अपने ससुरजी को आवाज़ लगानी पड़ी। मैंने कहा कि पिताजी आप मेरा टावल ग़लती से लेकर चले गये है, ज़रा आप मुझे दे दीजिए, लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से मुझे कोई भी जवाब नहीं दिया और वो कुछ मिनट के बाद बोले हाँ बहू तुम मुझे माफ़ करना में जल्दबाज़ी में अपना टावल ले जाना भूल गया था, इसलिए में तुम्हारा टावल ले आया, ठहरो में तुम्हे दूसरा टावल दे रहा हूँ। अब मुझे उनके ऊपर इतना गुस्सा आ रहा था, लेकिन में भला कर भी क्या सकती थी? उन्होंने मुझे आवाज़ लगाकर कहा कि यह लो बहू। अब मैंने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर हाथ बाहर निकाल दिया और उन्होंने मेरे हाथ को छूते हुए मुझे टावल दे दिया। अब मैंने वो टावल देखा तो मुझे और भी ज़्यादा गुस्सा आया, क्योंकि उन्होंने जो टावल दिया था वो एकदम छोटे आकार का था और उसमें दो जगह छोटे छोटे छेद भी थे। तो में तुरंत समझ गयी कि आज यह बूढ़ा मुझे छोड़ने वाला नहीं है। फिर मैंने उस टावल से अपना शरीर साफ किया और अपने बूब्स से उस टावल को लपेट लिया।

    अब मैंने देखा कि वो टावल छोटा होने की वजह से वो मेरी चूत को ठीक तरह से नहीं ढक पा रहा था और इसलिए मैंने ना चाहते हुए भी उस टावल को थोड़ा ऊपर से नीचे किया, जिसकी वजह से अब टावल मेरे निप्पल से मतलब कि मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे और वो दो छोटे छोटे छेद मेरे कूल्हों पर थे जिसकी वजह से मेरी गांड का गोरा रंग साफ दिख रहा था। में जल्दी से बाहर आई और अपने कमरे में चली गयी और मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया। दोस्तों मेरे बाथरूम से बाहर निकलने और रूम में जाने के बीच तक मेरे ससुर ने मेरे गोरे जिस्म के भरपूर दर्शन कर लिए थे और तब मेरी नजर उसके पाजामे पर गई। मैंने देखा कि उसका लंड तन गया था जो उसके पाजामे से साफ नजर आ रहा था। फिर रात को जब मेरे पति घर आए तो उस समय मैंने उन्हे वो सभी बातें बताने के बारे में बहुत बार सोचा, लेकिन में उनको वो कह नहीं सकी और मुझे रोना आ गया। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हुआ? मैंने उनको तब भी कुछ नहीं बताया और सुबह हम जब उठे तब मैंने देखा कि मेरे पति तैयार हो रहे थे और मैंने उनसे पूछा कि आप कहाँ जा रहे हो? तब वो बोले कि ऑफिस के काम से में तीन दिनों के लिए दिल्ली जा रहा हूँ और उनके मुहं से यह बात सुनकर मेरे ऊपर जैसे आसमान गिर गया और मैंने बड़े गुस्से से कहा कि आप मुझे अभी बता रहे हो? तो उन्होंने मुझसे कहा कि डार्लिंग तुम कल रात को रोने लगी थी और मुझे इसलिए तुम्हे ज्यादा परेशान नहीं करना था इसलिए मैंने तुम्हे कल रात को नहीं बताया। अब में उनसे जिद करने लगी कि मुझे भी आपके साथ आना है आप मुझे भी अपने साथ ले चलो। तो वो मेरे ऊपर गुस्सा हो गये और बोले कि क्या बच्चो जैसे कर रही हो? और उन्होंने मुझे सुबह सुबह एक बार अपनी बाहों में ले लिया और मुझे नंगा करके किस करने लगे, लेकिन मेरा नसीब ही फूटा हुआ था। जैसे ही उन्होंने मेरी पेंटी निकाली तो वो मुझसे बोले कि तुम अपनी चूत तो साफ रखा करो, तुम्हे पता है कि मुझे बालों वाली चूत को चोदना अच्छा नहीं लगता। फिर मैंने उनसे कहा कि आज आप बार कर लो में अगली बार से साफ रखूँगी, उन्होंने कहा कि नहीं और फिर उन्होंने अपना लंड मेरे मुहं में दे दिया और वो मेरे मुहं को धक्के देकर चोदने लगे। फिर कुछ देर बाद उनका सारा वीर्य मेरे मुहं में भर गया। फिर मैंने फटाफट अपने कपड़े पहन लिए और उन्हे छोड़ने के लिए में बस स्टेंड तक उनके साथ चली गयी, दोस्तों में कुछ देर बाद वापस आ गई और अब में और मेरे ससुरजी घर में एकदम अकेले थे। मुझे उनसे बहुत डर लग रहा था। फिर में वापस नहाने चली गयी और मैंने पहले से ही देख लिया था कि मेरी ब्रा, पेंटी और टावल सब बराबर है या नहीं है और नहाने के बाद मैंने खाना पकाया और उसके बाद दोपहर के समय मैंने मेरे ससुरजी ने साथ में खाना खाया। फिर मैंने उनको कहा कि पिताजी में अब सोने जा रही हूँ तो उन्होंने कहा कि हाँ ठीक है बहू। दोस्तों रात को ज़्यादा रोने की वजह से मुझे नींद ठीक तरह से नहीं आई थी इसलिए दोपहर को कुछ देर लेटते ही मेरी आँख लग गई और मेरा लड़का स्कूल से आकार बाहर खेलने चला गया था। तभी थोड़ी देर के बाद मुझे मेरे रूम के दरवाज़े पर किसी के खटखटाने की आवाज़ आई जिसको सुनकर में उठी और मैंने अपने आपको देखा तो गहरी नींद में मेरी साड़ी कमर तक आ गई थी और मेरी पेंटी दिख रही थी मेरी साड़ी का पल्लू नीचे फिसल गया था। मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए और अपने कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा कि बाहर दरवाजे पर ससुरजी खड़े हुए थे और मैंने कहा कि आप तो उन्होंने मुझे चाय देते हुए कहा कि बहू तुम आज कुछ ज़्यादा ही देर सोई हुई थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

    फिर मैंने सोचा कि आज में ही अपने आप चाय बना लूँ तो मैंने चाय बनाकर में पी चुका हूँ और यह तुम्हारे लिए है और मैंने चिंटू को भी दूध पिला दिया है। अब में मन ही मन में सोचने लगी कि क्या यह वही मेरे ससुर है जो पिछले दिन अपने लंड का पानी मेरी पेंटी पर डाल गये थे और आज मेरे लिए चाय बनाकर लाए है और मैंने सोचा कि आदमी कितना जल्दी रंग बदल लेता है? अब मैंने वो चाय पीकर खत्म कि और में अपने काम में लग गयी, लेकिन अचानक से करीब शाम के सात बजे चाय पीने के एक घंटे के बाद मुझे बैचेनी सी होने लगी थी मेरे पूरे शरीर में हल्का सा दर्द होने लगा था शरीर टूटने लगा था और मुझे नींद सी आने लगी। तो मैंने सोचा कि मेरे ससुर ने ज़रूर उस चाय में कुछ मिला दिया होगा और अब में अपने आपे से बाहर होने लगी जिसकी वजह से में किचन में ही गिर गयी, पिताजी आए और वो मेरी तरफ देखकर हंसने लगे थे में थोड़ी बेहोशी की हालत में थी मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था और मेरे हाथ पैर भी नहीं हिल रहे थे, लेकिन में फिर भी अपनी तरफ से उठने के लिए कोशिश कर रही थी वो मुझे देखकर ज़ोर से हंसने लगे और बोले कि तुम अब कुछ भी कर लो कुछ समय तक तुम अपने आपको नहीं संभाल सकती उस चाय में मैंने ड्रग मिला दिया था। अब में उन्हे देखती ही रही बाद में वो मुझे उठाकर रूम में ले गये और बिस्तर लाकर पटक दिया में सब कुछ देख समझ सकती थी, लेकिन कोई हरकत नहीं कर पा रही थी सिर्फ़ महसूस कर पा रही थी।

    अब ससुरजी मेरे पास आकर मुझे चूमने लगे वो मेरे गले पर किस करने लगे। फिर उन्होंने मेरे होंठो पर किस किया और काटने लगे थे, मुझे बहुत घिन आ रही थी। अब उन्होंने मेरी साड़ी को उतार दिया था, जिसकी वजह से अब में सिर्फ़ उनके सामने पेटीकोट और ब्लाउज में थी और में साड़ी को नाभि के नीचे से पहनती हूँ तो अब मेरी नाभि उनके सामने नंगी थी वो मुझे किस करने लगे में अपना मुहं हिलाकर और मुहं से आवाज़ निकालने लगी थी, लेकिन मानो मेरे हाथ पैर पर लकवा पड़ गया हो वो वैसा हो गए थे। अब ससुर जी मुझसे बोलने लगे कि आज में तुझे जी भरकर चोदूंगा में दो साल से भूखा हूँ। मैंने कहा कि पिताजी आप यह क्या कर रहे हो, यह सब ग़लत है? वो बोले कि कुछ भी ग़लत नहीं है, मैंने कहा कि में मेरे पति को यह सब बता दूँगी। तो उन्होंने कहा कि में तुझे उस लायक रहने ही नहीं दूँगा और यह बात कहते ही उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया और अब उन्होंने मेरे पेटीकोट को भी उतार दिया, जिसकी वजह से अब उनके सामने सिर्फ़ ब्रा, पेंटी में थी। उन्होंने मेरी रोती हुई आँख पर थोड़ी सी भी दया नहीं की और अब उन्होंने मेरे शरीर से मेरी ब्रा और पेंटी को भी निकाल दिया था, जिसकी वजह से अब में बिल्कुल नंगी उनके सामने बिस्तर पर पड़ी हुई थी। मुझे बहुत रोना आ रहा था, लेकिन उन्होंने मुझ पर कोई दया नहीं दिखाई। अब वो मेरी झांटो वाली चूत को देखकर बोले कि साली रंडी तुझे मेरे बेटे ने कितनी बार कहा है कि चूत पर से बाल साफ करके रख तू लेकिन तू साली समझती ही नहीं है चल ठीक है रांड आज में तेरी चूत के बालों को साफ करता हूँ इतना कहने के बाद वो मर्दो वाली रेजर और क्रीम लेकर आ गए।

    दोस्तों आज तक कभी भी मैंने उसको काम में नहीं लिया था, क्योंकि में हमेशा बाल साफ करने की क्रीम को काम में लिया करती थी और इसलिए मुझे उस रेजर को देखकर डर लगने लगा था। तभी वो मेरी चूत पर क्रीम लगाने लगे और मेरी चूत पर क्रीम को लगाते समय उन्होंने बहुत बार अपनी एक उंगली को मेरी चूत में डाला था, वो मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चुदाई के मज़े दे रहे थे जिसकी वजह से ऐसा करते करते ना चाहते हुए भी में गरम होने लगी थी और तभी कुछ देर बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसको देखकर वो हंसने लगे थे और उन्होंने कहा कि साली नखरे कर रही है।

    फिर उनको ना जाने क्या सूझा और उन्होंने अब मेरी चूत पर लगी वो क्रीम पूरा साफ कर दी और उन्होंने मुझसे कहा कि तेरे बाल आज में बिना क्रीम के साफ करता हूँ। साली तूने मुझे बहुत तड़पाया है इसलिए आज में तुझे तड़पाऊँगा और यह बात कहकर उन्होंने खाली रेजर को ही मेरी चूत पर घुमाना शुरू किया। अब मुझे अपनी चूत की चमड़ी छिलने का बहुत डर था कि कहीं मेरे कोई कट ना लग जाए और मुझे बहुत दर्द भी हो रहा था। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी चूत से सभी बाल साफ कर दिए, जिसकी वजह से मेरी चूत एकदम चिकनी साफ नजर आने लगी थी। फिर उसके बाद वो रूम से बाहर चले गये वो मुझे ऐसे ही नंगी छोड़कर चले गये और कुछ देर बाद मेरे ससुरजी वापस आए। फिर जब वो वापस आए तो मैंने देखा कि वो सिर्फ़ अंडरवियर में आए थे 65 साल की उम्र में भी उनका शरीर बड़ा चुस्त था वो सिर्फ़ 45 साल के लग रहे थे और मेरे सामने आकार वापस हंसने लगे थे और उन्होंने एक कैमरा निकाला और मेरी तस्वीर खींचने लगे। उन्होंने मेरी चूत का एक फोटो लिया और मेरे बूब्स के फोटो भी लिए और मेरी पूरी नंगी तस्वीर खींचने लगे थे। उसके बाद वो मुझसे बोले कि अगर तूने किसी को कुछ बताया तो में तो जरुर जेल चला जाऊंगा, लेकिन पहले में तेरी इज़्ज़त के चीथड़े उड़ाकर ही जाऊंगा। उसके बाद वो तेल लेकर आए और मेरे पूरे बदन पर मसलने लगे। तेल की वजह से में बहुत चिकनी हो गयी थी और मेरे बूब्स को भी वो बुरी तरह से मसलने लगे थे। फिर ना चाहते हुए भी क्योंकि में एक औरत हूँ और इसलिए मेरा शरीर गरम होने लगा था और मेरे निप्पल टाइट होने लगे। फिर वो देखकर समझ गये थे कि में अब गरम हो रही हूँ और उन्होंने अपना लंड निकालकर वो अब मेरी चूत के ऊपर उसको घिसने लगे थे वो मुझे सिर्फ़ ललचा रहे थे और उनकी उंगली को मेरी चूत में अंदर बाहर भी कर रहे थे और अब मेरा पूरा शरीर भी उनका साथ देने लगा था। मेरे मुहं से उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्हह्ह की आवाज़ निकलने लगी थी और मेरी चूत ने वापस एक बार फिर से पानी छोड़ दिया था, जिसको देखकर वो हंसने लगे और में शरम की वजह से मरी जा रही थी। दोस्तों उनका लंड अभी भी ठीक तरह से तना नहीं था फिर भी उनके लंड का आकार करीब चार इंच से ज्यादा ही होगा और उन्होंने मुझसे कहा कि ले मुहं में ले ले फिर मैंने ना कहते हुए अपना मुहं दूसरी तरफ फेर लिया, तो वो बोले कि क्यों सुबह तो तू बड़े जोश से मेरे बेटे का लंड अपने मुहं में ले रही थी, अभी क्या हुआ? इतना कहते हुए वो ज़ोर से मेरा मुहं खोलने की कोशिश करने लगे थे, लेकिन मैंने अपना मुहं नहीं खोला। फिर उन्होंने एक हाथ से ज़ोर से मेरी नाक को पकड़ लिया और दबा दिया जिसकी वजह से में साँस भी नहीं ले पा रही थीऔर मेरा दम घुटने लगा था, इसलिए मुझे मजबूरन मेरा मुहं खोलना पड़ा और जैसे मैंने साँस लेने के लिए अपना मुहं खोला तो उन्होंने अपना बड़ा लंड मेरे मुहं में पूरा डाल दिया और उनका मोटा लंड मेरे हलक में जा रहा था और ऊपर से मेरी नाक भी बंद थी।

    फिर मुझे घुटन भी हो रही थी, लेकिन फिर भी वो मुझे अनदेखा करके मेरे मुहं को चोदने में मस्त थे और तभी मैंने सोचा कि क्यों ना उनके लंड को काट लिया जाए? इसलिए मैंने ज़ोर से उनके लंड को काट लिया और वो दर्द से चिल्ला उठे और उनके लंड से थोड़ा सा खून भी निकलने लगा था। अब उन्हे मेरे ऊपर बड़ा गुस्सा आने लगा और वो ज़ोर से मुझे थप्पड़ मारने लगे थे और वो कहने लगे रुक रंडी तू मुझे काटती है कुतिया, साली देख में तुझे दिखाता हूँ और अब वो बाहर चले गये, तो में बहुत डर गयी थी कि ना जाने अब वो क्या करेंगे? वो वापस आए और उनका हाथ देखकर में डर गयी थी, क्योंकि उनके हाथ में एक बड़ा सा डंडा था जो 15 इंच जितना बड़ा और 3 इंच जितना मोटा भी था। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड पर तेल लगाने लगे में डर गयी और में ज़ोर ज़ोर से रोने लगी थी, लेकिन वो उस समय बहुत गुस्से में थे और उन्होंने मेरी गांड के छेद में भी तेल डाला और ज़ोर से उस लकड़ी के डंडे को मेरी गांड के छेद पर रखकर एक धक्का दे दिया मेरे मुहं से एक जोरदार चीख निकल गयी, लेकिन वो गुस्से से बोले कि अभी तुझे पता चलेगा कि दर्द क्या होता है और उन्होंने ज़ोर से दूसरा धक्का लगा दिया और उसकी वजह से मेरी जान निकली जा रही थी। फिर शायद उन्होंने मेरी गांड फाड़ डाली थी। दोस्तों उस दर्द की वजह से बिस्तर पर ही मेरा पेशाब निकल गया और मेरे पेशाब से वो पूरा बेड गीला हो गया था और फिर उन्होंने मेरी गांड से वो डंडा बाहर निकाला और तब मैंने देखा कि उस पर बहुत सारा खून लगा हुआ था। फिर ससुरजी ने कहा कि देख रंडी मुझे काटने का नतीजा, अभी पहले में तेरी चुदाई करूंगा और उसके बाद में तेरी चूत को भी इस डंडे से भोसड़ा बनाऊंगा। फिर मुझसे इतना कहने के बाद में उन्होंने वापस मुझे अपना लंड मेरे मुहं में दे दिया और अब मैंने उनके सामने हार मान ली थी। में उनके लंड को चूस रही थी।

    फिर थोड़ी देर चूसने के बाद उन्होंने अपने वीर्य की पिचकारी मेरे मुहं पर मार दी, जिसकी वजह से उनका लंड ढीला पड़ गया और मेरे बूब्स पर भी उनके वीर्य की कुछ बूँद थी और वापस उन्होंने मुझसे कहा कि चल अब तू इसको चूस चूसकर वापस खड़ा कर दे। फिर मैंने भी ठीक वैसा ही किया जैसा उन्होंने मुझसे कहा और थोड़ी देर उनके लंड को चूसने के बाद वो वापस तनकर खड़ा हो गया। मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं आ रहा था कि इतने बुड्ढे आदमी का लंड इतना जल्दी वापस तनकर खड़ा हो जाएगा। वो लंड बड़ा ही दमदार जोश से भरा हुआ था और इस बार उन्होंने मेरे ऊपर आकर मेरी चूत के ऊपर उनका लंड रखा और वो दोनों हाथों से मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरे निप्पल को मसलने लगे थे और फिर उन्होंने एक धक्का दिया, जिसकी वजह से मेरे मुहं से आह्ह्हह्ह ऊउईईईईई की आवाज निकल गयी, क्योंकि उनका लंड किसी मोटे डंडे की तरह मेरी कामुक चूत पर प्रहार कर रहा था और उन्होंने जोश में आकर अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया था और वो अपनी तरफ से तेज धक्के लगाते रहे, जिसकी वजह से में भी वापस गरम होने लगी थी। सच कहूँ तो मुझे उन धक्को से बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था, लेकिन मेरी गांड में बड़ा तेज दर्द भी हो रहा था और खून अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

    अब ससुर जी के तेज दमदार और करारे धक्को के साथ अब मेरी चूत भी उनका साथ देने लगी थी, वो लंड मेरी चूत से रगड़ता हुआ पूरा आखरी हिस्से तक जाता और उसके बाद वो बाहर आने लगता, जिसकी वजह से मेरी चूत जोश से भर जाती और वो बड़ा ही अजीब सा दर्द का अहसास था, जिसको में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकती कि में उस समय क्या महसूस कर रही थी? और वैसे में शरम की वजह से मरी जा रही थी, क्योंकि वो चुदाई मेरे ससुरजी के लंड से हो रही थी। दोस्तों में लेकिन उस मज़े के सामने अपनी सारी लाज शरम को धीरे धीरे अब भूलती जा रही थी और इसलिए मेरी चूत ने उस पूरी चुदाई के टाइम तीन बार पानी छोड़ा था। में उस बूढ़े का इतनी देर तक टिककर चुदाई करना देखकर बड़ी हैरान हो गयी थी और थोड़ी देर के धक्को के बाद उसके लंड ने मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, तो उनके लंड पर खून लगा हुआ था। में उसको देखकर बड़ी हेरान हो गयी कि चूत में तो दर्द नहीं हुआ तो चूत से खून कैसे निकल गया। तभी मुझे ध्यान आ गया कि में महीने के उन दिनों में हो गयी हूँ और उसके बाद भी मेरे ससुर ने मुझे कपड़े नहीं पहनने दिए ऐसे ही मुझे नंगा रखा और लगातार मेरी चूत से पीरियड का खून निकले जा रहा था, मुझे दर्द हो रहा था और पूरा बिस्तर भी गंदा हो गया था, लेकिन फिर भी वो बूढ़ा लगातार दूसरे दिन दोपहर तक मुझे ज़ोर ज़ोर से अलग अलग स्टाइल में चोदता रहा। अब में भी उसका चुदाई में पूरा साथ देने लगी थी और फिर जब उसने एक कांच में मुझे अपनी गांड का छेद दिखाया तो में देखकर बड़ी हैरान हो गयी कि मेरी गांड का छेद मानो किसी फटी हुई चूत के जैसा हो गया था। वो कई जगह से फट गया था। अब मेरे शरीर में थोड़ी जान आने लगी थी और में उठ नहीं पा रही थी, लेकिन अभी भी उस बूढ़े का मेरी चुदाई से मन नहीं भरा था और इसलिए वो पूरी रात और दिन मुझे चोदने के बाद भी वो कुछ नया नया करता ही रहा और में उनके साथ अपनी चुदाई के नये नये तरीको से मज़े लेती रही ।।

    धन्यवाद .


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