सुहागरात में टूटी बीबी की सील

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Oct 2, 2017.

  1. 007

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    हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।

    मेरा नाम पुष्कर है। मैं मध्य प्रदेश में रहता हूँ। मेरा कद 5 फ़ीट 10 इंच है। मेरा लौड़ा भी 8 इंच का है। जो की मेरी तरहही गोरा गोरा है। मेरा लौड़ा बहुत ही तेजी से खड़ा होकर लड़कियों की चुदाई करता है। मैने अब तक कई भाभियों के साथ सेक्स करके उन्हें उसका आनन्द दिया है। भाभियों को चोदने में कुछ ज्यादा ही आता है। मैने अब तक भभियो जैसी चुदाई अपने गर्लफ्रेंड के साथ भी नहीं किया है। भाभियो को उनके घर पर चोदने में कोई डर ही नहीं रहता। गर्ल फ्रेंड को घर पर चोदने में कोई आ न जाये यही डर लगा रहता हैं। और दोस्तों जहां डर हो जाता है वहाँ सेक्स ठीक से नहीं हो पाता है। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ।

    दोस्तों मेरी शादी इसी साल हुई है। मेरी दुल्हनिया विदा होकर घर आई। मम्मी ने अपनी बहू का अच्छे ढंग से स्वागत किया। बारात 12 बजे तक वापस आ गई थी। पूरा दिन मैंने सोया था। रात भर का जगा था। मुझे घर पर आते ही नींद लग गयी। मै सो गया। शाम को मैं सो रहा था। तो सभी लोग आकर मुझसे कहने लगे। सो लो बेटा आज रात फिर से जागनी पड़ेगा। सभी लोग ऐसा कहकर मजा ले रहे थे। इतना कह कर सब लोग हंस पड़े। मै तो सोच में पड़ गया आखिर बात क्या है भाई सब लोग कह कर हंस क्यों रहे है। मैंने भी कुछ नहीं बोला चुप चाप वही लेटा रहा।

    रात को मैं उठा। बॉथरूम में जाकर नहाया। फ्रेश होकर मै सबके साथ खाना खाने बैठा। सभी लोग मेरी तरफ देख देख कर हँस रहे थे। मै अकेला चुप चाप बैठा खाना खाकर उठ गया। मैंने अपने रूम में ना जाकर मम्मी के रूम में जाकर सोने लगा। मम्मी डांटने लगी। मै बाहर बरामदे में सोने लगा। मम्मी ने मुझे वहाँ से भगा मेरे रूम के बाहर दरवाजे के पास ले आई। मम्मी कहने लगी तुम्हारा अंदर कोई इन्तजार कर रहा है। और तुम यहाँ वहाँ सोते फिर रहे हो। मम्मी ने मुझे डांटकर अंदर कमरे में करके दरवाजा बन्द कर दिया। मै कुछ देर तक दरवाजा खट खटाया लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। मुझे ये शादी मंजूर नहीं थी। लेकिन घरवालों के प्रेसर से मुझे ये शादी करनी पड़ी। मै और क्या कर सकता था। मैंने भी हाँ बोल के शादी कर ली।

    तो मैंने भी कुछ नहीं कहा। मैंने अभी तक लड़की भी नहीं देखी थी। जयमाल के समय मैंने एक पल के लिए देखा था। लेकिन मैंने उसे गौर से नहीं देखा था। मैंने सोचा मेकअप में तो हर कोई अच्छा लगता है। शायद ये भी उसी तरह की हो। मेरी बीबी का नाम रूचि था। बिस्तर पर बैठी मेरा इंतज़ार कर रही थी। बिल्कुल फिल्मो की तरह। मैंने उसे न देखते हुए उसके बगल में जाकर लेट गया। मैंने अपना मुह घुमा लिया। रात के करीब 11 बजे थे। कुछ देर बाद रूचि मुझसे पूंछने लगी।

    रुचि- "क्या बात है। आप मुझसे बोल क्यों नहीं रहे"
    मैं- "चुप चाप लेट जाओ। मुझे कोई बात नहीं करनी"

    रूचि- "मै अगर तुमको नहीं पसंद थी। तो शादी ही क्यों की मुझसे। तुम्हे ना बोल देना चाहिए था"
    मै- "मुझे बोलने ही किसने दिया। किसी ने मेरी मर्जी भी नहीं पूँछी। मै क्या चाहता हूँ। बस यही बात बोल रहे थे सब। लड़की बहुत अच्छी है"
    रुचि- "हाँ वो तो मै हूँ ही"

    इतना कह कर रूचि भी मेरे बगल में लेट गयी। मै चुपचाप लेटा रहा। रूचि कुछ देर बाद सो गई। मैंने अपना मुँह उसकी तरफ किया। रुचि तो वास्तव में बहुत ही सुंदर लग रही थी। मैंने जैसा सोचा था वैसा कुछ भी नहीं था। रुचि का फेसकटिंग बहुत ही जबरदस्त थी। रूचि की नाक और उस पर पहनी नथ बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैने उसको बहुत ही गौर से देखा। रूचि की चूंचियां ब्लाउज में उभरी उभरी लग रही थी। वो प्यारी और सुंदर दिख रही थी। मुझे रुचि को देख कर प्यार आने लगा। रूचि की चूंचियो को मैंने छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। मैंने धीऱे से उसकी चूंची को दबाया। रूचि की चूंचिया बहुत ही सॉफ्ट थी। वो शादी के जोड़े में बहुत ही अच्छी लग रही थी। मै रूचि से चिपक कर करीब जाकर उसे देखने लगा। उसकी आँख कुछ देर बाद खुली तो मुझे खुद को देखते हुए बहुत ही खुश हो रही थी। मैं कुछ न बोल कर सिर्फ उसे देखता रहा। उसने मुझे देखता देख कर कहा- "क्या बात है अब बड़ा प्यार आ रहा है"

    मै- "हाँ आ तो रहा है"

    मैंने भी बात बनाई। मैंने कहा- "अब तो जिंदगी साथ गुजारनी है तुम्हारे साथ तो प्यार तो करना ही पडेगा। मैं इतना कह कर चुप चाप हो गया। रूचि भी मुझे देखने लगी। देखते ही देखते सुहागरात का माहौल बनने लगा। हम एक दूसरे की तरफ देखने लगे। मैं थोड़ा सा रूचि की तरफ खिसक कर चला गया। पूरा कमरा खूब अच्छे से सजाया गया था। बिस्तर पर गुलाब के फूल बिखरे पड़े थे। मुझे ये सब देख कर बहुत अच्छा लग रगा था। मुझे तो उसी पल प्यार हो गया जैसे ही मैंने उसे देखा था। मैंने रूचि को अपने सामने कर लिया और देखता रहा।

    मैंने अपनी बीबी को बाहों में भर लिया। इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसे सॉरी बोल दिया। रूचि का खुला मुह तुरंत बंद हो गया।
    रुचि- "सच में आप मुझे प्यार करने लगे हो"

    मै- "लेकिन मुझे नहीं पता था। मेरे घरवालों मेरे लिए तेरी जैसी लड़की से मेरी शादी कर देंगे। मैंने तुम्हे पहले देखा होता तो शायद इतना कुछ हुआ ही ना होता" इतना कह कर मैंने उसे कस कर दबा लिया। उसने भी मुझे देख कर चिपक कर दबा लिया। उसका चिपकना बता रहा था उसने मुझे माफ़ कर दिया। मैंने अब तक उसे ना देखा होता तो शायद उसकी पहली रात यानि सुहागरात का कोई आनंद न ले पाता। उसका चेहरा अपने सामने करके उसके होंठो को देखने लगा। क्या मस्त लग रही थी। मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। मै किस करने को बेचैन होने लगा। उसने अपनी आँखे बंद कर ली। उसकी आँखों का काजल बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसके होंठ पर लगी लिप्स्टिक बहुत ही जबरदस्त लग रही थी।

    मैंने उसके होंठो को देखा। लिप्स्टिक के साथ साथ रूचि के होंठो पर लगा लिप लाइनर बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे ही उसके होंठ पर अपना होंठ रख दिया। चूमने में बहुत ही अच्छा लग रहा था। चूमते ही उसके होंठ की कुछ लिप्स्टिक मेरे होंठ पर भी लग गई। मैं चूसने लगा। रूचि मेरा गला पकड़ कर अपने होंठो को चुसा रही थी। मैने चूस चूस कर सारी लिपस्टिक छुडा दी। मैंने उसे अच्छे से किस करना सीखा दिया। किस करने से लग रहा था कि रूचि अभी तक इन सबसे अनजान थी। वो अपनी आँखे बंद करके मुझे किस कर रही थी। बहुत ही चुदासी होने लगी। रूचि की गर्म गर्म साँसे बहुत ही जोश दिला रही थीं। उसकी साँसों को महसूस करके मैंने रुचि की तरफ देखा। उसने शर्म के मारे अपनी आँखे झुका ली। मैंने उसकी आँखों में शर्म देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था। वो मुझे देखकर हँसने लगी.

    मैंने रूचि से पूंछा क्यों हँस रही हो। वह मेरे होंठ पर लगी लिप्स्टिक को देखकर हँस रही थी। उसको हंसता देख कर लगरहा था कोई परी आ गई हो नीचे। उसकी हंसी बहुत ही किलर लग रही थी। उसकी चूंचियो की तरफ देखकर अपने हाथों से पकड़ लिया। वह अब भी शरमा रही थी। मैंने हाथों में लेकर खेलने लगा। उसके बूब्स बहुत ही मुलायम लग रहे थे। उसकी चूंची को मैंने देखने के लिए ब्लाउज को निकाल दिया। उसकी ब्लाउज का हुक खोलते ही उसकी ब्रा दिखने लगीं। लाल रंग की ब्लाउज के नीचे लाल रंग का ब्रा बहुत ही रोमांचक लग रहा था। उसकी ब्लाउज को निकाल कर बिस्तर पर रख दिया। रूचि तो बहुत ही हॉट लगने लगी। उसके हॉट सेक्सी रूप को देख कर मेरा लौड़ा बेकाबू होता जा रहा था। उसकी चूंचियो को ब्रा ने कस कर दबा रखा था। उसकी चूंचियो को मैंने ब्रा से आजाद करने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। उसकी चूंचियो के ऊपर ब्रा की पट्टियां गोरे बदन पर बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैंने उसकी ब्रा की पट्टियो पर हाथ चलाकर पीछे से रूचि की ब्रा का हुक खोलकर उसकी ब्रा को निकाल दिया। उसकी ब्रा को निकालते ही उसकी गोरी गोरी चूंचियां दिखने लगी। दोनों चूंचियां जैसे किसी गाडी के हेडलाइट लग रहे थे। गोरी चूंचियों पर काले कलर का निप्पल बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी हेडलाइट को दबा दिया।


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    मैंने रूचि के निप्पल को अपने मुह में भर लिया। वह सुसुक सुसुक कर "आई..आई.. .आई..अहह्ह्ह्हह. ..सी सी सी सी.हा हा हा." करने लगी। मै जब भी उसकी चूंचियो को पीता था वह सिसकने लगती। बहुत मजा आ रहा था। रूचि पिलाने में आनंद ले रही थी। काफी देर तक पीने के बाद मैंने उसकी साडी निकालने के लिए उसको खड़ा कर दिया। वह खड़ी हो गई। मैंने उसकी साडी को निकाल दिया। उसको सिर्फ पेटीकोट में कर दिया। उसे पेटीकोट में देखना अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने रूचि की पेटीकोट को भी निकाल दिया। वो अब अपने सारे गहने को निकालने लगी। तब तक मैं उसकी गांड़ को पैंटी के ऊपर से ही सहला रहा था। उसने बिस्तर के बगल टेबल पर अपने गहने रख दिये। मैंउसे चोदने को बेकरार होने लगा। उसकी हेडलाइट दबाने जे बाद मेरे अंदर करंट दौड़ने लगा।

    मैंने भी अपना पैंट निकाला। मेरे पैंट को निकलते ही मेरा लौड़ा कच्छा फाड कर बाहर आने को तैयार था। वो मेरे लौड़े का क्रिया कलाप देख कर डर रही थी। उसको मैंने लौंडा दिखाने के लिए अपना कच्छा निकाला। निकलते ही मेरा लौड़ा खड़ा होकर उसके सामने प्रस्तुत हो गया। उसने लौड़ा बहुत ही गौर से देखना शुरू किया। मैंने हाथों में पकड़ा दिया। उसने डरते हुये पकड़ लिया। मैंने उसका डर छुड़ाते हुए अपना हाथ उसकी हाथ पर रख कर अपना लौड़ा आगे पीछे करवाने लगा। उसका डर ख़त्म हुआ।

    उसने मुठ मार मार कर मेरा लौड़ा बड़ा कर मोटा कर दिया। मैंने रुचि को लौड़ा चूसने को कहा। उसने चूसने से मना कर दिया। मैंने उसको बिस्तर पर लिटाकर उसकी पैंटी को निकाला। मैंने उसे अपने नाक में लगा कर सूंघा। उसकी पैंटी से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत को देखने को मैं बेकरार था। उसकी दोनों टांगों को फैला दिया। टांगोंके बीच में छुपी चूत दिखने लगी। उसकी चूत पर बहुत गजब की चमक थी। देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। उसने एक दो दिन में ही अपनी चूत के बालों को हटाया था। मुझे साफ़ चिकनी चूत को देख कर मुह में पानी आ जाता है। मैंने तुरंत ही उसकी चूत में अपना मुह लगा कर चाटने लगा। मुझे चाटने में बहुत ही मजा आ रहा था। मैने उसकी चूत के दोनों टुकड़ो के बीच की दरार में अपनी जीभ नीचे से ऊपर करके चाटने लगा। मेरे ऐसा करने पर रूचि की चूत ने अपना गर्म गर्म ताजा माल निकाल दी। मैंने उसके चूत के रस का रसपान किया। बहुत ही मीठा स्वाद लग रहा था। मैंने साऱा माल चाट लिया। मै उसकी चूत के दाने को पकड़ कर खींच कर अपने दांतों से काट कर चूस रहा था।

    रूचि मेरा सर पकड़ कर दबा देती और"ओहह्ह्ह.ओह्ह्ह्हआआआअह्हह्हह. अई.अई..अ. उ उ उ उ उ.." की आवाज निकाल रही थी। वह चुदवाने को तड़प रही थी। उसकी तड़प मुझसे देखी नहीं गई। मैंने अपना लौड़ा उसके चूत के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। उसकी चूत गर्म होकर लाल हो गई। उसकी छेद में अपना लौड़ा डालने को मैं भी बेकरार होने लगा। रूचि की चूत में अपना लौड़ा घुसाने की कोशिश करने लगा। मेऱा लंड उसकी चूत में घुस ही नहीं रहा था। मैंने बहुत धक्का मारा लेकिन हर बार मेरा लंड बाहर आ जाता था। मैंने गुस्से में आकर खूब तेज धक्का मारा। मेरे लौडा टोपा सहित थोड़ा सा अंदर घुस गया। रूचि जोर से"..मम्मी.मम्मी.सी सी सी सी.हा हाहा ..ऊऊऊ .ऊँ.ऊँ. .ऊँ.उनहूँ उनहूँ."की चीख निकालने लगी। मैंने सोचा यही दर्द पर और दर्द दे दूं नहीं तो बाद में और चिल्लयेगी। मैंने अपना लौड़ा धक्का मार कर पूरा अंदर कर दिया।

    उसके दर्द के कारण मैं धीऱे धीऱे चुदाई करने लगा। उसने चिल्ला चिल्ला कर पूरा कमरा भर दिया। हर तरफ बस उसी की आवाज गूँज रही थी। कुछ देर बाद उसे उसकी चूत के दर्द से छुटकारा मिल रहा था। मैंने लौड़े पर कुछ गीला गीला लगा महसूस किया। मैंने उसकी चूत से लौड़ा निकाला। पूरा लाल लाल हो गया था। उसकी सील टूटने से निकला खून मेरे लौड़े को रंग दिया। सारा खून बिस्तर पर लगता उससे पहले मैंने पास में रखे पेपर को रूचि की चूत के नीचे लगा दिया। उसको मैंने बिस्तर से नीचे उतार कर टेबल के सहारे खड़ा किया। रूचि टेबल पकडे खड़ी थी। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया, उसकी चूत में अपना लौड़ा डाल कर जोर जोर से चुदाई करने लगा। वह भी" हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ .ऊँ. ऊँ. ऊँ सी सी सी सी. हा हा हा. ओ हो हो." की आवाज के साथ चुदवा रही थी।

    मैंने उसको टेबल पर लिटा कर उसकी कमर को पकड़ कर जबरदस्त चुदाई करने लगा। उसकी तेज चुदाई से मेरा लौड़ा जल्दी ही स्खलित होने वाला हो गया। मैंने अपना लौड़ा रूचि की चूत से बाहर निकाल कर उसकी चूत पर ही झड़ दिया। हमने एक दूसरे को साफ किया। दोनो लोग खूब थक गए थे। हम लोग नंगे ही लेटे रहे। मैंने कुछ देर बाद उठ कर एक बार फिर से चुदाई की। उसके बाद मैंने उसकी गांड़ मारी। हम दोनों रात भर खूब चुदाई करते हैं। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।

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