भाई तू पूरा ख़ा जा इस कुँवारी चूत को

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Oct 20, 2016.

  1. 007

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    भाई तू पूरा ख़ा जा इस कुँवारी चूत को

    दोस्तों में पुणे का रहने वाला हूँ. आज मैंने सोचा कि क्यों ना में अपनी भी कहानी लिख ही दूँ? यह मेरी मेरी और मेरी बहन की कहानी है. सभी मुझे घर पर प्यार से तेजस बुलाते है, में दिखने में भी बहुत अच्छा लगता हूँ और मेरी उम्र 22 साल है और अब में अपनी आज की कहानी पर आता हूँ.

    यह कहानी दोस्तों आज से तीन साल पहले की है, जब में 12th में था और बड़ी बहन निराली उस समय बी.ए. की पढ़ाई कर रही थी और वो मुझसे सो साल बड़ी है.

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    हमारे घर में चार लोग रहते है मम्मी, पापा, दीदी, और में. पापा एक प्राइवेट कम्पनी में है तो वो सिर्फ़ एक हफ्ते के लिए ही घर पर रहते थे और बाकी दिन कम्पनी के काम से बाहर रहते थे. मेरी माँ एक ग्रहणी है तो वो भी हमेशा अपने घर के काम में व्यस्त रहती है. दोस्तों मेरी दीदी दिखने में कटरीना कैफ़ जैसी है. उसका गोरा रंग, गदराया हुआ बदन और कूल्हे थोड़े बाहर को निकले हुए है और वो दिखने में बहुत सेक्सी लगती है. में और दीदी एक ही रूम में सोते थे. उस समय मेरे पेपर थे और दीदी के भी. हम उन दिनों देर रात तक पढ़ाई करते थे तो दीदी बेड पर और में टेबल कुर्सी पर बैठता था.

    एक दिन जब रात के करीब 1:00 बज रहे थे और उस समय मेरी आँख लग रही थी, तो अपनी किताब को बंद कर दिया और में सोने के लिए चला गया. फिर मैंने देखा कि मेरी दीदी भी पढ़ाई करते करते बहुत पहले ही सो गई है और वो उस समय उल्टा यानी पेट के बल सोई हुई थी और फिर मैंने देखा कि उनकी फ्रॉक पीछे से उठी हुई थी और उनकी सलवार एलास्टिक वाली होने की वजह से ना जाने कब थोड़ी नीचे सरक गई थी और में यह सब देखते ही बिल्कुल दंग रह गया, क्योंकि दीदी की गांड बहुत उभरी हुई थी. उनके गोरे गोरे मोटे कूल्हों को देखकर मेरे मन में अपनी दीदी के लिए बहुत गलत गलत विचार आने लगे और अब मेरा लंड धीरे धीरे टाईट होने लगा, लेकिन तभी मैंने सोचा कि में अपनी सगी बहन के बारे में यह सब क्या सोच रहा हूँ?

    फिर मैंने दीदी की फ्रॉक, सलवार को ठीक किया और लेट गया, लेकिन मेरा लंड अभी भी जाग रहा था. फिर मैंने अपने लंड की परेशानी को देखकर लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया और मुठ मारने लगा. तब मैंने दीदी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ पीठ करके सोई हुई थी. अब मैंने अपना अंडरवियर को पूरा उतारा और में नंगा होकर दीदी से चिपककर सो गया और अब में दीदी की गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा, जिसकी वजह से कुछ देर बाद दीदी थोड़ा हिली तो में डर गया, लेकिन वो उठी नहीं तो में डरकर एक बार फिर से लंड को दबाने लगा और में तभी झड़ गया और तब तक ना जाने कब मेरी नींद भी लग गई और सुबह जब मैंने उठकर देखा तो दीदी मुझसे पहले उठ चुकी थी और नीचे के कमरे में भी जा चुकी थी और में उसी नंगी हालत में अभी भी लेटा हुआ था.

    में अब बहुत डर गया कि दीदी ने शायद मुझे इस हालत में जरुर देख लिया होगा. फिर में जल्दी से उठा और कपड़े लेकर सीधा बाथरूम में घुस गया. दोस्तों वो रविवार का दिन था, दीदी और में दोनों घर पर थे और में जब नीचे गया तो मैंने देखा कि दीदी मुझे देखकर हंसने लगी.

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    फिर में उनकी हंसी को देखकर समझ गया था कि दीदी ने मुझे देख लिया है.
    में पूरे दिन भर पहले जैसा रहा और फिर उसी रात को हमारे घर पर कुछ मेहमान आए तो वो सब लोग नीचे हॉल में ही बैठे हुए थे. में और दीदी थोड़ी देर उनके पास बैठकर हमारे कमरे में आ गई और अब एक दूसरे से इधर उधर की बातें करने लगे.

    तभी दीदी ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि तुम बिना कपड़ों के बहुत अच्छे लगते हो तो दोस्तों में उनके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से बहुत डर गया और मैंने उनसे कहा कि दीदी प्लीज आप मुझे माफ़ कर दो, वो कल रात को गरमी बहुत थी ना इसलिए में आपके सो जाने के बाद कपड़ों के बिना लेटा हुआ था, लेकिन मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है कि में कब गहरी नींद में सो गया.

    फिर दीदी ने कहा कि हाँ में वो सब समझती हूँ और वो हंसने लगी और में भी हंसने लगा और तभी नीचे से एक आवाज़ आई, शायद कोई गिर गया था तो हम दोनों भागते हुए नीचे चले गये. अब हमने देखा कि हमारी माँ सीढ़ियो से गिर गयी थी. फिर हमने उन्हें उठाकर बेडरूम में बैठाया और पीने को पानी दिया और तब मैंने देखा कि उनके एक पैर में मौच आ गयी थी और अभी तो खाना बनाना भी बाकी था. फिर माँ ने उस दर्द से करहाते हुए दीदी से कहा कि तुम सभी मेहमानों के लिए खाना बना दो.

    फिर दीदी ने तुरंत हाँ कहा और वो किचन की तरफ चली गयी और दीदी जब किचन में जा रही थी तो मैंने पीछे से दीदी की हिलती हुई गांड को देखा और मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया, जिसकी वजह से मुझसे अब रहा नहीं गया और में भी माँ को अकेला कमरे में छोड़कर दीदी के पीछे पीछे किचन में चला गया.

    मेरी माँ उस समय बेडरूम में अकेली लेटी हुई थी और सभी मेहमान हॉल में बैठे हुए बातें कर रहे थे और हम दोनों किचन में और जब में किचन के अंदर गया तो मैंने देखा कि दीदी के हाथ में एक लंबा, मोटा बैंगन था, जिसको देखकर वो बहुत मुस्कुरा रही थी और उनकी हंसी को देखकर मुझे ऐसा लग रहा था कि उनका मूड आज बहुत अच्छा है, लेकिन में जैसे ही दरवाजे के अंदर गया तो दीदी ने तुरंत उस बैंगन को नीचे रख दिया और अब वो प्याज़ काटने लगी और फिर मैंने उनसे कहा.

    में : दीदी आप मुझे भी आज प्याज़ काटना सिख़ाओ ना प्लीज.

    निराली : क्यों?

    में : क्योंकि मुझे वो तुमसे सीखना है.

    निराली : ठीक है चलो अब इधर आओ.

    दोस्तों दीदी अब मेरे पीछे खड़ी हुई थी और में उनके आगे खड़ा होकर प्याज़ काट रहा था और दीदी ने मेरे दोनों हाथ पकड़े हुए थे और जिसकी वजह से दीदी के बहुत ही मुलायम बूब्स मेरी पीठ से बिल्कुल चिपके हुए थे, लेकिन उनके निप्पल तनकर खड़े हुए थे, जिनको महसूस करके मुझे समझ में आ गया कि दीदी भी अब बहुत गरम हो चुकी है.

    में : दीदी मुझे अपनी पीठ पर कुछ चुभ रहा है, देखो ना क्या है?

    निराली : कुछ नहीं है तुम चुपचाप बस प्याज़ काटो.

    अब दीदी अपने बूब्स को मेरी पीठ पर अब कुछ ज्यादा ज़ोर से दबाने लगी और फिर मैंने कुछ देर बाद उनसे कहा कि दीदी अब तुम प्याज़ काटो, में आपके पीछे खड़ा हो जाता हूँ.
    निराली : ऐसा क्यों?

    में : दीदी प्लीज़ एक बार मेरे लिए.

    निराली : चल ठीक है तू इतना कहता है तो में खड़ी हो जाती हूँ.

    दोस्तों में अब तुरंत दीदी के पीछे चला गया, मेरा लंड तो पहले से ही टाईट था और में उसे दीदी की गांड पर दबाने लगा, प्याज़ तो हमने नहीं काटी बस हम दोनों तो ऐसे ही मज़े कर रहे थे और कुछ देर मज़े करने के बाद दीदी भी मुझसे कुछ कहने लगी.

    निराली : तेजस मुझे भी अब कुछ चुभ रहा है.

    में : हाँ वो मेरा लंड है.

    निराली : लंड क्या मतलब?

    में : दीदी अब आप ज्यादा अंजान मत बनो, लंड वही चीज़ है जिसे आज सुबह आपने देखा था और जिससे में पेशाब करता हूँ.

    निराली : तेजस क्या में तुमसे एक बात कहूँ?

    में : हाँ वो क्या?

    निराली : मुझे तुम्हारा वो लंड बहुत पसंद है.

    में : क्या आप एक बार फिर से उसे देखना चाहोगी?

    निराली : अभी नहीं, अभी तो मुझे खाना बनाना है और जब सब लोग खाना खा ले, उसके बाद दिखाना.

    दोस्तों में अब झड़ने वाला था और फिर मैंने वीर्य की एक पिचकारी दीदी की गांड पर मार दी.

    निराली : तेजस मुझे कुछ गरम, गीला सा लग रहा है वो क्या है?

    में : दीदी आपको भी बहुत अच्छी तरह से पता है कि यह क्या है? फिर दीदी शरमाकर बोली कि चल हट अब पीछे, मुझे खाना बनाने दे, बाहर सब खाने का इंतजार कर रहे है और जब तक खाना तैयार हुआ तो तब तक माँ का पैर भी थोड़ा थोड़ा ठीक हो गया था. माँ ने ही सब लोगों को खाना परोसा, में और दीदी हम दोनों ने माँ से कहा कि हम अपने पेपर की तैयारी करने के लिए पढ़ने ऊपर के कमरे में जा रहे है और अब हम हमारे बेडरूम में आ गये और जैसे ही हम कमरे में आए तो मैंने दीदी को एक स्मूच किया. फिर करीब दो मिनट तक और अब दीदी शरमाकर फिर से नीचे चली गयी और सभी लोगों के सो जाने के बाद रात को हम पढ़ रहे थे.

    मैंने देखा कि दीदी मेरी तरफ पीठ करके सोई हुई है. फिर तुरंत में दीदी के पास चला गया और उनसे चिपककर सो गया और में अपना लंड उनकी गांड पर घिसने लगा. फिर उन्होंने मुझसे बहुत कम आवाज में कहा कि तेजस अभी नहीं, हम कल करते है, लेकिन मैंने उनकी एक भी बात नहीं मानी, क्योंकि मुझ पर तो उनकी चुदाई करने का भूत सवार था. फिर कुछ देर बाद वो थोड़ा गुस्से में उठ गई और उन्होंने मुझे एक धीरे से थप्पड़ मारा और अब उन्होंने मुझसे कहा कि में यह सब माँ को बता दूँगी, चलो अब दूर हट जाओ मुझसे.

    फिर उनके मुहं से यह बात सुनकर मेरी तो गांड फट गई और मैंने उनसे डरते हुए कहा कि प्लीज मत बताओ और में रोने का नाटक करने लगा और अब में उनकी गोद में अपना सर रखकर रोने का नाटक करने लगा.
    फिर उन्होंने मुझसे खड़ा होने के लिए कहा और जैसे ही में खड़ा हुआ तो अचानक से मेरे पजामे में बना हुआ लंड का टेंट उनके होंठो से टकराया गया और वो थोड़ा स्माईल करने लगी. फिर मेरे मन में एक विचार आया और में अब रोने के बहाने अपना लंड दीदी के होंठो पर दबाने लगा, मेरे ऐसा करने की वजह से दीदी से अब रहा नहीं गया और उन्होंने मुझसे कहा कि नीचे बैठ और फिर कहा कि चल अब जल्दी से अपना पजामा खोल.दोस्तों उनके मुहं से यह सब बातें सुनकर में तो बिल्कुल हैरान रह गया. मैंने उनके कहते ही जल्दी से बिना कुछ सोचे समझे अपना पजामा हटाया और वो मेरा लंड देखकर मुस्कुराई और अब वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर बहुत ध्यान से उसे देखने लगी, उसकी मोटाई, लम्बाई गरमी को महसूस करने लगी और फिर वो कुछ देर बाद धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगी. अब उन्होंने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि वाह तू तो बहुत बड़ा हो गया है यार.
    में : दीदी प्लीज आप इसे एक बार अपने मुहं में लो ना.
    फिर दीदी मुस्कुराई और उन्होंने मेरे लंड के सुपाड़े को अपने होंठो पर रखकर थोड़ा सा सक किया और फिर पूरा लंड मुहं में लेकर धीरे धीरे चूसने लगी और में चिल्ला रहा था, वाह निराली तेरा मुहं कितना गरम है मेरी रंडी दीदी, वो फिर से मुस्कुराई और चूसने लगी और थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा कि अब तेरी बारी. फिर में तुरंत उठा और मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए.

    फिर दीदी ने कहा कि मेरे भी उतार दे ना. मैंने अब दीदी की फ्रॉक को भी उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उनके बूब्स को चूसने, लगा, दीदी ने सिसकियाँ भरी, आआअहह उह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से दबा मेरे राजा और चूस इसे, कब से में तरस रही थी तेरी जीभ के लिए, इसलिए में रोज़ रात को अपने कपड़े ऊपर करके सोती थी, लेकिन तू तो बहुत शरीफ लड़का था, लेकिन अब थोड़ा ज़ोर से चूस.

    दोस्तों दीदी के मुहं से यह सब सुनकर में उनके मन की बात को समझ गया और मैंने तुरंत दीदी के सारे कपड़े उतार दिए और अब में उनकी गुलाबी रसभरी चूत पर टूट पड़ा और में उनकी चूत को चूसने, चाटने और काटने भी लगा, जिसकी वजह से दीदी मोन कर रही थी, आआआअहह उह्हह्हह् हाँ मेरे भाई तू पूरा ख़ा जा इस कुँवारी चूत को.

    अब में बिना रुके लगातार उनकी चूत को चूस, चाट रहा था और फिर मेरे कुछ देर चूसने के बाद अचानक से दीदी मेरे मुहं पर झड़ गई और उनकी चूत से निकला चूत रस में चाटने लगा और में उसे गटक गया, उनका पूरा शरीर एकदम से अकड़ गया था और वो बिल्कुल निढाल होकर बेजान शरीर की तरह कुछ देर पड़ी रही. फिर उसके कुछ देर बाद उन्हें होश आया और वो अब रोने लगी. मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ दीदी? तो वो मुझसे कहने लगी कि मुझे माफ़ कर दो तेजस , मुझे यह नहीं करना चाहिए था, यह मुझसे गलती से हुआ है, प्लीज तुम मुझे माफ़ कर दो. इतना कहकर वो फिर से रोने लगी.

    फिर मैंने कहा कि दीदी जब हम लोग झड़ते है तो ऐसा ही महसूस होता है और हमे पता ही नहीं चलता कब हमारा पानी निकल जाता है और ऐसा सभी के साथ होता है. अब वो थोड़ा अच्छा महसूस करने लगी और थोड़ी देर बाद में दीदी के बूब्स फिर से चूसने लगा और दूसरे बूब्स को दबाने लगा, जिसकी वजह से दीदी एक बार फिर से बहुत जल्दी गरम हो गयी और फिर मैंने उनसे कहा कि दीदी मुझे अब तुम्हें एक बार चोदना है.

    फिर उन्होंने कहा कि नहीं आगे जाकर कभी ना कभी मेरी शादी भी होनी है और अगर बाहर किसी को पता चल गया तो इससे मेरी बहुत बदनामी होगी? फिर मैंने कहा कि नहीं दीदी बाहर किसी को पता नहीं चलेगा, में आपसे वादा करता हूँ प्लीज एक बार और करने दो. फिर मेरे कुछ देर बाद बहुत कहने पर दीदी मान गई और फिर मैंने दीदी को बेड पर एकदम सीधा लेटा दिया और अब में उनके ऊपर लेट गया.

    फिर दीदी मेरा लंड अपने एक हाथ से पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी और वो मुझसे कह रही थी प्लीज तेजस अब जल्दी डालो इसे अंदर. में इसे अपने अंदर लेने के लिए तड़प रही हूँ और में बहुत बैचेन हूँ प्लीज थोड़ा जल्दी करो और डाल दो इसे मेरे अंदर. दोस्तों मैंने उनकी पूरी बात सुनकर जोश में आकर एक ज़ोर का धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उनकी तड़पती हुई चूत के अंदर चला गया और दीदी अचानक हुए उस मेरे जोरदार प्रहार से चिल्लाने लगी और अब वो ज़ोर से रोने लगी. फिर उसकी चीखने की आवाज़ को सुनकर माँ तुरंत ऊपर आ गई और उन्होंने दरवाज़े के बाहर से ही रुककर पूछा कि क्या हुआ? दोस्तों उस समय हम दोनों अंदर पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे और उस समय मेरा आधा लंड दीदी की चूत में था और माँ के आने की वजह से हम दोनों बहुत डर गए.

    फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं माँ एक कॉकरोच था तो माँ मेरा जवाब सुनकर ठीक है में जा रही हूँ कहकर वापस चली गई. फिर मैंने माँ के जाते ही एक और ज़ोर का झटका मार दिया, जिसकी वजह से दीदी की चूत से खून निकलने लगा और वो रोने लगी. फिर मैंने उन्हें फिर से स्मूच किया और उसी हालत में धक्के मारने लगा, दीदी थोड़ी देर बाद अच्छा महसूस करने लगी और अब वो जोश में मोन करने लगी अह्ह्ह्हह उूओल आअहह चोद मुझे ज़ोर से तेजस और ज़ोर से चोद, फाड़ इस तड़पती हुई चूत को आअहह सस्ससा आअहह वूऊओ आअहहह.

    फिर में भी लगातार धक्के देकर चोदता रहा और कुछ देर की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये और में उस समय दीदी की चूत में ही झड़ गया. मैंने अपना पूरा वीर्य झटकों के साथ उनकी चूत की गहराईयों में डाल दिया और जब उन्हें यह महसूस हुआ तो वो फिर से रोने लगी और मुझसे कहने लगी कि अब मुझसे कौन शादी करेगा तूने मेरे साथ यह क्या किया और में अब क्या करूंगी?

    फिर मैंने उनसे कहा कि दीदी में कल सुबह ही आपको एक गर्भनिरोधक गोली लाकर दे दूँगा, जिससे आपको ऐसा कुछ नहीं होगा और इसमें डरने की कोई बात नहीं है. उस एक गोली से आपकी सभी समस्याए खत्म हो जायेगी और वो मेरी पूरी बात सुनकर चुप हो गई. दोस्तों उसके बाद हम ऐसे ही हर रोज़ चुदाई करने लगे. एक दिन मैंने दीदी से कहा कि दीदी आज मुझे आपकी गांड भी मारनी है तो उन्होंने कहा कि नहीं में ऐसा नहीं होने दूंगी, उससे मुझे बहुत दर्द होगा. फिर मैंने कहा कि प्लीज आप एक बार करके तो देखो अगर दर्द हुआ तो में वहीं पर रुक जाऊंगा, प्लीज दीदी मेरे बहुत बार कहने पर उन्होंने हाँ कर दिया.

    दोस्तों उसी रात को जब दीदी कमरे में आकर सोने जा रही थी तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और मैंने उसे वहीं पर नंगा कर दिया और में खुद भी नंगा हो गया. मैंने कहा कि दीदी अब जल्दी से लंड को चूसो तो वो स्माईल करते करते मेरा लंड चूसने लगी और वो ऐसा करते हुए चेहरे से एकदम रांड लग रही थी.
    फिर थोड़ी देर बाद मैंने कहा कि दीदी प्लीज अब तुम्हारी गांड मुझे दे दो ना. फिर वो बेड पर उल्टी लेट गई और में उनके ऊपर लेटकर गांड में धीरे धीरे अपने लंड को दबाते हुए अंदर घुसाने लगा और वो दर्द की वजह से चिल्लाने लगी. फिर मैंने तुरंत उनके मुहं पर अपना एक हाथ रख दिया और एक ज़ोर का धक्का मारकर मैंने अपना पूरा लंड उनकी गांड में डाल दिया. उस दर्द से वो मछली की तरह छटपटाने लगी और मुझे धक्का देने लगी.

    फिर मेरे कुछ देर हल्के हल्के धक्के देने के थोड़ी देर बाद दीदी भी थोड़ा दर्द कम होने पर मेरे साथ मज़े करने लगी और अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर दीदी की गांड मार रहा था और दीदी चिल्ला रही थी आह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह हाँ मार तेजस और ज़ोर से मार अपनी दीदी की गांड आअहह सस्स्स्सस्स फाड़ दे आअहह मेरे भाई में मर गई, आआहह ऑश सस्स्स्स्स्स्सस्स. फिर में कुछ देर के धक्कों के बाद दीदी की गांड में झड़ गया. दीदी ने मुझसे कहा कि यार गांड मरवाने में भी बहुत मज़ा आता है, तू मेरी हर रोज़ मारा कर और उस दिन से हम रोज़ चुदाई के मज़े लेते है.

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